Page 1
1 १
भारा कì पåरभारा और 8सकì हवश ेरताए1
इकाई कì Łपर ेखा
१.० इकयाई कया उĥेश
१.१ प्रसियािनया
१.२ भयाषया की पररभयाषया और उसकी विश ेषियाएँ
१.२.१ भयाषया कया अ््च
१.२.२ भयाषया की पररभयाषया
१.२.३ भयाषया की विशेषियाएँ
१.३ सयारयांश
१.४ लGू°री्य प्रij
१.५ दीGō°री्य प्रij
१.६ संदभ्च úं्
१.० इकाई का 8ĥेश
विद्या्गी भयाषया कया हमयार े Kीिन म¤ ³्यया महÂि हu, ्यह Kयान सक¤गे
• इस इकयाई को प
कर विद्या्गी भयाषया ³्यया ह u, ्यह Kयान सक¤गे
• विद्या्गी भयाषया की विवभनन दृवटि्यों से पररभयाषयाओं को Kयान सक¤गे
• भयाषया की विशेषियाओं से विद्या्गी पररवचि होंगे
१.१ प्रसतावना
मनुÕ्य एक सयामयावKक प्रयाणी ह u और भयाषया, मयानि समयाK कया आधयार ह u समयाK के लोगों से
संपक्च सयाधने के वलए उसे ियाणी की आिÔ्यकिया होिी ह u इस ियाणी को भयाषया कहि े ह§
िuसे ही पशु-पव±्यों ि्या अन्य Kीिों की भी अपनी भयाषया होिी ह u मगर भयाषया विज्यान म¤ वसZ्च
हम मनुÕ्यों की भयाषया कया अध्य्यन करि े ह§ ि्या उसकी विश ेषियाओं से पररवचि होिे ह§
१.२ भारा कì पåरभारा और 8सकì हवशेरताए 1
१.२.१ भारा का अ््ष :
मनुÕ्य समयाK म¤ रहिया हu ि्या उसे सयामयावKक प्रयाणी कहया Kयािया ह u समयाK म¤ रहिे हòए, उसे
समयाK के अन्य लोगों के सया् अपने विचयारों कया आदयान -प्रदयान करनया होिया ह u िह समयाK munotes.in
Page 2
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
2 के लोगों िक अपनी बयाि ¤ पहòँचयानया चयाहिया और द ूसरों की बयाि¤ समLनया भी चयाहिया ह u इसे
विचयारों कया आदयान -प्रदयान कहिे ह§ अपने विचयारों और भयािों को प्रकट करन े के वलए हमयारे
पयास अनेक सयाधन उपलÊध ह u कभी िह शÊदों ्यया िया³्यों Ĭयारया अपन े आपको प्रकट करिया
हu, िो कभी संकेिो Ĭयारया प्रकट करिया ह u िuसे संकेिों आवद के Ĭयारया भी कुJ भयािों की
अवभÓ्यवक्त हो Kयािी ह u, परंिु भयािों कों सूàम और सपटि रूप म ¤ Ó्यक्त करने कया सयाधन भयाषया
ही हu कई Kगहों पर शÊदों एि ं िया³्यों के अविररक्त संकेि Ĭयारया भी हम द ूसरों िक अपनया
मनिÓ्य पहòँचयाने म¤ सम््च होिे ह§ Kuसे रेल कम्चचयारी हरी ्यया लयाल LÁPी वदखयाकर अपनया
कयाम चलया लेिे ह§ अनप
लोगों क े बीच हÐदी, सुपयारी ्यया इलया्यची बयाँटकर िuियावहक ्यया
शुभ सूचनया की Kयानकयारी द ेिे हu इसी प्रकयार ियाली बKयाकर, खयाँसकर एिमz सीटी बKयाकर
अपने विचयारों को दूसरों िक पहòंचयािे ह§ भयाियावभÓ्यवक्त क े इन सभी सयाधनों को सयामयान्य रूप
से भयाषया कह सकि े हu, वकनिु भयाषया-विज्यान म¤ उस भयाषया को ही भयाषया मयानिया ह u, Kो ियाणी
Ĭयारया Ó्यक्त होिी ह u और वKसकया क ुJ 'अ््च' होिया हu
भयाषया शÊद संसकpि की 'भयाष' धयािु से बनया हu, वKसकया अ््च Ó्यक्त ियाणी स े हu अि3 हम कह
सकिे हu वक भयाषया िह सयाधन ह u वKसके मयाध्यम से हम सोचिे हu ि्या अपने विचयारों को
Ó्यक्त करिे ह§ भयाषया उसे कहिे ह§ Kो बोली और स ुनी Kयािी हu और बोलनया भी पश ु-पव±्यों
कया नहé, गूँगे मनुÕ्यों कया भी नहé, केिल बोल सकन े ियाले मनुÕ्यों कया
१.२.२ भारा कì पåरभारा:
भयाषया की पररभयाषया क े विष्य म¤ विĬयानों म¤ प्यया्चĮ मिभेद हu अभी िक सि ्चसÌमि भयाषया कया
कोई ल±ण नहé ह u अि: भयाषया की अन ेक पररभयाषयाएँ भयाषया-शयावľ्यों Ĭयारया दी गई हu -
१. Èलेटो के अनुसार - Èलेटो आÂमया से बयािचीि ही विचयार मयानिे ह§, िे विचयार और
भयाषया म¤ ्ोया ही अनिर मयानि े हu भयाषया की पररभयाषया द ेिे हòए Èलेटो कहिे हu -
“विचयार आÂमया की म ूक ्यया अधिन्ययाÂमक बयािचीि ह u, पर िही Kब धिन्ययाÂमक
होकर होठों पर प्रकट होिी ह u, िो उसे भयाषया की संज्या देिे ह§”
२. सवीट के अनुसार- “धिन्ययाÂमक शÊदों Ĭयारया विचयारों को प्रकट करनया ही भयाषया ह u”
. वेहन्द्रए के अनुसार - “भयाषया एक िरह कया स ंकेि हu संकेि से आश्य उन प्रिीकों स े
हu वKनके Ĭयारया मयानि अपन े विचयार दूसरों पर प्रकट करिया ह u ्ये प्रिीक कई प्रकया र के
होिे ह§, Kuसे नेýúयाĻ, कण्चúयाĻ और सपश ्चúयाĻ ”
४. Êलॉक त्ा ůैगर के अनुसार -
“A language is a system of arbitrary vocal symbols by means of
ɈȹȺȴȹ Ȳ ɄɀȴȺȲȽ ȸɃɀɆɁ ɀɁȶɃȲɅȶɄ.
“भयाषया Ó्यक्त धिवन -वचĹों की िह पĦवि हu, वKसके मयाध्यम से समयाK के Ó्यवक्त
परसपर Ó्यिहयार करिे हu”
. गाहड्षनर के अनुसार -
“विचयारों की अवभÓ्यवक्त क े वलए वKन Ó्यक्त और सपटि धिवन - संकेिों कया Ó्यिहयार
वक्यया Kयािया हu, उनह¤ भयाषया कहिे ह§” munotes.in
Page 3
भयाषया की पररभयाषया और उसकी विशेषियाएँ
3 . कामता प्रसाद ग ुł के अनुसार -
“भयाषया िह सयाधन ह u, वKसके Ĭयारया मनुÕ्य अपने विचयार दूसरों पर भली-भयाँवि प्रकट
कर सकिया हu और दूसरों के विचयार सपटि ि्या समL सकिया ह u”
. डॉ. बाबूराम स³सेना के अनुसार -
“वKन धिवन वचĹों Ĭयारया मन ुÕ्य परसपर विचयार -विवनम्य करिया ह u, उसको समवटि रूप
से भयाषया कहिे ह§”
८. डॉ. भोलाना् हतवारी क े अनुसार -
“भयाषया मयानि के उचचयारण-अि्यिों से उचचररि, ्ययादृवचJक धिवन प्रिीकों की िह
संरचनयाÂमक Ó्यिस्या ह u वKसके Ĭयारया समयाK - विशेष के लोग आपस म ¤ विचयारों कया
आदयान-प्रदयान करिे ह§”
९. गुणे के अनुसार -
“धिन्ययाÂमक शÊदों Ĭयारया Ńद्यगि भयािों ि्या विचयारों कया प्रकटीकरण ही भयाषया ह u"
अि: कहया Kया सकिया ह u वक भयाषया धिवन और प्रिीकों की ?सी Ó्यिस्या ह u, वKसके
मयाध्यम से वकसी समयाK म ¤ रहने ियाले लोग परसपर भयािों और विचयारों को बोलकर
्यया वलखकर आदयान - प्रदयान करिे हu
१.२. भारा कì हवशेरताए1 :
्यहयाँ 'भयाषया' से आश्य हu, मनुÕ्य की भयाषया से कुJ विशेष विशेषियाओं के कयारण कई
िसिु अन्य िसिुओं से अलग होिी ह u इसी िरह मयानि -भयाषया की कुJ अपनी
विशेषियाएँ हu, वKसके कयारण िह अन्य सभी प्रयावण्यों की भयाषयाओ ं से अलग हu ्ये कुJ
विशेषियाएँ वनÌनवलवखि ह § -
१) भारा याŀह¸Jक िोती िै -
्ययादृवचJक कया अ््च हu ‘Kuसी इचJया हो’ ्यया 'मयानया हòआ’ वकसी भी भयाषया म ¤ वकसी
िसिु ्यया भयाि कया वकसी शÊद स े सहK सियाभयाविक ्यया िक ्चपूण्च संबंध नहé होिया और
नहé अ््च म¤ कोई KनमवसĦ वनवIJि स ंबंध ही होिया हu िह समयाK की इचJयान ुसयार
मयाý मयानया हòआ संबंध हu ्यही कयारण ह u वक एक कÃ्य क े वलए वभनन-वभनन भयाषयाओं
म¤ अलग-अलग शÊद होि े ह§ सया् ही एक भयाषया म ¤ एक ही शÊद क े अनेक प्यया्च्यियाची
भी होिे ह§ Kuसे ‘पयानी’ शÊद के वहनदी म¤ प्यया्च्य हu Kल, नीर िहé अंúेKी म¤ ‘ियाटर’,
यारसी म¤ ‘आब’ और रूसी म¤ ‘िदया’ कया प्र्योग पयानी क े वलए वक्यया Kयािया हu अि:
कह सकिे हu वक सभी शÊदों क े अ््च प्रÂ्येक भयाषया म¤ संकेि-Kन्य हu
२) भारा सृजनातमकता िोती ि ै -
भयाषया म¤ सयादृÔ्य शÊदों और रूपों क े सीवमि होने पर भी सयादृश के आधयार पर हम
अपनी-अपनी आिÔ्यकियान ुसयार वनÂ्य नए -नए असीवमि िया³्यों कया स pKन करके
उनकया प्र्योग कर िे ह§ सबसे मKे की बयाि ्यह ह u वक न्ये शÊद एिं िया³्यों को ®ोिया munotes.in
Page 4
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
4 को समLने म¤ कोई समस्यया नहé होिी ह u हम हर रोK ?स े ही नए िया³्यों और शÊदों
कया प्र्योग करि े रहिे हu ्यह कमयाल भयाषया की स pKनयाÂमकिया कया ही प्रभयाि हu वक
सीवमि शÊद और Łपों क े होने पर भी हम रोK नए िया³्य की रचनया करने म¤ सम््च
हu सpKनयाÂमकिया िक्तया और ®ोिया की भयावषक ±मिया पर वनभ ्चर होिी हu
) भारा अनुकरण से अहज्षत िोती िै -
मयानि भयाषया सयामयावKक सÌपवि हu कोई भी Ó्यवक्त वKस समयाK म ¤ रहिया िह
अनुकरण के मयाध्यम से उसी की भयाषया को सहK रूप स े सीख Kयािया हu Kनम से
कोई Ó्यवक्त कोई भयाषया नहé Kयानिया ह§, अपने अनुकरण úयाĻिया के कयारण िह अपनी
भयाषया सीखिया ह u और सया् ही अन्य कई भयाषयाए ँ अनुकरण से सीख सकिया ह u िहé
दूसरी िरZ अन्य सभी Kीि K ंिुओं को भयावषक ±मिया KनमKयाि प्रयाĮ होिी ह u, िे
अनुकरण करके भी वकसी समयाK की भयाषया नहé सीख सकि े
४) भारा पåरवत्षनशील िोती ि ै -
मयानि-भयाषया कया एक महÂिप ूण्च गुण उसकया वनरनिर पररिवि ्चि होिे रहनया हu Kबवक
मयानिे°र Kीिों की भयाषया पररिि ्चनशील नहé होिी उदयाहरण क े वलए कु°े- वबÐली
पी
ी-दर-पी
ी एक ही प्रकया र की अपररिवि ्चि भयाषया कया प्र्योग करि े आ रहे ह§ वकंिु
मयानि भयाषया हम ेशया पररिवि्चि होिी रहिी ह u, ³्योंवक विकयास पररिि ्चन से ही होिया हu
पररिि्चन कया मु´्य कयारण अप ूण्च अनुकरण ही ह§ अनुकरण को अपूण्चिया प्रवि±ण
भयाषया म¤ पररिि्चन लयािी हu ्ये पररिि्चन शुरू म¤ Jोटे होिे ह§, लेवकन बयाद म¤ विशयाल
रूप úहण करक े भयाषया म¤ पररिि्चन लयाने की ±मिया रखि े हu उदयाहरण के वलए,
संसकpि कयाल कया ‘कम्च’ प्रयाकpि कयाल म¤ ‘कÌम’ और आधुवनक कयाल म¤ ‘कयाम’ हो
ग्यया
) हवहवक्तता -
मयानि भयाषया कया सिरूप ?सया नहé ह u, Kो पूरया अविचJनन रूप स े एक हो अ्या्चि मयानि
भयाषया कई Jोटे-Jोटे इकयाई्यों से वमलकर बनिी ह u और उसे Jोटे-Jोटे कई इकयाई्यों
म¤ बयाँटया Kया सकिया ह u उसके बयाद मयानि की भयाषया बनिी हu िया³्य शÊदों स े, शÊद
धिवन्यों से, धिवन्ययाँ अ±रों से, अ±र सिर-Ó्यंKन-सिवनमों से बनिे हu
Kuसे- रयाम पुसिक प
िया हu (िया³्य हu)
(शÊद) - रयाम = रz आ मz अ→ अलग-अलग इकयाइ्यों म ¤ विभयावKि वक्यया Kया
सकिया हu
मयानि भयाषया म¤ अविचJनन रूप कया आिÔ्यकिया पन े पर विचJेद अ्िया विĴ ेषण
वक्यया Kया सकिया ह u और Kयानिरों की भयाषया म ¤ विखÁPन संभि नहé हu
) Ĭैतता (țɆȲȽȺɅɊ) -
मयानि भयाषया म¤ िया³्य ्यया उचचयार क े दो सिर होिे हu पहले सिर को रूवपम कहि े हu
Kो सया््चक इकयाइ्ययाँ होिी ह§, और दूसरे सिर को सिवनम कहि े हu Kो वनर््चक munotes.in
Page 5
भयाषया की पररभयाषया और उसकी विशेषियाएँ
5 इकयाइ्ययाँ होिी ह§ इन दो सिरों की वस्वि को ही Ĭ uििया कहिे ह§ उदयाहरण के वलए-
'रयाम ने रयािण को मयारया ' िया³्य म¤ रयाम, ने, रयािण, को, मयारया, पयाँच सया््चक इकयाइ्ययाँ हu
रयाम म¤ रz आमअ चयार धिवन्यया ँ (सिवनम) ह§, वKनकया अपनया कोई अ् ्च नहé हu,
परंिु ्ये आपस म¤ वमलकर भयाषया म ¤ सया््चक इकयाइ्यों कया वनमया ्चण करिी ह§ उदयाहरण
के वलए कz, Gz धिवन्ययाँ अपने आप म¤ वनर््चक ह§, परंिु इनके कयारण 'कोया' ्यया
'Gोया Kuसे वभनन-वभनन अ््च देने ियाले शÊद बनिे ह§
) भूहमकाBं का पåरवत्षन -
Kब हम बयािचीि करि े ह§, िो िक्तया ®ोिया के रूप म¤ और ®ोिया िक्तया क े रूप म¤ आिया
रहिया हu िक्तया बोलिया ह u िो ®ोिया सुनिया हu, वZर Kब ®ोिया उ°र द ेिया हu िो िह
िक्तया बन Kयािया ह u िब प्र्म िक्तया ®ोिया हो Kयािया ह u िक्तया के ®ोिया बनने और ®ोिया
के िक्तया बनने को ही ‘भूवमकया पररिि्चन’ नयाम वद्यया Kयािया ह u
८) हदकz - काल, अंतरणता -
मयानि भयाषया की एक विश ेषिया हu उसकया स्यान विश ेष ि्या सम्य- विशेष िक सीवमि
न होनया हu वदÐली म¤ बuठकर Ó्यवक्त मुंबई, कोलक°या, लनदन ि्या पेररस आवद नगरों
की चचया्च कर सकिे ह§ इसी प्रकयार आK कया Ó्यवक्त अिीि ि्या भविÕ्य की बयािों पर
चचया्च कर सकिया ह u इस िरह मयानि - भयाषया कयालयांिरण कर सकिी ह u इस प्रकयार
मयानि-भयाषया स्यान और सम्य की सीमयाओ ं बĦ न होकर सभी बध नों से सि्च्या मुक्त
हu
९) मौहखकता - ®वयता -
मयानि-भयाषया म¤ मyवखक ®Ó्य सर वण कया प्र्योग करि े ह§ मयानि मुँह से बोलिया और
कयान से सुनिया हu मयानि भयाषया की वलवखि -पवठि सरवण भी मूलि3 इसी पर
आधयाररि होिी ह §
१०) असिज वृह°कता
Kीिन की सहK िpव°्यों के वलए Kuसे भूख, भ्य, कयाम-ियासनया आवद क े वलए पशु-
प±ी अपने मुँह से कुJ धिवन्ययाँ वनकयालिे ह§ मयानि िuसया नहé करिया इस प्रकयार
मयानि - भयाषया कया सहK ि pव°्यों की अवभÓ्यवक्त स े कोई संबंध नहé होिया ह u इसी
आधयार पर उसकी एक विश ेषिया असहK ि pव°किया हu
११) भारा पैतृक संपह° निé बहलक अहज्षत संपह° िै -
भयाषया मनुÕ्य को पuिpक सÌपव° के रूप म¤ Kनम से ही नहé होिी ह u, बचचे को
अनुकरण और अË्ययास क े Ĭयारया सीखनी पिी हu ्यवद वकसी अ ंúेK बचचे कया पयालन
पोषण वहनदी मयािया -वपिया कर¤ िो िह बचचया वहनदी भयाषी होगया , ³्योंवक िह Kनम स े
कोई भयाषया नहé Kयानिया ह u िसिुि3 भयाषया अK्चन कया कया्य्च िो अनिरि रूप स े Kीिन
- प्य्चनि चलिया रहिया ह u munotes.in
Page 6
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
6 ्ये सभी विशेषियाएँ समिेि रूप से केिल मयानि भयाषया वमलिी ह§ और मयानि भयाषया की ्य े
विशेषियाएँ ही उसे मयानिे°र भयाषयाओं से अलग करिी ह §
१. सारांश
सयारयांशि3 भयाषया शÊद संसकpि की ‘भयाषz’ धयािु से बनया हu, वKसकया अ््च Ó्यक्त ियाणी से हu
मनुÕ्य एक सयामयावKक प्रयाणी हu िह समयाK के अन्य लोगों के सया् अपने विचयारों कया
आदयान-प्रदयान करिया हu अपने विचयारों और भयािों को प्रकट करने के वलए अनेक सयाधन
उपलÊध हu भयाषया की विशेषियाओं म¤ केिल मनुÕ्य के मुख से उचचयाररि रूप को ही हम भयाषया
कहिे ह§ वकसी िसिु कया नयाम ्ययादृवचJक होिया हu भयाषया सpKनशील होिी हu भयाषया अनुकरण
से अवK्चि होिी हu भयाषया पररिि्चनशील होिी हu भयाषया Jोटी-Jोटी कई इकयाइ्यों म¤ बँटी होिी
हu मयानि भयाषया म¤ िया³्य ्यया उचचयार के दो सिर होिे ह§ भयाषया म¤ भूवमकयाओं कया पररिि्चन
होिया हu मयानि-भयाषया म¤ मyवखक-®Ó्य सरवण कया प्र्योग करिे ह§ भयाषया पuिpक संपव° नहé
बवÐक अवK्चि संपव° हu इसी िरह से भयाषया की पररभयाषया और उसकी विशेषियाएँ कया Jयाýों ने
विसियार से अध्य्यन वक्यया ह§
१.४ लGु°रीय प्रश्न
प्रij १ भयाषया विज्यान के अनुसयार वकसके मुख से उचचररि धिवन को भयाषया कहि े हu?
उ°र - मनुÕ्य के मुख से
प्रij २ भयाषया वकस प्रकयार स े अवK्चि की Kयािी हu?
उ°र - अनुकरण से अवK्चि की Kयािी हu
प्रij ३ विचयारों के आदयान-प्रदयान को ³्यया कहि े हu?
उिर - भयाषया कहिे हu
प्रij ४ भयाषया के मु´्यि वकिने रूप प्रचवलि ह u?
उिर - दो रूप प्रचवलि ह u
प्रij ५ भूवमकयाओं कया पररिि्चन वकसकी विश ेषिया हu?
उ°र - भूवमकयाओं कया पररिि्चन भयाषया की विश ेषिया हu
प्रij ६ धिन्ययाÂमक शÊदों Ĭया रया विचयारों को प्रकट करन े को ³्यया कहि े हu?
उ°र – भयाषया
प्रij ७ ्ययादृवचJकिया वकसकी विश ेषिया हu?
उ°र – भयाषया
प्रij ८ भयाषया कया मु´्य उĥेÔ्य ³्यया होिया ह u?
उ°र – विचयारों कया आदयान -प्रदयान करनया
प्रij ९ भयाषया पuिpक संपव° नहé होिी ह u, िो ³्यया होिी ह u?
उ°र - अवK्चि munotes.in
Page 7
भयाषया की पररभयाषया और उसकी विशेषियाएँ
7 १. दीGō°रीय प्रश्न
प्रij १. भयाषया से आप ³्यया समLिे हu? भयाषया की पररभयाषया वलवखए
प्रij २. भयाषया की मु´्य विशेषियाओं कया उÐलेख कीवKए
प्रij ३. भयाषया की पररभयाषया देिे हòए उसकी विशेषियाओं पर चचया्च कीवKए?
१. संदभ्ष úं्
१) भयाषया विज्यान – Pv. भोलयानया् विियारी
२) भयाषया - विज्यान एिं भयाषया-शयाľ - Pv. कवपलदेि वĬिेदी
३) सयामयान्य भयाषयाविज्यान - Pv. बयाबुरयाब स³सेनया
४) भयाषया विज्यान - रमेश रयािि
५) भयाषया विज्यान क े अधुनयािम आ्ययाम - Pv. अंबयादयास देशमुख
7777777
munotes.in
Page 8
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
8
भारा के हवहवध łप
इकाई कì Łपरेखा
२.० इकयाई कया उĥेÔ्य
२.१ प्रसियािनया
२.२ भयाषया के विविध रूप
२.२.१ मूल-भयाषया
२.२.२ पररवनवķि ्यया पररÕकpि ्यया मयानक भयाषया
२.२.३ विभयाषया
२.२.४ बोली
२.२.५ अपभयाषया
२.२.६ विवशटि भयाषया
२.२.७ कूट भयाषया
२.२.८ Ó्यवक्तगि बोली
२.२.९ कpवýम भयाषया
२.२.१० भयाषया और बोली म¤ अंिर
२.३ सयारयांश
२.४ लGु°री्य प्रij
२.५ दीGō°री्य प्रij
२.६ संदभ्च úं्
२.० इकाई का 8ĥेÔय
प्रसिुि इकयाई के अध्य्यन के बयाद वनÌनवलवखि म ुĥों से पररच्य होगया -
• भयाषया के विविध रूपों की Kयानकयारी वम लेगी मूल-भयाषया, पररवनवķि भयाषया , विभयाषया,
बोली, अपभयाषया, विवशटि भयाषया, कूट भयाषया, Ó्यवक्तगि बोली और क pवýम भयाषया की
विसिpि Kयानकयारी होगी
• बोली और भयाषया क े बीच अंिर को समL सक ¤गे munotes.in
Page 9
भयाषया के विविध रूप
9 २.१ प्रसतावना :
संसयार म¤ अनेकयानेक भयाषयाएँ ि्या बोवल्ययाँ बोली Kयािी ह u लोकोवक्त हu, ‘चयार कोस पर पयानी
बदले, आठ कोस पर बयानी ’ Kब हर आठ कोस पर भयाषया म ¤ कुJ न कुJ पररिि्चन दृवटिगि
होने लगिया हu िो इिने बे संसयार म¤ वकिनी भयाषयाए ँ और बोवल्ययाँ होगी भयाषया के अनेकिया
को सं±ेप म¤ Kयानने कया प्र्ययास होिया हu
२.२ भारा के हवहवध łप :
भयाषया िह इकया ई हu, वKसकया संबंध मयानि Kयावि क े सबसे Jोटे अि्यि Ó्यवक्त स े लेकर
विĵमयानि की समवटि िक हu संसयार के एकयानि म¤ पया हòआ Ó्यवक्त से लेकर एक विĵ
वि´्ययाि Ó्यवक्त भी वकसी न वकसी रूप म ¤ वकसी विशेष भयाषया कया प्र्योग करिया ह u आK विĵ
म¤ अनेक भयाषयाएँ बोली Kयािी हu अ³सर हम देखिे हu वक कुJ भयाषयाओं म¤ बहòि कम सम्य म¤
आIJ्य्चKनक पररिि्चन हो Kयािया हu ?से ही कुJ बोवल्ययाँ, उपभयाषया उपबोवल्यया ँ बनिी Kयािी
ह§ कयाल-भेद, स्यान-भेद, देश-भेद, सिर-भेद आवद पर भयाषयाओ ं की अनेकरूपिया दृवटिगोचर
होिी हu मु´्यि3 इविहयास , भूगोल (±ेý), प्र्योग, वनमया्चण, वम®ण आवद क े आधयार पर भयाषया
के बहòि रूप होिे ह§
भयाषया की अनेकरूपिया को स ं±ेप म¤ इस प्रकयार प्रसि ुि वक्यया Kया सकिया ह u इसम¤ भूल-भयाषया
पररवनवķि ्यया पररÕक pि भयाषया, बोली, उपबोली, Ó्यवक्तगि बोली, विवशटि भयाषया, कूट- भयाषया,
कpवýम भयाषया आवद म ु´्य ह§
२.२.१ मूल-भारा :
?विहयावसक िÃ्यों क े आधयार पर विĵ की प्रÂ्य ेक भयाषया कया आधयार म ¤ कोई न कोई म ूल भयाषया
अिÔ्य रही होगी मूल-भयाषया कÐपनया क े िÃ्यों पर आधयाररि मयानी Kयािी ह u ?सया मयानया
Kयािया हu वक भयाषया की उÂपव° अÂ्यनि प्रयाचीन कयाल म ¤ उन स्यानों म¤ हòई होगी, Kहयाँ बहòि से
लोग एक सया् रहि े होंगे धीरे- धीरे िे ?विहयावसक, भyगोवलक ्यया आव् ्चक आवद कयारणों स े
इधर - उधर वबखर ग्य े होंगे उनकी मूल- भयाषया इस विसियार क े सया् अनेक भयाषयाओं,
बोवलओं और उपबोवल्यों म ¤ बँट ग्यी होगी इन बोवल्यों और भयाषया की Kननी म ूल-भयाषया
को ही कहया Kया्येगया संसयार म¤ उिने ही भयाषया पररियार ह u, वKिनी मूल भयाषयाएँ ्ी उदयाहरण
के वलए हम अपन े भयारोपी्य पररियार की भयाषयाओ ं को ही ले िो भयारि और ्य ूरोप के Ó्यवक्त
मूल रूप से वकसी स्यान पर रहि े ्े Kनसं´्यया िpवĦ और भोKन की िलयाश म ¤ लोग इधर-
उधर - वबखर ग्ये होगे शुरूआि म¤ िो इनकी भयाषयाओं म¤ एक कुJ स्यानी्य अ±रों को
Jोकर प्रया्य: लगभग एक -सी रही होगी क ुJ वदनों बयाद निीन स्यान पर क ुJ उनकया
विकयास हòआ होगया और िद नुकूल इनकी भयाषयाए ँ भी अलग रूपों म ¤ विकवसि ्यया पररिवि ्चि
हòई होगी
२.२.२ पåरहनहष्ठत या पåरÕकृत या मानक भारा :
सË्यिया के विकयास के सया्-सया् एक भयाषया म ¤ कई बोवल्यों कया प्रचलन श ुरू हो Kयािया हu
?से म¤ ्यह आिÔ्यक हो Kयािया ह u वक वकसी एक भयाषया± ेý की कोई एक बोली आदश ्च भयाषया munotes.in
Page 10
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
10 मयान वल्यया Kया्य और प ूरे ±ेý से संबंवधि कया्यŎ म¤ उसकया उप्योग हो उस े मयानक ्यया
पररवनवķि भयाषया कहया Kयािया ह u इसे सिरी्य भयाषया, सटuÁPP्च भयाषया, आदश्च भयाषया ्यया टकसयाली
भयाषया भी कहि े ह§ ्यह भयाषया कया आदश ्च रूप होिया हu शयासन, प्रशयासन, वश±या, पý Ó्यिहयार,
समयाचयार पý आवद म ¤ इसी भयाषया कया प्र्योग होिया ह u वशव±ि िग्च इसी भयाषया कया प्र्योग करि े
ह§ और सयावहवÂ्यक रचनयाए ँ इसी म¤ होिी हu भयाषया कया Ó्ययाकरण इसी को आधयार मयानकर
बनया्यया Kयािया ह u इस भयाषया के मyवखक और वलवखि दोनों रूप वमलि े हu भयाषया के मyवखक
रूप म¤ सरलिया, सियाभयाविकिया रहिी ह u, वलवखि रूप म¤ कpवýमिया और आल ंकयाररकिया रहिी
हu मयानक भयाषया क े वलवखि रूप पर मyवखक रूप की अप े±या प्रयादेवशकिया की Jयाप कम
रहिी हu, ³्योंवक वलखि े सम्य-लोक अवधक सि ्चक रहिे हu
एक बोली Kब मयानक भयाषया बनिी ह u िो आसपयास की बोवल्यों पर उसकया प्यया ्चĮ प्रभयाि
पिया हu आK की खी बोली न े āK, अिधी, भोKपुरी सभी को प्रभयाविि वक्यया ह u कहé-
कहé िो प्रयादेवशक बोवल्यों कया प्र भयाि भी पिया हu मयानक भयाषया एक प्रकयार स े सयामयावKक
प्रविķया कया प्रिीक होिी ह u उसकया संबंध भयाषया की संचरनया से न होकर सयामयावKक सिीक pवि
से होिया हu संसकpि, वहनदी, अंúेKी, Ā¤च, Kम्चन, रूसी और चीनी आवद भयाषयाए ँ इसी ®ेणी म¤
आिी हu
२.२. हवभारा :
एक पररवनवķि ्ययां आदश्च भयाषया के अंिग्चि अनेक विभयाषयाएँ होिी हu स्यानी्य भेद से भयाषया
के प्र्योग म¤ भेद पया्यया Kयािया ह u ³्योंवक बहòि दूर िक वकसी भयाषया म ¤ एकरसिया नहé पयाई
Kयािी भyगोवलक आधयार पर एक भयाषया की अन ेक विभयाषयाएँ होिी हu इसी आधयार पर
आदश्च वहनदी भयाषया की अन ेक विभयाषयाएँ दृवटिगोचर होिी हu Kuसे - रयाKस्यानी, āKभयाषया,
भोKपुरी, मगधी आवद
विभयाषया कया बोली स े अवधक विसि pि रूप म¤ प्र्योग होिया ह u इसम¤ सयावहÂ्य की रचनया भी
होिी हu और ्यह Ó्ययाकरण सÌमि भी होिी ह u इसे प्रयांिी्य भयाषया भी कहि े ह§ अि: कह
सकिे ह§ वक विभयाषया कया ± ेý भयाषया से कम Ó्ययापक एि ं बोली से अवधक विसिpि होिया हu एक
प्रदेश म¤ अ्िया प्रदेश के भयाग म¤ सयामयान्य बोल -चयाल, सयावहÂ्य आवद क े वलए प्र्युक्त होने
ियाली भयाषया हu ्यह भयाषया की अप े±या अĦ्च विकयावसक होिी ह u ि्या सयावहÂ्य भी कम ही पया्यया
Kयािया हu
२.२.४ बोली :
Kब कोई भयाषया कयाZी बे भू-भयाग म¤ बोली Kयािी हu िो उसके कुJ ±ेýी्य रूप विकवसि हो
Kयािे ह§, वKसे बोली कहिे ह§ बोली भयाषया की Jोटी इकयाई ह u इसकया संबंध úयाम ्यया मÁPल
से रहिया हu इसम¤ Ó्यवक्तगि बोली की प्रधयानिया रहिी ह u इसम¤ Gरेलू शÊद और देशK शÊदों
कया भी प्रभयाि रहिया हu ्यह मुख रूप से बोल - चयाल की भयाषया होिी ह u बोली सयावहÂ्यक
भयाषया नहé होिी ह u, सया् ही ्यह Ó्ययाकरण की दृवटि स े असयाधु भयाषया होिी हu ्यही कयारण ह u
वक बोली लोक सयावहÂ्य, लोक गीि एिं बोल-चयाल िक ही सीवमि रहिी ह u बोली कया प्र्योग
करनेियाले Ó्यवक्त अ³सर अवशव± ि ्यया úयामीण लोग करि े ह§ कोई भी बोली विकवसि होकर
भयाषया कया रूप धयारण कर सकिी ह u वहंदी वKसे आK हम बोलि े वलखिे ह§, िह एक सम्य munotes.in
Page 11
भयाषया के विविध रूप
11 बोली ्ी इसकया विकयास खी बोली स े हòआ हu मध्यकयाल म¤ अिधी, āK, मuव्ली आवद
बोवल्ययाँ सयावहÂ्य म¤ प्र्युक्त होकर भयाषया बन गई अि: बोली भयाषया से Kन्य हu और भयाषया के
सया् बोली कया मयािया -पुýी कया संबंध हu
अनिि3 हम कह सकि े ह§ वक बोली कया ± ेý भयाषया की अप े±याकpि बहòि Jोटया होिया कया एक
भयाषया की कई बोवल्यया ँ होिी हu और बोली की भी कई उपबोवल्यया ँ होिी हu बोली म¤ अपनया
स्यानी्य रंग होिया हu, वKसके आधयार पर पिया चल Kयािया हu वक बोलने ियालया वकस स्यान कया
हu Kuसी āK, अिधी और भोKप ुरी के स्यानी्य आधयार पर अन ेक रूप देखे Kयािे ह§
२.२. अपभारा (Slang) :
Kो भयाषया पररवनवķि और वशटि भयाषया की ि ुलनया म¤ विकpि ्यया º्ययादया अपĂटि होिी उसस े
अपभयाषया कहि े ह§ ्यह भयाषया वकसी विशेष िबके के लोगों िक ही सीवमि होिी ह u इस भयाषया
म¤ पररवनवķि भयाषया Ĭयारया अग pहीि मुहयािरों आवद कया प्र्योग होिया ह u अपभयाषया म¤ Ó्ययाकरवणक
वन्यमों की उपे±या की Kयािी ह u Kuसे म§ने बोलया वक िेरे को कुJ नहé वमलेगया कभी-कभी िो
अभद्र ि्या अĴील समL े Kयाने ियाले शÊदों कया प्र्योग भी देखने को वमलिया हu Kuसे- अबे
मुगगी के बचचे अपररÕकpि िया³्यरचनया रचनया कया प्र्योग होिया ह u, Kuसे- म§ने Kयानया हu
सयामयान्यि3 अवशटि , असंसकpि, अवशव±ि, सयामयावKक दृवटि स े वनÌन िग्च के लोग, समि्यसक
लोग, हयास्य-विनोद म¤ अपभयाषया कया प्र्योग करि े ह§ ?से भयाषया प्र्योग स े Ó्यवक्त के सयामयावKक-
सयांसकpविक-शuव±क सिर कया पिया चल Kयािया ह u
२.२. हवहशĶ भारा :
Ó्यवक्त समयाK कया अ ंग होने के नयािे अपनी आKीविकया चलयान े के वलए विवभनन प ेशों म¤ लगया
रहिया हu Ó्यिसया्य ्यया कया्य्च आवद के अनुसयार वभनन वभनन िगŎ की अलग -अलग भयाषयाएँ हो
Kयािी हu अि: प्रÂ्येक पेशे की ्यया Ó्यिसया्य की अपनी शÊदयािली होिी ह u वKसे Ó्यवक्त
दuवनक Kीिन म¤ हमेशया प्र्योग करिया रहिया ह u ्ये भयाषयाएँ आदश्च भयाषया की ही विवभनन रूप
होिी हu, Kो अवधकिर शÊद- समूह, मुहयािरे ि्या प्र्योग आवद म ¤ वभनन होिी हu कभी-कभी
उचचयारण सÌबंधी अनिर भी वदखयाई द ेिया हu वकसयान से संबंवधि शÊदयािली की आिÔ्यकिया
एक पुरोवहि के वलए Kयाननया Kरूरी नहé ह u, िो पुरोवहि के Ĭयारया प्र्युक्त शÊदयािली स े वकसयान
कया कोई ियासिया नहé ह u इस प्रकयार विवभनन Ó्यिसया्यों क े आधयार पर भयाषया क े अनेक रूप
समयाK म¤ दृवटिगोचर होिे हu, Kuसे - वकसयान, मKदूर, लोहयार, दKगी, वश±क, िकील, Pv³टर,
पुरोवहि, मुÐलया, पयादरी आवद की अपन े Ó्यिसया्य के अनुसयार अलग-अलग शÊदयािली होिी
हu इसी प्रकयार विवभनन विष्यों K uसे रयाKनीविशयाľ , अ््चशयाľ, समयाKशयाľ, मनोविज्यान,
दश्चन विज्यान, भूगोल और विवभनन विज्यानों की अपनी विवशटि शÊदयािली होिी ह u, वKनकया
प्र्योग उस विष्य स े संबंध रखनेियाले Ó्यवक्त करिे ह§
२.२. कूट - भारा :
वKस भयाषया म¤ कुJ बियाकर कुJ वJपयाने कया उ ĥेÔ्य हो, उसे कूट भयाषया कहिे ह§ इसके मु´्य
दो उĥेÔ्य हu - १) मनोरंKन २) गोपन munotes.in
Page 12
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
12 कयाÓ्य म¤ इसके प्र्योग कया उĥेÔ्य मनोरंKन होिया हu सयांप्रदयाव्यक वसĦया ंि कया वनरूपण करि े
सम्य कूट भयाषया कया प्र्योग होिया ह u, Kuसे-कबीर की उलटबया ंवस्ययाँ गोपन रूप म ¤ इस भयाषया
कया प्र्योग रयाKनीविज्ों , विद्रोवह्यों, रियावनिकयारर्यों, चोरों और Pयाक ुओं आवद म¤ प्रचवलि हu
इसम¤ कुJ विवशटि शÊदों कया विश ेष अ््च म¤ प्र्योग होिया हu Kो उन संकेिों को Kयानिया ह u, िह
ही इसकया अ््च समL सकिया ह u ्ये लोग कुJ शÊदों को िो -मरो कर ि्या क ुJ सयामयान्य
शÊदों को न्ये अ्Ŏ म¤ प्र्युक्त कर, अपनी गुĮ भयाषया ्यया कूट भयाषया बनयािे ह§, वKनको सयामयान्य
िग्च न समL सक¤ इसके कुJ उदयाहरण हu -
१. भयारिी्य रियावनि क े सम्य रियांवनिकयारी बम क े वलए रसगुÐलया कया संबोधन करिे ्े
२. रयाKनीविज्ों के के वलए ियार ्यया पýों म ¤ ‘आनदोलन िेKी पर ह§’ के वलए ‘गमगी ब
रही
हu’ कया उÐलेख वमलिया हu
३. चोरों की भयाषया म¤ बयारयाि म¤ Kयाने कया अ््च हu - ‘चोरी करने Kयानया’, ससुरयाल कया अ््च हu
‘Kेल’
सuवनक वशवबर म¤ शýु प± से सयािधयान रहन े के वलए, उनके प्रिेश को रोकने के वलए, प्रÂ्येक
वदन सuवनकों को Ó्यिहयार क े वलए एक न्यया शÊद बोल वद्यया Kयािया ह u वKसे िे संिरी को
बिया कर वशवबर के बयाहर ्यया भीिर आ्यया Kया्यया करि े ह§, इससे कोई शýु िेश बदलकर
रहस्य Kयानने के वलए Gुस नहé सकिया
कूट-भयाषया के अनेक रूप ह§ कहé पर िण्च पररिि्चन, िया³्य-पररिि्चन, प्रÂ्येक शÊद के सया्
कुJ अ±र KोPि े Kयानया, अ±रों के वलए अंक कया प्र्योग आवद होिया ह u
Kuसे - पयानी को नीपया 'मदन' को चमचदचन
२.२.८ वयहक्तगत बोली :
्यह भयाषया की सबस े Jोटी इकयाई ह u एक Ó्यवक्त की भयाषया को Ó्यवक्तगि बोली कहि े ह§
