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जनसंचार माध्यम
इकाई की रूपरेखा
१.० आकाइ का ईद्देश्य
१.१ प्रस्तावना
१.२ जनसंचार : ऄथथ, पररभाषा, ऄवधारणा एवं स्वरुप
१.२.१ जनसंचार : ऄथथ
१.२.२ जनसंचार की पररभाषा
१.२.३ जनसंचार की ऄवधारणा एवं स्वरूप
१.३. जनसंचार : तत्व एवं ववशेषताएँ
१.३.१ जनसंचार के तत्व
१.३.२ जनसंचार की ववशेषताएँ
१.४ जनसंचार : प्रविया, ईपयोवगता, महत्व एवं बदलता स्वरूप
१.४.१ जनसंचार : प्रविया
१.४.२ जनसंचार ईपयोवगता एवं महत्व
१.४.३ जनसंचार का बदलता स्वरूप
१.५ सारांश
१.६ लघु ईत्तरीय प्रश्न
१.७ दीघोत्तरी प्रश्न
१.८ संदभथ ग्रंथ
१.० इकाई का उद्देश्य प्रस्तुत आकाइ में छात्र वनम्नवलवखत वबंदुओं का ऄध्ययन करेंगे।
जनसंचार का ऄथथ समझ सकेंगे।
जनसंचार की ऄवधारणा तथा स्वरूप को समझ सकेंगे।
जनसंचार के तत्वों को जान सकेंगे।
जनसंचार की ववशेषताओं से पररचय होगा।
जनसंचार की समग्र प्रविया एवं महत्व को समझ सकेंगे।
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संचार माध्यम
2 १.१ प्रस्तावना जनसंचार भाषा के माध्यम से प्रचार-प्रसार करने की एक प्रभावी प्रविया है। आक्कीसवीं
शताब्दी को हम संचार िांवत का युग कहते हैं, आस युग में जनसंचार का महत्व बहुत ही बढ़
गया है। जनसंचार की प्रविया में सूचना, ज्ञान तथा जानकारी का अदान-प्रदान होता है।
अज के युग में वकसी ववषय की जानकारी या ज्ञान होना ताकत से कम नहीं है। ‘ज्ञान ही
शवि है’ ऐसा कहा भी जाता है। मनुष्य की ज्ञान-वपपासा ने ही कइ ज्ञानों को जनम वदया है।
ऄज्ञात रहस्यों को जानना और ज्ञात ज्ञान का वववेचन करना मनुष्य की वृत्ती है। आस
वववेचन और ववस्तारण की विया में जनसंचार महत्वपूणथ भूवमका वनभाता है। श्री रुपचन्द
गौतम के ऄनुसार ‚संचार का काम है एक-दूसरे से बातचीत करना, लेवकन जब आसका
ववस्तार कर वदया जाता है यानी अदवमयों से पररवार, पररवार से गाँव, गाँव से शहर, शहर
से राज्य, राज्य से देश, देश से ववदेश तब संचार जनसंचार के दायरे में अता है।‛ शुरू में
कबूतरों के पैर में संदेश बांध कर भेजा जाता था, और संचार की प्रविया होती थी। अगे
जैसे-जैसे मनुष्य सभ्यता का ववकास होता गया वैसे-वैसे संचार की तकनीकों में भी
पररवतथन होने लगा। संचार की आस सारी प्रविया में भाषा ही प्रमुख रही है, ऄथाथत भाषा के
माध्यम से ही जादा संचार होकर संचार को एक व्यववस्थत रूप प्राप्त हुअ। शुरू में मनुष्य
ऄपने मुहँ से रोने, वचल्लाने की अवाज वनकालकर ऄपना काम चला लेता था। साथ ही
ऄपने हाथ-पैर चलाकर, आशारों से ऄपने ववचारों को व्यि करता था।
‚कहत, नटत, रीझत, वखझत, वमलत, वखलत, लवजयात।
भरे भौन में करत हैं, नैननु ही सौ बात ।‛
वबहारी के आस दोहे के नायक-नावयका वजस प्रकार भरे भवन में अँखों के आशारों से बात
करते हैं ठीक ईस प्रकार संचार भाषा के वबना भी संभव है। वकन्तु भावों और ववचारों की
ऄवभव्यवि व्यापक रूप में भाषा के माध्यम से वजतनी ऄच्छी होती है, ईतनी ऄन्य माध्यमों
से नहीं होती। जनसंचार में भाषा बहुत महत्वपूणथ है। जनसंचार में हम वजस माध्यम से जुड़ते
हैं बातचीत करते हैं। वजनके वलए बातचीत करते हैं यवद भाषा ईनके ऄनुरूप न हो तो
संचार पूरा नहीं होगा। भाषा के कारण ही जनसंचार को गवत वमलती है। जनसंचार की
प्रविया में मनुष्य के ववभन्न ऄंगो की भूवमका होती है। मनुष्य के मुहँ, हाथ, बाह, चेहरा,