प्रÂ्येक Ó्यवक्त की भयाषया द ूसरे Ó्यवक्त से अलग होिी ह u शÊद, शuली, सिर-भेद, उचचयारण के
आधयार पर हम वकसी भी आियाK को अ ंधरे म¤ भी पहचयान सकि े ह§ Ó्यवक्त भेद से भयाषया म¤
भेद आिया हu इस प्रकयार Ó्यवक्त्यों की प p्क-पp्क धिवन्यों कया विĴ ेषण वक्यया Kयािया ह u
Ó्यवक्तगि बोली को सयामूवहक रूप प्रयाĮ होन े पर उप-बोली बनिी ह u उससे बोली और
विभयाषया की सpवटि होिी हu
अि: कह सकि े हu वक Ó्यवक्तगि बोली सयामयान्य भयाषया प्र्योग कया ि u्यवक्तक रूप हu, इसम¤
Ó्यवक्त विशेष के उचचयारण, भयावषक विन्ययास आवद कया महÂिप ूण्च ्योगदयान रहिया ह u इस
प्रकयार Ó्यवक्तगि बोली Ó्यवक्त की आदि और शÊदों क े च्यन संबंधी िuवशटिz ्य के सया् भयाषया
कया िu्यवक्तक प्र्योग ह §
२.२.९ कृहत्रम भारा :
कpवýम भयाषया परÌपरयागि ्यया सियाभयाि वशल नहé हu ्यह भयाषया की स ुबोधिया और स ुगमिया को
लà्य म¤ रखकर बनयाई Kयािी ह u अि3 गहन मनन वच ंिन के बयाद ?सी एक भयाषया बनयाई गई , munotes.in
Page 13
भयाषया के विविध रूप
13 Kो सभी भयाषयाओ ं के वलए एक सयामयान्य भयाषया कया कयाम कर े अनिरया्चÕůी्य Ó्यिहयार क े वलए
उसे प्रसिुि वक्यया Kयािया हu इसकया उĥेÔ्य हu हKयारों भयाषयाओ ं म¤ पयाए Kयाने ियाले भेद को
वमटयानया ्ययानी भयाषया-दीियार को वमटयाकर विĵिया वस्यों के वलए एक ही भयाषया रख द ेनया इस
प्रकयार की भयाषया वनमया ्चण के वलए बहòि प्र्ययास हòए सuकों भयाषयाएँ बनé, उनम¤ Pv. KमेनहयाZ
की बनयाई ‘एसपरेनिो’ भयाषया सबसे अवधक प्रवसĦ रहé इसको कई द ेशों ने अप नया्यया ि्या
विज्यापन संबंधी अन्य विष्यों पर अन ेक पवýकयाएँ इस कpवýम भयाषया म¤ वनकली अनुियाद भी
वकए गए
इस प्रकयार की एक दK ्चन से 9पर भयाषयाएँ बनयाई Kया चुकी ह§, वKनमे 'इंPो', 'नोवि्यल’, ‘इंटर
वलंगुआ’, ‘@व³सP¤टल’ आवद प्रमुख हu लेवकन कpवýम भयाषया को अपनयान े म¤ कई कवठनयाइ ्यया ँ
आिी ह§
१) ्यह दuवनक Kीिन के Ó्यिहयार के वलए कयाम चलया9 ह u, पर गंभीर विष्यों के वलए
उप्युक्त नहé हu
२) इसम¤ उचच सयावहÂ्य कया वनमया ्चण संभि नहé हu
३) इसम¤ हयावद्चक मनोभयािों कया विि ेचन ्यया विĴेषण संभि नहé हu
४) ्यह मयािp-भयाषया कया स्यान नहé प्रयाĮ कर सकिी ह u
५) भyगोवलक भेद के आधयार पर धिवन -भेद होने से उसम¤ एकरूपिया संभि नहé हu
६) Kीिन रस और भयाियाÂमक लगयाि क े अभयाि म¤ कpवýम भयाषया कया Kीविि रहनया स ंभि
नहé हu
२.२.१० भारा और बोली म ¤ अन्तर :
भयाषया और बोली म¤ कोई महÂिपूण्च अंिर नहé होिया स् ूल रूप से हम कह सकि े ह§ वक एक
भयाषया - ±ेý के भीिर बोवल्यया ँ अलग- अलग लोगों Ĭयारया अलग -अलग ±ेýों म¤ कुJ विभेदक
विशेषियाओं के सया् बोली Kयािी ह u ्यवद कोई बोली वकनहé कयारणों स े प्रमुखिया प्रयाĮ कर
लेिी हu, िब िह भयाषया बन Kयािी ह u वहनदी वKसे आK हम बोलि े वलखिे हu, िह एक बोली
्ी इसकया विकयास खी बोली स े हòआ हu भयाषया और बोली क े बीच कया भेद मु´्यिया
Ó्यिहयार-±ेý के विसियार और अविसियार पर वनभ ्चर ह§ बोली और भयाषया म ¤ वनÌनवलवखि
अनिर वक्यया Kया सकिया ह u -
१. भयाषया कया ±ेý अपे±याकpि बया होिया हu, बोली कया Jोटया |
२. भयाषया म¤ प्रचुर सयावहÂ्य उपलÊध होिया हu, बोली म¤ नहé ्यया अÂ्यÐप
३. बोली भयाषया से Kन्य हu अि3 भयाषया और बोली कया मयािया-पुýी कया संबंध हu
४. एक भयाषया की अनेक बोवल्ययाँ हो सकिी हu, पर उनकी आधयार भयाषया एक ही होगी
इसके विपरीि भयाषया बोली के अनिग्चि नहé आिी
५. भयाषया वश±या और उचचवश±या कया मयाध्यम होिी हu, बोली लोक-सयावहÂ्य, लोक-गीि
और बोल-चयाल िक सीवमि रहिी हu
६. एक भयाषयाKन्य बोवल्यों म¤ बोधगÌ्यिया रहिी हu ्ये बोवल्ययाँ कुJ अनिर से वभनन होने
पर भी परसपर बोधगÌ्य होिी हu इसके विपरीि विवभनन भयाषयाओं के बीच munotes.in
Page 14
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
14 बोधगÌ्यिया वबलकुल नहé होिी हu उदयाहरण के अंúेKी भयाषया कया Kयानकयार वहंदी नहé
समL पया्येगया िहé बोली म¤ हरर्ययानी भयाषी पंKयाबी भयाषया को कयाZी समL लेिया हu
७. भयाषया कया मयानक रूप होिया हu, वकनिु बोली कया नहé
८. बोली Ó्ययाकरण की दृवटि से असयाधु भयाषया होिी हu, िो िहé भयाषया कया अपनया Ó्ययाकरण
होिया हu
९. बोली भयाषया की Jोटी हकयाई हu इसकया संबंध úयाम ्यया मÁPल से रहिया हu इसम¤
Ó्यवक्तगि बोली की प्रधयानिया रहिी हu इसम¤ Gरेलू शÊद और देशK शÊदों कया भी
प्र्यया्चĮ प्रभयाि रहिया हu ्यह मु´्य से बोलचयाल की भयाषया होिी हu
इस प्रकयार भयाषया और बोली कया अनिर भयाषया ि uज्यावनक न होकर समयाKभयाषया ि uज्यावनक हu
२. सारांश :
सयारयांशि3 'भयाषया के विविध रूप' इकयाई म¤ भयाषया के प्रमुख विविध रूपों की Kयानकयारी प्रयाĮ
हòई मूल- भयाषया, पररवनवķि भयाषया, विभयाषया, बोली, अपभयाषया, विवशटि भयाषया, कूट भयाषया,
Ó्यवक्तगि भयाषया और कpवýम भयाषया की सविसिpि Kयानकयारी वमली इसी के सया् भयाषया के
विविध रूप आपस म¤ ³्यया विवभननियाएँ रखिे हu, इन सबकी Kयानकयारी प्रयाĮ हòई बोली और
भयाषया के बीच अनिर ³्यया हu उसकया Jयाýों ने विसिpि अध्य्यन वक्यया ह§
२.४ लGू°रीय प्रश्न :
प्र १. पररवनवķि भयाषया को और वकस नयाम से Kयानया Kयािया हu?
उ. पररवनवķि भयाषया को आदश्च भयाषया के नयाम से Kयानया Kयािया हu
प्र २. बोली कया ±ेý भयाषया की अपे±याकpि ³्यया होिया हu?
उ. बोली भयाषया कया ±ेý Jोटया होिया हu
प्र ३. भयाषया की सबसे Jोटी इकयाई ³्यया हu?
उ. भयाषया की सबसे Jोटी इकयाई Ó्यवक्तगि बोली हu
प्र ४. वभनन-वभनन Ó्यिसयाव्यक िगŎ के लोगों Ĭयारया प्र्योग म¤ लयाई Kयाने ियाली भयाषया कyन सी
होिी हu?
उ. वभनन-वभनन Ó्यिसयाव्यक िगŎ के लोगों Ĭयारया प्र्योग म¤ लयाई Kयाने ियाली विवशटि भयाषया
होिी हu
प्र ५. पररवनवķि भयाषया कया प्र्योग कहयाँ-कहयाँ करिे ह§
उ. पररवनवķि भयाषया कया प्र्योग शयासन-प्रशयासन, वश±या, पý-Ó्यिहयार, समयाचयार पýों आवद
म¤ करिे ह§
प्र ६. भयाषया और बोली म¤ आपस म¤ कuसया संबंध हu
उ. भयाषया और बोली कया आपस म¤ मयािया-पुýी कया संबंध हu munotes.in
Page 15
भयाषया के विविध रूप
15 प्र ७. Kो भयाषया पररवनवķि और वशटि भयाषया की िुलनया म¤ º्ययादया विकpि ्यया अपĂटि होिी हu,
उसे कyन-सी भयाषया कहिे ह§?
उ. अपभयाषया कहिे ह§
प्र ८. कूट भयाषया के वकिने उ ĥेÔ्य होिे ह§?
उ. कूट भयाषया के मु´्यि3 दो उĥेÔ्य होिे ह§ - १) मनोरंKन २) गोपन
प्र ९. भयारिी्य रियांवि के सम्य रियांविकयारी ‘बम’ शÊद के वलए वकस शÊद कया संबोधन करिे
्े
उ. ‘बम’ शÊद के Kगह पर ‘रसगुÐलया’ कया प्र्योग करिे ्े
२. दीGō°रीय प्रश्न :
प्र १. भयाषया के विविध रूपों की चचया ्च कीवKए
प्र २. भयाषया के मु´्य विविध रूप कyन -कyन से हu, सविसियार वलवखए
प्र ३. भयाषया और बोली म¤ आप ³्यया समLि े हu? भयाषया और बोली क े बीच अनिर को
वलवखए
२. संदभ्ष úं् :
१. भयाषया विज्यान – Pv. भोलयानया् विियारी
२. भयाषया - विज्यान एिं भयाषया-शयाľ – Pv. कवपल देि वĬिेदी
३. भयाषया विज्यान के अधुनयािम आ्ययाम – Pv. अंबयादयास देशमुख
४. वहंदी भयाषया, Ó्ययाकरण और रचनया – Pv. अKु्चन विियारी
५. सयामयान्य भयाषया विज्यान – Pv. बयाबुरयाि स³सेनया
7777777munotes.in
Page 16
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
16
भारा पåरवत्षन के प्रमुख कारण
इकाई कì Łपरेखा
३.० इकयाई कया उĥेÔ्य
३.१ प्रसियािनया
३.२ भयाषया पररिि्चन के प्रमुख कयारण
३.२.१ भयाषया पररिि्चन के आनिररक कयारण
३.२.२ भयाषया पररिि्चन के बयाĻ कयारण
३.३ सयारयांश
३.४ लGु°री्य प्रij
३.५ दीGō°री्य प्रij
३.६ संदभ्च úं्
.० इकाई का 8ĥेÔय :
प्रसिुि इकयाई म¤ Jयाý वनÌनवलवखि वबंदुओं कया अध्य्यन कर¤गे
• इस इकयाई को प
कर वि द्या्गी भयाषया पररिि ्चन को अचJे प्रकयार से समL सक¤गे
• विद्या्गी भयाषया पररिि ्चन के कयारण समL पया्य ¤गे
• विद्या्गी भयाषया पररिि्चन के प्रकयार कyन- कyन से हu, इनकया पररच्य प्रयाĮ कर सक ¤गे
• विद्या्गी भयाषया पररिि्चन के आनिररक कयारणों क े बयारे म¤ समL पयाएंगे
• विद्या्गी बयाहरी कयारण कyन -कyन से हu, Kो भयाषया के पररिि्चन कया कयारण बनि े हu,
समसि Kयानकयारी प्रयाĮ कर ¤गे
.१ प्रसतावना :
भयाषया म¤ पररिि्चन सियाभयाविक हu भयाषया म¤ पररिि्चन के कयारणों पर प्रयाचीन सम्य म ¤ विचयार
होिया रहया हu िि्चमयान सम्य म¤ भी इस पररिि ्चन को ध्ययान रखकर सम्य - सम्य पर वििेचनया
होिी रहिी हu भयाषया म¤ पररिि्चन ्यया विकयास क े कयारणों को ध्ययान म ¤ रखकर दो भयागों म ¤
बयाँटया ग्यया हu - १) आनिररक कयारण २) बयाहरी कयारण
आË्यनिर ्यया आनिररक कयारण भयाषया सया±याि पररिि ्चन नहé करिे ह§, अवपिु पररिि्चन कया
कयारण प्रसिुि करिे ह§ िो िहé बयाĻ कयारण भयाषया को बयाहर स े प्रभयाविि करि े ह§ munotes.in
Page 17
भयाषया पररिि्चन के प्रमुख कयारण
17 .२ भारा पåरवत्षन के प्रमुख कारण :
पररिि्चन सpवटि कया वन्यम ह u भयाषया म¤ पररिि्चन होनया ही उसकया विकयास ्यया विकयार हu भयाषया
हमेशया से पररिि्चनशील रही ह§ भयाषया कया विकयास अ्िया उसकी पररिि ्चनशीलिया भयाषया की
सियाभयाविक प्रविवरि्यया ह u सभी Kीिंि भयाषया म¤ वनरंिर पररिि्चन होिया रहिया ह u इसी कयारण
भयाषया को वचरपररिि ्चनशील कहया ग्यया ह u भयाषया के शÊद, धिवन्ययाँ, रूप, अ््च और िया³्य
रचनया म¤ हमेशया पररिि्चन होिया रहया हu इसी प्रवरि्यया म ¤ हमेशया पुरयाने शÊद कयाल-बयाĻ होिे रहे
ह§ और उनके Kगह न्ये - न्ये शÊद आिे रहिे ह§ इसी प्रकयार धिवन्यों म ¤ भी अनेक
पररिि्चन देखने को वमलिे ह§ संसकpि भयाषया की , लp धिवन्यों की Kगह वहनदी म¤ कया
उचचयारण रह ग्यया आध ुवनक ्युग म¤ @ और अr आवद नई धिवन्यया ँ विकवसि हòई हu इसी
िरह िया³्य और अ्Ŏ म ¤ भी अनेक पररिि्चन हòए हu Kuसे "मuने हया्ी को देखया" की Kगह
आKकल “म§ने हया्ी देखया” िया³्य प्रचलन म ¤ हu शÊद के अ््च म¤ विसियार और संकोच होिया
रहया हu महयारयाK शÊद पहल े प्रियापी रयाKयाओ ं के वलए प्र्योग होिया ्या , मगर आKकल खयानया
पकयाने ियाले रसोई्ययाँ के वलए भी प्र्योग म ¤ वल्यया Kयाने लगया
अि3 आK कोई भयाषया उसी रूप म ¤ नहé बोली Kयािी , वKस रूप म¤ आK से एक हKयार िष ्च
पहले बोली Kयािी ्ी भयाषया म¤ होने ियाले पररिि्चन को ध्ययान म¤ रखकर उसके कयारणों के
संबंध म¤ विĬयानों म¤ एक मि नहé ह u, उनम¤ मिभेद हu उनहोंने इसके वलए कई वसĦया ंि बनया्ये
ह§, वकनिु कोई भी वसĦयांि सि्चमयान्य नहé हu अि: भयाषया म ¤ पररिि्चन वKन कयारणों स े होिया
हu, उनह¤ प्रमुखि3 दो िगŎ म¤ रखया Kया सकिया हu
क) आË्यनिर ्यया आनिररक कयारण
ख) बयाĻ ्यया बयाहरी कयारण
.२.१ आभयन्तर या आन्तåरक कारण :
आË्यनिर कयारण ि े हu वKनकया संबंध भयाषया की अपनी सियाभयाविक प्रि pव° से हu ्यया Kो
प्र्योक्तया और ®ोिया की शयारीररक ्यया मयानवसक वस्वि स े संबंध रखिे ह§ अि: आË्यनि र
कयारणों कों मyवलक कयारण भी कहया Kया सकिया ह u ्ये कयारण भयाषया क े मूल म¤ रहिे ह§, अि3
Kयाने ्यया अनKयाने भयाषया म¤ पररिि्चन कया कयारण बनि े ह§ आË्यनिर कयारण भयाषया म ¤ सया±यािz
पररिि्चन नहé करिे ह§, ्ये पररिि्चन के कयारण प्रसिुि करिे ह§
१) प्रयतन - लाGव - भयाषया म¤ पररिि्चन करने ियाले आË्यनिर कयारणों म¤ सबसे महÂिपूण्च
ह§, प्र्यÂन - लयाGि प्र्यÂन -लयाGि कया अ् ्च हu कम प्र्यÂन से कम सम्य म¤ अवधकिम
लयाभ उठयानया हu मनुÕ्य की सहK प्रि pव° हu वक न्यूनिम ®म से िह अवधकिम लयाभ
उठयानया चयाहिया ह u ्यह प्रिpवि भयाषया के प्र्योग म¤ अवधक वदखया ई देिी हu Kuसे -
मोहनदयास कम ्चचनद गयाँधी - गयांधीKी, उ°र प्रदेश- उ० प्र०, टेलीविKन - टी.िी,
ओLया - Lया आवद प्र्यÂन लयाGि क े उदयाहरण ह§
प्र्यÂन - लयाGि के अनिग्चि भयाषया-संबंधी पररिि्चन की कई प्रवरि्ययाए ँ होिी हu, वKनम¤
से कुJ मु´्य इस प्रकयार स े हu - क) आगम, ख) लोप, ग) समीकरण, G) विप्य्च्य, H)
विषमीकरण, च) विकयार munotes.in
Page 18
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
18 (क) आगम - ‘आगम’ से आश्य हu वकसी ?सी धिवन कया आ Kयानया Kो पहल े से
शÊद म¤ न हो आगम सिर और Ó्य ंKन दोनों हो सकि े हu Kuसे- सू्य्च - सूरK,
दिया - दियाई, गम्च - मरम, ओķ - होंठ, समुद्र - समुनदर
(ख) लोप - लोप से आश्य हu Kो धिवन शÊद म ¤ पहले से हो, उसकया लुĮ Kयानया
Kब दो सं्युक्त धिवन्यों के उचचयारण म¤ कवठनयाई के कयारण कुJ धिवन्यों को
लोप कर वद्यया Kयािया ह u लोप भी सिर और Ó्यंKन दोनों प्रकयार क े होिे ह§
उदयाहरण - º्येķ - Kेठ, दूµध – दूध, आă - आम, सĮ – सयाि, सZूवि्च -
Zूिगी, Ôमशयान – मसयान
(ग) हवपय्षय - विप्य्च्य कयां अ््च हu उलटनया इसम ¤ वकसी शÊद के सिर, Ó्यंKन ्यया
सिर Ó्यंKन एक स्यान स े दूसरे स्यान पर चल े Kयािे ह§ और दूसरे पहले के
स्यान पर आ Kयाि े ह§
उदयाहरण - पहòँचनया - चहòँपनया
वचĹ – वचनह, मिलब - मिबल
लखन9 – नखन9, āयाĺण - बयाÌहन
(G) समीकरण - Kब दो वभनन3 धिवन्यया ँ पयास रहने से सम हो Kयािी ह u िो उसे
समीकरण कहि े ह§ समीकरण दो प्रकयार क े होिे ह§ -
(१) पुरोगामी समीकरण - इसम¤ पूि्चििगी धिवन आग े की दूसरी धिवन को
अपने सदृश बनयािी ह u Kuसे- कम्च - कयाम, पý- प°या, चरि-च³कया
(२) पIJगामी समीकरण - इसम¤ परििगी धिवन प ूि्चििगी धिवन को अपन े
सदृश बनयािी ह u Kuसे- गÐप-गÈप, धम्च- धÌम, सĮ - स°, शक्चरया –
श³कर
(H) हवरमीकरण - ्यह समीकरण कया उÐटया ह u इसम¤ दो सम धिवन्यों म ¤ से एक
धिवन विष्य रूप धयारण करिी ह u उचचयारण की स ुविधया और अ् ्च की सपटििया
के वलए ?सया वक्यया Kयािया ह u Kuसे - कंकण - कंगन, मुकुट - मउर, कयाक -
कयाग, गुŁ – गŁ
(च) हवकार - उचचयारण की स ुविधया के वलए एक धिवन द ूसरी धिवन म¤ पररिवि्चि
हो Kयानया ही विकयार कहलयािया ह u Kuसे – हसि - हया्, कpÕण - कयानहया, सिन -
्न
इस प्रकयार हम द ेखिे हu वक प्र्यÂन - लयाGि के कयारण भयाषया की धिवन्यों म ¤ अनेक
प्रकयार के पररिि्चन होिे ह§ कभी-कभी हम मुख-सुख ्यया सरलिया की प्रि pवि के कयारण
बे शÊदों को Jोटया करक े बोलिे हu इसे ही सं±ेपीकरण कहिे हu आKकल
भयारििष्च म¤ भी सं±ेपीकरण की प्रि pव° ब
िी Kया रही ह u उदयाहरण हेिू बनयारस वहनदू
्यूवनिवस्चटी - ș.ȟ.Ȭ., वPवसů³ट मवKसů ेट - ț.Ȥ, ्युनयाइटेP नेशनस - Ȭ.ȥ, रेलिे
सटेशन - सटेशन, भयारििष्च - भयारि, आनिररक सुर±या कयानून आंसुकया आवद हu munotes.in
Page 19
भयाषया पररिि्चन के प्रमुख कयारण
19 २) अपूण्ष ®वण - भयाषया अवK्चि समवĮ हu, अि: इसे वश±कों, पररियार के लोगों से
सुनकर सीखिे हu ्यवद सुनने म¤ ही अशुवĦ हu िो अशुĦ ही समरण रह ेगया और
उचचयारण भी अश ुĦ होगया अिएि ि -ब, स-श, इ -ई, उ-9 की सuकों अशुवĦ्ययां
आK भयाषया म¤ प्रचवलि हो गई ह §
) अपूण्ष अनुकरण - भयाषया अनुकरण से सीखी Kयािी ह u अनुकरण करिे सम्य
सयामयान्यिया दो बयाि ¤ Gवटि होिी ह § ्यया िो अनुकरण किया्च अनुकरण करिे सम्य
भयाषया के कुJ ियावÂिक अंश Jो देिया हu नहé िो अनुकरण किया्च ज्याि ्यया अज्याि
रूप म¤ अपनी ओर स े कुJ अंश न्यया Kो द ेिया हu इस प्रकयार भयाषया म ¤ पररिि्चन की
प्रवरि्यया प्रचवलि हो Kयािी ह u
४) प्रयोगाहध³य - वKस प्रकयार अवधक प्र्योग क े कयारण धीरे-धीरे अन्य सभी चीK ¤ वGस
Kयािी हu, उसी प्रकयार भयाषया म ¤ शÊद भी अवधक प्र्योग क े कयारण वGस Kयाि े हu और
बहòि Jोटे हो Kयािे हu ्यह भी प्र्यÂन-लयाGि की प्रकpवि कया एक रूप हu
उदयाहरण - चिुिलेदी > चyबे, Ăयािया > Ăया > प्रया
आवदÂ्यियार > इिियार, बpहसपविियार > बी Zे
) भावाहतरेक - प्रेम, रिोध, शोक आवद भयािों म ¤ अवधकिया के कयारण भी शÊदों कया रूप
बदल Kयािया हu
Kuसे – भयाई - भइ्यया, बयाबू – बबुआ, रयाम - रयामू ्यया रमुआ, कम्च – करमिया
) बलाGात - ्यह भी भयाषया पररिि ्चन कया एक महÂिप ूण्च आधयार हu हम बोलिे सम्य
वकसी शÊद िण ्च ्यया धिवन पर अवधक बल द ेिे हu िो िह धिवन प्रबल हो Kयािी ह u और
उसके आगे-पीJे की पहले धिवन्ययाँ वनब्चल हो Kयािी हu और धीरे- धीरे लुĮ हो Kयािी
हu
उदयाहरण - अब ही > अभी, सब ही > सभी
मKदूरी > मKूरी, लyहकयार > लोहयार
) प्रमाद या असावधानी - प्रमयाद ्यया असयािधयानी क े कयारण कभी- कभी शÊदों कों
िो-मरो कर प्र्योग वक्यया Kयािया ह u, Kो बयाद म¤ चलकर भयाषया पररिि ्चन कया कयारण
बनिे हu
Kuसे- गुरू- गŁ, उÂसयाह - उĥयाह, उपे±या- अपे±या, शयाप- ®याप आवद
८) नवीनीकरण कì प्रव ृह° - मनुÕ्य की प्रिpव° हu वक िह प्रÂ्येक िसिु म¤ कुJ न्ययापन
लयानया चयाहिया ह u, अि: भयाषया म¤ भी प्रबुĦ िग्च इस प्रकयार कया प्र्योग करि े रहिे हu कई
शÊदों कया प्र्योग हम उनक े समयानया्गी शÊदों क े रूप म¤ करिे आ रहे होिे ह§
उदयाहरण - टेव³नकल-िकनीकी, शहľ–हKयार, टuKेPी-ýयासदी, कमेPी-कयामदी
अि: कह सकि े हu वक अवभÓ्यवक्त म ¤ चमÂकयार ्यया निीनिया आवद लयान े के वलए प्रबुĦ
िग्च भयाषया म¤ इस प्रकयार के पररिि्चन लया देिे हu munotes.in
Page 20
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
20 ९) अहश±ा - अवश±या ि्या अज्यान क े कयारण भी अनुकरण अपूण्च रह Kयािया हu वKसके
कयारण úयामीण Kन , अध्चवशव±ि एिं अवशव±ि Ó्यवक्त धिवन्यों कया श ुĦ उचचयारण नहé
कर पयािे ह§ उनकया दोष्युक्त अनुकरण भयाषया पररिि ्चन कया कयारण बनिया ह u
Kuसे - ियार - बयार, देश - देस, शरीर – सरीर, कpÕण - वकसन, गुण - गुन, लयाP्च –
लयाट, गयाP्च - गया, टयाइम - टेम, वसगनल -वसंगल
अवश±या और अज्यानिया क े कयारण ि - ब, श - स, ्य - K, ± - ह, ण - न आवद
धिवन्ययाँ कया प्र्योग होने लगया हu
१०) हलहप कì अप ूण्षता - प्रÂ्येक भयाषया म¤ कुJ विवशटि धिवन्यया ँ होिी ह§, वKनह¤ दूसरी
भयाषया वलखनया स ंभि नहé हu विवभनन संसकpवि्यों के वमलने पर मूल भयाषया की धिवन्यों
म¤ बहòि अनिर आ्यया ह u उदयाहरण के वलए अंúेKी भयाषया म¤ रयाम- रयामया, कpÕण - कpÕणया,
आ्य्च - आ्यया्च, शु³ल - शु³लया वलखया Kयािया ह u, वKसके कयारण ्ये शÊद प्रचवलि हो ग्य े
और भयाषया पररिि ्चन के कयारण बने
११) जातीय मनोवृह° - Kयािी्य मनोिpव° के अनिर से भयाषया के शÊदों और उचचयारण पर
बहòि प्रभयाि प िया हu प्रÂ्येक Kयावि की क ुJ अपनी विशेषियाएँ होिी ह§, Kो उनकी
भयाषया म¤ सपटि दृवटिगोचर होिी ह u उदयाहरण के वलए आ्य्च भयाषया धम्च प्रधयान हu, अि:
उनकी संसकुि म¤ धम्च-कम्च से संबंवधि शÊदों की बयाहòलिया हu िो Kम्चन लोग परर®मी
और कठोर होि े ह§, इसवलए उनकी भयाषया म¤ कठोरिया पयाई Kयािी ह u इसी प्रकयार
Āयांसीवससी भयाषया म ¤ कोमलिया के भयाि िो अंúेKी भयाषया सम्यवनķिया क े भयाि नKर
आिे ह§ भयारििष्च म¤ भयाषयाओं की सं´्यया बहòि अवधक होन े के कयारण Kयािी्य
मनोिpव° और Kयािी्य भ ेद-भयाि अवधक हu
.२.२ बाĻ कारण :
Kो भयाषया को बयाहर स े प्रभयाविि करि े हu उनह¤ बयाĻ कयारण कहया Kयािया ह u भयाषया म¤ कुJ
पररिि्चन बयाहरी कयारणों स े भी होिया हu इनम¤ से भyगोवलक, ?विहयावसक, सयांसकpविक,
सयावहवÂ्यक, सयामयावKक और ि u्यवक्तक कयारण प्रमुख हu
१) भौगोहलक प्रभाव -
मनुÕ्य पर Kलिया्य ु कया प्रभयाि पिया ह u ि्या भयाषया कया आधयार ियाµ्यनý ह u Kलिया्यु
ZेZों को प्रभयाविि करिी ह u ZेZPों से वनकली हòई िया्यु धिवन्यों कया कयारण ह u
ZेZों म¤ वKिनया बल होगया , उिनी ही पुटि ्यया अपुटि धिवन भी वनकल ेगी धिवन कया
मोटया - पिलया होनया, सुरीलया- बेसुरया होनया, कण्च सुखद ्यया कण्चकटु होनया, कठोर ्यया
मpदु होनया, ZेZों से आने ियाली िया्यु पर वनभ्चर होिया हu अि: भूगोल ्यया Kलिया्य ु को
भी कयारण मयाननया उवचि ह u ्यही कयारण ह u वक एक मूलभयाषया से िuवदक संसकpि और
अिेसिया भयाषयाएँ वनकली ह§ दोनों म¤ भyगोवलक भेद से धिवन्यों म¤ अनिर आ ग्यया ह u
संसकpि कया ‘सz’ अिेसिया म¤ ‘ह’ हो Kयािया हu Kuसे - सĮ - हÉि, वसंधु - वहनदु, अवस -
अवह munotes.in
Page 21
भयाषया पररिि्चन के प्रमुख कयारण
21 ्यह सियाभयाविक ह u वक प्रयाकpविक पररवस्वि्यों कया प्रभयाि मन ुÕ्य के बयाĻ और
आंिररक विकयास पर पिया ह u पहयाी ±ेýों और मŁभूवम्यों म¤ रहने ियाले Kीविकया -
उपयाK्चन के वलए कठोर परर®म करि े ह§, अि: उनकी भयाषया म ¤ मयाधु्य्च, मीठयास,
लचीलयापन नहé होिया उनकी भयाषया म ¤ कठोरिया वदखयाई द ेिी हu िहé दूसरी िरZ
मuदयानी ±ेýों म¤ रहने ियालों को Kीविकया क े सयाधन आसयानी स े प्रयाĮ होिे हu उनके
Ó्यवक्तÂि - भयाषया म¤ एक अलग ही मीठयास वमलिी ह u ्यहé कयारण हu वक पंKयाबी और
बंगयाली लोगों की भयाषया म ¤ पररवस्विKन्य की अवधकिया और न्य ूनिया के कयारण
कठोरिया और कोमलिया पयाई Kयािी ह u
्यवद कोई देश अपनी भyगोवलक वस्वि म ¤ इस िरह वGरया ह òआ हu, वक बयाहरी लोग
िहयाँ नहé पहòँच सकिे ह§ िो िहयाँ की भयाषया म¤ उिनी गवि नही वमलिी आ्यरल §P की
भयाषया इसकया अचJया उदयाहरण ह u मuदयानी प्रदेश म¤ रहनियाले लोग, एक दूसरे से
वमलिे-Kुलिे रहिे ह§, अि: उनकी भयाषया म ¤ एकरूपिया बनी रहिी ह u पहयाी प्रदेशों म¤
आियागमन की स ुविधया न होने के कयारण लोग अपनी -अपनी बोवल्यों कया प्र्योग करि े
ह§ इसी कयारण पहयाों पर बोली ्ोPी -्ोी दूरी पर ्ोी-बहòि अिÔ्य बदल Kयािी
हu
अगर प्रदेश की भूवम उपKया9 हो , िो लोगों कया Kीिन स ुखम्य होगया पररणयाम
सिरूप उनकी ब ुĦी, विचयारों की अवभÓ्यवक्त क े वलए स±म होगी और सयावहÂ्य , संगीि
ि कलया के वलए विकयास अन ुरूप होगया इसक े विŁĦ पहयाी ्यया K ंगली लोगों की
भयाषया म¤ इस प्रकयार कया विकयास नहé होिया
२) ?हतिाहसक प्रभाव -
भयाषया के विकयास म¤ इविहयास कया प्रभयाि अवधक रहिया हu भयारििष्च म¤ शक, हóण,
मुगल, Āयांसीसी, पुि्चगयाली और अंúे आ्ये Kो शयासक के रूप म¤ आ्ये, उनहोंने
अपनी भयाषया क े शÊदों कया प्रचयार - प्रसयार वक्यया परिनý द ेश अपने शयासक की
शÊदयािली को सि ेचJया, अवनचJया ्यया दबयाब म ¤ आकर सिीकयार कर ल ेिया हu इस प्रकयार
िे शÊद भयाषया म¤ चलने लगिे ह§ और भयाषया पररिि्चन कया कयारण बनिे हu वहंदी म¤
अंúेKी से @, अरबी-यारसी से , , , और धिवन्यया ँ वहनदी म¤ आ गई
वहनदी म¤ प्र्युक्त कुJ विदेशी शÊद हu Kuसे -
Zयारसी शÊद - Zुस्चि, ईमयान, इनयाम, मuदयान
अरबी शÊद - वकियाब, हिया, हòनर, सलयाम, कÂल
िुकगी शÊद - कुली, चयाकू, िोप, क§ची
अंúेKी शÊद - सटेशन, @वZस, प्रेस, सकूल
) सांसकृहतक प्रभाव -
संसकpवि को वकसी Kयावि की अ ंिIJेिनया कहया Kया सकिया ह u सयांसकpविक संपदया वकसी
Kयावि के उÂ्यान और पिन कया बोध करयािी ह u संसकpवि भी विवभनन स ंसकpवि्यों के
वमलन से, महयापुŁषों के आविभया्चि से, विवभनन सयांसकpविक संस्याओं के गठन और
कया्य्च कलयापों से प्रभयाविि होिी ह § munotes.in
Page 22
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
22 अंúेKी सË्यिया और स ंसकpवि के प्रभयाि स¤ बंगयाल म¤ āĺ समयाK की प्रविķया ह òई āĺ
समयाK Ĭयारया भयारि म ¤ पुनKया्चगरण हòआ और नए-नए शÊद विकवसि ह òए सियामी
द्ययाननद ने अन्य भयाषयाओ ं के शÊदों के स्यान पर संसकpि वनķ शÊदों कया प्र्योग करन े
को कहया
Ó्ययापयार, रयाKनीवि और धम ्च-प्रचयार आवद के कयारण दो संसकpवि्यों कया सवÌमलन होिया
हu इसकया भी भयाषया क े पररिि्चन पर प्रभयाि पिया ह u
४) साहिहतयक प्रभाव -
सयावहवÂ्यक प्रभयाि क े कयारण भयाषया म ¤ भी पररिि्चन होिया हu वहंदी म¤ ्यह प्रभयाि
Kबरदसि वदखयाई पिया ह u प्रयाचीन सम्य म ¤ उचचिग्च की भयाषया संसकpि ्ी ?से म¤
Kनमयानस अपनी बोल -चयाल की भयाषया म ¤ सयावहÂ्य चयाहिया ्या महयािीर और गyिम
बुĦ ने लोकभयाषया को अपनया्यया उनक े Ĭयारया वदए गए उपद ेश पयावल, प्रयाकpि और
अपĂंशों म¤ वलखया Kयाने लगया अि: Kनिया के वलए अब भयाषया वचर -पररवचि िसिु हो
गई मध्यकयाल म ¤ कबीर, सूर, िुलसी, Kया्यसी ने भवक्त आनदोलन म ¤ लोकभयाषया कया
प्र्योग करके लोकिनý की स्यापनया की रीविकयावलन कवि्यों न े प्रेम-®pंगयार, िीर रस
की रचनयाएँ कर Kन मयानस क े और नKदीक आ ग्य े आधुवनक कयाल कवि्यों ने
वहनदी भयाषया को उसक े वशखर पर पह òँचयाने की हर संभि कोवशश की अपनी
ओKवसिनी भयाषया स े Kनमयानस को आनदोवलि वक्यया इस प्रकयार सयावहÂ्य भयाषया क े
पररिि्चन म¤ असयाधयारण ्योगदयान वद्यया
) वैज्ाहनक प्रभाव -
विज्यान के इस ्युग म¤ नई-नई खोKों और अविÕकयारों क े कयारण नए-नए शÊद आ रहे
ह§ भयाषया के प्रवि िuज्यावनक दृवटि भी विकवसि हो Kयान े से हमयारी िक्च- प्रधयान दृवटि
वनरंिर विकवसि हो रही ह u पररभयावषक शÊदयािली क े विकयास से शÊदों के वलए संकेि
शÊदों कया प्र्योग ब
या ह u
Kuसे - Skt - संसकpि, Lat - लuवटन, gk - úीक, V - Verb आवद
) वैयहक्तक प्रभाव :
महयापुरूष और महÂिप ूण्च Ó्यवक्त भयाषया को बह òि प्रभयाविि करि े ह§ उनके प्रभयाि से
भयाषया म¤ पररिि्चन हो Kयािया ह u गोसियामी िुलसीदयास ने अिधी को, सूरदयास ने
āKभयाषया को, द्ययाननद सरसििी न े वहंदी को बहòि प्रभयाविि वक्यया महयाÂमया गया ंधीKी
के आनदोलनों से वहंदी भयाषया को बह òि अवधक बल वमलया आचया्य्च महयािीर प्रसयाद
वĬिेदी ने वहंदी भयाषया को Ó्ययाकरणसÌमि और सम्य की मया ँग के अनुरूप बनया्यया
munotes.in
Page 23
भयाषया पररिि्चन के प्रमुख कयारण
23 ) सामाहजक प्रभाव -
भयाषया समयाK कया दप ्चण हu समयाK की वस्रिया , अवस्रिया, ्युĦ- शयांवि, K्य-परयाK्य,
पर भयाषया कया प ूरया प्रभयाि पिया हu शयांवि के सम्य कलया, सयावहÂ्य, संगीि, धम्च और
दश्चन की उननवि होिी ह u, िो ्युĦ के सम्य िीरकयाÓ्य , शूर गया्या, रणनीवि,
शľविद्या और स uन्यवश±या की उननवि होिी ह u ्युĦ कयाल म¤ सं±ेप और संकेि वचनहों
की प्रिpव° बहòि ब
िी हu अिएि एन. सी. सी. , पी. ए. सी, सी. आई. Pी., नेZया,
आई. Kी., ्यूनेसको आवद संव±Į नयामों की पर ंपरया चल पिी ह u
८) सभयता का प्रभाव -
समयाK के बयाहरी रूप म¤ सË्यिया प्रविवब ंवबि होिी हu समयाK के बयाहरी रूप म¤ कpवष,
उद्ोग, Ó्ययापयार, ियावणº्य, कलया, वशÐप, मनोरंKन, िेश-भूषया, खेल, पोशयाक, नई
मशीनों के वलए नए-नए नयाम आिे ह§ कुJ पुरयाने शÊद नए संदभ्च म¤ नए अ््च प्रदयान
करिे ह§ कुJ पुरयाने शÊद अप्रचवलि हो Kयाि े ह§ इस प्रकयार सË्यिया की गवि क े
सया् भयाषया भी पररिि ्चन कया मयाग्च अपनया लेिी हu
इस प्रकयार हम कह सकि े ह§ वक वकसी भी भयाषया को आनिररक और बयाĻ कयारण
दोनों प्रभयाविि करि े ह§, वKसके कयारण भयाषया म ¤ पररिि्चन होिया हu ्यह पररिि्चन
वचरकयालीन होिया रहिया ह u
. सारांश :
इस इकयाई के सयारयांश म¤ ्यह कह सकिे ह§ वक भयाषया पररिि्चन शील हu भयाषया पररिि्चन दो
प्रकयार कया होिया हu आनिररक पररिि्चन और बयाĻ पररिि्चन उसम¤ प्र्यÂन - लयाGि की
विसिpि चचया्च ि्या प्र्यÂन लयाGि के प्रकयारों की Kयानकयारी दी ह§ अपूण्च ®िण और अनुकरण
म¤ भयाषया पररिि्चन की Kयानकयारी प्रदयान की गई हu बलयाGयाि, प्र्योगयावध³्य, भयाियाविरेक और
असयािधयानी के कयारण धिवन्यों कया पररिि्चन होनया अवश±या, वलवप की अपूण्चिया, Kयािी्य
मनोिpवि ि्या निीनीकरण कuसे भयाषया पररिि्चन के कयारण बनिे हu? इस की Kयानकयारी दी गई
हu और बयाĻ पररिि्चन म¤ भyगोवलक और ?विहयावसक प्रभयाियाओं कया असर, सयांसकpविक और
सË्यिया के प्रभयाि के कयारण भयाषया म¤ पररिि्चन होनया िu्यवक्तक, सयावहवÂ्यक और सयामयावKक
प्रभयाियाओं कया असर भयाषया पररिि्चन म¤ वकस िरह से होिया ह§ उसकया अध्य्यन वक्यया ग्यया हu
.४ लGु°रीय प्रश्न :
प्रij १. भयाषया पररिि्चन के मु´्यि3 वकिने प्रकयार हu?