नाक, कान अवद ऄंग सूचना का सम्प्रेषण करते हैं। हम समाचार पत्र पढ़ते हैं, वलखते हैं,
रेवडओ-टेवलववज़न अवद पर कायथिम देखते-सुनते है। नाटक-वसनेमा देखते हैं। नेताओं के
भाषण सुनते हैं, आंटरनेट के माध्यम से मनोरंजन करते हैं, यह सभी जनसंचार के ऄंतगथत
अता है। जनसंचार एक ऐसी प्रविया है वजसमें एक या दो से ज्यादा लोगों के बीच ऄथथपूणथ
संदेशों का अदान-प्रदान वकया जाता है। ये संदेश, संदेश भेजने वाला प्रेषक और संदेश प्राप्त
करने वाले प्रापक के बीच समझदारी वनमाथण करते हैं। जनसंचार की यह प्रविया मुवित
माध्यम, श्रव्य माध्यम और दृश्य -श्रव्य माध्यम से होती है।
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जनसंचार माध्यम
3 १.२ जनसंचार : अथथ, पररभाषा, अवधारणा एवं स्वरुप १.२.१ जनसंचार : अथथ
जनसंचार यह शब्द ऄंग्रेजी के ‘Mass Communication ’ आस शब्द का वहंदी रूप है।
वास्तव में ‘जनसंचार’ एक यौवगक शब्द है। जो ‘जन’ (Mass ) और ‘संचार’
(Communication ) आन शब्दों से बना है। आस शब्द में ‘जन’ का ऄथथ होता है समूह,
समाज, तथा जनता और ‘संचार’ का ऄथथ होता है सम्प्रेषण, एक ऄथथपूणथ संदेश का एक
स्थान से दूसरे स्थान तक अना-जाना। आस ऄथथ में जनसंचार वह प्रविया है वजसमें जन
समूहों के बीच ऄथथपूणथ संदेशों तथा सूचनाओं का अदान-प्रदान होता है। संचार को ऄंग्रेजी
में Communication कहा जाता है। Communication यह शब्द लॅवटन भाषा के
Communis आस शब्द से बना है। आस शब्द का ऄथथ होता है to make common ऄथाथत
सामान्यीकरण, सामान्य भागीदारी। एक व्यवि द्वारा दूसरे व्यवि को या ऄन्य कइ व्यवियों
को वचन्हों, संकेतों या साथथक प्रतीकों द्वारा ववचार, ज्ञान तथा मनोभावों का अदान-प्रदान
संचार है। संचार एक सामावजक प्रविया है। संचार के द्वारा मनुष्य ऄपने ववचारों तथा भावों
को व्यि करता है आस कारण मनुष्य में समझदारी वनमाथण होती है। अज वबना संचार के
कोइ भी कायथ पूरा नहीं हो सकता। ऄंग्रेजी में एक कहावत है वक, ‘Many people many
brains ’ ऄथाथत लोगों के ववचार ऄलग-ऄलग होते हैं। ऐसे ऄलग-ऄलग ववचारों के लोगों को
एकसाथ लाने में महत्वपूणथ भूवमका ‘संचार’ की होती है। संचार के ऄभाव में वकसी भी क्षेत्र
का काम सफल और पूणथ नहीं हो सकता। संचार के कारण ही ववचारों की समझदारी
ववकवसत होती है। संचार की प्रविया में दो व्यवियों, व्यवि समूहों में सूचना का अदान-
प्रदान तथा सम्प्रेषण होता है। संचार प्रविया के कारण ही मनुष्य के जीवन का संचलन होता
है। जीवन में भूख, प्यास वजस प्रकार महत्वपूणथ हैं ईसी प्रकार संचार प्रविया भी महत्वपूणथ
है। संचार समाज की अवश्यकता है, संचार के वबना वकसी समाज का वनमाथण नहीं हो
सकता। संचार के कारण ही मानव के सामावजक संबंधों का वनमाथण होता है। संप्रेषक एवं
श्रोता के बीच होने वाले संदेशों के अदान-प्रदान के माध्यम से संचार की प्रविया सम्पन्न
होती है।
‘संचार’ की यह प्रविया जब व्यवि से वनकल कर बड़े जन समूह से जुड़ जाती है तब ईसे
‘जनसंचार’ कहा जाता है। ईदाहरण के वलए समाचार पत्र में छपा समाचार एक ऐसा संदेश
होता है जीसे एक स्थान से दूसरे स्थान भेजा जाता है। यहाँ समाचार को एक स्थान से दूसरे
स्थान ले जाने की प्रविया को हम जनसंचार कहेंगे। देश का कोइ बड़ा नेता जब रेवडओ,
टेवलववज़न जैसे माध्यमों की सहायता से कोइ संदेश देश की जनता के वहत में देता है तब
ईस प्रविया को हम ‘जनसंचार’ कहेंगे।
१९३९ में हबथटथ ब्लूमर ने ‘जनसंचार’ शब्द में प्रयुि होने वाले समानाथी शब्दों को
पररभावषत करते हुए जनसंचार का ऄथथ स्पष्ट करने का प्रयास वकया है। ये शब्द ‘समूह’
(Group ), ‘भीड़’ (Crowd ), और ‘जन-समुदाय’ (Public ) हैं। समूह के सारे लोग या
सदस्य एक-दूसरे से पररवचत होते हैं। एक समान दृवष्टकोण और ईद्देश्य रखने वाले एकसाथ
अने पर समूह वनमाथण होता है। भीड़ का स्वरूप ऄस्थाइ होता है आसकी भौगोवलक सीमा भी
वनवित होती है, आसमें कभी भावनात्मक और वैचाररक एकरूपता हो सकती है वकन्तु आसका munotes.in
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संचार माध्यम
4 कोइ संरचनात्मक स्वरूप नहीं होता। ‘जन-समुदाय’ समूह और भीड़ से अकार में बड़ा होता
है। जन-समुदाय की कोइ भौगोवलक सीमा नहीं होती, वकन्तु आसमें एक ‘ववचार’ होना
अवश्यक होता है। ‘जनसंचार’ शब्द में प्रयुि होनेवाला ‘जन’ शब्द ‘समूह’,’भीड़’ और जन-
समुदाय से अकार में ववस्तृत होता है। आसमें सूचना प्रेवषत करनेवाला प्रेषक और सूचना
ग्रहण करने वाले ग्रावहयों के बीच एक-साथ संपकथ स्थावपत होता रहता है। जनसंचार में आस
बात की संभावना बनी रहती है वक, प्रेषक द्वारा प्रेवषत सूचना से सूचना प्राप्त करनेवाले
ऄवधकांश लोगों में कुछ-न-कुछ प्रवतविया ऄवश्य वनमाथण होगी। जनसंचार की यह सारी
प्रविया माध्यम से सम्पन्न होती है।
१.२.२ जनसंचार की पररभाषा:
जनसंचार को कइ ववद्वानों ने पररभावषत वकया है जो आस प्रकार है।
डी. एस. मेहता: कहते है ‚जनसंचार का तात्पयथ सूचनाओं, ववचारों और मनोरंजन के
ववस्तृत अदान-प्रदान (ववस्तारीकरण) से है जो वकसी माध्यम जैसे रेवडयो, टी.व्ही.,
वफल्म और प्रेस के द्वारा होता है।
जवरीमल्ल पारेख: कहते हैं ‚जनसंचार का ऄथथ है जन के वलए संचार के माध्यम।
आसमें जनता न तो वनवष्िय भागीदार होती है और न ही प्रत्येक प्रेवषत संदेश को
असानी से स्वीकार कर लेती है, बवल्क आन माध्यमों को प्रभाववत भी करती है और
प्रभाववत भी होती है। अज के ववकवसत प्रौद्योवगकी के युग में व्यवि ऄकेले घर बैठे
वफल्म देख सकता है और घर बैठे ही दुवनया से संपकथ कर सकता है।‛
जॉजथ ए. ममलर: कहते हैं ‚जनसंचार का तात्पयथ सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे
स्थान तक पहुंचाना है।‛
एमसे मोटगु और फ्लोएड मेन्स: कहते हैं ‚वह ऄसंख्य ढंग वजससे मानवता से संबंध
रखा जा सकता है, केवल शब्दों या संगीत, वचत्रों या मुिण द्वारा, आशारों या ऄंग प्रदशथन
द्वारा, शारीररक मुिा या पवक्षयों के परों से सभी की अँखों तथा कानों तक संदेश
पहुँचाना ही जनसंचार कहलाता है।
फ्रेंकमलंग, मियररंग: कहते हैं ‚जनसंचार को ईस स्वरूप के रूप में पररभावषत वकया
जा सकता है जो वबखरे हुए ववशाल समुदाय के सदस्यों के पास एक साथ संदेश को
पहुँचाने में समथथ है।‛
जान्डेन: कहते हैं वक, जनसंचार में ‚संगवठत स्त्रोत द्वारा ववस्तृत, ववजातीय, वबखरी
हुइ जनता को तकनीकी माध्यम से संदेश प्राप्त होता है।‛
आल्ट एवं एगी: कहते है ‚जनसंचार का ऄथथ वकसी ईद्देश्य के वलए ववकवसत संचार
माध्यमों के ईपयोग द्वारा ववस्तृत अकार के वववभन्न प्रापकों तक सूचनाओं एवं
ववचारों को पहुँचाना है।‛