उ°र : दो प्रकयार होिे ह§
प्रij २. प्र्यÂन-लयाGि को और वकस नयाम स े Kयानिे हu?
उ°र : 'मुखसुख' नयाम से Kयानिे ह§
प्रij ३. '@' धिवन कया आगमन वकस भयाषया क े कयारण हòआ हu? munotes.in
Page 24
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
24 उ°र : अंúेी के कयारण
प्रij ४. प्र्योगयावध³्य के कयारण ओLया शÊद कया न्यया रूप ³्यया ह u?
उ°र : ‘Lया’ न्यया रूप हu
प्रij ५. संसकpि कया ‘सz’ धिवन अिेसिया म¤ वकस धिवन के रूप म¤ आिया हu?
उ°र : ‘ह’ धिवन के रूप म¤ आिया हu
प्रij ६. बलयाGयाि के कयारण अब ही शÊद कया पररिवि्चि न्यया रूप ³्यया हu?
उ°र : अभी
प्रij ७. प्र्यÂन-लयाGि कया ³्यया अ््च हu?
उ°र : कम प्र्ययास करके º्ययादया लयाभ पयानया
प्रij ८. महयापुŁष और महßिपूण्च Ó्यवक्त कया भयाषया को प्रभयाविि करनया वकस प्रभयाि के अनिग्चि
आिया हu ?
उ°र : िu्यवक्तक प्रभयाि
. दीGō°रीय प्रश्न :
प्रij १. भयाषया पररिि्चन से आप ³्यया समLि े हu? इसके प्रमुख कयारणों पर अपन े विचयार
वलखे
प्रij २. भयाषया पररिि्चन के आË्यनिर ्यया आनिररक कयारणों को वलवखए
प्रij ३. भयाषया पररिि्चन के बयाĻ कयारणों की सविसियार चचया ्च कीवKए
. संदभ्ष úं् :
१. भयाषया विज्यान - Pv. भोलयानया् विियारी
२. भयाषया-विज्यान एिं भयाषयाशयाľ – Pv. कवपल देि वĬिेदी
३. भयाषया विज्यान के अधुनयािम आ्ययाम - Pv. अंबयादयास देशमुख
४. वहनदी भयाषया, Ó्ययाकरण और रचनया - Pv. अKु्चन विियारी
५. सयामयान्य भयाषया विज्यान – Pv. बयाबुरयाि स³सेनया
7777777munotes.in
Page 25
25
भारा हवज्ान : पåरभारा और 8पयोहगता
इकाई कì Łपरेखा
४.० इकयाई कया उĥेÔ्य
४.१ प्रसियािनया
४.२ भयाषया विज्यान : पररभयाषया
४.३ भयाषया विज्यान की उप्योवगिया
४.४ सयारयांश
४.५ लGू°री्य प्रij
४.६ दीGō°री्य प्रij
४.७ संदभ्च úं्
४.० इकाई का 8ĥेÔय :
प्रसिुि इकयाई म¤ Jयाý वनÌनवलवखि वबंदुओं से पररवचि होंगे -
• भयाषया विज्यान की पररभयाषया के बयारे म¤ Jयाý Kयान सक¤गे
• भयाषया विज्यान की उप्योवगिया ³्यया हu, िह सपटि होगया
४.१ प्रसतावना :
भयाषया विज्यान शÊद पवIJम स े भयारि म¤ आ्यया हu भयारि म¤ प्रयाचीन कयाल से भयाषया विष्यक
अध्य्यन के वलए अलग-अलग शÊद प्रचवलि ् े Kuसे वश±या, वनŁक्त Ó्ययाकरण , प्रविशया´्य
्ये भयाषया के वकसी एक अंग से संबंवधि ्े भयाषया विज्यान और Ó्ययाकरण को पहल े एक ही
मयानया Kयािया ्या वहनदी म ¤ भयाषया विज्यान शÊद प्रचवलि ह u भयाषया विज्यान म ¤ दो शÊद प्रचवलि
हu, भयाषया और विज्यान|
४.२ भारा हवज्ान : पåरभारा
'भयाषया' और 'विज्यान' की पp्क-पp्क अ््च मीमयांसया से सपटि हो चुकया हu वक भयाियावभÓ्यवक्त को
मyवखक सयाधनया अ्िया Ó्यक्त ियाक z 'भयाषया' हu और विवशटि ज्यान सिमि उसकी मyवखक
अ्िया वलवप बĦ की ्ये अवभÓ्यवक्त ‘विज्यान' हu मनुÕ्य अपनी ियाकz शवक्त से ज्यान-विज्यान
आवद अनेकयानेक ±ेýों म¤ महÂिपूण्च पहचयान बनया च ुकया हu िuवदक :वष्यों न े भी भयाषया और
उस की कलयाÂमक पररणवि क े संकेि वलए हu munotes.in
Page 26
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
26 भयाषया विज्यान को बोधगÌ्य बनयाने ि्या पयाररभयावषक Kमीन े म¤ भयारिी्य और पयाIJयाÂ्य विĬयानों
के समयान कया्य्च वकए हu, ्यह अिÔ्य हu वक पवIJमी विĬयान ि uज्यावनक िक्च प्रसिुि करिे ह§ िो
भयारिी्य विĬयान शयाľी्य िक ्च प्रसिुि करिे ह§
भयारिी्य भयाषया विदों म ¤ Pv. मंगलदेि शयाľी कया मयाननया ह u वक “‘भयाषयाविज्यान’ उस विज्यान को
कहिे ह§ वKसम¤ सयामयान्य रूप स े मयानिी्य भयाषया कया वकसी विशेष भयाषया की रचनया और
इविहयास कया, और अनिि3 भयाषयाओ ं, प्रयादेवशक भयाषयाओं ्यया बोवल्यों के िगŎ की पयारसपररक
समयानियाओं और विशेषियाओं कया िुलनयाÂमक अध्य्यन वक्यया Kयािया ह u ”
Kबवक Pv. भोलयानया् विियारी न े भयाषया की बयाहरी - भीिरी आकpवि और विकयासयाÂमक
प्रवरि्यया को भयाषया विज्या न कहने के प± म¤ िक्च वद्यया हu “भयाषया के िuज्यावनक अध्य्यन स े
हमयारया ियाÂप्य्च सÌ्यक रूप स े भयाषया के बयाहरी और भीिरी रूप एि ं विकयास आवद क े
अध्य्यन से हu ” पुन3 आगे भयाषया के समú पररप्रेà्य म¤ ‘भयाषयाविज्यान' को पररभयावषि करि े
हòए Pv. भोलयानया् विियारी कहिे ह§ भयाषयाविज्यान िह विज्यान ह u, वKसम¤ भयाषया-विवशटि, कई
और सयामयान्य-कया समकयावलक, ?विहयावसक, िुलनयाÂमक और प्रया्योवगक दृवटि से अध्य्यन
और िवĬष्यक वसĦयानिों कया वनधया ्चरण वक्यया Kयािया ह u
सपयाट वकनिु सपटि अवभमि Pv. द ेिेनद्र शमया्च कया वमलिया हu - भयाषया विज्यान कया सी धया अ््च हu
- भयाषया कया विज्यान और विज्यान कया अ् ्च हu विवशटि ज्यान इस प्रकयार भयाषया कया विवशटि ज्यान
भयाषया विज्यान कहलयाएगया
समúि3 भयाषया विज्यान भयाषया क े सÌपूण्च कलेिर कया अध्य्यन करिया ह u, भयाषया संबंधी अननि
सरयालों कया अनिरदयािया भी भयाषया विज्यान ही ह u, धिवन, रूप, िया³्य, अध्च एिं अन्य भयाषया
ियावÂिक -अनुभयागों के Ó्यया´्ययािया रूप म ¤ भयाषया - विज्यान की सिीक pवि हu, ्यही नही उचचयारण
और उसके प्र्योगधम्च कया मीमयांसक भी भयाषया विज्यान ही ह u
४. भारा हवज्ान कì 8पयोहगता :
भयाषया ³्यया हu? उसकी वनवम्चवि कuसे होिी हu ? उसकया Ó्यिहयार ध म्च ³्यया हu? सया् ही विĵ
भयाषयाएँ कuसे एक दूसरे की सÌपpवक्त म¤ आिी ह§ Kuसे प्रijों के िuज्यावनक समयाधयान कया प्र्ययास
भयाषया - विज्यान कया मु´्य लà्य रहया ह u भयाषया विज्यान एक विज्यान होन े के कयारण विष्य कया
ियावÂिक वििेचक हu, भयाषया विज्यान की उप्योवगिया को आलोवकि करने ियाले मु´्य वबनदु इस
प्रकयार हu
१. ज्यान असीम होिया ह u, ज्यान ±ुधया को िpवĮ करने म¤ भयाषया विज्यान ि pह°र सह्योग द ेिया
हu मयानि बुवĦ, ज्यान बुवĦ म¤ ही आनंद कया अनुभि करिया हu अि3 भयाषया ज्यान क े
सहयारे िह कवठनिम मयाग ्च भी शीŅ मयाप ल ेने म¤ सZलीभूि होिी हu असिु ज्यान
वपपयासया की शयांवि से मनुÕ्य मयानवसक शया ंवि कया अनुभि पयािी हu
२. भयाषया विज्यान क े मयाध्यम से ही मनुÕ्य भयाषया के अध्य्यन म¤ प्रकpि होिया हu भयाषया वक
िÂिदशगी समी±या दृवटि कया विकयास भी ्यही विज्यान करयािया ह u munotes.in
Page 27
भयाषया विज्यान : पररभयाषया और उप्योवगिया
27 ३. भयाषया के शुĦिम Łप कया ज्यान करन े म¤ भयाषया विज्यान कया महÂिप ूण्च ्योग होिया हu एक
प्रयाचीन सनदभ ्च ?सया भी हu वक भयाषया के पररÕकpि रूप के सया् ियागिहम कया
सया±याÂकयार होिया ह u
४. Ó्यिवस्ि पयाठ z्य पुसिक िu्ययार करने एिं वहचवकचयाहट द ूर करने म¤ भी भयाषया विज्यान
उप्योगी हu, भयारिी्य भयाषया शयाľी ्यह िÃ्य सिीकयारिे भी हu उनके अनुसयार वकसी
भयाषया के वलए, वलवप उसकया Ó्ययाकरण , कोश ि्या उस े प
याने के वलए पयाठz्यपुसिक
बनयाने म¤ इससे सहया्यिया वमलिी ह u सया् ही िुिलयाहट हकलयाहट , अशुĦ उचचयारण
अशुĦ ®िण आवद द ूर करने म¤ भयाषया विज्यान स े सहया्यिया वमलिी ह u
५. प्रयाच्य संसकpवि और सË्यिया के ज्यान-बोध म¤ भयाषया- विज्यान विशेष सहया्यक हu भयाषया
शयाľ वकसी भी कयालखÁP म ¤ प्र्युक्त भयाषया कया Kीविि विĴ ेषण करिया हòआ िद्ुगीन
संसकpवि के Zलक अििररि कर ल ेिया हu चयाहे आ्य्च रहे हों, ्यया द्रवि सभी
सË्यियाओं की संसकpवि्यों कया आभयास भयाषया विज्यान न े करया्यया ्या
६. विविध िuज्यावनक विवध्यों एि ं विज्यानसÌमि विष्यों म ¤ सहK सया±याि भयाषया विज्यान के
मयाध्यम से होिया हu भयाषया विज्यान क े विद्या्गी को मनोविज्यान, भyविक विज्यान , भूगोल
Ó्ययाकरण, िक्च शयाľ, दश्चन एिं सयावहÂ्य के सवननकट होन े म¤ सुविधया हयावसल होिी
ह§
७. भयाषया विष्यक ्य ंýों की वनमया्चण विवध म¤ भयाषया विज्यान बह òि सह्योगी हu टयाइपरयाइटर,
टेलीवप्रनटर आवद क े विकयास एिं इनके उप्योगी संकेि वचनह प्रदयान करने म¤ भी भयाषया
विज्यान की मह°या किई इनकयारी नहé Kया सकिी ह u
८. सयावहवÂ्यक अ् ्चसिया के ±ेý म¤ भयाषया विज्यान की सििंý पहचयान सिीक pि ही हu
अनेक भयाषयाओं म¤ úं्ों के दूसरी भयाषयाओं म¤ अनुियाद करने, प्रयाचीन úं्ों के पयाठ -
वनण्च्य ि्या इसी प्रकयार प्रयाचीन शÊद क े अ््च - वनण्च्य म¤ भयाषया विज्यान की भ ूवमकया
अÂ्यनि महÂिप ूण्च होिी हu ्यहé नहé वलवप्यों म ¤ संशोधन, पररिि्चन एिं पररिध्चन
की वदशया म¤ भी भयाषया विज्यान अपनी सZल भ ूवमकया वनभयािया ह u
९. विĵ एकिया और विĵ बंधुÂि की वदशया म ¤ भयाषया विज्यान मयानि Kयावि कया विशेष
शुभवचनिक हu भयाषया्यी विियाद को स ुलLयाने म¤ इस विज्यान स े अचJया सह्योग वल्यया
Kया सकिया हu ्यह विज्यान प्रÂ्येक भयाषया म¤ एक दूसरी भयाषया की K े िलयाशिया हu
इस क्न म¤ िवनक भी स ंकोच नहé करनया चयावहए वक भयाषया विज्यान भयावषक 9Kया्च कया
केनद्री्य भÁPयार ह u भयाषया विज्यान एक विज्यान हu विज्यान सिि3 वनरप े± होिया हu | ियावÂिक
वििेचन और िÂिदश ्चन ही उसकया ल± होिया हu िÂि दश्चन से बyवĦक शयांवि और
आननदयानुभूवि होिी हu अिएि िuज्यावनक वचंिन वनरपे± होिे हòए भी सयापे± होिया हu इसी
दृवटि से भयाषया विज्यान की भी कविप्य उप्योवगियाए ँ दृवटिगोचर होिी ह§ उनकया संव±Į वििरण
वनÌनवलवखि ह u munotes.in
Page 28
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
28 १. ज्ान हपपासा कì शा ंहत –
भयाषया विज्यान हमयारी भयाषया विष्यक वKज्यासयाओ ं को शयानि करिया ह u ज्यान की बुवĦ
मयानिमयाý कया कि ्चÓ्य हu भयाषया हमयारे Kीिन कया एक अवभनन अ ंग हu उसके विष्य म¤
विसिpि Kयानकयारी प्रÂ्य ेक मयानि के वलए अवनिया्य ्च हu अिएि आचया्य ्च पिंKवल ने
षPंग िेद के अध्य्यन की अवनिया्य ्चिया पर बल देिे हòए कहया हu वक āयाĺण को वनÕकयाम
भयाि से षPंग िेद कया अध्य्यन करनया चयावहए ्यह Kयान-पीपयासया की शयांवि हम¤ बyवĦक
और मयानवसक शया ंवि प्रदयान करिी ह u
२. भारा के पåरÕकृत łप का ज्ान -
भयाषया विज्यान क े Ĭयारया भयाषया कया स ूàमिम अध्य्यन वक्यया Kयािया ह u भयाषया विज्यान क े
Ĭयारया धिवन्यों, िणŎ, प्रकpवि, प्रÂ्य्य और अ् ्च कया ियासिविक ज्यान प्रयाĮ होिया ह u
वKससे शुĦ अ््च कया बोध होिया ह u, उचचयारण की श ुĦिया आिी हu और भयाषया के
पररÕकpि रूप के सया् ियाµāĺ सया±याÂकयार होिया ह u
. भारा हवज्ान स े वैज्ाहनक अधययन कì Bर प्रव ृह° -
भयाषया विज्यान के Ĭयारया भयाषया के सूàम अध्य्यन की ओर मयानि की प्रि pव° ही नहé
होिी, अवपिु उसकया दृवटिकोण विज्यानम ूलक हो Kयािया ह u िह प्रÂ्येक िसिु के
िÂिदश्चन और िÂिज्यान की ओर अúसर होिया ह u वकसी भी विज्यान ्यया शयाľ कया
िÂिदश्चन मयानि कया लà्य ह u
४. वेदा््ष ज्ान म¤ सिायक -
िेदों के ियासिविक अ् ्च के ज्यान म¤ भयाषया विज्यान और ि ुलनयाÂमक अध्य्यन न े विशेष
्योगदयान वक्यया हu लuवटन, úीक, अिेसिया आवद भयाषयाओं के अध्य्यन ने अनेक िuवदक
शÊदों कया अ््च सपटि वक्यया हu
. प्राचीन संसकृहत और सभयता का ज्ान -
प्रयाचीन कयाल की संसकpवि और सË्यिया क े ज्यान म¤ भयाषया - विज्यान कया ्योगदयान
अÂ्यंि महÂिपूण्च हu भयाषयाशयाľी क े वलए भयाषया के प्रÂ्येक शÊद बोलि े हòए प्रयाणी ह§
और िे अपनया पररच्य सि्य ं देिे ह§ इस शÊदों क े सूàम अध्य्यन स े उस सम्य की
संसकpवि और सË्यिया कया ज्या न होिया हu प्रयागuविहयावसक कयाल की स ंसकpवि के ज्यान
कया सयाधन एकमयाý भयाषया - विज्यान हu आ्य्च – Kयावि, द्रविP Kयावि, प्रयाचीन वम® और
असीरर्यया की Kयावि्यों की संसकpवि कया बोध भयाषया - विज्यान के Ĭयारया ही हòआ हu
. हवहवध भारा-ज्ान -
भयाषया - विज्यान की सहया्यिया स े अनेक भयाषयाओं कया ज्यान सरलिया स े प्रयाĮ वक्यया Kया
सकिया हu इस विष्य म¤ सिवनम-विज्यान हमयारया विशेष सहया्यक होिया ह u munotes.in
Page 29
भयाषया विज्यान : पररभयाषया और उप्योवगिया
29 . हवĵ - बन्धुतव भावना का प्र ेरक -
भयाषया - विज्यान विĵ की प्रम ुख भयाषयाओं कया ज्यान करयाकर हमयार े अंदर Ó्ययाĮ संकीण्च
भयािनया को दूर करिया हu अनेक भयाषयाओं के सया् संबंध कया ज्यान होि े ही उनसे
आÂमी्यिया की अन ुभूवि होिी हu Kuसे, ्यह ज्याि होिे ही वक संसकpि उसी पररियार
की भयाषया हu, वKस पररियार क े अंग लuवटन, úीक, अंúेKी, Kम्चन, Ā¤च, रूसी, अिेसिया,
Zयारसी आवद भयाषयाए ं हu, हमयारी आÂमी्यिया इन भयाषयाओ ं के सया् हो Kयािी ह u और हम
इनह¤ अपने पररियार कया अ ंग समLने लगिे ह§ इस प्रकयार ्यह विĵब ंधुÂि की भयािनया
Zuलयािी Kयािी हu
८. साहितय-ज्ान का सिायक -
भयाषया-विज्यान भयाषया क े सूàम अ्Ŏ कया विĴ ेषण करिया हu इसकया अ््च-विज्यान अंग
अ््च विकयास की कहयानी प्रसि ुि करिया हu इससे न केिल शÊदों कया अ् ्च ज्याि होिया
हu, अवपिु उनम¤ वJपी हòई कयाÓ्य की आÂमया ‘धिवन’ भी प्रसZुवटि होिी हu
९. वयाकरण दश्षन -
भयाषया विज्यान Ó्ययाकरण कया Ó्ययाकरण ह u Ó्ययाकरण के वन्यमों कया ³्यया दयाश ्चवनक
आधयार हu, इसकया वनŁपण भया षया विज्यान करिया ह u शÊद और अ् ्च कया संबंध, प्रकpवि
और प्रÂ्य्य कया मyवलक , पद - विभयाKन कया आधयार आवद बयािों कया विि ेचन दयाश्चवनक
दृवटि से भयाषया - विज्यान करिया ह u
१०. वाकz-हचहकतसा –
वचवकÂसया-शयाľ की दृवटि स े भयाषया - विज्यान एक आिÔ्यक अ ंग मयानया Kयािया ह u
िुिलयानया, हकलयानया, अशुĦ उचचयारण, अशुĦ ्यया असपटि ®िण आवद दोषों को द ूर
करने के वलए पयाIJयाÂ्य Kगि म ¤ ियाकz वचवकÂसया को विशेष महÂि वद्यया Kया रहया ह u
भयाषयाविज्यान ्यह बियान े म¤ सम््च होिया हu वक वकस दोष क े कयारण अमुक Ó्यवक्त सपटि
बोलने म¤ असम््च हu ि्या वकस उपचयार स े उस रोग कया उपशम हो सकिया ह u
११. संचार-साधनŌ का 8पयोगी सिायक –
दूर संचयार ि्या ्ययांवýक प्रिीकयाÂमक अन ुियाद के वलए भयाषया- विज्यान की सहया्यिया ली
Kयािी हu भयाषया विज्यान क े संकेिों के Ĭयारया दूर संचयार पĦवि के वलए आिÔ्यक स ंकेि
उपलÊध होिे ह§
१. भाहरक यंत्रीकरण म¤ सिायक –
भयाषया विज्यान भयाषया -विष्यक ्यंýों के वनमया्चण म¤ विशेष सह्योगी हu टयाइपरयाइटर,
टेलीवप्रंटर, आवP्योविKुअल आवद के विकयास म¤ विशेष सह्योगी हu भयाषया -विज्यान
इनके वलए शुĦ एिं उप्योगी संकेि वचनह प्रदयान करिया ह u munotes.in
Page 30
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
30 १. हलहप - हवकास म¤ सिायक -
भयाषया विज्यान सयांकेविक वलवप के उनन्यन के Ĭयारया वलवप्यों म¤ संशोधन, पररिि्चन
और पररिध्चन करने म¤ सहया्यक होिया ह u
१४. हवहभन्न शाľŌ म ¤ समन्वय –
भयाषया विज्यान कया ज्यान और विज्यान की अन ेक शयाखयाओं से वनकटिम संपक्च हu अि:
भयाषया विज्यान कया विद्या्गी Ó्ययाकरण , सयावहÂ्य, मनोविज्यान, शरीर विज्यान, भूगोल,
इविहयास, भyविक विज्यान आवद विष्यों म ¤ सयामयान्यि्यया सिि : परीवचि हो Kयािया ह u
१. अनुवाद, पाठ - संशोधन, अ््ष-हनण्षय आहद म¤ सिायक –
विवभन भयाषयाओ ं के úन्ों आवद कया अन्य भयाषयाओ ं म¤ अनुियाद करने म¤, प्रयाचीन úन्ों
के पयाठ वनण्च्य म¤ ि्या प्रयाचीन शÊदों क े अ््च वनण्च्य म¤ भयाषया विज्यान विश ेष सहया्यक
वसĦ होिया हu
१. हवहभन्न हवज्ानŌ का जन्मदाता –
भयाषया विज्यान क े Ĭयारया ही कई निीन विज्यानों की उÂपव° ह òई हu भयाषयाओं के
िुलनयाÂमक अध्य्यन क े आधयार पर ि ुलनयाÂमक भयाषया -विज्यान कया Kनम हòआ हu
इसी प्रकयार िुलनयाÂमक अध्य्यन के आधयार पर ि ुलनयाÂमक देि - विज्यान, पुरण -
विज्यान, विĵसंसकpवि - विज्यान, नpKयावि - विज्यान आवद विज्यानों कया उĩि ह òआ हu ्ये
विज्यान िुलनयाÂमक पĦवि पर आव®ि ह §
भयाषया विज्यान वकसी भी भयाषया कया अध्य्यन कया म ूल आधयार होिया हu उसके Ĭयारया वलवखि एि ं
अवलवखि सयावहÂ्य एि ं असयावहÂ्य प्रचयाररि एि ं अप्रचवलि देशी एिं अदेशी रयाÕůी्य एि ं
अंिरयाÕůी्य एक द ेशी एिं बहòदेशी ि्या विकवसि -अविकवसि सभी प्रकयार क े भयाषयाओं कया
अध्य्यन वक्यया Kयािया ह u
अि: इसकी उप्योवगिया सिōपरर ह u और प्रÂ्येक विकवसि एिं विकयासशील रयाÕůी्य उसके
अध्य्यन एिं अनुसरण म¤ वभनन देखया Kयािया हu ³्योंवक भयाषया विज्यान से ही ्यह पिया चलिया
हu वक भयाषया के संबंध म¤ भयाषया ³्यया हu
• उसेके कyन कyन से अंग होिे ह§
• भयाषया की उÂपव° क uसे हòई
• ³्यया भयाषया परंपरयागि िसिु हu, ्यया अवK्चि िसिु हu
• भयाषया के कyन-कyन से पररियार हu
• भयाषया कया सयांसकpविक महÂि ³्यया ह u
• वकसी भी भयाषया पररियार की म ूल भयाषया कyन सी ह u munotes.in
Page 31
भयाषया विज्यान : पररभयाषया और उप्योवगिया
31 • ³्यया सभी भयाषया एक ही ąोि स े विकवसि हòई हu ्यया उनके ąोि अलग-अलग हu
• कोई भी भयाषया क uसे विकवसि हòई
• कuसे अविकवसि अिस्या म ¤ ही रह Kयािी ह u
• भयाषया की Kीिन शवक्त कyन -कyन सी हu
• विवभनन भयाषया वभनन -वभनन प्रणयावल्यों स े कuसे भयाि प्रकयाशन की एिं उसकी शवक्त
úहण की हu
• परसपर संबंध भयाषयाएं कलयांिर म¤ कuसे पूण्चि्यया वभनन एिं अलग हो Kयािी हu
• वकस प्रकयार भया षयाएं विकवसि होकर , नए- नए रूप úहण वक्यया Kयािया ह u
इस प्रकयार भयाषया स ंबंवधि वKज्यासया वक ि pवĮ भयाषया विज्यान क े Ĭयारया ही होिया हu
भयाषया विज्यान क ेिल भयाषयाओं के संपूण्च ज्यान के ही मूल आधयार म¤ ही हu अवपिु भयाषया के
विवभनन धिवन्यों क े अनुसरण के भी सुविधयाएँ प्रदयान करिया ह u भयाषया विज्यान ही ्य्या््च रूप
म¤ ्यह समLिया हu, वक -
• भयाषया की कyन कyन सी धिवन्यया ं होिी हu
• कyन-कyन सी प्रचवलि धिवन्यया ं हu
• कyन-कyन Kी अगि (आ्यया ह òआ) धिवन्ययां हu
• भयाषया विज्यान ही द ेशी एिं अदेशी धिवन के भेद को सपटि करिया ह u
• धिवन्यों के पररिि्चन की वदशयाएं समLिया हu
• धिवन पररिि्चन के कयारणों को ज्यान करयािया हu
• विवभनन धिवन वन्यमों की Kयानकयारी क uसे प्रदयान करिया ह u
• एक धिवन से दूसरे धिवन म¤ कuसे और ³्यों भेद उÂपनन हो Kयािया ह u
• धिवन्यों के उचचयारण म¤ ³्यों वभननियाए ं आ Kयािी हu
• वभनन-वभनन कयालों म¤ वकस िरह धिवन्यों क े उचचयारण पररिि ्चन हो Kयािे ह§
• वकस िरह अनेक धिवन्यों लुĮ हो Kयािे ह§
भयाषया विज्यान ही ्यह बिया सकिया ह u, वकस िरह “ष” धिवन कहé ष और कहé “क” की िरह
बोली Kयािी हu वKसके पररणयाम सिरूप बरसया शÊद कहé बरखया ्यया िषया ्च हो Kयािया हu ?सया ही
वकस िरह “र” कया कही “री” कहé “रू” की िरह बोली Kयािी ह u वKसे िp± शÊद कया
रूपयांिरण कहé िो िpर± हòआ हu कहé रूख हो Kयािया ह u इस िरह धिवन स ंबंवधि विवभनन
समस्यया कया समयाधयान एक मयाý भयाषया विज्यान क े Ĭयारया ही हो सकिया ह u munotes.in
Page 32
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
32 शÊद का संबंध -
भयाषया विज्यान क े Ĭयारया ही शÊदों कया स ंपूण्च ज्यान प्रयाĮ होिया ह u, ³्योंवक भयाषया विज्यान ही ्यह
समLिया हu |
• शÊदों कया विकयास क uसे होिया हu
• कuसे शÊद िĩि रूप को úहण करि े ह§
• वकस िरह शÊद म ¤ वभनन वभनन रूपया ंिरण होिे ह§
• वकस प्रकयार एक भयाषया क े शÊद दूसरे भयाषया म¤ अपने आकयार-प्रकयार के बदल Pयालिे
ह§|
• स्यान भेद से कuसे शÊदों म¤ रूपयांिरण हो Kयािया ह u
• उचचयारण भेद से वकस प्रकयार शÊदों क े रूप कुJ के कुJ हो Kयािया हu
• वकस िरह शÊद कहé अन ुकरण के आधयार पर ि्या कहé अन्य वकसी प्रणयाली स े ग
वल्यया Kयािया हu
• भयाषया विज्यान ह u ्यया समLिया ह u वक वकस िरह स े उपयाध्यया्य शÊद वGरि े वGरिे हो
ग्यया
• वकस िरह प्रया्य3 úंव् कया पलयािी ्यया गलवट बन ग्यया ह u
• कuसे वह® शÊद कया पररिि ्चन होकर वसंह बन ग्यया हu
• वकस िरह बनKी कया ब ंदर Kी हो Kयािया ह u
• वकस िरह एक ही भद्र शÊद विकवसि होकर भद्रया और भलया शÊद आपस म ¤ वकिने
पp्क हो गए ह§
इसी िरह शÊदों की रयाह को भयाषया विज्यान स े ही प्रयाĮ करिे ह§ और इसी से उनकी विकयास
धयारया पररिि्चन आवद कया संपूण्च बोध होिया हu
४.४ सारांश :
भयाषया विज्यान क े Ĭयारया ही शÊदों कया सÌपूण्च ज्यान हम¤ प्रयाĮ होिया हu, ³्योंवक भयाषया विज्यान और
उसकी उप्योवगिया ्यह बियािे हu वक शÊदों कया विकयास क uसे होिया हu, ि्या वकस िरह से
शÊदों म¤ वभनन-वभनन रूपयांिरण होिे रहिे हu भयाषया विज्यान हम ¤ ्यह भी बियािया ह u वक वकस
प्रकयार एक भयाषया क े शÊद दूसरी भयाषया म¤ अपने अपने आकयार प्रकयार को भी बदल Pयालि े ह§
वकस िरह शÊद कहé अन ुकरण के आधयार पर ि्या कहé अन्य प्रणयाली क े Ĭयारया ग
वलए
Kयािे ह§ इसी िरह शÊदों की रयाह को भयाषया विज्यान स े ही प्रयाĮ करिे हu और इसी से उनकी
विकयास धयारया ि्या पररिि ्चनों आवद कया स ंपूण्च बोध भी होिया ह u अ्Ŏ के सÌबनध म¤ उसकी
उप्योवगिया की दृवटि स े भयाषया विज्यान स े ही शÊदों ि्या विवभनन अ्Ŏ कया बोध होिया ह u
³्योंवक भयाषया विज्यान ही हम¤ ्यह समLयािया ह u वक वकस िरह पी
ी दर पी
ी पररिि ्चन के
सया्-सया् वकसी शÊद क े अ््च म¤ भी पररिि्चन हो Kयािे ह§ कuसे शÊदों के अ््च म¤ विसियार
और संकोच होिया हu अि: भयाषया विज्यान शÊदया् ्च पररिि्चन, उसकी वदशयाएँ एिं उनके कयारणों munotes.in
Page 33
भयाषया विज्यान : पररभयाषया और उप्योवगिया
33 ि्या सÌपूण्च बोध करयाने म¤ भी उप्योगी होिया ह u भयाषया विज्यान न क ेिल भयाषयाओं की
अध्य्यन म¤ ही उप्योगी हu, बवÐक सयावहÂ्य क े अध्य्यन म¤ भी ्यह अÂ्यंि उप्योगी होिया ह u
³्योंवक सयावहÂ्य म ¤ प्र्युक्त विवभनन भयाषयाओ ं कया वनमया्चण एिं संर±ण कया सÌप ूण्च ज्यान भयाषया
विज्यान के Ĭयारया ही प्रयाĮ होिया हu
४. लGू°रीय प्रश्न :
१. मनुÕ्य को ज्यान-वपपयासया की शयांवि से वकस प्रकयार के शयांवि कया अनुभि होिया ह§?
उ - बyवĦक और मयानवसक शया ंवि कया
२. वकसी भी विज्यान ्यया शयाľ कया िÂिदश ्चन कया कyनसया लà्य होिया ह §?
उ - मयानि कया लà्य
३. भयाषया विज्यान की सहया्यिया से वकस प्रकयार कया ज्यान सरल रूप स े प्रयाĮ वक्यया Kयािया
ह§?
उ - अनेक भयाषयाओं कया ज्यान
४. षHग िेद कया अध्य्यन करन े के वलए कyन कहिया ह §?
उ – पिंKवल
५. विĵ की प्रमुख भयाषयाओं कया ज्यान करयान े से कyनसी भयािनया द ूर हो Kयािी ह§?
उ - मनुÕ्य के अंदर Ó्ययाĮ संकीण्च भयािनया दूर होिी हu
४. दीGō°रीय प्रश्न :
१. भयाषया विज्यान की पररभयाषया को सपटि कीवKए |
२. भयाषया और विज्यान क े बीच अनि: सÌबनध को समLयाइए
३. भयाषया विज्यान की उप्योवगिया को सपटि कीवKए
४. संदभ्ष úं् :
१. भयाषया विज्यान - Pv. भोलयानया् विियारी
२. भयाषया-विज्यान एिं भयाषयाशयाľ – Pv. कवपल देि वĬिेदी
३. भयाषया विज्यान क े अधुनयािम आ्ययाम - Pv. अंबयादयास देशमुख
४. वहनदी भयाषया, Ó्ययाकरण और रचनया - Pv. अKु्चन विियारी
५. सयामयान्य भयाषया विज्यान – Pv. बयाबुरयाि स³सेनया
६. आधुवनक भयाषया विज्यान क े वसĦयांि - Pv. रयाम वकशोर शमया ्च
७. सयामयान्य भयाषया विज्यान - Pv. बयाबूरयाम स³सेनया
7777777munotes.in
Page 34
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
34
भारा हवज्ान कì प्रम ुख
शाखाBं का सामान्य पåरचय
इकाई कì Łपरेखा
५.० इकयाई कया उĥेÔ्य
५.१ प्रसियािनया
५.२ भयाषया विज्यान की प्रम ुख शयाखयाएँ
५.२.१ धिवन विज्यान
५.२.२ शÊद विज्यान
५.२.३ िया³्य विज्यान
५.२.४ रूप विज्यान
५.२.५ अ््च विज्यान
५.३ सयारयांश
५.४ लGु°री्य प्रij
५.५ दीGō°री्य प्रij
५.६ संदभ्च úं्
.० इकाई का 8ĥेÔय :
प्रसिुि इकयाई म¤ वनÌनवलवखि वबंदुओं से Jयाý पररवचि होंगे
• भयाषया विज्यान की प्रम ुख शयाखयाएं को समLने हेिु
• धिवन विज्यान की उप्योवगिया को समLन े म¤
• शÊद विज्यान की उप्योवग िया को समLने म¤
• रूप विज्यान की उप्योवगिया को समLन े म¤
• िया³्य विज्यान की उप्योवगिया को समLन े म¤
• अ््च विज्यान की उप्योवगिया को समLन े म¤ munotes.in
Page 35
भयाषया विज्यान की प्रमुख शयाखयाओं कया सयामयान्य पररच्य
35 .१ प्रसतावना :
Kब हम¤ अपनी कोई इचJया , Kरूरि, भयाि, विचयार ्यया बयाि द ूसरे को बियाने होिी हu िो हम
बोलकर उसे बियािे ह§ बोलने को ही भयाषया कहया Kयािया ह u संकेि, इशयारया और बोल भयाषया
ही कहया Kयािया ह u इसवलए भयाषया शÊद कया प्र्योग कई अ्Ŏ म ¤ होिया हu सयामयान्यि3 भयाषया इस
सयाधनया को कहि े ह§ वKसके सहयारे एक प्रयाणी अपन े भयाि, विचयार, अवभप्रया्य दूसरों िक
पहòँचयािया हu इस दृवटि से पशु पव±्यों की आियाK, िरह िरह के संकेि और इशयारे आवद
भयाषया ही हu
.२ भारा हवज्ान कì प्रम ुख शाखाए1 :
भयाषया विज्यान की प्रमुख शयाखया इस प्रकयार से प्रसिुि हu -
.२.१ धवहन हवज्ान
धिवन विज्यान, भयाषया की लGुिम इकयाई धिवन ह u भयाषया विज्यान क े प्रमुख विभयाग ्यया अ ंग के
रूप म¤ धिवन विज्यान को प्रविķिया दी गई ह u धिवन के अ््च, प्रभेद, िगगीकरण, उĩि स्यान,
उचचयारण अि्यि , संचरयाÂमक िण्चन, धिवन पररिि्चन एिं धिवन वन्यम K uसे मध्यम धिवन
विज्यान की पररवध म ¤ आिे ह§ विवशटि धिवन्यों क े अध्य्यन के वलए धिवन úयाम विज्यान कया
अË्युद्य हो चुकया हu, वKसके Ĭयारया भयाषया के अंग-प्रÂ्यंग, धिन्ययाÂमक सिर पर वनरूवपि वकए
Kयािे ह§
वहनदी धिवन्यों को सÌ्यक रूप स े विĴेवषि करने के वलए धिवन संबंधी अपेव±ि वसĦयानिों
के वििेचन आिÔ्यक ह § इस वििेचन के अनिग्चि धिवन और धिवन विज्यान , धिवन úयाम और
संधिवन, धिवनगुण, धिवन्यंý, धिवन्यों के िगगीकरण, अनुसयार और अन ुनयावसकिया, धिवन
सं्युवक्त एिं धिवन सं्योग, धिवन पररिि्चन एिं धिवन वन्यम क े ्ये Ó्यया´्ययाÂमक अध्य्यन
अपररहया्य्च हu भयाषया कया प्र्म िÂि ह u धिवन, दो ्यया दो से अवधक पदया्Ŏ क े पयारसपररक Gष्चण
से उÂपनन होने ियाली इकयाई धिवन ह u, आश्य ्यह हu वक मनुÕ्य मयाý म¤ ही नहé, मनुÕ्ये°र
प्रयावण्यों और िनसपवि्यों िक म ¤ धिवन संिेग होिे ह§
वकनिु भयाषया विज्यान म ¤ धिवन शÊद वनवIJि अ् ्च म¤ प्र्युक्त होिया हu भयाषया के अध्य्यन म¤ भयाषया
- विज्यान म¤ धिवन वKस प्रकयार Ó्यक्त (सपटि) भयाषया कया ही अध्य्यन करिया ह u उसी प्रकयार
धिवन के अध्य्यन रिम म ¤ िह Ó्यवक्त धिवन्यों कया ही अध्य्यन करिया ह u; अÓ्यक्त धिवन्यों कया
नहé भयाषया विज्यान की धिन्ययाÂमक इकयाई धिवन विज्यान के नयाम से Kयानी Kयािी हu
भयाषया शयाľ कया वनियानि अपररहया्य्च अंग हu इसके वलए अंúेKी म¤ प्रचवलि शÊद ZोनोलvKी
एिं Zोनोवट³स Zोनो कया अ् ्च होिया हu धिवन, धिवन की संसकpि धयािु ‘भणz’ हu भणz कया
अ््च प्रया्य होिया हu कहनया ्यया धिवन करनया धिवन विज्यान कया म ु´्य कया्य्च भयावषक धिवन्यों क े
समुवचि ज्यान करयानया ह u मनुÕ्य म¤ उचचयारण सÌब ंधी ज्यान की पररप³ििया धिवन विज्यान क े
समुवचि, बोध से ही संभि हu पिंKवल ने अनुवचि नहé कहया ह u वक शुĦ एक शÊद कया ज्यान
और प्र्योग भी मन ुÕ्य के सिग्च प्रयावĮ कया सयाधक होिया ह u धिवन्यों के सटीक उचचयारण स्यान
और प्र्यÂन आवद की Ó्यिवस् ि विधया कया बोध धिवन विज्यान ही करयािया ह u धिवन विज्यान क े munotes.in
Page 36
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
36 मयाध्यम से वकसी भी प्रयाचीन भयाषया को सीखन े वसखयाने म¤ धिवन विज्यान स े प्यया्चĮ एिं
उप्योगी सहया्यिया वमलिी ह u
.२.२ शÊद हवज्ान
िया³्य की रचनया पदों ्यया रूपों क े आधयार पर होिी ह u अि: िया³्य क े बयाद पद ्यया रू प कया
विचयार महÂिपूण्च हो Kयािया हu रूप - विज्यान के अनिग्चि धयािु, उपसग्च, प्रÂ्य्य आवद उन
सभी उपकरणों पर विचयार करनया पिया ह u वKनसे रूप बनिे ह§
इसकया पुरयानया नयाम पद विज्यान ह u भयाषया की लG ुिम इकयाई ‘सिन’ हu िो अ््च की दृवटि से
भयाषया की लGुिम इकयाई शÊद ह u शÊद को अध्चिÂि कहया Kयािया ह u शÊदों कया स ंúह
शÊदकोश कहलयािया ह u परंिु ्ये कोशगि अ््च - ियान शÊद िया³्य म ¤ प्र्युक्त नहé हो सकि े
िया³्य म¤ प्र्युक्त होने के वलए इनकया शÊद रूप बदलिया ह u अ्या्चि वलंग, िचन, कयारक, पुŁष,
कयाल, सूचक िÂिों को Kोनया पिया ह u वKनह¤ प्रÂ्य्य कहया Kयािया ह u इन प्रÂ्य्यों को भयाषया
विज्यान म¤ संबंधिÂि कहिे हu अि: अ््चिÂि और संबंधिÂि कया ्योग रूप ्यया पद ह u
इसकया अध्य्यन करन ेियालया शयाľ शÊदविज्यान ह u रूपविज्यान की एक और शयाखया ह § - रूवपम
विज्यान, वKसे Morphemics कहिे ह§ रूप के अ््चियान खÁPों को रूवपम कहि े हu | शÊद
सििंý अ््चियान इकयाई हu िो रूवपम लG ुिम इकयाई | रूपविज्यान म¤ वकसी भयाषया क े रूपों कया
विĴेषण कर अ््च और वििरण क े आधयार पर उसक े रूवपमों और स ंरूपो कया वनधया ्चरण
करनया ि्या दो ्यया अवधक रूवपमों के सं्योग से Gवटि होनेियाले सिनयाÂमक ्यया सिवनवमक
पररिि्चनों कया अध्य्यन वक्यया Kयािया ह u | इसम¤ िीन बयािों कया अध्य्यन होिया ह u - रूवपमों कया
वनधया्चरण, संरूपो कया वनधया्चरण और रूप सिवनवमक पररिि ्चनों कया अध्य्यन
शÊद प्रकpवि और प्रÂ्य्य क े सं्योग से बनया हu ्यया नहé इस आधयार पर स ंसकpि और वहनदी म ¤
शÊदों के िीन भेद वक्ये ग्ये ह§ - (१) रूQ - वKसम¤ प्रकpवि और प्रÂ्य्य को सपटि रूप स े
अलग नहé वक्यया Kया सकिया ह u Kuसे- मवण, रÂन, नूपुर, आQ्य, स्ूल आवद + (२) ्यyवगक-
Kो प्रकpवि और प्रÂ्य्य क े सं्योग से बने ह§ Kuसे कpि कि्च, किया्च, कp अक कयारक |
भूिइक भyविक धन ियानz, बलियान, ®ीमयान आवद + (३) ्योगरूQ - Kो शÊद ्यyवगक होि े
हòए भी वकसी विश ेष अ््च म¤ रूQ हो Kयािे ह§, उनह¤ ्योगरूQ कहिे ह§
.२. वा³य हवज्ान
'िया³्यविज्यान' भयाषया विज्यान कया एक प्रम ुख अध्य्यन ± ेý हu भयाषया - विज्यान के अनिग्चि
अध्य्यन कया प्रम ुख विष्य 'भयाषया' हu भयाषया की एक महßिप ूण्च इकयाई हu ‘िया³्य' िया³्य विज्यान
म¤ िया³्य से सÌबवनधि सभी िÂिों कया विि ेचन होिया हu ियासिि म¤ भयाषया के अनिग्चि प्र्युक्त
विवभनन पदों क े पयारसपररक सब ंध पर विचयार करनया ही िया³्य विज्यान कया सिरूप ह u अि3
िया³्य कया सिरूप वि Ĵेषण करने के वलए अ्िया िया³्य की सÌ्यक मीमया ंसया के वलए िया³्य
विज्यान के Kो सuĦयांविक Gटक ह§ उनम¤ प्रमुख ह§ - िया³्य कया पररच्य , िया³्य वनमया्चण सÌबंधी
विधयान, िया³्य के अंग, िया³्य के गुण, िया³्य के भेद, िया³्य म¤ पररिि्चन, पररिि्चन की
वदशयाएँ, पररिि्चन के कयारण एिं पवदम आवद भयाषया-विद मयानिे ह§ वक-" िया³्य विज्यान म ¤
िया³्य गठन ्यया पद स े िया ³्य बन यान े क ी प्र वरि्य या कया ि ण ्चनयाÂमक, िुलनयाÂमक ि्या
?विहयावसक दृवटि स े अध्य्यन होिया ह u िण्चनयाÂमक िया³्य विज्यान म ¤ वकसी भयाषया म¤ वकसी एक
कयाल म¤ प्रचवलि िया³्य गठन कया अध्य्यन वक्यया Kयािया हu िुलनयाÂमक ि्या Ó्यविर ेकी म¤ दो munotes.in
Page 37
भयाषया विज्यान की प्रमुख शयाखयाओं कया सयामयान्य पररच्य
37 ्यया अवधक भयाषयाओ ं कया िया³्य गठन की दृवटि स े वकए गए अध्य्यन की ि ुलनया करके सयाÌ्य
और िuषÌ्य देखया Kयािया हu ?विहयावसक िया³्य विज्यान म ¤ एक भयाषया के विवभनन कयालों कया
अध्य्यन कर िया³्य गठन की दृवटि स ¤ उसकया इविहयास प्रसि ुि वक्यया Kयािया हu विवभनन
धिवन्यों के सं्योग शÊद ्यया पद की रचनया करि े ह§, िो विवभनन शÊदों , पदों ्यया रूपों के
सं्योग िया³्य कया वनमया ्चण करिे ह§ िया³्य विज्यान क े अध्य्यन कया म ु´्य ±ेý 'िया³्य' हu िया³्य
कया रचनयाÂमक स ंगठन, िया³्य म¤ किया्च, वरि्यया और कम ्च के अनुरूप पदों के अनि्य एिं िया³्य
प्रभेद Kuसे विष्यों को लेकर िया³्य विज्यान कया अध्य्यन होिया ह u
सयामयान्यि3 दो ्यया दो स े अवधक िणŎ क े मेल को 'शÊद' ि्या दो ्यया दो स े अवधक शÊदों क े
मेल को िया³्य कहि े ह§ शÊद सया््चक और वनर््चक दोनों होिे ह§ वकनिु िया³्य प्रया्य: सया् ्चक
ही होिे हu
पिंKवल ने पूण्च अ््च की प्रिीवि करयान े ियाले शÊद समूह को िया³्य कहया ह u िो आचया्य्च
विĵनया् ने सयाकयां± पदसमूह को िया³्य मयानया ह u भिp्चहरर ने िया³्य की अन ेक पररभयाषयाएँ दी
ह§ Kuसे -
१. वरि्ययावद के बुवĦ गि समनि्य को िया³्य कहि े हu
२. वरि्ययापद को िया³्य कहिे ह§
३. वरि्ययापद सवहि कयारकयावद क े समूह को िया³्य कहि े हu
४. वरि्यया ि्या कयारकयावद म ¤ रहने ियाली 'Kयावि' को िया³्य कहि े ह§
५. वरि्ययावद समूह रूप एक अखÁP शÊद (सकोट) को िया³्य कहि े ह§
६. वरि्ययावद पदों को विश ेष रिम को िया³्य कहि े ह§
७. आकयां±या ्युक्त प्र्म पद को िया³्य कहि े ह§
.२.४ łप हवज्ान
भयाषया की Ó्ययाकरणयाÂमक अवभÓ्यवक्त कया लG ुिम मयाध्यम 'रूप' हu दूसरी शÊदयािली म ¤ कहया
Kया सकिया हu वक धिवन्यों कया सया््चक ्युµम रूप हu, Kो Ó्ययाकरण क े अनुशयासन म¤ पररिवि्चि
होकर क्न की आक pवि म¤ वदखलयाई पिया ह u रूप को ही लGु और दीG्च समूह िया³्य कहया
Kयािया हu रूप को पद भी कहया Kयािया ह u अ्या्चिz रूप एिं पद एक दूसरे के प्यया्च्य ह§ अि:
रूपों ्यया पदों कया सË्यक अध्य्यन और प्र्योग रूप विज्यान की स ंज्या प्रयाĮ करिया ह u परनिु
्यहé एक िÃ्य ध्ययान रखन े ्योµ्य हu वक 'पद' संज्या 'शÊदों' कया प्यया्च्य नहé ह§ शÊद और पद
दोनों म¤ अंिर होिया हu सया््चक धिवन समूह शÊद कहलयािया ह u िो िया³्य म¤ शÊद कया प्र्योग
पद कहया Kयािया ह u ्यहé ्यह भी ध्ययान रखन े की बयाि हu वक वबनया पद ्यया रूप बनयाए वकसी
मूल शÊद कया प्र्योग िया³्य म ¤ नहé वक्यया Kया सकिया
रूप कया सÌबनध धिवन्यों से हu अि: सयामयान्य िyर पर रूप पररिि ्चन और धिवन-पररिि्चन म¤
विभयाKक रेखया खéच पयानया कवठन कया्य ्च लगिया हu वकनिु इन दोनों म¤ िuज्यावनक विभेद ह§
धिवन पररिि्चन से पद की एक-दो धिवन्ययाँ प्रभयाविि होिी ह u, और रूप पररिि ्चन से पद कया munotes.in
Page 38
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
38 सÌपूण्च आकयार बदल Kयािया हu इस िरह कहया Kया सकिया ह u वक धिवन पररिि ्चन कया ±ेýZल
बया होिया हu और रूप पररिि ्चन कया सीवमि रूप पररिि्चन की वदशयाओ ं म¤ एक वदशया पुरयाने
प्रचवलि रूपों क े विलोप की ह§ इस िरह नए रूप प्रचवलि होकर प ुरयाने रूपों कया धीरे-धीरे
पररÂ्ययाग कर द ेिे ह§ उदयाहरण के वलए संसकpि के प्र्योग रूप को Jोकर वहनदी क े प्र्योग
रूप ने अपने को पररिवि्चि कर वल्यया हu Łप पररिि्चन की एक वदशया सयादृÔ्य विवध ह u
सयादृÔ्य के कयारण सÌबंध िÂि के नए रूप विकवसि होकर अन ेक Łपिया कया पररच्य द ेिे ह§
इस विवध म¤ निीनिया कया आकष ्चण रहिया हu वहनदी म¤ परसगŎ कया विकयास ही सयादृÔ्य विधयान
हu रूप पररिि्चन के कुJ असियाभयाविक अवभल±ण वमलि े ह§ वKनके प्र्योग Kयाने - अनKयाने
बहòि से लोग करिे ह§ कुJ पुरयाने और कुJ नए रूपों को úहण कर आKकल प्रÂ्य्यों क े
अवभनि रूप प्रचवलि ह § इस विज्यान भी भयारिी्य ि uÔ्ययाकरणों की देन ह§ रूपविज्यान क े
अनिग्चि भयाषया विशेष म¤ प्र्युक्त पदों ्यया रूपों क े सया््चक अि्यों कया विभयाKन कया वनIJ्यन
वक्यया Kयािया हu
.२. अ््ष हवज्ान :
भयाषया विज्यान की एक प्रम ुख इकयाई के रूप म¤ अ््च विज्यान कया अध्य्यन -विĴेषण वक्यया
Kयािया हu भयाषया के चयार प्रमुख िÂिों म¤ िuज्यावनक दृवटि स े धिवन विज्यान, पदविज्यान एिं िया³्य
विज्यान ्यवद भयाषया क े शरीर ह§ िो अ््च विज्यान उसकी आÂमया ह u 'अ््च विज्यान’ के अनिग्चि
शÊदया््च के आनिररक प± कया अ् ्च वकसे कहिे ह§? अ््च कया महÂि ³्यया ह u? शÊद और अ््च
म¤ ³्यया अंिर हu? उनम¤ ³्यया संबंध हu? अ््च कया ज्यान कuसे होिया हu? शÊदशवक्त कया सिरूप
³्यया हu? एकया््चक, अनेकया््चक, प्यया्च्यया््चक एिं विलोमया््चक आवद शÊदों कया ज्यान क uसे होिे
ह§? अ््च - पररिि्चन ³्यया हu? अ््च पररिि्चन की वदशयाएँ कyन-कyन सी ह§ ि्या अ््च पररिि्चन
के प्रमुख कयारण कyन-कyन से हu? आवद विष्यों क े अध्य्यन अ््च विज्यान के अनिग्चि वकए
Kयािे हu
अ््च भयाषया कया प्रधयान िÂि ह u, शयाľी्य संज्या म¤ इसके समयान अनेक शÊद ह§- अ््च विचयार,
अ््च विज्यान, अ््च िÂि आवद| अ््च शÊद प्रविभया कया समयानया् ्चक हu भिp्चहरर ने िया³्यया््च
रूपी प्रविभया को आÂमया मयानि े हòए प्रविभया को अ् ्च प्यया्च्य के रूप म¤ सिीकयारया भी हu आचया्यŎ
और िuÍ्ययाकरणों के वनÕकष्च प्रमयावणि करि े ह§ वक वKस प्रकयार शरीर क े बोध के बयाद
आÂमबोध अवनिया्य ्च अनुभि होिया हu उसी प्रकयार धिवन पद एि ं िया³्य बोध के बयाद अ््च
रूपी आÂम कया बोध अवनिया्य्च हu
िेदों म¤ सpवटि को ियाकz िÂि कया विसियार कहया ग्यया ह u िसिुि: ियाकz िÂि ही अ््च िÂि की
पररणवि प्रयाĮ करिया ह u Pv. भोलयानया् विियारी न े ‘अ््च’ पर विचयार करि े हòए विĴेषणयाÂमक
वटÈपणी दी हu उनके मि म¤ "वकसी भी भयावषक इकयाई (िया³्य , िया³्ययांश, Łप, शÊद, मुहयािरया
आवद) को वकसी इवनद्र्य (प्रम ुखि3 कयान, आँख) से úहण करने पर Kो मयानवसक प्रिीवि
होिी हu, िही अ््च हu” धिवन, शÊद, िया³्य आवद भयावषक िÂि अ् ्च िÂि के अभयाि म¤
मूÐ्यहीन बने रहिे हu अ््च के कयारण ही भयाषया क े प्रवि हमयारी वनķया कया Kयागरण होिया हu
िuÍ्ययाकरणों म¤ अ््च की मह°या वKस रूप म ¤ सिीकयारी हu उससे सपटि ज्याि होिया ह u वक अ््च
की Ó्ययावĮ के वबनया सयारे पदया््च रंस हीन ह§ munotes.in
Page 39
भयाषया विज्यान की प्रमुख शयाखयाओं कया सयामयान्य पररच्य
39 कुल वमलयाकर अ् ्च की मह°या इस बयाि म ¤ हu वक उसके वबनया भयाषया कया कोई अवसिÂि हé
नहé रहिया आचया्यŎ ने अ््च हीन भयाषया को सनियानहीन ľी क े समयान मयानया ह u
भयाषया विज्यान की िह शयाखया ह§ वKसम¤ शÊदों के अ््च कया अध्य्यन वक्यया Kयािया ह u, िह अ््च
विज्यान कहलयािया ह u इस अनुशयासन कया मु´्य उĥेÔ्य भयाषया के अंिग्चि की संरचनया, संप्रेषण
एिं úहण की प्रवरि्यया कया विĴ ेषण होिया हu अ्या्चि अ््चविज्यान के अंिग्चि अ््च के सिरूप,
शÊदया््च संबंध, शÊदया््च बोध के सयाधन, अनेकया््चियाची शÊद के अ््च-वनण्च्य कया आधयार आवद
विष्यों कया अध्य्यन वक्यया Kयािया ह u
्यह एक सयामयान्य अिधयारणया ह u वक शÊद से अ््च कया बोध होिया ह u वकंिु सभी शÊदों स े सभी
अ्Ŏ कया बोध नहé होिया अवपिु वकसी वनवIJि शÊद स े वकसी वनवIJि अ् ्च कया ही बोध होिया
हu, अन्य असंबĦ अ््च कया नहé | अि3 शÊद और अ् ्च के मध्य एक ?से संबंध को सिीकयार
करनया होगया Kो वनवIJि शÊद स े वनवIJि अ््च के बोध कया वन्ययामक हो , अन्य्या वकसी भी
शÊद से वकसी भी अ् ्च कया बोध सिीकयारनया होगया शÊद और अ् ्च कया ्यह संबंध प्रÂ्येक
Ó्यवक्त अपनी भयाषया -Ó्यिहयार की पर ंपरया से सीखिया हu ³्योंवक मनुÕ्य को Kगि म ¤ विद्मयान
असं´्य िसिुओं कया अनुभि होिया हu और ्ये िसिुएँ परसपर वभनन होिी ह u अि3 अपनी
विवशटि स°याÂमक पहचयान रखिी ह § िसिुओं की इस मूि्च स°या के वलए िकनीकी शÊदयािली
म¤ ‘रूप’ शÊद Ó्यिहि वक्यया Kयािया ह u चूँवक प्रÂ्येक भयाषया समुदया्य म¤ प्रÂ्येक विवशटि मूि्च
स°या के वलए एक विवशटि 'नयाम' कया प्र्योग वक्यया Kयािया ह u और संबंवधि भयाषया सम ुदया्य कया
Ó्यवक्त इस 'नयाम' और 'रूप' के वनवIJि संबंध को भयाषया-प्र्योग से सीखिया हu, Zलि3 ्यह
संबंध उसकी मवसिÕक म ¤ स्या्यी रूप स े विद्मयान हो Kयािया ह u सयामयान्य रूप स े इसे ही अ््च
कहया Kयािया हu आचया्य्च पयावणवन ने भयाषया कया सयार 'अ््च’ मयानया हu एिद््च शÊदों को ही
'प्रविपवदक
(मुल संKयाशÊद ्यया प्रक pवि) मयानया हu - अ््चिदधयािरप्रÂ्य्य3 प्रविपवदकमz (अटिया-
१-२-४५) ्ययासक ने अपने úं् 'वनरूक्त’ अ्या्चि वनि्चचन, वनŁवक्त (ȜɅyȾɀȽɀȸɊ) कया
आधयार ही अ् ्च को मयानया हu अ््च ज्यान के वबनया वनि्चचन असंभि हu- अ््चवनÂ्य: परर±ेि
(वनरूक्त २-१) िसिुि3 शÊद केिल अ्Ŏ कया स ंúह ्यया समुचच्य मयाý नहé हो िया अवपिु शÊद
एिं अ््च कया ्यह संबंध भयाषया Ó्यिहयार की पर ंपरया Ĭयारया वनवIJि एि ं वस्र होिया ह u दuवनक
बयाि-चीि म¤ वकसी शÊद के अ््च कया प्र्योग इसी स ंबंध के Ĭयारया वक्यया Kयािया ह u, उदयाहरणया््च-
्यवद कोई पूJे की दशया्चनया शÊद कया अ् ्च ³्यया हu िो सहKिया स े कहया Kया सकिया हu वदखयानया
इसी प्रकयार ्यवद कोई दृ
शÊद कया अ् ्च पूJे िो कहया Kया सकिया ह u वक ्यह एक प्रकयार कया
पुÕप होिया हu अि: सपटि हu वक शÊद के अ््च को Ó्यक्त करन े की प्रवरि्यया म¤ शÊद के ल±ण
Ĭयारया अ््च कया वनधया्चरण नहé वक्यया Kयािया बवÐक शÊद एि ं उसके Ĭयारया संकेविि मूि्च स°या के
परसपर संबंध के Ĭयारया अ््च कया वनधया्चरण होिया हu उप्यु्चक्त वििेचन से ्यह भी सपटि हो रहया ह u
वक प्रÂ्येक शÊद कया अपनया एक अ् ्च भयाि ्यया विचयार होिया ह u, Kो उसे सया््चक बनयािया हu इसे
ही पयाररभयावषक शÊदयािली म ¤ अ््चúयाम (Sema nɅeȾȶ) कहया Kयािया हu प्रÂ्येक कयालखंP म¤
वकसी शÊद कया अ् ्च सदuि एक-सया नहé रहिया अवपि ु उसम¤ सम्य के सया्-सया् विकयार,
पररिि्चन ्यया विकयास होिया रहिया ह u और ्यह पररिि्चन संबंवधि भयाषया समुदया्य के Ó्यवक्त्यों की
मयानवसकिया क े Ĭयारया वलए गए अ् ्च क या ह ी अध ्य ्य न क रिया ह u ि्या उस शÊद क े
प्रसिुिीकरण की शuली म¤ वनवहि अ््च एिं उस शÊद विश ेषण से संबंवधि अन्य प्रस ंगया्Ŏ को
उस दyरयान अनद ेखया करिया हu मवसिÕक के Ĭयारया úहण वकए गए अ् ्च को ही शÊद क े मूल
अ््च के रूप म¤ वल्यया Kयािया ह u, वKसको प्रया्वमक शवÊदक अ् ्च (Primary lexical munotes.in
Page 40
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
40 ȤȶȲȿȺȿȸ) कहया Kयािया हu और कोश विज्यान के दृवटिकोण से भी इसी अ््च को प्रया्वमकिया
दी Kयािी हu वहंनदी शÊद कयाँटया के कई अ््च ह§, परंिु मु´्यया््च के अनुसयार इसकया ियाÂप्य ्च उस
कयाँटया से ह§ Kो चुभिया हu न वक Kहयाँ िKन वक्यया Kयािया ह u इस दूसरे अ््च के संदभ्च म¤ िरयाKू
अवधक उप्योगी और प्रचवलि शÊद ह u कयाँटया शÊद के कुJ अन्य अ््च भी वमलिे ह§, Kuसे
चुभनया, पीया, शýु ्यहयाँ िक की अब एक शवन कया ँटया शÊद भी Ó्यिहयार म ¤ आने लगया हu
वKसम¤ कयाँटे के सया् पीया कया भी अ् ्च सवÌमवलि हu परंिु कयाँटया शÊद सुनने पर वहंदी भयाषया
भयाषी के मवसिÕक म¤ सि्चप्र्म एक पिली नों क ियाली िसिु कया ही वबंब उभरिया हu वKसके
अपने विवशटि ल±ण ग ुण होिे ह§ वकसी शÊद क े मु´्यया््च के अविररक्त अन्य अ् ्च भी
महÂिहीन नहé होि े ³्योंवक कवि शÊद एि ं विज्यापन-विशेषज् शÊद से Kुे अविररक्त अ्Ŏ
कया अवधक प्र्योग करि े ह§
. सारांश :
मनुÕ्य एक बुĦीमयान, विचयारशील और सयामयावKक प्रयाणी ह u Ńद्यगि भयािों ि्या वचनिन-
मनन को शयावÊदक स ंज्या प्रदयान कर उस े अपने समरण म¤ रखिया हu अपनी मयानवसक प्रिीवि ,
इचJया, विचयार भयाि दूसरों से कहिया हu, वKसकया सयाधन भयाषया ही ह u भयाषया के कयारण ही मनुÕ्य
सयामयावKक प्रयाणी बनया ि्या कÐपनया और प्रविभया शवक्त कया विकयास संभि हòआ इससे
मनुÕ्य सभी प्रयावण्यों म ¤ ®ेķ बनया हu पशु पव±्यों के पयास भयाषया न होन े से िह अपनया विकयास
नहé कर पया्यया ह u भयाषया कया अध्य्यन करन े ियालया शयाľ भयाषया विज्यान कहलयािया ह u भयाषया
विज्यान शÊद पवIJम स े भयारि म¤ आ्यया इससे पूि्च भयारि म¤ Ó्ययाकरण, वनŁक्त, वश±या आवद
शÊद प्रचवलि ् े Ó्ययाकरण म¤ वकसी एक भयाषया कया ही अध्य्यन होिया ह u, Kबवक भयाषया
विज्यान म¤ वन्यम और वसĦयानि द ुवन्यया की समसि भयाषयाओ ं पर लयागू होिे ह§
भयाषया विज्यान क े वलए अनेकों शÊद प्रचवलि रह े ह§ - कंपरेवटि úयामर, वZलvलvKी, सया्यंस
@Z ल§µिेK, वलंवµिवसट³स और वहनदी म ¤ भयाषयाशयाľ भयावषकी, भयाषया विज्यान शÊद प्रचवलि
ह§ Pv. Ô्ययाम सुनदरदयास के मन से भयाषया विज्यान भयाषया की Ó्य ुÂपव°, बनयािट, विकयास, öहयास
की िuज्यावनक Ó्यया´्यया करिया ह u Pv. बयाबूरयाम स³सuनया के अनुसयार, भयाषया विज्यान भयाषया कया
विĴेषण कर उसकया वदµदश ्चन करयािया हu
Pv. देिेनद्र नया् शमया्च के विचयार से भयाषया कया विवशटि ज्यान ही भयाषया विज्यान ह u भोलयानया्
विियारी के विचयार से भयाषया विज्यान िह विज्यान ह u वKसम¤ भयाषया अ्िया भयाषयाओ ं कया एक
कयावलक, बहòकयावलक, िुलनयाÂमक, Ó्यविरेकी अ्िया अनुप्र्योवगक अध्य्यन विĴ ेषण ि्या
िदz विष्यक वसĦयानिों कया वनधया ्चरण वक्यया Kयािया ह u पवIJम के विĬयानों म¤ मयारर्यो पेई,
ÊलूमZीÐP और रvवबनस न े भी भयाषया विज्यान को पररभयावषि वक्यया ह u भयाषया विज्यान भयाषया क े
सभी अंगों और Ó्यिहयारों कया अध्य्यन ि्या विĴ ेषण करिया हu भयाषया विज्यान क े प्रधयान अंग
सिन विज्यान (धिवन विज्यान) , रूप विज्यान, िया³्य विज्यान, शÊद विज्यान और अ् ्च विज्यान हu
इन प्रधयान अंगों को Pv. भोलयानया् विियारी न े भी सिीकयार वक्यया ह u भयाषया-विज्यान के गyण
अंग-भयाषया विज्यान क े प्रया्योवगक अ् िया अनुप्र्युक्तिया को दशया्चिे ह§
शÊद की Ó्युÂपव° से संबंवधि Ó्युÂपव° विज्यान, कोश वनमया्चण संबंधी कोश विज्यान , भयाषया कया
भyगोवलक सीमया ंकन मयानवचý वनमया ्चण करने ियालया भयावषक भ ूगोल, भयाषया के धिवनवचĹों को munotes.in
Page 41
भयाषया विज्यान की प्रमुख शयाखयाओं कया सयामयान्य पररच्य
41 स्याव्यÂि देने ियालया ि्या भयाषया ल ेखन से संबंवधि वलवपविज्यान , सयावहÂ्यगि भयाषयाई प्र्योगों
कया अध्य्यन विĴ ेषण करने ियालया शuली विज्यान, एक भयाषया की सयामúी को द ूसरी भयाषया म¤
रूपयांिररि करने ियालया अनुियाद विज्यान के अलयािया समयाK भयाषया विज्यान , मनोभयाषया विज्यान ,
मशीनी-भयाषया विज्यान भयावद अन ेक भयाषया विज्यान की शयाखयाए ँ ह§
भयाषया कया िuज्यावनक अध्य्यन करनया भयाषया विज्यान कया प्रम ुख कया्य्च हu भयाषया विज्यान क े
अध्य्यन की प्रम ुख वदशयाएँ इस प्रकयार ह§ िण्चनयाÂमक भयाषया विज्यान म ¤ वकसी एक भयाषया कया
वकसी एक विवशटि कयाल स े संबंवधि सिरूप कया विि ेचन, विĴेषण वक्यया Kयािया ह u ्यह
वििेचन भी भयाषया की स ंरचनया पर केवनद्रि होिया हu इसम¤ भयाषया के उचचररि रूप कया अध्य्यन
होिया हu िण्चनयाÂमक भयाषया विज्यान Ó्ययाकरण क े कयाZी वनकट होिया ह u पयावणनी कया ú ं्
अटियाध्यया्यी इसकया उदयाहरण ह u, भयाषया विज्यान क े अध्य्यन की द ूसरी पĦवि ?विहयावसक ह u,
इसम¤ भयाषया के रिवमक इविहयास कया विि ेचन होिया हu ?विहयावसक भयाषया विज्यान से भयाषया
पररिि्चन के सयामयान्य वसĦयानि वन्यम और वदशयाओ ं कया वदµदश्चन होिया हu भयाषया के नए-पुरयाने
भेदों को इसी पĦवि क े कयारण सुगमिया से समLया Kया सकिया ह u इस शयाखया म ¤ वलवखि
सयावहÂ्य के आधयार पर भी अध्य्यन होिया ह u भयाषया विज्यान क े अध्य्यन की िीसरी वदशया
िुलनयाÂमक पĦवि ह u इसम¤ एक कयाल की, वभनन कयालों की ि्या कम स े कम दो भयाषयाओ ं
की आपस म¤ िुलनया की Kयािी ह u ्यह िुलनया भयाषयाई स ंरचनया के सिर पर होिी ह u
िुलनयाÂमक पĦवि क े कयारण ही सन z १७८६ म¤ सर विवल्यम Kोंस न े लuवटन और úीक
भयारिी्य संसकpि की संरचनया म¤ आIJ्य्चKनक समयानिया को खोKया ्या
भयाषया की संरचनया के सिर पर अध्य्यन करन े ियाली शयाखया सस्य ूर Ĭयारया वनवम्चि संरचनयाÂमक
शयाखया हu इसम¤ अनुरिम ि्या रूप और अ् ्चमूलक सहपररिि ्चन कया अध्य्यन वक्यया Kयािया ह u
अध्य्यन की पया ँचिी शयाखया प्रया्योवगक भयाषया विज्यान ह u इसम¤ देशी-विदेशी भयाषया के अध्य्यन
की सरलिम पĦवि की खोK की Kयािी ह u ि्या अनुियाद कया्य्च पयाररभयावषक शÊदयािली
वनमया्चण, मशीन की दृवटि से की बोP्च म¤ सुधयार आवद कया्य ्च सÌपनन होिे ह§, इसके अलयािया एक
Ó्यविरेकी पĦवि भी ह u िुलनया के Ĭयारया दो भयाषयाओ ं के विरोधी अ्िया विश ेष िÂिों को खोKया
Kयािया हu भयाषया और भयाषया - विज्यान कया अध्य्यन हमयार े Ó्यवक्तÂि विकयास क े वलए अÂ्यंि
आिÔ्यक हu
.४. लGु°रीय प्रश्न :
१. अ््च की दृवटि से भयाषया की लGु°म इकयाई कyनसी हu?