एडवडथ मसल्स और डेमवड एम. राइट : कहते हैं- ‚जनसंचार ववश्व के वलए एक झरोका
प्रदान करता है। जनसंचार के द्वारा जो चीजें अम अदमी को ईपलब्ध नहीं थी, ऄब munotes.in
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5 होने लगी। जनसंचार एक ऐसा संपकथ है जो एक व्यवि से दूसरे व्यवि तक बहुगुवणत
रूप से स्थावपत होता है।‛
जोसेफ मडमनटी: कहते हैं ‚जनसंचार बहुत से व्यवि में एक मशीन के माध्यम से
सूचनाओं, ववचारों और दृवष्टकोण को रूपांतररत करने की प्रविया है।‛
टीड: कहते हैं वक संचार का लक्ष्य समान ववषयों पर मवस्तष्कों में मेल स्थावपत करना
है।
लोरेंस ए एप्ली: कहते हैं ‚संचार वह प्रविया है वजसमें एक व्यवि ऄपने ववचारों से
दूसरे को ऄवगत करता है।‛
लुई ए एलन: कहते हैं वक ‚एक व्यवि के मवस्तष्क को दूसरे से जोड़ने का पुल संचार
है ।‛
मथयो हेमन: कहते हैं ‚एक व्यवि से दूसरे की संरचनाएँ एवं समझ हस्तांतररत करने
की प्रविया संचार है ।‛
न्यू मैन एवं समर: कहते हैं वक ‚दो या दो से ऄवधक व्यवियों के बीच
तथ्यों,ववचारों,सम्मवतयों ऄथवा भावनाओं का अदान-प्रदान संचार है।‛
एफ.जी. मेयर: कहते हैं ‚मानवीय ववचारों और सम्मवतयों का शब्दों,पन्नों एवं संदेशों
के जररए अदान-प्रदान संचार है।
प्रस्तुत पररभाषाओं को देखने के पिात हम संक्षेप में कह सकते हैं वक, जनसंचार एक ऐसी
प्रविया है वजसमें संदेश को यंत्रों की सहायता से दुगुना-वतगुना करके दूर-दूर तक भेजा
जाता है।
१.२.३ जनसंचार की अवधारणा एवं स्वरूप:
भारत में जनसंचार की ऄवधारणा बहुत पुरानी है ऐसा हम कह सकते हैं। पौरावणक पात्र
महवषथ नारद तीनों लोकों में घूम घूमकर संचार का कायथ वकया करते थे यह ईल्लेख वमलता
है। महाभारत के पात्र संजय को वदव्य दृवष्ट प्राप्त थी आस कारण कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में न
जाते हुए भी वे हवस्तनापुर के राज महल में रहकर महाराज धृतराष्र को युद्ध का वणथन
सुनाते थे। वकन्तु अज हम वजस जनसंचार की ऄवधारणा को देख रहे है ईसमें शुरू में
कबूतरों के माध्यम से संचार होता था। अगे जैसे-जैसे मनुष्य सभ्यता का ववकास होता गया
वैसे-वैसे जनसंचार की तकनीकों में पररवतथन होता गया।
बीसवीं सदी के अरंवभक समय को हम अज के जनसंचार का अरंवभक काल कह सकते
हैं। १९१० के बाद ऄमरीका, यूरोप तथा ववश्व के ऄन्य सभी राष्रों में समाचार पत्रों की
वबिी बढ़ने लगी। प्रथम ववश्व युद्ध के समय जनता ने समाचार पत्रों की शवि का ऄनुभव
वकया। जमथनी में सत्ता पक्ष द्वारा ऄपनी शवि बढ़ाने के वलए एक प्रचारक के रूप में
जनसंचार का सहारा वलया गया। बाद में जब पूँजीवाद का अगमन हुअ, औद्योगीकरण और
शहरीकरण बढ़ने लगा। ऄब नये से वनमाथण हुए व्यापरी वगथ को ऄपने ईत्पाद (प्रोडक्ट) की munotes.in
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संचार माध्यम
6 वबिी बढ़ाने के वलए ईस समय जो ईपलब्ध यातायात और संचार के संसाधन थे वे कम
पड़ने लगे। राजनीवतक दलों को भी ऄपने ववचार ऄवधक से ऄवधक लोगों तक, सत्ता तक
पहुँचाने की अवश्यकता वनमाथण होने लगी। आन अवश्यकताओं की पूवतथ करने के वलए ही
संचार के मुवित माध्यम, तार, टेलीफोन, टेलीववजन, रेवडओ, कंप्यूटर अवद संसाधनों का
तेजी से ववकास होने लगा। अगे सूचना प्रौद्योवगकी के ववकास के कारण जनसंचार के क्षेत्र में