उ°र: शÊद
२. रूप के अ््चियान खंPो को ³्यया ³्यया कहया Kयािया हu?
उ°र: रूवपम
३. भयाषया की महÂिपूण्च इकयाई हu?
उ°र: िया³्य
४. रूप विज्यान म¤ ‘रूप’ कया प्यया्च्यियाची शÊद ³्यया वद्यया हu?
उ°र: पद munotes.in
Page 42
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
42 ५. आचया्यŎ ने अ््च हीन भयाषया को वकसके समयान मयानया हu?
उ°र: सनियानहीन ľी के समयान
६. भयाषया विज्यान की शयाखया म¤ वकसकया अध्य्यन वक्यया Kयािया हu?
उ°र: शÊदों के अ््च कया अध्य्यन वक्यया Kयािया हu
.. दीGō°रीय प्रश्न :
१. भयाषया विज्यान की पररभयाषया देिे हòए उसके प्रमुख अंगों कया पररच्य दीवKए
२. भयाषया विज्यान के प्रमुख और गyण अंगों कया वििेचन कीवKए
३. भयाषया विज्यान की प्रमुख शयाखयाओं म¤ धिवन विज्यान और शÊद विज्यान को पररभयावषि
कीवKए
४. िया³्य विज्यान के संदभ्च म¤ विसियार से चचया्च कीवK्ये
५. अ््च विज्यान को पररभयावषि कीवKए
६. रूप विज्यान कया वििेचन विĴेषण कीवKए
.. संदभ्ष úं् :
१. भयाषया विज्यान - Pv. भोलयानया् विियारी
२. भयाषया-विज्यान एिं भयाषयाशयाľ – Pv. कवपल देि वĬिेदी
३. भयाषया विज्यान क े अधुनयािम आ्ययाम - Pv. अंबयादयास देशमुख
४. वहनदी भयाषया, Ó्ययाकरण और रचनया - Pv. अKु्चन विियारी
५. सयामयान्य भयाषया विज्यान – Pv. बयाबुरयाि स³सेनया
६. आधुवनक भयाषया विज्यान क े वसĦयांि - Pv. रयाम वकशोर शमया ्च
७. सयामयान्य भयाषया विज्या न - Pv. बयाबूरयाम स³सेनया
7777777munotes.in
Page 43
43
वण्ष हवचार : 8¸चारण कì ŀहĶ से
हिन्दी धवहनयŌ का वगणीकरण
इकाई कì Łपर ेखा
६.०. इकयाई कया उĥेÔ्य
६.१. प्रसियािनया
६.२. िण्च विचयार
६.३. उचचयारण की दृवटि से वहनदी धिवन्यों कया िगगीकरण
६.४. सयारयांश
६.५. लGु°री्य प्रij
६.६. दीGō°री्य प्रij
६.७. संदभ्च úं्
.०. इकाई का 8ĥेÔय
इस इकयाई के अध्य्यन के पIJयाि विद्या्गी पररवचि होंगे-
• िण्च विचयार को समL Kया्य¤गे
• उचचयारण की दृवटि से वहनदी धिवन्यों के िगगीकरण कया अध्य्यन कर¤गे
.१. प्रसतावना
वकसी भी भयाषया की सबस े Jोटी धिवन िण ्च कहलयािी हu, अ्या्चि ?सी धिवन वKनकया अ ंविम
विभयाKन कर वद्यया ग्यया हो एि ं आगे विभयाKन वक्यया Kयानया स ंभि न हो िही िण ्च कहलयािया हu
िह शयाľ वKसक े Ĭयारया वकसी भयाषया को श ुĦ रूप से बोलनया, वलखनया ्यया प
नया सीखया Kयािया
हu, उसे हम िण्च कहिे ह§ Ó्ययाकरण की सबस े Jोटी इकयाई धिवन होिी ह u, इसके वलवखि रूप
को हम िण्च कहिे ह§
.२. वण्ष हवचार (वण्ष धवहनया 1) :
िण्च विचयार म¤ िण्च उस मूल धिवन को कहि े ह§, वKसकया खÁP न हो िण्च को अ±र भी
कहिे ह§, Kो '±र’ न हो, Kो धयार धयार न हो उस े अ±र कहिे ह§ Kuसे अ, इ, उ, क, ख, ग
आवद पयानी शÊद की दो धिवन ्ययाँ हu 'पया' और 'नी' इनके भी चयार खÁP ह § | पz आ िया
नz ई , इस के बयाद इन चयारों धिवन्यों क े टुके नहé वकए Kया सकि े ह§ इसवलए ्ये मूल
धिवन्ययाँ िण्च ्यया अ±र ह§ सं±ेप म¤ िण्च िह Jोटी से Jोटी हu Kो कयाम कया विष्य ह u और munotes.in
Page 44
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
44 वKसके टुके नहé वकए Kया सकि े | इनही िणŎ अ्िया धिवन्यों क े समुदया्य को िण्चमयालया
(Alphabet) कहिे ह§ वहनदी म¤ कुल ४४ िण्च हu िे इस प्रकयार हu -
अ, आ, इ, ई, उ, 9, :, ए, ?, ओ, @ = ११
क ख ग G H
च J K L M = २५
ट ठ P Q ण
ि ् द ध न
प Z ब भ म
्य र ल ि श = ०८
ष स ह
उचचयारण की दृवटि से वहनदी के इन ४४ िणŎ कया िगगीकरण पया ँच प्रकयार से वक्यया Kयािया हu
पिला प्रकार – इस िगगीकरण कया आधयार उचचयारण सियाि ंÞ्य हu इस िगगीकरण म ¤ ्यह देखया
Kयािया हu वक िग्च कया उचचयारण सिि ंýिया से होिया हu इस िगगीकरण म ¤ ्यह देखया Kयािया वक िण ्च
कया उचचयारण अ्िया उचचयारण क े वलए वकसी दूसरे िण्च (धिवन) की मदद ल ेनी पिी हu |
वKन िणŎ कया उचचयारण सिि ंýिया से वबनया वकसी द ूसरे िण्च की सहया्यिया स े होिी हu उनह¤
सिर कहिे ह§ -
Kuसे – अ, आ, इ, ई, उ, 9, , ए, ?, ओ, @ = ११
वKन िणŎ के उचचयारण के वलए सिरों की सहया्य िया लेनी पिी हu, उनह¤ Ó्यंKन कहिे ह§ इस
प्रकयार उचचयारण सियाि ंÞ्य के आधयार पर वक्यया ग्यया िणŎ कया िगगीकरण सिर और Ó्य ंKन के
रूप म¤ Kयानया Kयािया हu
सवर - वहनदी म¤ सिरों की सं´्यया µ्ययारह हu | संसकpि म¤ िीन सिर और होि े ह§ :, , लq,
वकनिु इनकया वहनदी म¤ नहé होिया हu : कया प्र्योग भी स ंसकpि से आए हòए शÊदों म¤ ही होिया
हu Kuसे :वष, :िु, कpपया, सpवटि ,दृवटि, कpवष, िp±, नpÂ्य, कpÂ्य, मpÂ्यु, पpķ, पpÃिी, Ćद्य,
®pंगयार, ®pंग, िpĦ, मpि, गpह, िpवĮ, धpवि, संसकpि म¤ कया विशेष उचचयारण रहया होगया वकनिु
वहनदी म¤ उसकया उचचयारण ‘रर’ की िरह वक्यया Kयािया ह u वलखया िो 'वष' Kयािया हu लेवकन
प
या ‘ररषी’ Kयािया हu इसी िरह 'कpपया' वलखकर 'वरिपया' प
या Kयािया हu वकनहé-वकनहé भयारिी्य
भयाषयाओं म¤ उसकया उचचयारण 'रर' की िरह न करक े ‘रू’ की िरह वक्यया Kयािया ह u Kuसे मरयाठी
म¤ 'िp±' को 'Ąु±' की िरह उचचयाररि वक्यया Kयािया ह u िु-रूि इस िरह कया उचचयारण : कया
उचचयारण अब संभि नहé हu इसवलए कुJ विĬयानों कया मि ह u वक इसे वहनदी िण्चमयालया से हटया
वद्यया Kयाए और वलखि े सम्य ‘रर' कया ही प्र्योग वक्यया Kयाए वकनि ु कई विĬयान इस मि स े
सहमि नहé हu अनुसियार (£ं) और विसग्च (:) को बहòि बयार असयािधयानी स े सिर ्यया Ó्यंKन
कहया Kयािया हu, वकनिु ्ये िो न सिर हu, न Ó्यंKन अनुसियार कया उचचयारण प्रया्य: ¹ह प्रकयार स े
होिया हu - पHzखया, च¼चल, ठÁPया, अंि, अÌबया, अंशु विसग्च कया उचचयारण क ुJ 'ह' Kuसया होिया
हu, ्यह केिल संसकpि से आए हòए शÊदों म¤ ही प्र्युक्त होिया हu Kuसे- दु3ख, मन3वस्वि,
अंि:करण, अंिि3 इÂ्ययावद munotes.in
Page 45
िण्च विचयार : उचचयारण की दृवटि से वहनदी धिवन्यों कया िगगीकरण
45 सवरŌ का वगणीकरण :
सिरों कया िगगीकरण िीन प्रकयार स े वक्यया Kयािया हu
i. मूल öहसि सिर - अ, इ, उ,
ii. मूल दीG्च सिर - आ, ई, 9
iii. सं्युक्त सिर - ए, ?, ओ, औ
कुJ विĬयान लp और लq को भी मूल सिरों म¤ वगनिे ह§, लेवकन वहनदी म¤ इसकया उप्योग नहé
होिया इसी प्रकयार : की भी अपनी अलग पहचयान रह गई हu संसकpि म¤ इसकया प्र्योग
अवधक होिया ह u वकनिु Kो वहनदी और अन्य भयारिी्य भयाषयाओ ं म¤ हòआ हu िे संसकpि के मूल
शÊद ह§ - Kuसे – :वष, :िंबरया, :िु, :ण
मूल सिर कया उचचयारण प ूण्चि्यया सििंý होिया हu और ्ये öहसि होिे ह§ Kuसे अ, इ, उ, :|
इनके अविररक्त दीG ्च और सं्युक्त सिरों मे मूल öहसि सिर कया प्र्योग होिया ह u िभी उनकी
धिवन्ययाँ उचचयाररि होिी ह§
मूल दीG्ष सवर संयुक्त सवर
अ अ आ अ इ ए
इ इ ई आ ए ?
उ उ 9 अ उ ओ
आ ओ औ
्यहयाँ उवÐलवखि बयाि ्यह ह u वक वहनदी म¤ कया दीG्च उचचयारण नहé ह§ उचचयारण म¤ कुJ न
कुJ सम्य लगिया ह u इसे मयाýया कहिे ह§ मयाýयाओं के िीन भेद ह§ - öहसि, दीG्च, Èलुि
Jनदशयाľ म¤ प्र्म दो को लG ु और गुरू नयाम से Kयानया Kयानया हu एक मयावýक उचचयारण कयाल
को öहसि कहिे ह§, Kuसे अ, इ, उ öहसि सिरों के उचचयारण से दुगुनया सम्य दीG्च सिरों के
उचचयारण म¤ लगिया हu इसवलए इनकी वगनिी दो मयाýया के रूप म¤ होिी हu – Kuसे - आ (अ
अ), ई (इ इ), 9 (उ उ) | इनके अविररक्त वKनम ¤ öहसि से विगुनया उचचयारण कयाल
लगिया हu उनह¤ 'Èलुि’ कहिे ह§ इनके वलए िीन मयाýयाओ ं कया विधयान हu Kuसे ओइम | वहनदी
म¤ सयाधयारण ि्या 'Èलुि' उचचयारण नहé होिया वकनिु वकसी को Kोर से पुकयारने, रोने अ्िया
गयाने म¤ इसकया प्र्योग वक्यया Kयािया ह u
वहंदी म¤ सिरों के उचचयारण अन ुनयावसक, वनरनुनयावसक, अनुसियार ्युक्त और विसग्च मुक्त भी
होिया हu इसके संकेि वचनह इस प्रकयार हu
१. अनुनाहसक – (£1) ?से सिरों कया उचचयारण नयाक और मुँह की सहया्यिया से होिया हu
Kuसे - गयाँि, दयाँि, आँगन, सयाँचया, चयाँद इÂ्ययावद
२. हनरनुनाहसक - केिल मुँह से बोले Kयाने ियाले सिर िणŎ को वनरन ुनयावसक कहिे ह§ Kuसे
- इधर, उधर, आप, अपनया, Gर, इÂ्ययावद
munotes.in
Page 46
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
46 अनुसवार युक्त - ?से सिरों कया उचचयारण 'ह' की िरह होिया ह u अनुसियार की िरह विसग्च भी
सिर के बयाद आिया हu वकनिु संसकpि से आए हòए िÂसम शÊदों म ¤ आK भी उसकया प्र्योग
वमलिया हu Kuसे अनि3करण, अंि3पुर, मन3वस्वि, मन3दशया, प्:पयान (दूधपयान)
अनुसियार और विसग ्च सिर हu ्यया Ó्यंKन ्यह विियाद कया विष्य ह u कई विĬयान इनह ¤ सिर कहिे
ह§, और कई Ó्यंKन वकनिु ्ये सिरों के सहयारे चलिे ह§ वहनदी के सुप्रवसĦ Ó्ययाकरणयाचया्य ्च
वकशोरदयास बयाKप े्यी की मयान्यिया ्यह ह u वक अनुसियार और विसग्च सिर नहé हu और Ó्यंKनों
की िरह ्ये सिरों के पहले न आकर बयाद म ¤ आिे ह§ इसवलए ्ये Ó्यंKन नहé हu इसवलए इन
दोनों धिवन्यों को अ्योग ियाहया वबनया Kो -िो नहé करिे ह§
वयंजनŌ का वगणीकरण - Ó्यंKन िण्च िे िण्च ह§, वKसकया उचचयारण सिि ंý रूप से न होकर
सिरों की सहया्यिया स े होिया हu प्रÂ्येक Ó्यंKन के उचचयारण म¤ 'अ' की धिवन वJपी रहिी ह §
'अ' के वबनया Ó्यंKन कया उचचयारण अस ंभि हu Kuसे (कz अ क), (च अ च) आवद
Kहयाँ सिरों कया उचचयारण वबनया वकसी द ूसरी धिवन की मदद स े होिया हu िहé Ó्यंKन िण्च कया
उचचयारण सिर पर वनभ ्चर होिया हu Ó्यंKनों की सं´्यया िuिीस ह§ मु´्य रूप म¤ उनह¤ िीन भयागों
म¤ विभयावKि वक्यया Kयािया ह u
सपश्च िग्च - Kuसे - क िग्च से लेकर प िग्च िक |
अंिस् धिवन्ययाँ - (Ó्यंKन) - ्य, र, ल, ि
उÕम धिवन्ययाँ (िण्च) - Kuसे- श, ष, स, ह
.. 8¸चारण कì ŀहĶ से हिन्दी धवहनयŌ का वगणीकरण :
8¸चारण सवात ंÞय - इसम¤ देखया Kयािया हu वक वकसी िण्च अ्िया धिवन कया उचचयार ण सििंÞ्य
रूप से होिया हu अ्िया वकसी दूसरे िण्च की मदद से वKन िणŎ धिवन्यों कया उचचयारण वबनया
वकसी दूसरी धिवन की मदद स े सििंý रूप से होिया हu उनह¤ सिर कहिे ह§ Kuसे – अ, आ,
इ, ई, उ, 9, ए, ?, ओ, औ, :
वKन िणŎ के उचचयारण म¤ सिरों की सहया्यिया ल ेनी पिी हu उसे Ó्यंKन िण्च कहिे ह§ Kuसे -
क िग्च से प िग्च एिं ्य, र, ल, ि, श, ष, स, ह = ३३
वहनदी म¤ कुJ सं्युक्त Ó्यंKन होिे ह§ वKनके वलए कुJ संकेि प्रया्य: प्रचवलि ह§ इसवलए
कभी-कभी उनके मूलÓ्यंKन होने कया Ăम होिया ह u लेवकन िे मूल Ó्यंKन ्यहé हu Kuसे - कz
षz ± = परी±या पररषया िz रz ý पविý, K M = ज् = प्रविज्या = प्रविKzअ, श
रz ® ®म शर z म
मूल Ó्यंKनों की सं´्यया ३३ हu वहनदी म¤ 'P' और 'Q’ कया उचचयारण दो प्रकयार स े वक्यया Kयािया
हu पहलया मूध्चन्य उचचयारण K uसे Pमरू, Pयाक, Pयाकू, Qोल, Qंग और दूसरया वĬसपpटि Kuसे -
- सक, Gोया, अचन, कक, िक, भक
- प
नया, च
नया, ग
, म
नया, दृ
, पी
या, बु
या munotes.in
Page 47
िण्च विचयार : उचचयारण की दृवटि से वहनदी धिवन्यों कया िगगीकरण
47 वĬसपpटि उचचयारण Kीभ कया अगलया भयाग लटकयाकर म ूधया्च म¤ लगयाने से होिया हu इस प्रकयार के
उचचयारण की ओर स ंकेि करने के वलए ि्या
के नीचे वबनदु लगिे हu वKसे नुक्तया कहिे
ह§ उदू्च के प्रभयाि से K और Z कया एक और भी उचचयारण होिया ह u| K कया उचचयारण ियालÓ्य ,
K – दनि ियालÓ्य इसी िरह Z – ओķz्य, - दनिोķz्य K और Z के दूसरे प्रकयार के
उचचयारण की ओर स ंकेि करने के वलए उनके नीचे एक वबनदी (नुकिया) लगयािे हu Kuसे -
- रूरि, हर, वनदगी, Kहया, आयाद, वKद, Kोर, KुÐम
- ZKीहि, रमयाइश, रयार, रमयान, uसलया, ररÔिया, यासलया, सल, ीर,
नकयार
8¸चारण स्ान क े आधार पर : इस िगगीकरण कया आधयार स्यान भ ेद हu मुख के वKस
भयाग से वKस िण्च कया उचचयारण होिया हu, उसे उस िण्च कया उचचयारण स्यान कहिे ह§ Kuसे –
कÁठ, ियालु, मुधया्च, दयाँि, ओķ
9पर के दयाँिों के Kरया पीJे ियालु हu, ियालु के पीJे मूधया्च होिी हu | स्यान भेद से िगŎ कया
िगगीकरण इस प्रकयार ह u -
कÁठz्य – कÁठ से - अ, आ, क, ख, ग, G, H, ह ०८
ियालÓ्य – ियालु से – इ, ई, च, J, K, L, ग, ्य, श = ०९
मूध्चन्य – मूधया्च से – :, ट, ठ, P, Q, ण, र , ष ०८
दनÂ्य – दयाँि से – ि, ्, द, ध, न, ल, स, ०७
ओķz्य – ओठ से – उ, 9, प, Z, ब, भ, म ०७
कÁठ ियालÓ्य – कÁठ - ियालु से – ए, ? = ०२
कठोķ्य - कÁठ - ओठ से – ओ, औ ०२
दनिोķz्य – दयाँि ओठ से – ि ०१
आभयन्तर प्रयतन - 8¸चारण रीहत या प्रयतन क े आधार पर :
इस िगगीकरण कया आधयार उचचयारण रीवि ्यया प्र्यÂन ह u इसम¤ आË्यनिर प्र्यÂन कया प्रमुख
स्यान ह§ िणŎ के उचचयारण की रीवि को प्र्यÂन कहि े ह§ उसम¤ धिवन उÂपनन होने से पहले
ियावगवनद्र्य की Kो वरि्यया होिी हu उसे आË्यनिर प्र्यÂन कहया Kयािया ह u | आË्यनिर प्र्यÂन क े
आधयार पर िणŎ क े चयार भेद वकए गए ह§
i. हववृत : इसके उचचयारण म¤ ियावगवनद्र्य खुली रहिी हu इसम¤ सभी सिर आि े हu Kuसे
अ से औ िक
ii. सपृĶ : इसके उचचयारण म¤ ियावगवनद्र्य बंद रहिी हu Kuसे क से म िक
iii. ईरzत हववृत : इसके उचचयारण म¤ ियावगवनद्र्य कुJ-कुJ खुली रहिी हu Kuसे - ्य, र,
ल, ि munotes.in
Page 48
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
48 iv. ईरतz सपृĶ : इसके उचचयारण म¤ ियावगवद्र्य कुJ-कुJ बंद रहिी हu Kuसे - श, ष, स, ह
बाĻ प्रयतन के आधार पर :
इस िगगीकरण कया आधयार उचचयारण म ¤ होने ियाल बयाĻ प्र्यÂन हu इसम¤ धिवन पूण्च होिी हu
ियावगवनद्र्य की Kो वरि्यया होिी ह u उसे बयाĻ प्र्यÂन कहि े ह§ बयाĻ प्र्यÂन क े अनुसयार िणŎ कया
िगगीकरण दो प्रकयार स े होिया हu
i. अGोष - अGोष िणŎ के उचचयारण म¤ केिल सयाँस के उप्योग होिया ह u इसके उचचयारण
म¤ Gोष अ्या्चि 'नयाद' नहé होिया
ii. Gोष – Gोष िणŎ के उचचयारण म¤ Gोष अ्या्चिz 'नयाद' होिया हu
अGोष िण्च इस प्रकयार हu क िग्च से लेकर प िग्च िक प्र्म ि्या वĬिी्य िण ्च हu ि्या शेष –
श, ष, स = १३ – क, ख, च, J, ट, ठ, ि, ्, प, Z, श, ष, स = १३
शेष सभी Ó्यंKन ि्या सभी सिर Gोष िण ्च, सपश्च िणŎ म¤ प्रÂ्येक िण्च कया िीसरया, चy्या,
पयाँचियाँ िण्च ि्या ्य, र, ल, ि, ह और सयारे सिर कुल वमलयाकर ३१ िण्च
इस िगगीकरण कया आधयार भी बयाह्य प्र्यÂन ह u, इसम¤ िणŎ के दो भेद वकए Kयािे ह§
i. अÐपप्रयाण
ii. महयाप्रयाण
वKन Ó्यंKनों के उचचयारण म¤ ‘ह' की धिवन विशेष रूप से सुनयाई पिी हu िे महयाप्रयाण हu शेष
सभी Ó्यंKन और सिर अÐपप्रयाण होि े ह§
मिाप्राण - महयाप्रयाण धिवन्यों म ¤ प्रÂ्येक सपश्च धिवन (Ó्यंKन) कया दूसरया और चy्या िण्च ि्या
श, ष, स, ह, आिया हu
ख, G, J, L, ठ, Q, ्, ध, Z, भ, श, ष, स, ह = १४
अलपप्राण – इसम¤ पहलया, िीसरया और पयाँचिया ि्या सयारे सिर आिे ह§
क, ग, H. च, K, M ट, H, ण
ि, द, न Z, ब, म ्य, र, ल, ि = १९
अ, आ, इ, ई, उ, 9, :, ए, ?, ओ, औ = ११
हिंदी कì वयंजन धवहनयŌ का वगणीकरण : सभी Ó्यंKन अिरोधी धिवन्ययाँ हu Ó्यंKनों कया
िगगीकरण दो आधयारों पर वक्यया Kयािया ह u, अिरोध वकस स्यान पर होिया ह u और अिरोध
उÂपनन करने ियालया अंग वकस िरह कया प्र्यÂन करिया ह u स्यान ्यया उचचयारण स्यान से
ियाÂप्य्च 9 पर ी K ब े के उन स्यानों से हu Kहयाँ उ चच यारण अि्यि (Kीभ ्यया वनचलया
होंठ) 9पर Kयाकर Z ेZों से आने ियाली िया्यु कया अिरोध करि े ह§ इस दृवटि से 9परी
होठ, 9परी दयाँि, िÂस्च ्यया दनिमूल, कठोर ियालु, मूधया्च, कोमल ियालु ्यया कंठ ि्या सिरिंý
प्रमुख उचचयारण स्यान ह u 9परी होठ ि्या 9परी दया ँि िे स्यान हu Kहयाँ वनचले ओठ Ĭयारया munotes.in
Page 49
िण्च विचयार : उचचयारण की दृवटि से वहनदी धिवन्यों कया िगगीकरण
49 अिरोध उÂपनन वक्यया Kयािया हu Kब वक शेष स्यानों पर वKĽया Ĭयारया अिरोध वक्यया Kयािया हu
इस अिरोध की प्रवरि्यया म ¤ वKĽया की नोक , वKĽया कया अú, मध्य ि्या पIJ भयाग वहससया ल े
सकिे हu
i. हिन्दी वयंजनŌ के स्ान के आधार पर वगणीकरण :
कंठ ्यया कोमल ियाल Ó्य - क, ख, ग, G, H
ियालÓ्य - च, J, K, L, M
मूध्चन्य - ट, ठ, P, Q, ण, ,
, ष
दनÂ्य - ि, ्, द, ध, न
िÂस्य्च - स, K, र, ल
ओķz्य - प, Z, ब, भ, म
दनÂ्योंķz्य - ि, Zz
सिर िंýी्य - ह
ii. हिन्दी वयंजनŌ का प्रयतन के आधार पर वगणीकरण :
प्र्यÂन के आधयार पर Ó्यंKनों के िगगीकरण के वनÌनवलवखि आधयार ह u –
(क) अवरोध कì प्रक ृती के आधार पर -
सपशणी - Kब उचचयारण अि्यि उचचयारण स्यान कया सपश ्च करके िया्यु कया मयाग्च
अिŁĦ करिया ह u िब Kो Ó्यंKन उचचररि होिे ह§, िे सपशगी Ó्यंKन कहे Kयािे ह§
वहंदी म¤ क–िग्च, ट-िग्च, ि-िग्च ि्या प-िग्च के पहले चयार Ó्यंKन सपशगी Ó्यंKन हu
संGरणी - कुJ Ó्यंKनों के उचचयारण म¤ उचचयारण अि्यि इिनया 9पर नहé उठि े वक
िे उचचयारण स्यान कया सपश ्च कर सक¤ िे उनके इिने वनकट आ Kयाि े ह§ वक िया्यु
दोनों के बीच से Gष्चण करिी हòई वनकलिी हu ?से Ó्यंKन संGषगी Ó्यंKन कहे Kयािे ह§
वहंदी म¤ स, श, ष, ह ि्या आगि Ó्य ंKन ख, ग, K ि्या संGषगी Ó्यंKन ह§
सपश्ष संGरणी - वKन Ó्यंKनों के उचचयारण म¤ सपश्च ि्या Gष्चण दोनों प्र्यÂन होि े ह§,
सपश्च संGषगी Ó्यंKन कहे Kयािे ह§ उचचयारण अि्यि उचचयारण स्यान को सपश ्च करने
के बयाद इिने वनकट रह Kयाि े ह§ वक िया्यु Gष्चण करिी हòई ही बयाहर वनकलिी ह u वहंदी
म¤ च-िग्च के सभी Ó्यंKन इसी कोवट म ¤ आिे ह§
अंत3स् - इस कोवट म¤ अध्च-सिर, लुंवठि ि्या पयावĵ ्चक Ó्यंKन आिे ह§
अध्षसवर - इनके उचचयारण म¤ Kीभ सिरों की ि ुलनया म¤ अवधक 9पर उठिी ह u पर
इिनया 9पर नहé Kयािी वक िया्य ु कया मयाग्च अिŁĦ हो सक े वहनदी के ‘्य’ ि्या 'ि'
Ó्यंKन अध्च-सिर ह§ munotes.in
Page 50
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
50 लुंहठत - Kब Kीभ की नोक म ुख के मध्य भयाग म¤ आकर बयार-बयार आगे पीJे वगरिी हu
िो इस प्रकयार उचचयारर ि Ó्यंKन लुंवठि कहे Kयािे ह§ वहंदी म¤ 'र' Ó्यंKन लुंवठि धिवन
कया उदयाहरण ह u
पाहĵ्षक - ्यहयाँ भी Kीभ को नोक मुख के बीच म¤ आकर एक ओर ्यया दोनों ओर पयाĵ ्च
(वखकी) बनयािी ह u और िया्यु इनहé पयाĵ्च से होकर बयाहर वनकलिी ह u वहंदी की 'ल'
धिवन इसकया उदयाहरण ह u
8हत±Į - उव±Į Ó्यंKनों के उचचयारण म¤ Kीभ 9पर उठकर पहल े मूधया्च को सपश्च
करिी हu और वZर िुरंि Lटके से नीचे वगरिी हu वहंदी के ‘’ ि्या ‘
’ Ó्यंKन इसके
उदयाहरण ह§
(ख) सवर तंहत्रयŌ के कंपन के आधार पर -
सGोर त्ा अGोर वय ंजन : हम सबके गले म¤ सिरिंवý्ययाँ होिी ह§ Kब ZेZों से
वनकल कर आने ियाली िया्यु इनसे टकरयािी हu िो ्ये Lंकpि हो Kयािे ह§ और इनम¤
कंपन उÂपनन हो Kयािया ह u कंपन के Zलसिरूप कभी ्य े परसपर वनकट आ Kयािी ह §
िो कभी दूर हो Kयािी हu वKस सम्य ्य े वनकट होिी ह § उस सम्य इनकी Lंकयार की
अनुगूँK (Gोष) भी मुख िक Kयाने ियाली िया्यु म¤ सवÌमवलि हो Kयािी ह u इस सम्य Kो
Ó्यंKन उचचयाररि होि े ह§ उनह¤ संGोष-Ó्यंKन कहया Kयािया ह u अGोष Ó्यंKनों म¤ सिर
िंवý्ययाँ परसपर दूर रहिी हu अि: उनकी अन ुगूँK शयावमल नहé हो पयािी वहंदी म¤ िग्च
के प्र्म दो Ó्यंKन अGोष ह§ और शेष िीनों सGोष
अGोष - क, ख, च, J, ट, ठ, ि, ्, प, Z
सGोष - ग, G, P.,K, L, M, P, Q, ण, द, ध, न, ब, भ, म
(ग) ĵास कì मात्रा के आधार पर -
अलपप्राण त्ा मिाप्राण - वKन Ó्यंKनों के उचचयारण म¤ मुख से कम मयाýया म¤ ĵयास
वनकलिी हu उसे अÐपप्रयाण ि्या वK नम¤ अवधक मयाýया म¤ वनकलिी हu िे महयाप्रयाण
Ó्यंKन कहे Kयािे ह§ वहंदी म¤ िग्च के प्र्म ि्या ि pिी्य अÐपप्रयाण ि्या वĬिी्य एि ं
चिु््च Ó्यंKन महयाप्रयाण ह §
अÐपप्रयाण – क, ग, च, K, ट, H, ि, द, प, ब
महयाप्रयाण – ख, G, J, L, ठ, Q, ्, ध, Z, भ
हिन्दी कì आगत धव हनया1 - Kो धिवन्ययाँ वकसी दूसरी भयाषया के शÊदों के आ Kयाने के
कयारण आ Kयािी ह §, आगि धिवन्यया ँ कही Kयािी हu ि्या उन शÊदों को आगि शÊद
कहिे ह§ वहंदी म¤ भी अरबी, Zयारसी, िुकगी, अंúेी ि्या अनेक ्यूरोपी्य भयाषया शÊद
आ गए ह§ इन शÊदों के मयाध्यम से ?सी धिवन्ययाँ भी वहंदी म¤ आ गई ह§ Kो वहंदी म¤
नहé ्ी आK ्य े आगि शÊद वह ंदी म¤ इस कदर Gुल-वमल गए ह§ वक वकसी को ्यह munotes.in
Page 51
िण्च विचयार : उचचयारण की दृवटि से वहनदी धिवन्यों कया िगगीकरण
51 अहसयास भी नहé होिया वक ्य े वकसी दूसरी भयाषया से आ्ये ह§ | वहंदी म¤ इन आगि
धिवन्यों के वलए नए िण्च भी विकवसि कर वलए गए ह § ्ये इस प्रकयार ह§-
आगत धवहनया 1 8दािरण
< कuप, मuप, पuन आवद
@ कvZी, टvकी, शvप, बvल आवद
्यद्वप मयानक िि ्चनी म¤ ‘<’ को नहé वल्यया ग्यया ह u परंिु ्यवद इसको भी ल े वल्यया Kयाए
िो हम अनेक आगि-शÊदों कया वKनम ¤ ‘<’ सिर उचचयाररि होिया ह u, सही उचचयारण
कर सकिे ह§
आगत वयंजन - आगि Ó्यंKनों के वलए िण्चमयालया म¤ परंपरयागि िणŎ के नीचे वबंदी
लगयाकर वचĹ विकवसि वकए गए ह § ्ये िण्च ह§ - , , , ि्या
Kहयाँ िक उचचयारण कया प्रij ह u प्रया्य: वहंदी भयाषया भयाषी K, Z की िुलनया म¤ , ख
ि्या ग कया उचचयारण नहé करिया ्यया बह òि कम करिया ह u वZर भी इन धिवन्यों कया
महÂि िब अवधक हो Kयािया ह u Kब वहंदी की वनकटििगी धिवन वकसी शÊद म ¤ इनके
Ó्यविरेक म¤ आ Kयािी हu -
Kuसे -
ियाक (ियाकनया) खयानया (भोKन) सKया (सKयानया)
ियाक (दीियार कया आलया) खयानया (अलमयारी कया खयानया ) सKया (दंP)
बयाग (Gोे की) Zन (सयाँप कया) Kरया (बु
यापया)
बया (बवग्यया) न (हòनर) Kरया (्ोया)
.४. सारांश :
प्रसिुि इकयाई कया उĥ ेÔ्य ्या आपको वहनदी भयाषया की 'धिवन-Ó्यिस्या' से पररवचि करयानया
इसी वहंदी की खंPेिर धिवन्यों अन ुियान, बलयाGयाि, संवहिया, मयाýया, अनुनयावसकिया आवद कया
भी सं±ेप म¤ पररच्य करया्यया ग्यया | इसके अलयािया आप को परंपरयागि सिवनम विज्यान ि्या
वनÕपयादक सिवनम विज्यान की अिधयारणयाओ ं कया िुलनयाÂमक पररच्य वद्यया ग्यया ह u और ्यह
भी सपटि वक्यया ग्यया वक वनÕपयादक सिवनन विज्यान क े वसĦयांिों के आधयार पर हम वकसी भी
भयाषया की सिवनवमक Ó्यिस्या को विसियार स े और गहरयाई स े सपटि कर सकिे ह§ वनÕपयादक
सिवनम विज्यान क े अंिग्चि इसकी प्रमुख संकÐपनयाओं 'अवभÓ्यवक्त' के विवभनन सिर
'अवभल±ण’, 'सिवनवमक वन्यम' ि्या उनकी 'लेखन विवध' कया भी आपने विसिpि Kयानकयारी
प्रयाĮ की
इकयाई के अंविम खंP म¤ वहंदी की प्रमुख सिवनवमक समस्ययाओ ं- अ- लोपी
की
समस्यया, नयावस³्य धिवन्यों की समस्यया ि्या महयाप्रयाण Ó्य ंKनों की समस्यया कया भी विसि pि munotes.in
Page 52
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
52 पररच्य वद्यया ग्यया इन वन्यमों को Kयानकर अब अवह ंदी भयाषी Jयाý शÊदों कया मयाि pभयाषया-भयाषी
के सयामन उचचयारण कर सकि े ह§
.. लGु°रीय प्रश्न :
१. Ó्ययाकरण की सबसे Jोटी इकयाई ह§?