बहुत बड़ी िांवत हुइ। आस प्रौद्योवगकी के माध्यम से ही जनसंचार की प्रविया संपन्न होती है।
जनसंचार के स्वरूप को देखने पर आसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही पररणामों
को हम अज देख सकते हैं। जहाँ एक ओर आसने स्थानों की दूरी कम करके सम्पूणथ ववश्व को
एक गाँव के समान बनाकर ववश्व का ज्ञान-ववज्ञान, संस्कृवत, ववचार अवद को समझने में
महत्वपूणथ भूवमका वनभाइ है। वहीं दूसरी ओर मोबइल गेम, पोनोग्राफी अवद के संचार के
कारण समाज को भयभीत भी कर वदया है। वहंसा, िूरता, ऄश्लीलता, यौन ऄपराध अवद में
होती हुइ बढ़ोत्तरी के कारण ऄब जनसंचार के दुष्पररणाम भी सामने अने लगे हैं।
१.३. जनसंचार : तत्व एवं मवशेषताएँ १.३.१ जनसंचार के तत्व:
तत्व शब्द से तात्पयथ वे घटक या ईपकरण से होता है जो वकसी वस्तु के वनमाथण में सहायक
होते हैं। जनसंचार के वनम्नवलवखत तत्व है।
१. संचारक (Sender ):
जनसंचार प्रविया में सूचना संचाररत करनेवाला कोइ एक व्यवि नहीं होता। बवल्क एक
संगठन होता है। वजसमें बहुत सारे लोग वमलकर काम करते हैं, और वकसी सूचना को लोगों
तक पहुँचाने में ऄपना योगदान देते हैं। जनसंचार में सीधी, सरल और व्यवहाररक भाषा का
प्रयोग वकया जाता है। संचारक द्वारा प्रयुि भाषा में कलात्मकता भी होती है। प्रचवलत
शब्दावली का प्रयोग संचारक द्वारा वकया जाता है। भावषक क्षेत्र में प्रचवलत शब्दों का तथा
जरूरत पड़ने पर देशज शब्दों का भी प्रयोग वकया जाता है। प्रचवलत ववदेशी शब्द,
पाररभावषक शब्दावली का प्रयोग भी संचारक द्वारा वकया जाता है।
२. संदेश (Message ):
जनसंचार की प्रविया में संचारक द्वारा कोइ संदेश प्रसाररत वकया जाता है, जो समाज के
वहत में होता है। जनसंचार प्रविया में कोइ वनजी संदेश प्रसाररत नहीं वकया जाता। जो संदेश
समाज के वलए लाभदायक होते हैं वहीं संदेश जनसंचार की प्रविया में अते हैं।
जनसंचार में संदेशों का सम्प्रेषण होता है। साथ ही सम्प्रेषण की समस्या भी बहुत बड़ी होती
है। जनसंचार का ईद्देश्य ही संदेश रूप जानकारी को सवथत्र पहुँचाना होता है। जनसंचार
व्यवस्था में संदेश विा और श्रोता के बीच माध्यम के द्वारा कायथ करती है।
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जनसंचार माध्यम
7 ३. माध्यम (Channel ):
जनसंचार की प्रविया में सूचनाओं को प्रसाररत करने के वलए माध्यम की अवश्यकता होती
है। कोइ भी सूचना लोगों तक पहुँचाने के वलए अवश्यकता नुसार समाचार पत्र, पवत्रका,
रेवडयो, टेवलववज़न, आंटरनेट अवद माध्यमों का चयन करना पड़ता है। तभी वह सूचना दूर-
दूर तक बैठे हुए लोगों तक पहुँच जावत है।
४. प्राप्तकताथ (Receiver ):
जनसंचार की प्रविया में सूचना या संदेश को प्राप्त करनेवाले कइ लोग होते है। आन्हे ही
प्राप्तकताथ कहा जाता है, जो संचाररत संदेश को प्राप्त करते हैं। ये संदेश प्राप्तकताथ वभन्न वभन्न
रुवच रखने वाले, ऄलग-ऄलग परंपरा का पालन करने वाले, वभन्न-वभन्न संस्कृवत तथा
वभन्न भाषा के भी होते है।
५. प्रमतमिया (Feed Back ):
जनसंचार की प्रविया में प्रवतविया बहुत महत्वपूणथ होती है। कभी यह प्रवतविया धीरे वमलती
है तो कभी देरी से वमलती है। जनसंचार की प्रविया प्रभावशील होने के वलए प्रवतविया बहुत
सहायक होती है। वकन्तु कइ बार प्रवतविया वमलती नहीं।
६. शोर (Noise ):
जनसंचार प्रविया का ऄंवतम महत्वपूणथ तत्व शोर है। जनसंचार की प्रविया को वकसी भी
प्रकार का शोर बावधत कर सकता है। ईदाहरण के वलए टेवलववज़न या रेवडयो द्वार कोइ
संदेश प्रसाररत होते समय वबजली कट हो जाने से जनसंचार की प्रविया बावधत हो सकती
है। पढ़ते या सुनते समय घर के ऄंदर से या बाहर से होनेवाला शोर जनसंचार को बावधत
करता है।
१.३.२ जनसंचार की मवशेषताएँ:
जनसंचार की वनम्नवलवखत ववशेषताएँ बताइ जा सकती हैं।
जनसंचार में प्रकावशत या प्रसाररत संदेशों की प्रकृवत सावथजवनक होती है।
जनसंचार में संदेश का वनमाथण कोइ एक व्यवि नहीं करता बवल्क एक समूह संदेश
वनमाथण का कायथ करता है। ईदाहरण के वलए प्रसाररत एक समाचार में पत्रकार,
संपादक, सहसंपादक, फोटोग्राफर, कैमरामन अवद का योगदान होता है।
जनसंचार में संदेश की ववषय वस्तु का चयन अम पाठक,श्रोता को ध्यान में रखकर
वकया जाता है।
जनसंचार में संदेश प्राप्त करने वाले समान नहीं होते। ऄथाथत वे ऄलग-ऄलग
सामावजक वगथ, संस्कृवत, भाषा तथा अयु के होते हैं। ईदाहरण के वलए प्रधानमंत्री का
राष्र के वलए प्रेवषत संदेश प्राप्त करने वाले ऄलग-ऄलग राज्य के, ऄलग-ऄलग भाषा
के, ऄलग-ऄलग वलंग के, ऄलग-ऄलग अयु के लोग होते हैं। munotes.in
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संचार माध्यम
8 जनसंचार में संदेश प्राप्त करनेवाले ऄपेक्षाकृत गुमनाम होते है। संचारक संदेश प्राप्त
करनेवाले व्यवि को नहीं जानता वकन्तु ईनके बारे में सामान्य ववशेषताएँ जानता है।
जैसे की प्रधानमंत्री जब वबहार की जनता को कोइ संदेश देंगे तब वबहार की सामान्य
ववशेषताओं का ध्यान रखेंगे।
प्रवतपुष्टी या फीडबैक जनसंचार की एक और महत्वपूणथ ववशेषता है। यवद वकसी व्यवि
को वट. व्ही. पर प्रसाररत वकसी कायथिम पर अपवत्त है, या प्रशंसा करनी है तो वह
चैनल से संपकथ कर सकता है।
जनसंचार में कुछ बाधाएं भी हो सकती हैं वे इस प्रकार से हैं:
भाषा: जनसंचार की ऄपनी कोइ भाषा नहीं होती। लोगों द्वारा प्रयुि भाषा से ही
जनसंचार का कायथ चलता है। देखा जाए तो सभी लोगों की भाषा एक नहीं होती।
कभी-कभी भाषा जवटल भी होती है वजस से जनसंचार में बाधा ईत्पन्न होती है।
जनसंचार में इच्छा का अभाव: जनसंचार एक वनजीव प्रविया है। आसकी ऄपनी कोइ
संवेदना नहीं होती। ऄपना वववेक नहीं होता वह केवल सूचनाओं की वाहक या
डावकया है। यही कारण है की कइ बार ऄफवाएं भी बड़ी तेजी से संप्रेवषत होती है।
आकार तथा दूरी की बाधा: जनसंचार प्रविया में कइ बार स्वरूप तथा दूरी से
संबंवधत बाधा भी वनमाथण होती है। सूचना या संदेश के स्वरूप में कइ बार पररवतथन
होता रहता है, दूरी के कारण संदेश के अने-जाने में बाधा वनमाथण होती है।
मभन्नताएँ: जनसंचार प्रविया के ऄंतगथत सम्प्रेषण में वकसी न वकसी स्तर पर समानता
होना अवश्यक होता है। वकन्तु व्यवि-व्यवि में वभन्नता होती है वजस से जनसंचार
प्रविया में बाधा वनमाथण होती है।
अन्य बाधाएँ: जनसंचार प्रविया में संदेश का ऄथथ ववकृत करनेवाली बाते तथा समझ
पैदा न करनेवाली बाते जनसंचार में बाधा वनमाथण करती है। एक दूसरे के प्रवत दुजाभव,
दुभाथवना, गलत फहमी अवद जनसंचार प्रविया को बावधत करते हैं।
१.४ जनसंचार : प्रमिया, उपयोमगता, महत्व एवं बदलता स्वरूप १.४.१ जनसंचार : प्रमिया:
संचार की प्रविया ही जनसंचार की प्रविया है। जनसंचार की प्रविया को स्पष्ट करनेवाला