उ°र : धिवन
२. िणŎ के उचचयारण के वलए सिरों की सहया्यिया लेनी पिी हu, उसे ³्यया कहया Kयािया ह§?
उ°र : Ó्यंKन
३. अनुसियार कया उचचयारण वकिने प्रकयार से होिया हu?
उ°र : Jह प्रकयार से
४. सिरों के िगगीकरणों म¤ से 'आ' सिर वकसम¤ आिया ह§?
उ°र : मुल दीG्च सिर
५. वहंदी म¤ 'P' और '
' कया उचचयारण वकिने प्रकयार से वक्यया Kयािया ह§?
उ°र : दो प्रकयार से
६. वकसके उचचयारण म¤ ियावगवनद्र्य खुली रहकर उसम¤ 'अ' से 'औ' िक सिर आिे ह§?
उ°र : वििp°
.. दीGō°रीय प्रश्न :
१. वहनदी धिवन्यों के पररप्रेà्य म¤ िण्च विचयार को सपटि कीवKए
२. वहनदी के प्रमुख सिर धिवन्यों कया पररच्य दीवKए |
३. वहनदी की Ó्यंKन धिवन्यों कया पररच्य दीवKए
.. संदभ्ष úं् :
१. भयाषया विज्यान - Pv. भोलयानया् विियारी
२. भयाषया-विज्यान एिं भयाषयाशयाľ – Pv. कवपल देि वĬिेदी
३. भयाषया विज्यान के अधुनयािम आ्ययाम - Pv. अंबयादयास देशमुख
४. वहनदी भयाषया, Ó्ययाकरण और रचनया - Pv. अKु्चन विियारी
५. सयामयान्य भयाषया विज्यान – Pv. बयाबुरयाि स³सेनया
६. आधुवनक भयाषया विज्यान के वसĦयांि - Pv. रयाम वकशोर शमया्च
७. सयामयान्य भयाषया विज्यान - Pv. बयाबूरयाम स³सेनया
८. वहंदी भयाषया कया इविहयास - धीर¤द्र िमया्च
7777777munotes.in
Page 53
53
कारक के भेद एवं 8सकì हवभहक्तया1
इकाई कì Łपरेखा
७.० इकयाई कया उĥेÔ्य
७.१ प्रसियािनया
७.२ कयारक के भेद एिं उसकी विभवक्त्ययाँ
७.३ सयारयांश
७.४ लGु°री्य प्रij
७.५ दीGō°री्य प्रij
७.६ संदभ्च úं्
.० इकाई का 8ĥेÔय :
प्रसिुि इकयाई म¤ वनÌनवलवखि वबंदुओं कया Jयाý अध्य्यन कर¤गे
• कयारक की पररभयाषया को Jयाý Kयान सक¤गे
• कयारक के प्रमुख भेदों कया अध्य्यन कर¤गे
• विभवक्त्यों को पररभयावषि करने के बयाद विभवक्त ³्यया ह§ उसे Jयाý समL Kया्य¤गे
• कयारक और विभवक्त म¤ अनिर ³्यया ह§ उसे Jयाý Kयान सक¤गे
.१ प्रसतावना :
संज्या ्यया सि्चनयाम के वKस रूप से िया³्य के अन्य शÊदों क े सया् उनकया स ंबंध सूवचि हो,
उसे ्यया उस रूप को कयारक कहि े ह§ अ्िया संज्या ्यया सि्चनयाम के वKस रूप से उनकया
(संज्या ्यया सि्चनयाम) कया वरि्यया से संबंध सूवचि हो उसे कयारक कहिे ह§ कयारकों के बोध हेिु
संज्या ्यया सि्चनयाम के आगे Kो प्रÂ्य्य (वचनह) लगयाए Kयाि े ह§, उनह¤ हम Ó्ययाकरण म ¤ विभवक्त्ययाँ
कहिे ह§
.२ कारक के भेद एवं 8सकì हवभहक्तया1 :
कारक : संज्या और सि्चनयाम के वKस रूप को िया³्य क े दूसरे शÊद से Kोया Kयािया ह u उसे
कयारक कहिे ह§ munotes.in
Page 54
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
54 संज्या ्यया सि्चनयाम कया कयारक रूप बनयाने के वलए वKस प्रÂ्य्य कया प्र्योग करि े ह§, उसे विभवक्त
कहिे ह§ संज्ा हवभहक्त कारक Ⱥ. बयालक ने बयालक ने (किया्च कयारक) ȺȺ. लPकी को लPकी को (कम्च कयारक) ȺȺȺ. कु°या से, Ĭयारया कु°े से (करण कयारक) Ⱥɇ. लPकी को, के वलए लPकी को (सÌप्रदयान कयारक) ɇ. कु°या से कु°े से (अपयादयान कयारक) Vi रमेश कया, के, की रमेश कया, के, की (संबंध कयारक) VȺȺ. ्यह ने इसने (किया्च कयारक) VȺȺȺ. िे को उनको (कम्च कयारक) Ⱥɉ. Kो मे, पर वKससे, वKस पर (अवधकरण) वहनदी म¤ कुल J: विभवक्त्यया ँ हu िे इस प्रकयार ह§ – ने, को, से, कया, के, की, म¤, पर आवद
विभवक्त्यों कया कया्य ्च हu िया³्य को दो शÊदों क े बीच संबंध स्यावपि करनया इन विवभनन
प्रकयार के संबंधों को Ó्यक्त करने के वलए वहनदी म¤ विभवक्त्ययाँ नहé हu इसवलए संबंध सूचक
अÓ्य्य कया प्र्योग करनया पिया ह u
Kuसे - िेरे Gर के सयामने, दद्च के मयारे, नदी की ओर, मंवदर के पयास, नहयाने के वलए, इनम¤
रेखयांवकि शÊद संबंध सूचक शÊद हu वहनदी म¤ विभवक्त संज्या ्यया सि्चनयाम के सया् Kोकर
वलखी Kयाए अ्िया प p्क करके वलखी Kयाए, ्यह विष्य विियादयासपद ह u प्रया्य: ्यह मयानया
Kयािया हu वक संज्याओं के सया् विभवक्त कया प्र्योग करि े सम्य िे अलग वलखी Kयाए ँ Kuसे
लके ने, मंवदर म¤, भगियान को, वकनिु सि्चनयाम के सया् प्र्योग करि े सम्य उनको Kोकर
वलखया Kयाए Kuसे - मेरया, मुLम¤, िुमने, उसको
कारकŌ के कुल आठ भेद हकए जाते ि§ -
१. कता्ष कारक :
िया³्य म¤ वKस िसिु के विष्य म¤ विधयान वक्यया Kयािया ह u उसे सूवचि करनेियाले संज्या
्यया सि्चनयाम रूप को किया ्च कयारक कहिे ह§ | इसके अवधकयांश प्र्योगों म¤ विभवक्त नहé
आिी |
Kuसे - आदमी ने कयाम वक्यया
मेहमयान अभी चले ग्ये munotes.in
Page 55
कयारक के भेद एिं उसकी विभवक्त
55 िह अब िक नहé आई
कोई गया रहया हu
Kब सकम्चक वरि्यया भूिकयाल म¤ होिी हu िब किया्च के सया् प्रया्य: 'ने' विभवक्त आिी ह §
Kuसे - आदमी ने कयाम वक्यया
मेहमयानों ने कमयाल कर वद्यया
उसने वनबंध नहé वलखया
इसने बहòि बी गÐिी की
किया्च कयारक 'ने' विभवक्त के विष्य म¤ मि भेद हu कुJ विĬयान उसकी कयारक Ó्युÂपव°
संसकpि के करण कयारक की विभवक्त क े 'नया' प्रÂ्य्य के रूपयानिर से मयानिे ह§ | ्यया
प्रयाकpि के '्य¤' से ्यया अपĂंश के 'ए' के एकिचन से कुJ विĬयान इसकी Ó्युÂपव°
मयारियाी 'पवIJमी वहनदी भयाषया क े 'नu' ्यया ' ने' से इस प्रकयार 'ने' की Ó्युÂपव° म¤ भी
विĬयानों म¤ मिभेद हu किया्च कयारक की रचनया इस प्रकया र हu –
कारक कì हवभाहक्त -
Ⱥ. पुहललंगी संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बuल – अ बuल ने बuलों ने लPकया – आ लPके ने लPकों ने कवि – इ कवि ने कवि्यों ने आदमी – ई आदमी ने आदवम्यों ने सयाधु – उ सयाधु ने सयाधुओं ने Pयाकू – 9 Pयाकू ने Pयाकुओं ने ii. ľीहलंग संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बहन बहन ने बहनy ने मयालया मयालया ने मयालयाओं ने विव् विव् ने विव््यों ने munotes.in
Page 56
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
56 नदी नदी ने नवद्यों ने िसिु िसिु ने िसिूओं ने बहó बहó ने बहòओं ने गy गy ने गyओं ने २. कम्ष कारक :
वKस िसिु पर वरि्यया के Ó्ययापयार कया बल पिया ह u उसे सूवचि करने ियालया संज्या ्यया
सि्चनयाम के रूप को कम्च कयारक कहिे हu इसकी विभवक्त ‘को’ हu
Kuसे - रयाKया ने हया्ी को देखया
रयाKया ने हया्ी देखया
मयाँ ने बचचे को उठया्यया
मयाँ ने बचचया उठया्यया
'को' विभवक्त के विष्य म¤ भी विĬयानों म¤ मिभेद ह§ कुJ विĬयान Ó्युÂपव° संसकpि के
कpिम से मयानिे ह§ उनके अनुसयार संसकpि कया कpिम प्रयाकpि म¤ ‘करिो’ वZर इको
होकर 'को' हो ग्यया कुJ विĬयान ‘को’ विभवक्त कया सÌबनध स ंसकpि के 'क±मz'
(वनकट) से मयानिे ह§ कम्च कयारक की 'को' विभवक्त Kोकर स ंज्याएँ की कयारक रचनया
इस प्रकयार होिी ह§
Ⱥ. पुहललंगी संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बuल बuल को बuलों को लPकया लPके को लPकों को कवि कवि को कवि्यों को आदमी आदमी को आदवम्यों को सयाधु सयाधु को सयाधुओं को Pयाकू Pयाकू को Pयाकुओं को
munotes.in
Page 57
कयारक के भेद एिं उसकी विभवक्त
57 ȺȺ. ľीहलंग संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बहन बहन को बहनों को मयालया मयालया को मयालयाओं को विव् विव् को विव््यों को नदी नदी को नवद्यों को िसिु िसिु को िसिुओं को बहó बहó को बहòओं को गy गy को गyओं को
. करण कारक :
करण कयारक स ंज्या ्यया सि्चनयाम के उस रूप को कहि े ह§ वKससे वरि्यया के सयाधन कया
बोध होिया हu
Kuसे - वसपयाही चोर को रससी से बयाँध देिया हu
हम कलम से वलखिे ह§
कुJ विĬयान ‘से’ की Ó्युÂपव° संसकpि के 'सममz’ (सयाध) अÓ्य्य से मयानिे ह§ कुJ
विĬयान इसकी Ó्युÂपव° प्रयाकpि के ‘संिों > सुंिो > से’ से मयानिे ह§
Ⱥ. पुहललंगी संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बuल बuल से बuलों से लPकया लPके से लPकों से कवि कवि से कवि्यों से आदमी आदमी से आदवम्यों से सयाधु सयाधु से सयाधुओं से Pयाकू Pयाकू से Pयाकुओं से munotes.in
Page 58
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
58
ȺȺ. ľीहलंग संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बहन बहन से बहनों से मयालया मयालया से मयालयाओं से विव् विव् से विव््यों से नदी नदी से नवद्यों से िसिु िसिु से िसिुओं से बहó बहó से बहòओं से गy गy से गyओं से ४. सÌप्रदान कारक :
वKस िसिु के वलए कोई वरि्यया की Kयािी हu, उस िसिु की ियाचक संज्या ्यया सि्चनयाम
को सÌप्रदयान कयारक कहिे ह§ इसकया प्र्योग वĬकम्चक वरि्यया के वलए वक्यया Kयािया हu
Kब िया³्य म¤ दो कम्च होिे ह§, िब मु´्य कम्च कयारक और गyण कम्च सÌप्रदयान कयारक
म¤ होिया हu
Kuसे -
Ⱥ. रयाKया ने āयाÌहण को धन वद्यया
मु´्य कम्च - धन गyण कम्च - āयाÌहण
ȺȺ. अध्ययापक Jयाýों को कहयानी प
याि े ह§
मु´्य कम्च - कहयानी गyण कम्च – Jयाý
Ⱥ. पुहललंगी संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बuल बuल को, के वलए बuलों को, के वलए लPकया लPके को, के वलए लPकों को, के वलए कवि कवि को, के वलए कवि्यों को, के वलए आदमी आदमी को, के वलए आदवम्यों को, के वलए सयाधु सयाधु को, के वलए सयाधुओं को, के वलए Pयाकू Pयाकू को, के वलए Pयाकुओं को, के वलए munotes.in
Page 59
कयारक के भेद एिं उसकी विभवक्त
59 ȺȺ. ľीहलंग संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बहन बहन को, के वलए बहनों को, के वलए मयालया मयालया को, के वलए मयालयाओं को, के वलए विव् विव् को, के वलए विव््यों को, के वलए नदी नदी को, के वलए नवद्यों को, के वलए िसिु िसिु को, के वलए िसिुओं को, के वलए बहó बहó को, के वलए बहòओं को, के वलए गy गy को, के वलए गyओं को, के वलए . अपादान कारक :
संज्या ्यया सि्चनयाम के उस रूप को वKसस े अन्य संज्या से उसके अलग होने के भयाि
की सूचनया वमलिी हu उसे अपयादयान कयारक कहि े ह§
Kuसे – पहया से नदी वनकलिी ह u
बयादलों से पयानी बरसिया हu
'से' के Ó्युÂपव° संसकpि के सममz (सया्) अÓ्य्य स े मयानया Kयािया ह u कुJ विĬयान
इसकी Ó्युÂपव° प्रयाकpि के ‘संिो, सुंिो, से’ से मयानिे ह§ उदयाहरण -
Ⱥ. पुहललंगी संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बuल बuल से बuलों से लPकया लPके से लPकों से कवि कवि से कवि्यों से आदमी आदमी से आदवम्यों से सयाधु सयाधु से सयाधुओं से Pयाकू Pयाकू से Pयाकुओं से
munotes.in
Page 60
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
60 ȺȺ. ľीहलंग संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बहन बहन से बहनों से मयालया मयालया से मयालयाओं से विव् विव् से विव््यों से नदी नदी से नवद्यों से िसिु िसिु से िसिुओं से बहó बहó से बहòओं से गy गy से गyओं से . संबंध कारक :
संज्या ्यया सि्चनयाम के वKस रूप से ियाच्य िसिु कया संबंध वकसी दूसरी िसिु के सया्
सूवचि होिया हu संज्या ्यया सि्चनयाम के उस रूप को संबंध कयारक कहि े ह§
उदयाहरण - रयामलयाल की बेटी बीमयार हu
अमीरों के Gर म¤ वकस बयाि की कमी ह u
Ⱥ. पुहललंगी संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बuल बuल कया, के, की बuलों कया, के, की लPकया लPके कया, के, की लPकों कया, के, की कवि कवि कया, के, की कवि्यों कया, के, की आदमी आदमी कया, के, की आदवम्यों कया, के, की सयाधु सयाधु कया, के, की सयाधुओं कया, के, की Pयाकू Pयाकू कया, के, की Pयाकुओं कया, के, की
ȺȺ. ľीहलंग संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बहन बहन कया, के, की बहनों कया, के, की मयालया मयालया कया, के, की मयालयाओं कया, के, की विव् विव् कया, के, की विव््यों कया, के, की नदी नदी कया, के, की नवद्यों कया, के, की िसिु िसिु कया, के, की िसिुओं कया, के, की munotes.in
Page 61
कयारक के भेद एिं उसकी विभवक्त
61 बहó बहó कया, के, की बहòओं कया, के, की गy गy कया, के, की गyओं कया, के, की संबंधकयारक की विभवक्त ह u ‘कया’ वलंग और िचन के कयारण इस के 'की' के रूप हो गए
ह§
Kuसे - बuल कया, बuल की, बuलों के लके कया, लके की, लकों के
'कया' विभवक्त की Ó्युÂपव° संसकpि के 'कpि' और प्रयाकpि के केरओ, केररआ, केरक,
केर से मयानी Kयािी हu इनहé से िि्चमयान वहनदी के - कया, की, के प्रÂ्य्य बने ह§
आवद-कयालीन रसों कयाÓ्य की प्रयाचीन वहनदी क े ‘केरया', 'करो' आवद प्रÂ्य्यों से वहनदी
सि्चनयामों के 'रया',’री', 'रे' प्रÂ्य्य बने ह§ वKनम¤ 'आध' अ±र 'क' कया लोप हो Kयािया ह u
. अहधकरण कारक :
संज्या ्यया सि्चनयाम कया िह रूप वKसस े वरि्यया के आधयार कया बोध होिया ह u, अवधकरण
कयारक कहलयािया ह u
Kuसे – वसंह िन म¤ रहिया
बंदर पेों पर च
रहे ह§
‘म¤’ की Ó्युÂपव° संसकpि के 'मध्ये' से हòई हu
Kuसे - मध्ये > मºLे > मवºL > मयावह > मवह > म¤
कुJ विĬयान इसे प्रयाकpि ‘वÌम’ कया अपĂंश मयानिे ह§ 'पर' की Ó्युÂपव° संसकpि के
'उण्चर' से हòई ह§
Ⱥ. पुहललंगी संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बयालक बयालक म¤, पर बयालकों म¤, पर लPकया लPके पर, म¤ लPकों म¤, पर कवि कवि म¤, पर कवि्यों म¤, पर आदमी आदमी म¤, पर आदवम्यों म¤, पर सयाधु सयाधु म¤, पर सयाधुओं म¤, पर भयालू भयालू म¤, पर भयालूओं म¤, पर munotes.in
Page 62
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
62 ȺȺ. ľीहलंग संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बहन बहन म¤, पर बहनों म¤, पर मयालया मयालया म¤, पर मयालयाओं म¤, पर विव् विव् म¤, पर विव््यों म¤, पर नदी नदी म¤, पर नवद्यों म¤, पर िसिु िसिु म¤, पर िसिुओं म¤, पर बहó बहó म¤, पर बहòओं म¤, पर गy गy म¤, पर गyओं म¤, पर ८. सÌबोधन कारक :
संज्या के वKस रूप से वकसी को पुकयारनया सूवचि होिया हu, उस रूप को सÌबोधन
कयारक कहिे ह§ इसम¤ विभवक्त कया प्र्योग नहé होिया हu
Kuसे - हे रयाम!
Ⱥ. पुहललंगी संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बuल हे बuल! हे बuलों! लPकया हे लPके! हे लPकों! कवि हे कवि! हे कवि्यों! आदमी हे आदमी! हे आदवम्यों! सयाधु हे सयाधु! हे सयाधुओं! भयालू हे भयालू! हे भयालूओं! !
ȺȺ. ľीहलंग संज्ाए1 - संज्ाए1 एकवचन बिòवचन बहन हे बहन! हे बहनों! मयालया हे मयालया! हे मयालयाओं! रीवि हे रीवि! हे रीवि्यों! नदी हे नदी! हे नवद्यों! िसिु हे िसिु! हे िसिुओं! बहó हे बहó! हे बहòओं! गy अरी गy! अरी गyओं! इस प्रकयार से कयारक के भेद और उसकी विभवक्त्ययाँ रहé ह§ munotes.in
Page 63
कयारक के भेद एिं उसकी विभवक्त
63 . सारांश :
संज्या ्यया सि्चनयाम के वKस रूप से िया³्य के अन्य शÊदों के सया् उनकया संज्या ्यया सि्चनयाम कया
संबंध सूवचि हो उसे (उस रूप को) कयारक कहिे ह§ वहनदी म¤ कयारक आठ ह § और कयारकों
के बोध के वलए संज्या ्यया सि्चनयाम के आगे Kो प्रÂ्य्य (वचनह) लगया्ये Kयािे ह§, उनह¤ Ó्ययाकरण
म¤ विभवक्त्ययाँ कहिे ह§ शÊद और पद िया³्य स े अलग रहने ियाले शÊदों को ‘शÊद’ कहिे ह§,
वकनिु Kब वकसी िया ³्य म¤ वपरो वदए Kयाि े ह§, िब िे पद कहलयािे ह§ शÊद सया््चक और
वनर््चक दोनों हो सकि े ह§
.४ लGु°रीय प्रश्न :
१. संज्या ्यया सि्चनयाम कया कयारण रूप बनयाने के वलए वकसकया प्र्योग करिे हu?
उ°र: प्रÂ्य्य
२. वहंदी म¤ कुल वकिनी विभवक्त्ययाँ हu?
उ°र: Jह
३. कयारक के भेद वकिने हu?
उ°र: आठ
४. करण कयारक म¤ ‘से’ की Ó्युÂपव° संसकpि के वकस अÓ्य्य से मयानिे हu?
उ°र: सममz (सयाध)
५. कम्च कयारक म¤ कyनसी विभवक्त हu?
उ°र: को
६. वKस िसिु के वलए कोई वरि्यया की Kयािी हu, उस िसिु की ियाचक संज्या ्यया सि्चनयाम
को ³्यया कहया Kयािया हu?
उ°र: सÌप्रदयान कयारक
. दीGō°रीय प्रश्न :
१. कयारक को पररभयावषि करि े हòए उसके प्रमुख भेदों कया उÐलेख कीवKए |
२. कयारक के वकिने भेद हu सपटि कीवKए
३. कयारक एिं उसकी विभवक्त्यों पर प्रकयाश Pयावलए
४. किया्च कयारक को सोदयाहरण समLयाइए |
५. करण कयारक म ¤ पुवÐलंगी एिं ľीवलंगी संज्याओं को सपटि कीवKए munotes.in
Page 64
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
64 . संदभ्ष úं् :
१. भयाषया विज्यान - Pv. भोलयानया् विियारी
२. भयाषया-विज्यान एिं भयाषयाशयाľ – Pv. कवपल देि वĬिेदी
३. भयाषया विज्यान क े अधुनयािम आ्ययाम - Pv. अंबयादयास देशमुख
४. वहनदी भयाषया, Ó्ययाकरण और रचनया - Pv. अKु्चन विियारी
५. सयामयान्य भयाषया विज्यान – Pv. बयाबुरयाि स³सेनया
६. आधुवनक भयाषया विज्यान क े वसĦयांि - Pv. रयाम वकशोर शमया ्च
७. सयामयान्य भयाषया विज्यान - Pv. बयाबूरयाम स³सेनया
८. वहंदी भयाषया कया इविहयास - धीर¤द्र िमया्च
7777777
munotes.in
Page 65
65
संज्ा : łपांतर के आधार
इकाई कì Łपरेखा
८.० इकयाई कया उĥेÔ्य
८.१ प्रसियािनया
८.२ संज्या की पररभयाषया, अ््च
८.३ संज्या म¤ रूपयांिर के आधयार
८.४ सयारयांश
८.५ लGु°री्य प्रij
८.६ दीGō°री्य प्रij
८.७ संदभ्च úं्
८.० इकाई का 8ĥेÔय :
इस इकयाई के अध्य्यन के पIJयािz Jयाý वनÌनवलवखि वबंदुओं से पररवचि होंगे
• संज्या के भेद को Kयान पयाएंगे
• संज्या के रूपयांिर कया Jयाý अध्य्यन कर¤गे
• पद-पररच्य की Kयानकयारी हयावसल कर¤गे
८.१ प्रसतावना :
'संज्या' उस विकयारी शÊद को कहिे ह§ वKससे वकसी विशेष िसिु, भयाि और Kीि के नयाम कया
बोध हो ्यहयाँ ‘िसिु' शÊद कया प्र्योग Ó्ययापक अ््च म¤ हòआ हu, Kो केिल ियाणी और पदया््च कया
ियाचक नहé, िरन उनके धमŎ कया भी सूचक हu सयाधयारण अ््च म¤ `िसिु' कया प्र्योग इस अ््च
म¤ नहé होिया अि: िसिु के अनिग्चि प्रयाणी, पदया््च और धम्च आिे ह§ इनहé के आधयार पर
संज्या के भेद वकए गए ह§
८.२ संज्ा के भेद :
संज्या के भेदों के संबंध म¤ िu्ययाकरणों कया एक मि नहé ह§ वZर भी उसके अवधक°र पयाँच भेद
सिीकयार वकए हu िे भेद वनÌनवलवखि ह§ - munotes.in
Page 66
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
66 संज्या के पयाँच भेद हu –
i जाहतवाचक संज्ा - वKसम¤ वकसी Kयावि के सÌपूण्च पदया्Ŏ कया बोध होिया हu, उसे
Kयाविियाचक संज्या कहिे ह§ Kuसे - लकया, पहया, गया्य
ii वयहक्तवाचक संज्ा – वKस शÊद से वकसी एक ही Ó्यवक्त कया पिया चलिया हu, उसे
Ó्यवक्तियाचक संज्या कहिे ह§ Kuसे - गंगया, वहमयाल्य आवद Ó्यवक्तियाचक संज्या के विष्य
म¤ प्रया्य: ्यह प्रij उठिया हu वक संज्याएँ सया््चक होिी हu ्यया वनर््चक अ्या्चि वकसी Ó्यवक्त
कया नयाम उसके गुण विशेषियाएं आवद के अनुसयार होिया हu ्यया गुण, विशेषियाएं Ó्यवक्त
के नयाम म¤ वकसी भी प्रकयार की समयानिया नहé होिी वहनदी म¤ एक कहयािि हu –
‘आँख कया अंध नयाम न्यन सुख’ प्रया्य: Ó्यवक्तियाचक संज्याओं के सया् ?सी बयाि¤ देखी
Kयािी हu – Kuसया नयाम होिया हu, िuसे िे नहé होिे – लकों के नयामों म¤ महयाबीर,
विद्याधर और लवक्यों के नयाम – सरलया, कलयाििी, कवलकया, वसमिया आवद नयाम
इस दृवटि से दश्चनी्य हu महयािीर नयाम धयारण करने ियाले Ó्यवक्त के वलए ्यह Kरूरी
नहé वक िह बहòि बहयादुर हो, िह बहòि दुबलया- पिलया भी हो सकिया हu सरलया नयाम
की लकी बी चयालयाक भी हो सकिी हu इस दृटिी से Ó्यवक्तियाचक संज्याएं अ््च हीन
होिी ह§, वकनिु ?सया नहé हu वक िे एकदम वनर््चक ही हों इसकया कयारण ्यह हu वक
नयाम रखिे सम्य प्रÂ्येक मयािया-वपिया की इचJया रहिी हu वक उसकी संियान अपने नयाम
को सया््चक करे और संियान¤ मोिी के Kियाहर की िरह अपने नयाम को सया््चक भी
करिी ह§ ियासिि म¤ नयाम को सया््चक न करनया अलग ही बयाि हu Ó्यवक्त-ियाचक
संज्याओं के संबंध म¤ ?से प्रij कया कोई मिलब नहé होिया
iii. भाववाचक संज्ा – वKस शÊद से पदया््च म¤ पयाए Kयाने ियाले वकसी धम्च कया बोध होिया
हu उसे भयािियाचक संज्या कहिे ह§ Kuसे – वमठयास, चिुरयाई, मुख्चिया, भोलयापन
iv. समूिवाचक संज्ा – वKससे वकसी समूह कया बोध होिया हu, उसे समूह ियाचक संज्या
कहिे ह§ Kuसे - भी, क±या, सेनया, सभया, पुवलस, Kुलुस
v. द्रवयवाचक संज्ा - वKससे वकसी द्रÓ्य ्यया पदया््च कया बोध होिया हu, उसे द्रÓ्यियाचक
संज्या कहिे ह§ Kuसे - श³कर, दूध, गेहóं, शरबि
८. संज्ा : łपांतर के आधार
संज्या म¤ रूपयांिर के िीन आधयार होिे ह§ -
१. िचन
२. वलंग
३. कयारक munotes.in
Page 67
संज्या : रूपयांिर के आधयार
67 १. वचन के कारण संज्ाBं म¤ िोने वाला łपांतर :
वहनदी म¤ दो िचन हu, एक िचन एिं बहòचिन िचन के कयारण संज्याओं म¤ कई बयार
पररिि्चन होिया हu सभी संज्याएँ ्यया िो पुवÐलंग होिी ह§ ्यया ľीवलंग ľीवलंग की
संज्याओं कया बहòिचन करने के विष्य म¤ अलग-अलग वन्यम ह§ पुवÐलंग की संज्याओं
कया बहòिचन करने के बयारे म¤ केिल एक ही वन्यम हu आकयारयानि पुवÐलंग संज्याएँ
बहòिचन म¤ एकयारयानि हो Kयािी हu Kuसे - बेटया - बेटे, लकया - लके, Gोया - Gोे,
कु°या - कु°े
वकनिु कुJ आकयारयानि पुवÐलंग संज्या म¤ अपियाद भी ह§ - Kuसे वपिया, चयाचया, मयामया,
कयाकया, ्योĦया, रयाKया, िक्तया, नेिया
आकयारयानि पुवÐलंग संज्याओं को Jोकर पुवÐलंग अन्य संज्याओं म¤ िचन के कयारण
रूपयांिर नही होिया हu Kuसे -
एकवचन बिòवचन
बuल (अकयारयानि) बuल
कवि (ईकयारयानि) कवि
भयाई (ईकयारयानि) भयाई
सयाधु (उकयारयानि) सयाधू
Pयाकू (अकयारयानि) Pयाकू
वहनदी म¤ उदू्च से आ्यी हòई कुJ संज्याए भी प्रचलवि ह§ उनकया बहòिचन बहòि बयार
अलग ही Qंग से वक्यया Kयािया हu
एकवचन बिòवचन
मकयान मकयानयाि
कयागK कयागKयाि
अZसर अZसरयान
ख्ययाल ख्ययालयाि
लेवकन इस प्रकयार से बहòिचन बनयाने की प्रिpव° समयाĮ हो रही हu और वहनदी
Ó्ययाकरण के वन्यमों के अनुसयार इनकया बहòिचन करने की आधुवनक प्रिpव° हu
ľीवलंग संज्याओं के बहòिचन बनयाने के वन्यम इस प्रकयार ह u -
i. अकयारयानि संज्याएँ बहòिचन म¤ एकयारयानि हो Kयािी ह u Kuसे - बहन-बहने, गया्य-
गया्य¤ munotes.in
Page 68
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
68 ii. अकयारयानि संज्याओं कया बहòिचन बनयािे सम्य मूल संज्या के सया् `एँ' Kोया
Kयािया हu इस वन्यम के कुJ शÊद अपियाद भी ह u Kuसे - वचव्यया - वचव्ययाँ,
गुव्यया - गुव्ययाँ
iii. इकयारयानि संज्याओं कया बहòिचन करिे सम्य मूल संज्या के सया् `्ययाँ' Kोया
Kयािया हu Kuसे - विव् - विव््ययाँ, मूवि्च - मूवि्च्ययाँ
iv. इकयारयानि संज्याओं कया बहòिचन करिे सम्य `ई' के स्यान पर 'ई' आिी हu और
मूल शÊद के सया् `्ययाँ' Kोया Kयािया हu Kuसे – लकी - लवक्ययाँ, नयारी -
नयारी्ययाँ, दयासी - दयावस्ययाँ
v. उकयारयानि संज्याओं कया बहòिचन करिे सम्य मूल संज्या के सया् ‘एँ' Kोया
Kयािया हu Kuसे िसिु - िसिुएँ
vi. 9कयारयानि संज्याओं कया बहòिचन करिे सम्य `9' के स्यान पर `उ' और मूल
संज्या के सया् ‘एँ' Kोया Kयािया हu Kuसे - बहó - बहòएँ, िधू - िधुएँ आवद
vii. औकयारयानि संज्याओं कया बहòिचन करिे सम्य मूल संज्या के सया् ‘एँ' Kोया
Kयािया हu Kuसे - गy - गyएँ
२. हलंग के कारण łपान्त र :
वहनदी म¤ दो ही वलंग हu - ľीवलंग और पुवÐलंग पुवÐलंग संज्याओं म¤ बहòि बयार प्रÂ्य्य
लगयाकर ľी वल ंग वक्यया Kयािया ह u कुJ प्रमुख प्रÂ्य्य इस प्रकयार ह u - आ, ई, इ्यया,
इन, नी, आनी, आइन उदयाहरण -
वप्र्यिम वप्र्यिमया (आ)
बेटया बेटी (ई)
बू
या बुव
्यया (इ्यया)
कहयार कहयाररन (इन)
शेर शेरनी (नी)
देिर देिरयानी (आनी)
ठयाकुर ठकुरयाइन (आइन)
कभी-कभी मूल ľीवलंग की संज्याओं म¤ प्रÂ्य्य लगयाकर पुवÐलंगी संज्या बनयाई Kयािी हu Kuसे
- भuस-भuसया (आ), बहन-बहनोई (ओई) कुJ संज्याओं म¤ अरबी भयाषया कया `ह' प्रÂ्य्य Kोकर
भी उनकया ľीवलंग रूप बनया्यया Kयािया हu Kuसे - मयावलक - मयावलकह (मवÐलकया) सयाहब -
सयावहबह (सयाह बया)
munotes.in
Page 69
संज्या : रूपयांिर के आधयार
69 . कारक के कारण łपांतर :
संज्या म¤ कयारक के कयारण रूपयानिर होिया हu
कारक : संज्या ्यया सि्चनयाम के वKस रूप से उसकया संबंध िया³्य के वकसी दूसरे शÊद
के सया् Kोया Kयािया हu, उसे कयारक कहिे ह§
वहनदी म¤ आठ कयारक ह§ - आठ कयारक और उसकी विभवक्त्ययाँ इस प्रकयार ह§ -
कारक हवभहक्तया1
किया्च कयारक ने
कम्च कयारक को
करण कयारक से, Ĭयारया
सÌप्रदयान कयारक को, के वलए
अपयादयान कयारक से
संबंध कयारक कया, के, की, नया, ने, रया, रे, री,
अवधकरण कयारक म¤, पर
संबोधन कयारक हे, अरे, वJ, ्ू, हट, हो
कयारक के कयारण संज्याओं म¤ रूपयानिर इस प्रकयार होिया हu -
कता्ष कारक (पुहललंग) एकवचन बिòवचन
बuल बuल ने बuलों ने
Gोया Gोे ने Gोों ने
कवि कवि ने कवि्यों ने
आदमी आदमी ने आदवम्यों ने
सयाधु सयाधु ने सयाधुओं ने
Pयाकू Pयाकू ने Pयाकुओं ने
कता्ष कारक (ľीहलंग) एकवचन बिòवचन
बहन बहन ने बहनों ने
मयालया मयालया ने मयालयाओं ने
वनवध वनवध ने वनवध्यों ने munotes.in
Page 70
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
70 नदी नदी ने नवद्यों ने
िसिु िसिु ने िसिुओं ने
िधू िधू ने िधुओं ने
सव्षनाम :
सि्चनयाम उस विकयारी शÊद को कहिे ह§ Kो पूिया्चपर संबंध से वकसी भी संज्या के बदले आिया
हu वहनदी म¤ कुल µ्ययारह सि्चनयाम ह§ प्र्योग के अनुसयार सि्चनयामों के J: भेद ह§
i. पुŁषियाचक सि्चनयाम
ii. वनKियाचक सि्चनयाम
iii. वनIJ्यियाचक सि्चनयाम
iv. संबंधियाचक सि्चनयाम
v. प्रijियाचक सि्चनयाम
vi. अवनIJ्यियाचक सि्चनयाम
Ⱥ. पुŁरवाचक सव्षनाम : िक्तया अ्िया लेखक की दृवटि से सÌपूण्च सpवटि के िीन भेद
वकए Kयािे ह§ सि्यं लेखक, िक्तया ्यया ®ोंिया िक्तया, लेखक ्यया ®ोिया पयाठक को
Jोकर अन्य सब सpवटि के इन िीनों रूपों को पुŁष कहिे ह§
पुŁष के भी िीन भेद होिे ह§ -
i. उ°म पुŁष - म¤
ii. मध्यम पुŁष - िू, आप (आदरसूचक)
iii. अन्य पुŁष - िह, िे
म§, िू, िह मूल सि्चनयाम ह§ और बहòिचन म¤ उनके स्यान पर रिमश: हम, िुम और िे
कया प्र्योग करिे ह§
ȺȺ. हनजवाचक सव्षनाम : वनKियाचक सि्चनयाम ‘आप’, पुŁषियाचक सि्चनयाम ‘आप’ से
कयाZी वभनन हu वनKियाचक सि्चनयाम कया प्र्योग केिल एकिचन म¤ होिया हu वकनिु
एकिचन के रूप बहòिचन की संज्या के सया् भी आिे ह§ Kuसे -
i. िह अपने Gर चलया ग्यया
िे अपने Gर चले गए
ii. वKसे अपनया मयानया ्या, उसी ने धोकया दे वद्यया munotes.in
Page 71
संज्या : रूपयांिर के आधयार
71 वKनह¤ अपनया मयानया ्या, उनहé ने धोकया दे वद्यया
iii. िह अपने को ³्यया समLिी हu ?