सबसे लोकवप्रय सूत्र ऄमेररकी संचार वसद्धांतकार हेरॉल्ड लॉसवेल द्वारा बताया गया
‚क्लावसक मॉडल ‛ है। आस मॉडल में वे कहते हैं वक, जनसंचार में जब ‚कौन कहता है?, क्या
कहता है?, वकस माध्यम में कहता है?, वकसको कहता है? ईसका क्या प्रभाव पड़ता है?‛
आन प्रश्नों के जवाब वमल जाते हैं तब जनसंचार की प्रविया संपन्न होती है। आस मॉडल के
ऄनुसार कौन? यह सवाल पूछने पर जवाब ‚संचारक‛ वमलता है, जो संदेश तैयार करता है।
क्या? सवाल पूछने पर जवाब ‘संदेश’ यह वमलता है। वकस माध्यम में? आस सवाल का
जवाब ‚संचार का माध्यम‛ (चैनल – रेवडयो, टीव्ही अवद) वमलता है। वकसको कहता है? munotes.in
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जनसंचार माध्यम
9 आस सवाल का जवाब ‚श्रोता‛ यह वमलता है। आस प्रविया में प्रभाव का संदभथ ‚पररणाम‛ से
है। जो संदेश का प्रभाव होगा। ईदाहरणाथथ टेवलववज़न के माध्यम से जब राष्रपवत का राष्र
के नाम संदेश प्रसाररत होगा तो आस वस्थवत में हमें ईपरोि सभी सवालों के जवाब वमल
जाएंगे। और तब जनसंचार की प्रविया संपन्न हुइ यह कहा जाएगा।
जनसंचार प्रविया को स्पष्ट करनेवाला दूसरा मॉडेल मेवल्वन डी फ्लुयर द्वारा वदया गया है।
आस मॉडेल में वे कहते हैं वक, स्त्रोत तथा रांसमीटर को जनसंचार कायथ की वववभन्न
ऄवस्थाओं के रूप में माना जाता है। जो स्त्रोत द्वारा कायाथवन्वत होता है। आस में जनसंचार के
माध्यम जन माध्यम होते है, वजनसे सूचना या जानकारी संप्रेवषत की जाती है। ररसीवर
ऄथाथत प्राप्तकताथ जानकारी प्राप्त करके ऄथथ वनकालता है और ईसे संदेश का रूप देता है।
ईसे गंतव्य में बदलकर व्याख्या करता है। हमारा वदमाग भी यही विया करता है। फीडबैक
या प्रवतविया स्त्रोत के प्रवत गंतव्य की प्रवतविया होती है। जनसंचार के आस मॉडेल से यह
स्पष्ट होता है की जनसंचार प्रविया में ‘शोर’ वकसी भी स्तर पर दखल दे सकता है। यह
केवल जनसंचार माध्यम से ही संबंवधत नहीं होता।
जनसंचार प्रविया को स्पष्ट करनेवाला और एक मॉडेल ब्रूस वेस्ले और मैल्कम मैक्लीन ने
बताया है। आनके ऄनुसार जनसंचार मे गेटकीपर ऄथाथत चौकीदार की भूवमका महत्वपूणथ है।
जनसंचार प्रविया में व्यवि या संगठन करता है वक, क्या संदेश संप्रेवषत वकया जाएगा।
‘गेटकीपर’ सूचना प्राप्तकताथ के एजंट का काम करता है, जो सूचना को चुनता है तथा ईसे
स्त्रोत से प्राप्तकताथ तक पहुँचाता है। जनसंचार प्रविया में संदेश को प्राप्तकताथ तक पहुंचाने से
पहले ‘गेटकीपर’ संदेश का ववस्तार करता है, या ईसमें दखल देता है। संदेश की ववषयवस्तु
में हेर-फेर करने का ऄवधकार ईसे होता है। जनसंचार माध्यमों में कइ स्तर पर गेटकीपर
होते हैं। वे कइ तरह के काम करते हैं। जैसे वक, समाचार का संपादक ररपोटथर से प्राप्त
जानकारी में ऄपनी तरफ से तथा ऄन्य स्त्रोतों से अइ जानकारी जोड़कर समाचार को नया
रूप दे सकता है।
१९४९ में ऄमेररका में हुए राष्रपवत ऄध्यक्षीय चुनाव के पररणामों के ऄध्ययन से लेजर
फेल्ड तथा ईनके सहयोवगयों ने जनसंचार का एक मॉडेल वद्वचरणीय सूचना प्रवाह ववकवसत
वकया। आस ऄध्ययन में पता चला था की एक भी मतदाता जनमाध्यम से सीधा प्रभाववत
नहीं हुअ था। रेवडओ या वप्रन्ट माध्यम से ववचारों को महत्व वदया गया। जैसा की अज-कल
चुनाव से पूवथ ओवपवनयन पोल होता है। आन ओवपवनयन लीडरों का मत जनता तक पहुँचा