िह अपने आप को ³्यया समLिी हu ?
िे अपने को ³्यया समLिी हu?
वनKियाचक सि्चनयाम केिल मयाध्यम पुरूष और आप, िे, िह, आप एक कहयानीकयार के
रूप म¤ भी वि´्ययाि ह§ अन्य पुरूष म¤ आिया हu Kuसे - िू, िुम, आप, वकिने अचJे
ह§? प्रेमचंद वहनदी के ®ेķ उपन्ययासकयार ह§
ȺȺȺ. हनIJयवाचक सव्षनाम : वKस सि्चनयाम से िक्तया के पयास ्यया दूर के वकसी Ó्यवक्त कया
बोध होिया हu, उसे वनIJ्यियाचक सि्चनयाम कहिे ह§ उनकी सं´्यया िीन हu ्यह, ्ये,
िह, िे कया प्र्योग दोनों िचनों म¤ उसी रूप म¤ होिया हu ्यह, िह, सो
Ⱥɇ. प्रश्नवाचक सव्षनाम : प्रij करिे सम्य वKस सि्चनयाम कया प्र्योग वक्यया Kयािया हu उसे
प्रijियाचक सि्चनयाम कहिे ह§ इसके दो प्रकयार हu - कyन, ³्यया ‘कyन’ सि्चनयाम
प्रयावण्यों के वलए और विशेषकर मनुÕ्यों के वलए ह§, और ‘³्यया’ सि्चनयाम ±ुद्र प्रयावण्यों
के वलए पदया््च अ्िया िसिु के वलए आिया हu Kuसे कyन आ्यया हu? िुम ³्यया कर रहे
हो? ³्यया हu? ³्यया हòआ?
ɇ. संबंधवाचक सव्षनाम : उसकी सं´्यया एक हu Kो इसके सया् प्रया्य: िह ्यया सो कया
संबंध रहिया हu Kuसे - Kो मेहनि करेगया िह (सो) सZलिया पयाएगया
ɇȺ. अहनIJयवाचक सव्षनाम : कोई ्यया कुJ अवनIJियाचक सि्चनयाम हu कोई सि्चनयाम
प्रयावण्यों के वलए और कुJ सि्चनयाम ±ुद्रप्रयाणी के वलए आिया हu Kuसे - अब िक कोई
नहé आ्यया? िुÌह¤ कुJ करनया चयावहए
हलंग :
शÊद की Kयावि को वलंग कहिे ह§ संज्या के वKस रूप से Ó्यवक्त ्यया िसिु की नर ्यया मयादया
Kयावि कया बोध हो, उसे Ó्ययाकरण म¤ वलंग कहिे ह§ ‘वलंग’ संसकpि भयाषया कया एक शÊद हu,
वKसकया अ््च होिया हu `वचनह’ ्यया `वनशयान’ `वचनह’ ्यया `वनशयान’ वकसी संज्या कया ही होिया हu
`संज्या’ वकसी िसिु के नयाम को कहिे ह§ और िसिु ्यया िो पुŁषKयावि की होगी ्यया ľीKयावि
की ियाÂप्य्च ्यह वक प्रÂ्येक संज्या पुवÐलंग होगी ्यया ľीवलंग संज्या के भी दो रूप ह§ एक
अप्रयावणियाचक संज्या - लोटया - È्ययाली, पे इÂ्ययादी और दूसरया प्रयावणियाचक संज्या Gोया -
Gोी, मयािया-वपिया, लकया - लकी इÂ्ययादी
हलंग के भेद -
सयारी सpवटि की िीन मु´्य Kयावि्ययाँ हu - १) पुŁष २) ľी और ३) K अनके भयाषयाओं म¤
इनहé िीन Kयावि्यों के आधयार पर वलंग के िीन भेद वक्ये ग्ये ह§ –
१) पुवÐलंग munotes.in
Page 72
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
72 २) ľीवलंग
३) नपुंसकवलंग
अंúेKी Ó्ययाकरण म¤ वलंग कया वनण्च्य उसी Ó्यिस्या के अनुसयार होिया हu मरयाठी, गुKरयािी
आवद आधुवनक आ्य्च भयाषयाओं म¤ भी ्यह Ó्यिस्या º्यों-की Â्यों चली आ रही हu इसके
विपरीि वहनदी म¤ दो ही वलंग पुवÐलंग और ľीवलंग ह§ नपुंसकवलंग ्यहयाँ नहé हu अि: वहंदी
म¤ सयारे पदया््चियाचक शÊद, चयाहे िे चेिन हों ्यया K, ľीवलंग और पुवÐलंग, इन दो वलंगों म¤
विभक्त ह§
कारक :
संज्या ्यया सि्चनयाम के वKस रूप से िया³्य के अन्य शÊदों के सया् उनकया (संज्या ्यया सि्चनयाम
कया) संबंध सूवचि हो, उसे (उस रूप को) `कयारक’ कहिे ह§ अ्िया संज्या ्यया सि्चनयाम के
वKस रूप से उनकया (संज्या ्यया सि्चनयाम कया) वरि्यया से संबंध सूवचि हो उसे (उस रूप को)
`कयारक’ कहिे ह§ उन दो `पररभयाषयाओं’ कया अ््च ्यह हòआ वक संज्या ्यया सि्चनयाम के आगे Kब
`ने’, `को’, `से’ आवद विभवक्त्ययाँ लगिी ह§, िब उनकया रूप ही `कयारक’ कहलयािया हu िभी िे
िया³्य के अन्य शÊदों से संबंध रखने ्योµ्य `पद’ होिे ह§ और `पद’ की अिस्या म¤ ही िे
िया³्य के दूसरे शÊदों से ्यया वरि्यया से कोई लगयाि रख पयािे ह§ `ने’, `को’, `से’ आवद विवभनन
विभवक्त्ययाँ विवभनन कयारकों की ह§ इनके लगने पर ही कोई शÊद 'कयारक पद' बन पयािया हu
और िया³्य म¤ आने ्योµ्य होिया हu `कयारक पद’ ्यया `वरि्ययापद’ बने वबनया कोई शÊद िया³्य म¤
बuठने ्योµ्य नहé होिया Kuसे – “रयामचंद्रKी ने खयारे Kल के समुद्र पर बंदरों से पुल बंधिया
वद्यया’’ इस िया³्य म¤ `रयाम चंद्रKी ने’, `समुद्र पर’, `बंदरों से’ और 'पुल' संज्याओं के रूपयांिर
हu, वKनके Ĭयारया इन संज्याओं कया संबंध ‘बंधिया वद्यया’ वरि्यया के सया् सूवचि होिया हu
वचन :
संज्या, सि्चनयाम, विशेषण और वरि्यया के वKस रूप से सं´्यया कया बोध हो, उसे `िचन’ कहिे
ह§ दूसरे शÊदों म¤ शÊदों के सं´्यया बोधक विकयारी रूप कया नयाम `िचन’ हu `िचन’ कया
शयावÊदक अ््च हu - `सं´्ययािचन सं´्ययािचन को ही सं±ेप म¤ `िचन’ कहिे ह§ `िचन’ कया
अ््च कहनया भी हu
वचन के प्रकार -
अंúेKी की िरह वहनदी म¤ भी िचन के दो प्रकयार हu -
१) एकचिन और
२) बहòिचन
१. विकयारी शÊद म¤ वKस रूप से एक पदया््च ्यया Ó्यवक्त कया बोध होिया हu, उसे एकिचन
कहिे हu Kuसे - नदी, लकया, Gोया, बचचया इÂ्ययादी
२. विकयारी शÊद के वKस रूप से अवधक पदया्Ŏ अ्िया Ó्यवक्त्यों कया बोध होिया हu, उसे
`बहòिचन कहिे ह§ Kuसे - नवद्ययाँ, लके, Gोे, बचचे इÂ्ययादी munotes.in
Page 73
संज्या : रूपयांिर के आधयार
73 ८.४ सारांश :
संज्या उस विकयारी शÊद को कहिे ह§, वKससे वकसी विशेष िसिु, भयाि और Kीि के नयाम कया
बोध हो िसिु के अंिग्चि प्रयाणी, पदया््च और धम्च आिे ह§ इनहé के आधयार पर संज्या के भेद
वक्ये ग्ये ह§
वहनदी Ó्ययाकरण म¤ संज्या के मु´्यि: पयांच भेद ह§ १) Ó्यवक्तियाचक २) Kयाविियाचक ३)
भयािियाचक ४) समूहियाचक ि्या ५) द्रÓ्यियाचक
संज्या विकयारी शÊद हu विकयारी शÊद रूपों को पररिवि्चि अ्िया रूपयांिररि करिया हu संज्या के
रूप वलंग, िचन और कयारक वचनहों (परसग्च) के कयारण बदलिे ह§
शÊद की Kयावि को वलंग कहिे ह§ संज्या के वKस रूप से Ó्यवक्त ्यया िसिु की नर ्यया मयादया
Kयावि कया बोध हो, उसे Ó्ययाकरण म¤ ‘वलंग’ कहिे ह§ ‘वलंग’ संसकpि भयाषया कया एक शÊद हu,
वKसकया अ््च होिया हu ‘वचनह’ ्यया ‘वनशयान’
संज्या, सि्चनयाम, विशेषण और वरि्यया के वKस रूप से सं´्यया कया बोध हो, उसे ‘िचन’ कहिे
ह§ ‘िचन’ कया शयावÊदक अ््च हu ‘सं´्ययाियाचन’
संज्या ्यया सि्चनयाम के वKस रूप से िया³्य के अन्य शÊदों के सया् उनकया (संज्या ्यया सि्चनयाम
कया) संबंध सूवचि हो, उसे (उस रूप को) ‘कयारक’ कहिे ह§ वहनदी म¤ कयारक आठ ह§ और
कयारकों के बोध के वलए संज्या ्यया सि्चनयाम के आगे Kो प्रÂ्य्य (वचनह) लगया्ये Kयािे ह§, उनह¤
Ó्ययाकरण म¤ ‘विभवक्त्ययाँ’ कहिे ह§
शÊद और पद - िया³्य से अलग रहने ियाले शÊदों को ‘शÊद’ कहिे ह§, वकंिु Kब वकसी िया³्य
म¤ वपरो वद्ये Kयािे ह§, िब ‘पद’ कहलयािे ह§ ‘शÊद’ सया््चक और वनर््चक दोनों हो सकिे ह§
८. लGु°रीय प्रश्न :
१. संज्या के भेद वकिने ह§ ?
उ°र : पयाँच
२. ąीवलंग संज्याओं कया बहòिचन करने के वलए अलग-अलग वन्यम हu और पुवÐलंग
संज्याओं कया बहòिचन करने के वलए वकिने वन्यम ह§ ?
उ°र : केिल एक वन्यम
३. इकयारयानि संज्याओं कया बहòिचन करिे सम्य मूल संज्या के सया् ³्यया Kुिया ह§ ?
उ°र : '्ययाँ'
४. अकयारयानि संज्याएँ बहòिचन म¤ ³्यया होिी ह§ ?
उ°र : एकयारयानि munotes.in
Page 74
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
74 ८. दीGō°रीय प्रश्न :
१. संज्या के वकिने भेद ह§ उÐलेख कीवKए
२. संज्या म¤ रूपयांिर के आधयार कyन-कyन से ह§ सपटि वकवKए
८. संदभ्ष úं् :
१. भयाषया विज्यान - Pv. भोलयानया् विियारी
२. भयाषया-विज्यान एिं भयाषयाशयाľ – Pv. कवपल देि वĬिेदी
३. भयाषया विज्यान क े अधुनयािम आ्ययाम - Pv. अंबयादयास देशमुख
४. वहनदी भयाषया, Ó्ययाकरण और रचनया - Pv. अKु्चन विियारी
५. सयामयान्य भयाषया विज्यान – Pv. बयाबुरयाि स³सेनया
६. आधुवनक भयाषया विज्यान क े वसĦयांि - Pv. रयाम वकशोर शमया ्च
७. सयामयान्य भयाषया विज्यान - Pv. बयाबूरयाम स³सेनया
८. वहंदी भयाषया कया इविहयास - धीर¤द्र िमया्च
7777777
munotes.in
Page 75
75 ९
सव्षनाम : कारक रचना
इकाई कì łपरेखा
९.० इकयाई कया उĥेÔ्य
९.१ प्रसियािनया
९.२ सि्चनयाम : कयारक रचनया
९.३ सयारयांश
९.४ लGू°री्य प्रij
९.५ दीGō°री प्रij
९.६ संदभ्च úं्
९.० इकाई का 8ĥेÔय :
प्रसिुि इकयाई म¤ Jयाý वनÌनवलवखि वबंदुओं कया अध्य्यन कर¤गे
• सि्चनयामों म¤ होने ियाले रूपयांिर से Jयाýों को पररवचि करयानया
• सि्चनयामों म¤ रूपयांिर के विविध वन्यमों की सविसियार चचया्च करनया
९.१ प्रसतावना :
सि्चनयामों म¤ रूपयांिरण ्यया बदलयाि के मूल रूप से दो आधयार होिे ह§ - १. िचन, २. कयारक
कयारक रूपयांिरण म¤ महÂिपूण्च भूवमकया म¤ होिे ह§ इस इकयाई म¤ सि्चनयामों म¤ होने ियाले
रूपयांिरण के विविध वन्यमों, रूपों कया सोदयाहरण अध्य्यन वक्यया ग्यया हu इकयाई म¤ िÃ्यों ि
भयाषया को ्य्यासंभि सरल ि विष्य के अनुकूल ि सुसपटि रखने की कोवशश की गई हu
९.२ सव्षनाम : कारक रचना
संज्याओं के समयान सि्चनयामों म¤ भी िचन और कयारक होिे ह§, वकंिु उनम¤ वलंग नहé होिया
इसीवलए सि्चनयामों म¤ वलंग के कयारण रूपयांिरण ्यया पररिि ्चन नहé होिया
विभवक्त रवहि किया ्च कयारक के बहòिचन म¤ पुŁषियाचक ‘म§’ ‘िू’ और वनIJ्यियाचक ‘्यह’ ‘िह’
सि्चनयामों को Jोकर अन्य सि ्चनयामों कया रूपयांिरण नहé होिया उदयाहरण के रूप म¤
वनÌनवलवखि ियावलकया को द ेखया Kया सकिया ह u -
munotes.in
Page 76
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
76 एकवचन बिòवचन म§ हम िू िुम ्यह ्ये िह िे आप आप Kो Kो कyन कyन ³्यया ³्यया सो सो कोई कोई कुJ कुJ उप्यु्चक्त ियावलकया से सपटि हu वक ‘म§’ और ‘िू’ ि्या ‘्यह’ ि्या ‘िह’ सि्चनयामों म¤ िचन के
आधयार Łपयांिर होिया हu अन्य सि्चनयामों म¤ ्यह रूपयांिर नहé वमलिया
१. पुŁरवाचक सव्षनामŌ कì कारक रचना :
8°म पुŁर ‘म§’ - कारक एकवचन बिòवचन किया्च (0,ने) म§, म§ने हम, हमने कम्च (0, को) मुLे, मुLको हम¤, हमको करण (से) मुLसे हमसे संप्रदयान (को) मुLे, मुLको हम¤, हमको अपयादयान (से) मुL से हमसे संबंध (कया, के, की, रया, रे, री) मेरया, मेरे, मेरी हमयारया, हमयारे, हमयारी अवधकरण (म¤, पर) मुL म¤, मुL पर हमम¤, हम पर
munotes.in
Page 77
सि्चनयाम : कयारक रचनया
77 मधयम पुŁर ‘तू’ - कारक एकवचन बिòवचन किया्च (0, ने) िू, िूने िुम, िुमने कम्च (0, को) िुLे, िुLको िुÌह¤, िुमको करण (से) िुLसे िुमसे संप्रदयान (को) िुLको िुमको अपयादयान (से) िुL से िुमसे संबंध (रया, रे, री ) िेरया, िेरे, िेरी िुÌहयारया, िुÌहयारे, िुÌहयारी अवधकरण (म¤, पर) िुL म¤, िुL पर िुमम¤, िुम पर पुŁषियाचक सि्चनयामों की कयारक रचनया म ¤ हम¤ समयानिया वमलिी ह u समयानिया वनÌनवलवखि
वबंदुओं के सिर पर वमलिी ह òई वदखयाई पिी ह u –
१. किया्च और संबंधकयारकों को Jोकर श ेष कयारकों के ‘एकिचन’ रूप म¤ ‘म§’ कया बदलया
हòआ रूप ‘मुL’ और ‘िू’ कया बदलया हòआ रूप ‘िुL’ होिया हu
२. संबंध कयारक के दोनों िचनों म¤ ‘म§’ कया बदलया रूप रिमश: ‘मेरया’ और ‘हमयारया ’ और
‘िू’ कया ‘िेरया ’ और ‘िुÌहयारया ’ हो Kयािया हu
३. उप्यु्चक्त दोनों सि्चनयामों म¤ संबंधकयारक म¤ ‘रया, री, रे’ विभवक्त्ययाँ आिी ह§
४. विभवक्त – सवहि किया्च कयारक के दोनों िचनों म¤ और संबंध कयारक को Jोकर श ेष
अन्य कयारकों म ¤ बहòिचन म¤ दोनों कया रूप नहé बदलिया
५. पुŁषियाचक सि्चनयामों के विभवक्तरवहि किया्च के एकिचन और संबंधकयारक को Jो
अन्य कयारकों के एकिचन ‘ई’ और ‘बहòिचन म¤ ‘ई’ ि्या ‘ही’ लगया्यया Kयािया हu Kuसे –
‘िुÌही से’ ‘हमी ने’ ‘िुÌहé से’ इÂ्ययावद
२. हनजवाचक सव ्षनाम ‘आप’ कì कारक रचना :
वनKियाचक सि ्चनयाम ‘आप’ की कयारक रचनया स े Kुे कुJ िÃ्यों को समL ल ेनया
आिÔ्यक होगया इन िÃ्यों कया वििरण वनÌनवलवखि वब ंदुओं के मयाध्यम से प्रसिुि
वक्यया ग्यया हu -
१. वनKियाचक सि्चनयाम ‘आप’ की कयारक रचनया क ेिल एकिचन के अनिग्चि होिी
हu वकंिु, एकिचन के रूप बहòिचन संज्या ्यया सि्चनयाम के सया् भी आिे ह§
२. इसकया बदलया ्यया रूपयांिररि रूप ‘अपनया’ हu ्यह संबंधकयारक के अनिग्चि
आिया हu munotes.in
Page 78
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
78 ३. इसके सया् ‘ने’ विभवक्त नहé आिी वक ंिु दूसरी विभवक्त्यों म¤ Kुने से इसकया
रूप वहंदी आकयारयानि स ंज्या की िरह ‘अपने’ हो Kयािया हu
४. किया्च और संबंध कयारक के अलयािया अन्य कयारकों म¤ ‘आप’ के सया् विभवक्त्यया ँ
Kुिी ह§
हनजवाचक सव ्षनाम ‘आप’ - कारक एकवचन बिòवचन किया्च (0, ने) आप --X-- कम्च (0, को) अपने को, अपने आप को --X-- करण (से) अपने से, अपने आप से --X-- संप्रदयान (को) अपने को, अपने आप को --X-- अपयादयान (से) अपने से, अपने आप से --X-- संबंध (नया, ने, नी) अपनया, अपनी, अपन े --X-- अवधकरण (म¤, पर) अपने म¤, अपने पर --X--
वनKियाचक सि ्चनयाम की कयारक रचनया स े Kुे अन्य महÂिपूण्च वबंदुओं को भी ्यहयाँ
समL लेनया आिÔ्यक हो Kयािया हu िे महÂिपूण्च वबंदु वनÌनवलवखि ह § -
१. कभी - कभी ‘अपनया’ और ‘आप’ संबंधकयारक को Jोकर श ेष अन्य कयारकों
म¤ एक सया् आि े ह§ Kuसे - अपने-आप, अपने-आप को, अपने-आप से,
अपने-आप म¤
२. ‘आप’ शÊद कया एक रूप ‘आपस’ हu, वKसकया प्र्योग केिल संबंध और
अवधकरण कयारकों के एकिचन म¤ होिया हu
३. कभी-कभी अपनया के बदले ‘वनK’ संबंधकयारक आिया ह u कभी- कभी दोनों
रूप एकसया् आि े ह§ Kuसे - हम िुÌह¤ अपने वनK के उĥेÔ्य से भेK रहे ह§
४. कवििया म¤ कई बयार ‘अपनया’ के बदले ‘वनK’ कया ही प्र्योग होिया हu Kuसे -
वKसको न वनK गyरि ि्या वनK देश कया अवभमयान ह u
िह नर नहé, नरपशु वनरया हu और मpिक समयान हu
munotes.in
Page 79
सि्चनयाम : कयारक रचनया
79 . आदरसूचक सव्षनाम ‘आप’ :
आदरसूचक ‘आप’ सि्चनयाम कया प्र्योग क ेिल ‘अन्य पुŁष’ के बहòिचन म¤ होिया हu
इसकी कयारक रचनया वनKियाचक आप स े अ ल ग हu विभवक्त लगने से प ह ले
आदरसूचक ‘आप’ कया रूप नहé बदलिया इसकया प्र्योग आदर द ेने के वलए बहòिचन
म¤ होिया हu इसीवलए कई लोगों के होने कया बोध होने पर इसके सया् ‘लोग’ ्यया ‘सब’
लगया देिे ह§ इसके सया् ‘ने’ विभवक्त आिी ह u और संबंधकयारक म¤ ‘कया, की, के’
विभवक्त्ययाँ लगयाई Kयािी ह §
आदरसूचक ‘आप’ - कारक एकवचन (आदर के हलए) बिòवचन (आदर त्ा स ं´या के
प्रकटीकरण के हलए ) किया्च (0, ने) आप, आपने आप लोग, आप लोगों न े कम्च (0, को) आपको आप लोगों को करण (से) आपसे आप लोगों से संप्रदयान (को) आपको आप लोगों को अपयादयान (से) आप से आप लोगों से संबंध (कया, के, की ) आप कया, की, के आप लोगों कया, की, के अवधकरण (म¤, पर) आप म¤, पर आप लोगों म¤, पर ४. हनIJयवाचक सव्षनाम ( यि, वि, सो) :
वनIJ्यियाचक सि ्चनयाम ‘्यह, िह, सो’ हu इन सि्चनयामों के दोनों िचनों की कयारक रचनया
अपने मूल रूप से हटकर बदले हòए रूपों म¤ आिी हu एकिचन म¤ ्यह कया ्यह बदलया
्यया विकpि रूप ‘इस’ िह कया ‘उस’ और सो कया ‘विस’ होिया हu Kबकी बहòिचन म¤ ्ये
रिमश: ‘इन’, ‘उन’ और ‘विन’ के रूप म¤ आिे ह§ इनके विभवक्त सवहि बहòिचन किया्च
के अंÂ्य ‘न’ म¤ विकÐप से ‘हो’ Kोया Kयािया हu, और कम्च ि्या संप्रदयान कयारकों के
बहòिचन म¤ ‘ए’ के पहले ‘न’ म¤ ‘ह’ Kोया Kयािया हu
हनकटवतणी ‘यि’ - कारक एकवचन बिòवचन किया्च (0, ने) ्यह, इसने ्यह, ्ये, इसने, इनहोंने कम्च (0, को) इसे, इसको इनह¤ , इनको करण (से) इससे इनम¤ munotes.in
Page 80
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
80 संप्रदयान (को) इसको इनको, इनह¤ अपयादयान (से) इससे इनसे संबंध (कया, के, की ) इसकया, की, के इनकया, की, के अवधकरण (म¤, पर) इस म¤, पर इन म¤, पर दूरवतणी ‘वि’ - कारक एकवचन बिòवचन किया्च (0, ने) िह, उसने िे, उनहोंने कम्च (0, को) उसे, उसको उनको, उनह¤ करण (से) उससे उनसे संप्रदयान (को) उसको उनको अपयादयान (से) उससे उनसे संबंध (कया, के, की ) उसकया, की, के उनकया, की, के अवधकरण (म¤, पर) उसम¤, पर उन म¤, पर हनतय संबंधी ‘सो’ - कारक एकवचन बिòवचन किया्च (0, ने) सो, विसने विनने, विनहोंने कम्च (0, को) विसे, विसको विनको, विनह¤ करण (से) विस से विन से संप्रदयान (को) विसको विनको अपयादयान (से) विस से विन से संबंध (कया, के, की ) विसकया, की, के विनकया, की, के अवधकरण (म¤, पर) विस म¤, पर विन म¤, पर वनÂ्य संबंधी ‘सो’ की कयारक रचनया को ल ेकर वनÌमवलवखि वब ंदुओं को भी समL
लेनया आिÔ्यक ह u -
१. आधुवनक वहंदी म¤ ‘सो’ ि ‘सो’ के विकpि रूप कया प्र्योग बह òि कम होिया हu munotes.in
Page 81
सि्चनयाम : कयारक रचनया
81 २. ‘सो’ के वKन रूपों की चचया ्च 9पर की गई ह u, िसिुि3 िे ‘िyन’ के ह§, Kो पुरयानी
वहंदी म¤ ‘Kyन (Kो)’ कया वनÂ्य संबंधी हu
३. वनIJ्यियाचक सि्चनयामों के रूपों म¤ बल ्यया Kोर के वलए एकिचन म¤ ‘ई’ और
बहòिचन म¤ ‘ही’ अंÂ्य सिर के सया् Kो वद्यया Kयािया ह u Kuसे - ्यह > ्यही,
िह ! िही, इन > इनहé इÂ्ययावद
४. ‘्यह’ कया विकpि रूप ‘इनने’ और िह कया विक pि रूप ‘उनने’ अब प्रचलन म ¤
लगभग नहé हu
. हनतय संबंधवाचक सव्षनाम ‘जो’ : कारक एकवचन बिòवचन किया्च (0, ने) Kो, वKस ने Kो, वKनहोंने, वKनने कम्च (0, को) वKसे, वKसको वKनको, वKनह¤ करण (से) वKससे वKनसे संप्रदयान (को) वKसको वKनको अपयादयान (से) वKससे वKनसे संबंध (कया, के, की ) वKसकया, की, के वKनकया, की, के अवधकरण (म¤, पर) वKसम¤, पर वKनम¤, पर १. संबंधियाचक सि्चनयाम ‘Kो’ ि्या प्रijियाचक सि्चनयाम ‘कyन’ के रूप वनIJ्य
ियाचक सि्चनयामों के अनुसयार बनया्ये Kयािे ह§ ‘Kो’ के विकpि रूप दोनों िचनों म ¤
‘वKस’ और वKन ि्या ‘कyन’ के ‘वकस’ और वकन के रूप म¤ वमलिे ह§
२. कई बयार ‘वKन’ म¤ ‘हों’ लगयाकर ‘वKनहों’ ्यया ‘ह¤’ लगयाकर ‘वKनह¤’ बनयािे ह§
३. ‘Kो’ कया ‘वKनने’ रूप अब प्रया्य: प्र्योग म¤ न के बरयाबर वमलिया ह u
. प्रश्नवाचक सव्षनाम ‘कौन’ : कारक एकवचन बिòवचन किया्च (0, ने) कyन, वकसने कyन, वकनहोंने कम्च (0, को) वकसको, वकसे वकनको, वकनह¤ करण (से) वकससे वकनसे संप्रदयान (को) वकसको वकनको munotes.in
Page 82
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
82 अपयादयान (से) वकससे वकनसे संबंध (कया, की, के ) वकसकया, की, के वकनकया, की, के अवधकरण (म¤, पर) वकस म¤, पर वकन म¤, पर प्रijियाचक कyन की कयारक रचनया क े संबंध म¤ वनÌन वलवखि वब ंदुओं को भी समL
लेनया चयावहए-
१. ‘कyन’ कया एकिचन म ¤ ‘वकस’ और बहòिचन म¤ ‘वकन’ हो Kयािया हu कम्च और
संप्रदयान कयारक म¤ ‘वकसे’ और ‘वकनह¤’ रूप भी प्रया्य: वमलिया ह u
२. कही – कही ‘वकन’ रूप न वमलकर ‘वकनह¤’ वमलिया हu
प्रश्नवाचक सव ्षनाम ‘³या’ -
प्रijियाचक सि्चनयाम ‘³्यया’ की कयारक रचनया नहé होिी ‘³्यया’ इसी रूप म¤ केिल
एकिचन विभवक्त रवहि किया ्च और कम्च म¤ आिया हu Kuसे -
किया्चकरक - ³्यया करनया हu?
कम्चकयारक - िुम ³्यया खया रहे हो?
दूसरे कयारकों के एकिचन म¤ ‘³्यया’ के बदले āKभयाषया म¤ ‘कहया’ सि्चनयाम िया विकpि
रूप ‘कयाहे’ आिया हu
प्रश्नवाचक ‘³या’ - कारक एकवचन बिòवचन किया्च (ने) ³्यया X कम्च (को) ³्यया X करण (से) कयाहे से X संप्रदयान (को) कयाहे को X अपयादयान (से) कयाहे से X संबंध (कया, की, के ) कयाहे कया, की, के X अवधकरण (म¤, पर) कयाहे म¤, पर X ‘कयाहे से’ अपयादयान और ‘कयाहे को’ संप्रदयान कया प्र्योग ‘³्यों’ के रूप म¤ होिया हu
Kuसे – ्यह िुम कयाहे से कहिे हो?
िह िहयाँ कयाहे को ग्यया ्या? munotes.in
Page 83
सि्चनयाम : कयारक रचनया
83 कयाहे को कभी - कभी असंभयािनया के भयाि कों भी प्रकट करने के वलए प्र्योग म¤ लया्यया
Kयािया हu
Kuसे – कयाहे को सZलिया वमलने लगी"
‘³्योंवक’ सÌमुच्यबोधक के बदले कभी-कभी ‘कयाहे से’ कया भी प्र्योग द ेखने को
वमलिया हu
Kuसे - मयाधिी मुLे बहòि È्ययारी हu, कयाहे से वक िह मेरी बेटी की सहेली हu
‘कयाहे कया’ कया प्र्योग कभी -कभी िp्या ्यया Ó्य््च के अ््च म¤ भी होिया हu
Kuसे - िह रयाKया कयाहे कया हu?
िह रयानी कयाहे की हu?
िह ्योĦया कयाहे कया हu?
िह ज्यानी कयाहे कया हu?
. अहनIJयवाचक सव ्षनाम ‘कोई’ :
‘कोई’ की कयारक-रचनया केिल एकिचन म ¤ ही वमलिी हu पर Kब इसक े रूप की
वĬŁवक्त हो Kयािी ह u िो उससे बहòिचन कया बोध हो ने लगिया हu कम्च और संप्रदयान
कयारकों म¤ इसकया एकयारयानि रूप नहé होिया
अहनIJयवाचक ‘कोई’ - कारक एकवचन बिòवचन किया्च (0, ने) कोई, वकसी ने X कम्च (0, को) वकसी कों X करण (से) वकसी से X संप्रदयान (को) वकसी को X अपयादयान (से) वकसी से X संबंध (कया, की, के ) वकसी कया, की, के X अवधकरण (म¤, पर) वकसी म¤, पर X आधुवनक वहंदी म¤ ‘वकसी’ कया बहòिचन रूप ‘वकनहé’ म¤ वदखयाई पने लगया हu बहòधया
इस प्रकयार के प्र्योग वमलिे ह§ munotes.in
Page 84
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
84 Kuसे - वकनहé म¤
वकनहé ने
वकनहé पर
अहनIJयवाचक सव ्षनाम ‘कुJ’ -
अवनIJ्यियाचक सि्चनयाम ‘कुJ’ की कयारक रचनया नहé होिी ‘³्यया’ की िरह ्यह केिल
विभवक्तरवहि किया्च और कम्च के एकिचन म¤ प्र्युक्त होिया हu
Kuसे - Kल म¤ कुJ हu
बचचे ने कुJ Z¤क वद्यया
‘कुJ कया कुJ’ िया³्ययांश म¤ कुJ के सया् संबंध कयारक की विभवक्त आिी ह u Kब
‘कुJ’ कया प्र्योग ‘कोई’ के अ््च म¤ संज्या की िरह होिया ह u िब उसकी कयार क रचनया
संबोधन को Jो श ेष अन्य कयारकों क े बहòिचन म¤ होिी हu
Kuसे - कुJ ?से ह§
कुJ कया Ó्यिहयार ठीक हu
कुJ की भयाषया मीठी हu
९. सारांश :
सयारयांशि3 सि्चनयाम की कयारक रचनया म¤ सि्चनयामों म¤ होने ियाले रूपयांिरण के विविध वन्यमों
और रूपों कया उदयाहरण सवहि अध्य्यन वक्यया ग्यया हu ्यहयाँ पर िÃ्यों और भयाषया को सरल
एिं विष्य के अनुकूल ि सुसपटि रखया ह§
९.४ लGू°रीय प्रश्न :
१. सि्चनयामों म¤ रूपयांिरण के मूल रूप से वकिने आधयार होिे ह§?
उ : िचन और कयारक ्ये दो आधयार होिे ह§
२. वनKियाचक सि्चनयाम 'आप' की कयारक रचनया वकसके अंिग्चि होिी हu?
उ : वनKियाचक सि्चनयाम 'आप' की कयारक रचनया केिल एकिचन के अंिग्चि होिी हu
३. वनIJ्यियाची सि्चनयामों के दो प्रकयार बियाई्ये?
उ : वनकटििगी ्यह और दूरििगी िह ्ये दो प्रकयार ह§
९. दीGō°री प्रश्न :
१. सि्चनयामों की कयारक रचनया को सोदयाहरण सपटि कीवKए? munotes.in
Page 85
सि्चनयाम : कयारक रचनया
85 ९. संदभ्ष úं् :
१. वहंदी भयाषया कया इविहयास - धीर¤द्र िमया्च
२. वहनदी भयाषया - Pv. भोलयानया् विियारी
३. मयानक वहनदी Ó्ययाकरण - Pv. पpÃिीनया् पयाÁPे्य
४. वहनदी Ó्ययाकरण - पं. कयामिया प्रसयाद गुरू
५. Ó्ययािहयाररक वहनदी Ó्ययाकरण एि ं रचनया - Pv. संिोष चyधरी
६. Ó्ययािहयाररक वहनदी Ó्ययाकरण - Ô्ययामचनद्र कपूर
7777777
munotes.in
Page 86
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
86 १०
हवशेरण : łपांतर के आधार
इकाई कì łपरेखा
१०.० इकयाई कया उĥेÔ्य
१०.१ प्रसियािनया
१०.२ विशेषण : रूपयांिर के आधयार
१०.३ सयारयांश
१०.४ लGू°री्य प्रij
१०.५ दीGō°री प्रij
१०.६ संदभ्च úं्
१०.० इकाई का 8ĥेÔय :
• प्रसिुि इकयाई कया उĥेÔ्य Jयाýों को विशेषण म¤ रूपयांिर से पररवचि करयानया हu
• इस इकयाई के अनिग्चि Łपयांिर के विविध वन्यमों की सविसियार चचया्च की गई हu
१०.१ प्रसतावना :
विशेषण Ó्ययाकरण कया एक महÂिपूण्च अध्य्यन वबनदु हu विशेषण के संदभ्च म¤ कह सकिे ह§
वक िे शÊद Kो वकसी संज्या ्यया सि्चनयाम शÊद की विशेषिया बिलयािे ह§ अ्या्चिz वKस विकयारी
शÊद से संज्या की Ó्ययावĮ म्यया्चवदि होिी हu, उनह¤ विशेषण कहिे ह§ विशेषणों म¤ वकस प्रकयार
रूपयांिर होिया हu? विशेषणों के Łपयांिर वकन वन्यमों के आधयार पर होिे ह§? इस रूपयांिर
प्रवरि्यया कया प्र्योग िया³्य म¤ कuसे वक्यया Kया्ये? इÂ्ययावद वबंदुओं पर इस इकयाई म¤ विचयार वक्यया
ग्यया हu इकयाई की भयाषया को सरल प्रियाहपूण्च ि सूचनयाओं को िÃ्ययाÂमक रूप से ्य्यासंभि
प्रसिुि करने की कोवशश की गई हu ियावक विदz ्ययाव््च्यों को विष्य को समLने ि प्र्योग करने
म¤ आसयानी हो
१०.२ हवशेरण : łपांतर के आधार
वहंदी म¤ आकयारयांि विशेषणों म¤ ही विकयार अ्िया पररिि्चन होिया हu अन्य विशेषणों म¤ कोई
विकयार ्यया पररिि्चन नहé होिया, वकंिु सभी विशेषणों कया प्र्योग संज्याओं की िरह होिया हu,
इसवलए ्यह कहया Kया सकिया हu वक विशेषणों म¤ अप्रÂ्य± रूप से वलंग, िचन और कयारक
होिे ह§ इसीवलए विशेषणों म¤ विकयार ्यया पररिि्चन संज्या की ही िरह उनके ‘अंि’ के आधयार
पर ही होिे ह§ ्ये पररिि्चन विशेषणों म¤ कuसे होिे ह§? इसके बयारे म¤ आगे के वबंदुओं म¤
विĴेषण वक्यया ग्यया हu munotes.in
Page 87
विशेषण : रूपयांिर के आधयार
87 विशेषणों के भेद : विशेषणों के मूल रूप से िीन भेद ह§ -
क) सयाि्चनयावमक विशेषण
ख) गुणियाचक विशेषण
ग) सं´्ययाियाचक विशेषण
इन सभी के रूपयांिर के अलग - अलग आधयार ह§ इनम¤ रूपयांिर वकन वन्यमों के आधयार पर
होिे हu इसकया विĴेषण आगे के वबंदुओं म¤ वक्यया ग्यया हu
(क) साव्षनाहमक हवशेरण का łपांतर :
सयाि्चनयावमक विशेषणों के दो भेद ह§ -
१. मूल सयाि्चनयावमक विशेषण
२. ्यyवगक सयाि्चनयावमक विशेषण
१. मूल साव्षनाहमक हवशेरण : ‘आप’, ‘³्यया’ और ‘कुJ’ को Jोकर शेष अन्य
सयाि्चनयावमक विशेषणों के पIJयाि विभ³Â्यंि ि संबंधसूचकयांि संज्या आने पर उनके दोनों
िचनों म¤ हम विकpि रूप पयािे ह§ उदयाहरण के रूप म¤ हम वनÌनवलवखि िया³्ययांशों म¤ हòए
प्र्योग को देख सकिे ह§
Kuसे - मुL दीन को मि मयारो
िुL मूख्च से बयाि करनया कवठन हu
उस गयाँि िक पहòँचया दो
उन शयाखयाओं पर Zूल वखल¤ हu
‘कोई’ शÊद के विकpि रूप के दो बयार आने से बहòिचन कया बोध होिया हu, पर उसके सया्
º्ययादयािर एकिचन संज्या आिी हu उदयाहरण के वलए वनÌमवलवखि िया³्य म¤ हòए प्र्योग को
देखया Kया सकिया हu
Kuसे - वकसी वकसी Ó्यवक्त को ?सया सूLिया हu
वकसी वकसी को Ó्यिस्या पसंद नहé आई
विकpि कयारकों की बहòिचन संज्या के सया् ‘कोई-कोई’ कभी कभी मूल रूप म¤ प्र्युक्त होिया
हòआ भी हम¤ वदखयाई देिया हu Kuसे - ‘कोई कोई लोगों ने हया् ब
या्यया ्या’ वकंिु इस प्रकयार कया
प्र्योग कम होिया हu
कुJ कयालियाचक संज्याओं के अवधकरणकयारक के एकिचन के सया् ‘कोई’ कया अवधकpि रूप
आिया हu, वकंिु ्यहयाँ ्यह ‘कुJ’ के अ््च म¤ प्र्युक्त होिया हòआ वदखयाई पिया हu उदया के रूप म¤
वनÌनवलवखि प्र्योगों को देखया Kया सकिया हu
Kuसे - कोई दम म¤ बस आ सकिी हu
कोई Gी म¤ बयाररश हो सकिी हu
२. यौहगक साव्षनाहमक हवशेरण का łपांतर : ्यyवगक सि्चनयाम प्रया्य3 आकयारयांि होिे
ह§ Kuसे - ?सया, िuसया, इिनया, उिनया इÂ्ययावद ्ये आकयारयांि विशेषण विशेÕ्य के वलंग, िचन, munotes.in
Page 88
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
88 कयारक के अनुसयार बदलिे ह§ प्रया्य3 ्यह बदलयाि गुणियाचक विशेषणों म¤ होनेियाले बदलयाि के
अनुसयार होिया हu
Kuसे - ?से लोगों को
?से बचचों ने
?सी बवचच्यों ने
‘कyन’ ‘Kो’ ‘कोई’ के सया् Kब ‘सया’ प्रÂ्य्य आिया हu िब उनम¤ आकयारयांि गुणियाचक विशेषणों
के समयान ही बदलयाि ्यया रूपयांिर होिया हu
Kuसे - कyन सया बचचया
कyन सी बचची
कyन से बचचे
(ख) गुणवाचक हवशेरण का łपांतर :
गुणियाचक विशेषणों म¤ केिल आकयारयांि विशेषण अपने विशेÕ्य के वलंग, िचन और कयारक के
अनुसयार बदलिे ह§ आकयारयांि विशेषणों म¤ रूपयांिर ्यया बदलयाि वनÌनवलवखि वन्यमों के
अनुसयार होिे ह§
१. पुवलंग विशेÕ्य ्यवद बहòिचन म¤ हो अ्िया विभ³Â्यंि िया संबंध सूचकयांि हो िो
विशेषण के अंि म¤ आए ‘आ’ के स्यान पर ‘ए’ हो Kयािया हu
Kuसे - Jोटया बचचया - Jोटे बचचे
9ँचया Gर - 9ँचे Gरों म¤
२. ľीवलंग विशेÕ्य के सया् विशेषण के अंि म¤ आए ‘आ’ के स्यान पर ‘ई’ हो Kयािी हu
Kuसे - Jोटी बचची, Jोटी बवचच्ययाँ, Jोटी बचची को इÂ्ययावद
३. ‘मया’, ‘उमदया’ और ‘Kरया’ को Jोकर अन्य सभी उदू्च भयाषया के आकयारयांि विशेषणों
म¤ रूपयांिर ्यया बदलयाि वहंदी आकयारयांि विशेषणों के ही समयान होिया हu
Kuसे - Kुदया – Kुदी
बेचयारया - बेचयारी
४. आकयारयांि संबंधसूचक, आकयारयांि विशेषणों के समयान बदलिे ह§
Kuसे – पविĄिया ?सी नयारी
बयाK के से गुण
रयाम ?सया पवि
५. Kब वकसी संज्या के सया् अवनIJ्य के अ््च म¤ ‘सया’ प्रÂ्य्य लगिया हu, िो इसकया रूप
उसी संज्या के वलंग और िचन के अनुसयार पररिवि्चि होिया हu
Kuसे - मुLे अपनया सया लगिया हu munotes.in
Page 89
विशेषण : रूपयांिर के आधयार
89 मुLे अपनी सी लगिी हu
मुLे अपने से लगिे ह§
६. आकयारयांि गुणियाचक विशेषणों को Jोकर शेष अन्य वहंदी गुणियाचक विशेषणों म¤
कोई पररिि्चन ्यया रूपयांिरण नहé होिया
Kuसे – लयाल Łमयाल
भयारी गठरी
७. संसकpि गुणियाचक विशेषण प्रया्य3 विशेÕ्य के वलंग के अनुसयार बदलिे ह§
Kuसे - पयावपनz - पयावपनी ľी
बुवĦमिz - बुवĦमिी भया्यया्च
८. कई अंगियाचक ि्या दूसरे अन्य अकयारयांि विशेषणों म¤ प्रया्य: ‘ई’ कया प्र्योग कर
रूपयांिरण वक्यया Kयािया हu
Kuसे - सुमुख – सुमुखी
प्रेमम्य - प्रेमम्यी
९. उकयारयांि विशेषणों म¤ रूपयांिर ्यया पररिि्चन करिे सम्य अंÂ्य सिर म¤ ‘ि ’ आ Kयािया हu
और ‘ई’ लगया वद्यया Kयािया हu
Kuसे - गुŁ - गुिगी
सयाधु - सयाधिी
१०. अकरयांि विशेषणों म¤ प्रया्य: ‘आ’ लगयाकर उसकया ľीवलंग रूप बनिया हu
Kuसे - चिुर – चिुरया
सरल – सरलया
विमल – विमलया
वप्र्य - वप्र्यया
ग) सं´यावाचक हवशेरण म¤ łपांतरण :
१. सं´्ययाियाचक विशेषणों म¤ रिमियाचक, आिpव°ियाचक और आकयारयांि पररमयाणियाचक
विशेषणों म¤ रूपयांिरण ्यया पररिि्चन होिया हu
Kuसे - पहलया लकया
पहली लकी
पहले लके
२. अपूणया«क विशेषणों म¤ केिल ‘आधया’ शÊद रूपयांिररि होिया हu
Kuसे - आधया कपया
आधे कपे
आधी रोटी munotes.in
Page 90
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
90 ३. ‘सिया’ शÊद रूपयांिररि नहé होिया, पर इससे बनया ‘सिया्यया’ शÊद रूपयांिररि होिया हu
Kuसे - सिया Łप्ये
सिया्ये रूप्ये म¤
४. ‘पyनया’ शÊद भी पररिवि्चि होिया हu
Kuसे - पyने मूÐ्य पर
पyनी कीमि पर
५. संसकpि के रिमियाचक विशेषणों म¤ पहले िीन शÊदों म¤ ‘आ’ और शेष अन्य शÊदों म¤
‘ई’ लगयाकर ľीवलंग रूप बनया्यया Kयािया हu
Kuसे - प्र्म - प्र्मया
वĬिी्य - वĬिी्यया
िpिी्य – िpिी्यया
चिु््च - चिु्गी
पंचम – पंचमी
षķ – षķी
सĮ - सĮमी
षोPश – षोPशी
्यह रिम १८ िक ही चलिया हu १८ के 9पर संसकpि रिमियाचक ľीवलंग विशेषणों
कया प्र्योग वहंदी म¤ प्रया्य3 नहé होिया
६. ‘एक’ शÊद कया प्र्योग संज्या की िरह होने पर उसकी कयारक रचनया एकिचन म¤ ही
होिी हu पर, Kब उसकया प्र्योग ‘कुJ लोग’ के संदभ्च म¤ होिया हu, िब उसकया रूपयांिर
बहòिचन म¤ भी होिया हu
Kuसे - एको आदमी ने विरोध नहé वक्यया
एको लोग आगे नहé आए
७. ‘एक दूसरया’ कया प्र्योग प्रया्य: सि्चनयाम की िरह होिया हu प्रया्य: वलंग और िचन के
कयारण इसम¤ कोई पररिि्चन नहé होिया हu वकंिु अपियाद सिरूप कुJ लेखकों ने ‘एक
दूसरया’ कया प्र्योग विशेÕ्य के वलंग के अनुसयार वक्यया हu Kuसे - ‘सहेवल्ययाँ एक दूसरी
को चयाहिी ह§’ परंिु ?सया प्र्योग बहòि कम वमलिया हu और आKकल प्रया्य नहé वमलिया
हu
munotes.in
Page 91
विशेषण : रूपयांिर के आधयार
91 १०. सारांश :
सयारयांशि3 प्रसिुि इकयाई म¤ विशेषणों के मूल रूप से िीन भेद सयाि्चनयावमक विशेषण,
गुणियाचक विशेषण और सं´्ययाियाचक विशेषण वदए ह§ उनह¤ रूपयांिर के आधयार पर सपटि
वक्यया ग्यया हu
१०.४ लGू°रीय प्रश्न :
१. विशेषण के मूल रूप से वकिने भेद ह§?
उ : विशेषण के मूल रूप से िीन भेद हu
२. प्रया्य3 ्यyवगक सयाि्चनयावमक विशेषण कuसे होिे ह§?
उ : प्रया्य3 ्यyवगक सयाि्चनयावमक विशेषण आकयारयांि होिे ह§
३. गुणियाचक विशेषणों म¤ आकयारयांि विशेषण वकसके अनुसयार बदलिे ह§?
उ : गुणियाचक विशेषणों म¤ आकयारयांि विशेषण विशेÕ्य के वलंग, िचन और कयारक के
अनुसयार बदलिे हu
१०. दीGō°री प्रश्न :
१. विशेषणों म¤ होनेियाले रूपयांिर को सोदयाहरण सपटि कीवKए?
१०. संदभ्ष úं् :
१. वहंदी भयाषया कया इविहयास - धीर¤द्र िमया्च
२. वहनदी भयाषया - Pv. भोलयानया् विियारी
३. मयानक वहनदी Ó्ययाकरण - Pv. पpÃिीनया् पयाÁPे्य
४. वहनदी Ó्ययाकरण - पं. कयामिया प्रसयाद ग ुरू
५. Ó्ययािहयाररक वहनदी Ó्ययाकरण एि ं रचनया - Pv. संिोष चyधरी
६. Ó्ययािहयाररक वहनदी Ó्ययाकरण - Ô्ययामचनद्र कपूर
7777777munotes.in
Page 92
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
92 ११
हक्रया : łपांतर के आधार
(वा¸य, काल, हलंग, पुŁर और वचन क े आधार पर)
इकाई कì łपर ेखा
११.० इकयाई कया उĥेÔ्य
११.१ प्रसियािनया
११.२ वरि्यया : रूपयांिर के आधयार
११.२.१ ियाच्य
११.२.२ कयाल
११.२.३ अ््च
११.२.४ वलंग, पुŁष और िचन
११.३ सयारयांश
११.४ लGू°री्य प्रij
११.५ दीGō°री प्रij
११.६ संदभ्च úं्
११.० इकाई का 8ĥेÔय :
प्रसिुि इकयाई म¤ Jयाý वनÌनवलवखि वब ंदुओं कया अध्य्यन कर ¤गे
• इस इकयाई कया उĥ ेÔ्य वरि्यया म¤ होनेियाले रूपयांिर ्यया विकयार स े विदz ्ययाव््च्यों को
पररवचि करयानया ह u
• वरि्यया म¤ रूपयांिर वकन िÂिों क े कयारण और क uसे होिया हu, उनके वन्यम उपवन्यम
³्यया ह§? इन सभी की चचया ्च प्रसिुि इकयाई म¤ सविसियार से कर¤गे
११.१ प्रसतावना :
वरि्यया िया³्य रचनया कया एक महÂिपूण्च आधयार हu वरि्यया के रूपों म¤ होने ियाले विविध
पररिि्चनों से ही िया³्य के भेदों ि उपभेदों कया वनमया्चण होिया हu वरि्यया म¤ पररिि्चन ्यया वरि्यया
के रूप म¤ रूपयांिरण कया ज्यान भयाषया के विद्या्गी को अिÔ्य होनया चयावहए वरि्यया के रूप म¤ munotes.in
Page 93
वरि्यया : रूपयांिर के आधयार
93 होने ियाले अनेक पररिि्चनों ि उसके कयारणों की सोदयाहरण चचया्च की गई हu इकयाई की भयाषया
को कÃ्य के अनुरूप ि्या सपटि रखने की कोवशश की गई हu ियावक विद्या्गी विष्यिसिु को
आसयानी से समL सक¤ और उसकया प्र्योग दuनंवदन Kीिन म¤ आसयानी से कर सक¤ वरि्यया म¤
होनेियाले रूपयांिरों के विवभनन कयारक िÂिों की वििेचनया अलग-अलग ि वबंदुियार की गई हu
वKससे विष्यिसिु की सपटि समL विद्याव््च्यों के मवसिÕक म¤ बन सके और िे विष्य को
िuज्यावनक रूप से समLकर उसकया विĴेषण ि प्र्योग अपने अकयादवमक ि दuनंवदन Kीिन म¤
कर सक¤
११.२ हक्रया : łपांतर के आधार
वरि्यया म¤ ियाच्य, कयाल, अ््च, पुŁष, वलंग और िचन के कयारण रूपयांिर होिया हu वरि्यया के
वKस रूप म¤ ्ये पररिि्चन ्यया विकयार होिे ह§ उसे समयावपकया वरि्यया कहिे ह§ Kuसे – ‘मोहन
खेलिया हu’ िया³्य म¤ ‘खेलिया हu’ समयावपकया वरि्यया हu
११.२.१ वा¸य :
‘ियाच्य’ वरि्यया म¤ आए उस बदलयाि ्यया पररिि्चन को कहिे ह§ वKसके Ĭयारया इस बयाि कया बोध
होिया हu वक िया³्य के अनिग्चि किया्च, कम्च अ्िया भयाि- इनम¤ से वकसकी प्रधयानिया हu इनम¤
से वकसके अनुसयार वरि्यया के पुŁष, िचन आवद आए ह§
उप्यु्चक्त पररभयाषया के अनुसयार िया³्य म¤ वरि्यया के वलंग ि िचन किया्च के अनुसयार होंगे अ्िया
कम्च ्यया वZर भयाि के अनुसयार होिे ह§
Kuसे - मयाँ भोKन पकया रही हu (किp्चियाच्य)
भोKन पकया्यया Kया रहया हu (कम्चियाच्य )
भोKन पक रहया हu (भयािियाच्य)
ियाच्य के भेद : ियाच्य के िीन भेद होिे ह§ -
१. किp्चियाच्य
२. कम्चियाच्य
३. भयािियाच्य
१) किp्चियाच्य - किp्चियाच्य वरि्यया म¤ आए उस बदलयाि ्यया रूपयांिर को कहिे ह§ वKससे
्यह पिया चलिया हu वक िया³्य कया उĥेÔ्य वरि्यया कया किया्च हu
Kuसे - वश±क प
या रहे ह§
मोहन कवििया वलख रहया हu
मयाँ कपPे धो रही हu munotes.in
Page 94
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
94 किp्चियाच्य अकम्चक ि सकम्चक दोनों वरि्ययाओं म¤ होिया हu
२) कम्चियाच्य - कम्चियाच्य वरि्यया म¤ आए उस बदलयाि ्यया रूपयांिर को कहिे ह§ वKससे
्यह पिया चलिया वक िया³्य कया उĥेÔ्य वरि्यया कया कम्च हu
Kuसे - वचĜी वलखी Kया रही हu
भोKन बनया्यया Kया रहया हu
आम खया्यया Kया रहया हu
कपया वस्यया Kया रहया हu
३) भयािियाच्य - वरि्यया के वKस रूपयांिर से ्यह पिया चलिया हu वक िया³्य कया उĥेÔ्य न
िो वरि्यया कया किया्च हu और न कम्च, उसे भयािियाच्य कहिे ह§
Kuसे - बरसयाि म¤ चलया नहé Kयािया
बयाि कही नहé Kयािी
भयािियाच्य केिल अकम्चक वरि्ययाओं म¤ होिया हu भयािियाच्य म¤ ्यवद किया्च कभी आिया हu िो उसे
प्रया्य: करणकयारक के रूप म¤ ही वलखया Kयािया हu
Kuसे - मोहन से गया्यया नहé Kयािया
रयाहòल से टहलया नहé Kयािया
सीिया से बuठया नहé Kयािया
दयादया से वप्यया नहé Kयािया
सोहन से खया्यया नहé Kयािया
वा¸य के आधार पर हक्रया म¤ łपांतर :
ियाच्य के आधयार पर वरि्यया म¤ रूपयांिरण ्यया बदलयाि होिया हu इस रूपयांिरण से ्यह पिया
चलिया हu वक िया³्य म¤ किया्च के विष्य म¤ विधयान वक्यया ग्यया हu ्यया कम्च के विष्य म¤ अ्िया
भयाि के बयारे म¤, उदयाहरण के रूप म¤ वनÌनवलवखि िया³्यों को देखया Kया सकिया हu
Kuसे - मोहन कवििया वलखिया हu (किp्चियाच्य )
कवििया वलखी Kयािी हu ( कम्चियाच्य)
कuसे चलया Kयाएगया (भयािियाच्य)
१) किp्चियाच्य : िया³्य म¤ किया्च के विष्य म¤ विधयान करनेियाले वरि्यया के रूपयांिर ्यया बदलयाि
को किp्चियाच्य कहिे ह§ munotes.in
Page 95
वरि्यया : रूपयांिर के आधयार
95 Kuसे - मोहन गीि गयािया हu
लीलया रोटी बनयािी हu
सूरK पुसिक प
िया हu
बचचया वचÐलयािया हu
किp्चियाच्य सकम्चक और अकम्चक दोनों िरह वरि्ययाओं म¤ होिया हu उप्यु्चक्त उदयाहरणों म¤ पहले
िीन िया³्य सकम्चक ह§ ि्या अंविम िया³्य अकम्चक हu
२) कम्चियाच्य : िया³्य म¤ कम्च के विष्य म¤ विधयान करनेियाले वरि्यया के Łपयांिर को
कम्चियाच्य कहया Kयािया हu
Kuसे - पुसिक प
ी Kयािी हu
कपया वस्यया Kयािया हu
गीि गया्यया Kयािया हu
्यहयाँ इस िÃ्य को भी समL लेनया चयावहए वक कम्चियाच्य केिल सकम्चक वरि्ययाओं म¤ होिया हu
कम्चियाच्य म¤ किया्च को वलखने की आिÔ्यकिया ्यवद हो िो उसे करणकयारक म¤ ही वलखया
Kयािया हu
Kuसे - मोहन से चलया नहé Kयािया
वगरीश से खया्यया नहé Kयािया
चंपया से बोलया नहé Kयािया
३) भयािियाच्य : वरि्यया के वKस रूप से ्यह पिया चलिया हu वक िया³्य कया उĥेÔ्य िया³्य कया
किया्च अ्िया कम्च नहé हu बवÐक भयाि हu, उस रूप को भयािियाच्य कहिे ह§
Kuसे - गोविंद से बuठया नहé Kयािया
सीिया से वलखया नहé Kयािया
संK्य से प
या नहé Kयािया
वहंदी की िया³्यरचनया म¤ भयािियाच्य के अनिग्चि किया्च कया प्र्योग आिÔ्यक नहé होिया प्रया्य3
बोलिे अ्िया वलखिे सम्य इस प्रकयार के िया³्यों म¤ किया्च कया प्र्योग नहé वक्यया Kयािया
११.२.२ काल : काल के आधार पर हक्रया म ¤ łपांतर :
काल : वरि्यया के उस रूपयांिरण ्यया बदलयाि को कयाल कहिे ह§ वKससे ्यह पिया चले वक
वरि्यया के होने कया सम्य ³्यया हu और वरि्यया पूण्च हòई अ्िया अपूण्च हu
munotes.in
Page 96
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
96 काल के तीन łप माने जाते ि§ –
१. िि्चमयान कयाल
२. भूिकयाल
३. भविÕ्यिz कयाल
इन िीनों कयालों कया ज्यान वरि्यया के रूपों से होिया हu, इसीवलए वरि्यया के रूप भी ‘कयाल’
कहलयािे ह§ वरि्यया की विविध अिस्याओं के आधयार पर वहंदी म¤ कयाल के Kो भेद सिीकpि ह§
उनके वििरण वनÌनिि ह§ - काल सामान्य अपूण्ष पूण्ष िि्चमयान िह चलिया हu िह चल रहया हu िह चल चुकया हu िह चलया हu भूि िह चलया िह चल रहया ्या िह चल चुकया ्या िह चलया ्या भविÕ्यिz िह चलेगया --X-- --X-- उप्यु्चक्त ियावलकया से ्यह सपटि होिया ह u वक वकस िरह कयाल क े आधयार पर वरि्यया म ¤ रूपयांिरण
्यया विकयार होिया ह u अ्या्चि अलग - अलग कयालों म¤ वरि्यया कया रूप बदल Kयािया ह u
११.२. अ््ष : अ््ष के आधार पर हक्रया म ¤ łपांतरण :
अ््च : वरि्यया के वKस रूप से विधयान अ्िया क्न करने की रीवि कया पिया चलिया हu, उसे
अ््च कहिे ह§
Kuसे - मोहन प
िया हu (वनIJ्य)
िुम Kयाओ ( आज्या)
शया्यद िह करे ( संभयािनया)
्यवद िह Kयािया िो अचJया होिया (संकेि)
वरि्यया के रूपों से केिल सम्य की पूण्च अ्िया अपूण्च अिस्या कया ही ज्यान नहé होिया, बवÐक
वनIJ्य, संदेह, संभयािनया, आज्या, संकेि आवद कया भी बोध होिया हu इन रूपों से कयाल और
अ््च दोनों कया बोध होिया हu कयामिया प्रसयाद गुŁ के अनुसयार वहंदी म¤ वरि्ययाओं के मु´्य पयाँच
अ््च होिे ह§ इन पयाँचों कया वििरण वनÌनिि हu-
१. वनIJ्यया््च
२. संभयािनया््च munotes.in
Page 97
वरि्यया : रूपयांिर के आधयार
97 ३. संदेहया््च
४. आज्या््च
५. संकेिया््च
अ्Ŏ के अनुसार हक्रया म¤ łपांतर :
अ््च के अनुसयार वरि्यया म¤ होनेियाले रूपयांिरण को वनÌनवलवखि रूप से देखया Kया सकिया हu
१. सयामयान्य िि्चमयान कयाल - िह चलिया हu (वनIJ्यया््च)
२. पूण्च िि्चमयान कयाल - िह चल चुकया हu (वनIJ्यया््च)
३. सयामयान्य भूिकयाल - िह चलया (वनIJ्यया््च)
४. अपूण्च भूिकयाल - िह चलिया ्या (वनIJ्यया््च)
५. पूण्च भूिकयाल - िह चल चुकया ्या (वनIJ्यया््च)
६. सयामयान्य भविÕ्यिz कयाल - िह चलेगया (वनIJ्यया््च)
७. संभयाÓ्य िि्चमयान कयाल - िह चलिया हो (संभयािनया््च)
८. संभयाÓ्य भूि कयाल - िह चलया हो (संभयािनया््च)
९. संभयाÓ्य भविÕ्यिz कयाल - िह चले
१०. संवदµध िि्चमयान कयाल - िह चलिया होगया (संदेहया््च)
११. संवदµध भूिकयाल - िह चलया होगया ( संदेहया््च)
१२. प्रÂ्य± विवध - िू चल (आज्या््च)
१३. परो± विवध - िू चलनया (आज्या््च)
१४. सयामयान्य संकेिया््च - िह चलिया हu (संकेिया््च)
१५. अपूण्च संकेिया््च - िह चलिया होिया (संकेिया््च)
१६. पूण्च संकेिया््च - िह चलया होिया (संकेिया््च)
उप्यु्चक्त उदयाहरणों से सपटि हu वक वकस प्रकयार अ््च के आधयार पर वरि्यया रूपयांिररि होिी हu
११.२.४ हलंग, पुŁर और वचन के आधार पर हक्रया म¤ िोने वाले łपांतरण :
पुŁष, वलंग और िचन के आधयार पर भी वरि्यया के रूप म¤ पररिि्चन होिया हu वहंदी म¤ िीन
पुŁष (उ°म, मध्यम और अन्य) दो वलंग (पुवÐलंग और ľीवलंग) ि्या दो िचन (एकिचन ि munotes.in
Page 98
वहंदी भयाषया और Ó्ययाकरण
98 बहòिचन) होिे ह§ इनके आधयार पर वरि्यया म¤ होनेियाले पररिि्चनों को वनÌनवलवखि ियावलकया
के मयाध्यम से समLने की हम कोवशश कर¤गे -
पुहललंग - पुŁर एकवचन बिòवचन उ°म पुŁष म§ चलिया हóँ हम चलिे ह§ मध्यम पुŁष िू चलिया हu िुम चलिे हो अन्य पुŁष िह चलिया हu िे चलिे ह§ ľीहलंग - पुŁर एकवचन बिòवचन उ°म पुŁष म§ चलिी हóँ हम चलिी ह§ मध्यम पुŁष िू चलिी हu िुम चलिी हो अन्य पुŁष िह चलिी हu िे चलिी ह§ उप्यु्चक्त उदयाहरणों से पुŁष, िचन ि वलंग के आधयार पर वरि्यया म¤ होनेियाले रूपयांिरण सपटि
ह§, वकंिु एक बयाि वKसे हम¤ समL लेनी चयावहए िह ्यह हu वक संभयाÓ्य भविÕ्यिz और विवध
कयालों म¤ वलंग के कयारण कोई बदलयाि नहé होिया
११. सारांश :
सयारयांशि3 वरि्यया िया³्य रचनया कया महÂिपूण्च आधयार सिंभ हu वरि्यया म¤ रूपयांिर के आधयार
को अ्या्चि ियाच्य, कयाल, अ््च, वलंग, पुŁष और िचन को सपटि वक्यया हu विद्याव््च्यों की
सुविधया को ध्ययान म¤ रखिे हòए वरि्यया म¤ होनेियाले रूपयांिरों के विवभनन कयारक िÂिों की
वििेचनया वबंदुियार की गई हu, वKससे विष्यिसिु की सपटि समL बनिी हu विद्या्गी विष्य को
िuज्यावनक रूप से समLकर उसकया विĴेषण ि प्र्योग अपने Kीिन म¤ कर सक¤गे
११.४ लGू°रीय प्रश्न :
१. ियाच्य के भेद वकिने हu?
उ : ियाच्य के किp्चियाच्य, कम्चियाच्य, भयािियाच्य ?से िीन भेद हu
२. वकस ियाच्य म¤ िया³्य कया उĥेÔ्य वरि्यया कया कम्च होिया हu?
उ : कम्चियाच्य म¤ िया³्य कया उĥेÔ्य वरि्यया कया कम्च होिया हu
३. िया³्य म¤ किया्च के विष्य म¤ विधयान करने ियाले वरि्यया के रूपयांिर को ³्यया कहिे हu?
उ : किp्चियाच्य munotes.in
Page 99
वरि्यया : रूपयांिर के आधयार
99 ११. दीGō°री प्रश्न :
१. वरि्यया म¤ रूपयांिर के आधयार पर ियाच्य और कयाल पर विसियार से प्रकयाश Pयावलए?
२. वलंग, पुरूष और िचन के आधयार पर वरि्यया के रूपयांिर को सोदयाहरण सपटि कीवKए?
११. संदभ्ष úं् :
१. वहंदी भयाषया कया इविहयास - धीर¤द्र िमया्च
२. वहनदी भयाषया - Pv. भोलयानया् विियारी
३. मयानक वहनदी Ó्ययाकरण - Pv. पpÃिीनया् पयाÁPे्य
४. वहनदी Ó्ययाकरण - पं. कयामिया प्रसयाद ग ुरू
५. Ó्ययािहयाररक वहनदी Ó्ययाकरण एि ं रचनया - Pv. संिोष चyधरी
६. Ó्ययािहयाररक वहनदी Ó्ययाकरण - Ô्ययामचनद्र कपूर
7777777
munotes.in