था। आस मॉडेल के ऄनुसार ‘ओवपवनयन लीडर ’ सूचना पहले प्राप्त करते हैं। ये लीडर अम
लोगों की तुलना में ज्यादा पढ़े-वलखे, प्रभावशाली होते हैं। ये लीडर पहले सूचना प्राप्त करते
हैं, वफरसे ईसकी व्याख्या करते हैं और वफर ईसे दूसरों को बताते है।
१.४.२ जनसंचार : उपयोमगता एवं महत्व
जनसंचार की प्रविया समाज के वलए वववभन्न रूप से ईपयोगी एवं महत्वपूणथ है। देश के
सम्पूणथ ववकास में यह महत्वपूणथ भूवमका वनभाती है। जनसंचार प्रविया की ईपयोवगता एवं
महत्व वनम्न प्रकार से है। munotes.in
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संचार माध्यम
10 जनसंचार का ईपयोग महत्वपूणथ सावथजवनक तथ्यों, जानकारी को प्रचाररत एवं
प्रसाररत करने के वलए वकया जाता है। आन तथ्यों एवं जानकारी का हमारे दैनंवदन
जीवन में बड़ा महत्व होता है। ईदाहरणाथथ कोववड १९ के प्रादुभाथव में समाज के वलए
अवश्यक सभी महत्वपूणथ जानकारी जनसंचार के माध्यम से प्रचाररत, प्रसाररत की
गइ। जनसंचार में सूचनाओं का संग्रह एवं प्रसार होता है। अज हर वदन समाचार-पत्र,
रेवडयो, टेलीववजन, आंटरनेट अवद माध्यमों द्वारा समाज की ववववध घटनाओं,
त्रासदीपूणथ घटनाएं, नइ खोज-अववष्कार, वैज्ञावनक प्रगवत, सामावजक ईन्नवत,
राजनीवतक पररवस्थवतयों से समाज को ऄवगत कराने का महत्वपूणथ कायथ जनसंचार
प्रविया द्वारा होता है।
जनसंचार के द्वारा ही वकसी घटना का ईवचत ववश्लेषण समाज के सामने प्रस्तुत होता
है।
जनसंचार के द्वारा शैवक्षक कायथ वकया जाता है। शैवक्षक क्षेत्र, सामावजक क्षेत्र, धावमथक
क्षेत्र, सामावजक अरोग्य अवद क्षेत्रों से संबंवधत महत्वपूणथ कायथ जनसंचार के द्वारा
संपन्न होता है।
जनसंचार के द्वारा अवथथक क्षेत्र में माकेवटंग तथा ववतरण का कायथ असान होता है।
ववज्ञापन द्वारा लोगों को प्रोडक्ट्स की जानकारी वमलती है, लोगों के मन में ववश्वास
वनमाथण होकर ईसे खरीदने के वलए राजी होते हैं।
जनसंचार के द्वारा मूल्यांकन का महत्वपूणथ कायथ संपन्न होता है। प्रशासक के अदेश,
वनदेश अवद का सम्प्रेषण जनसंचार के द्वारा होता है। प्रशासक के कायों की वनंदा या
प्रशंसा जनसंचार के द्वारा होती है। आसकी सहायता से प्रशासक प्रशासन को प्रभावी
बनाने का प्रयास करता है।
जनसंचार के द्वारा मानवीय जीवन की नीरसता और तनाव दूर हो जाता है। वफल्म,
संगीत, नाटक, काटूथन, कववता, धारावावहक अवद के द्वारा समाज का मनोरंजन होता
है साथ ही ऄनेक महत्वपूणथ संदेश भी संप्रेवषत होते है।
भारत जैसे वववभन्नता वाले देश में जनसंचार की ईपयोवगता एवं महत्व बहुत बड़ा है।
भारत की ऄखंडता जनसंचार के द्वारा ही बरकरार है। ऄनेक भाषा बोले जानेवाले
भारत देश में लोगों को राष्र के प्रवत एक होने के वलए प्रेररत करने का संदेश ऄनेक
भाषाओं में जनसंचार के द्वारा ही प्रसाररत वकया जाता है।
देश की संस्कृवत को ववश्वस्तर पर ले जाने में जनसंचार की ईपयोवगता होती है। देश
की ऄनेक महान ईपलवब्धयों को ववश्वस्तर पर प्रसाररत एवं प्रचाररत करने का
महत्वपूणथ काम जनसंचार द्वारा संपन्न होता है।
जनसंचार के द्वारा समाज की सोच प्रभाववत होती है। जनमत वनमाथण करने का
महत्वपूणथ कायथ भी जनसंचार के द्वारा संपन्न होता है। munotes.in
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जनसंचार माध्यम
11 जनसंचार के द्वारा ही समाज में रहने वाले लोगों का समाजीकरण होता है। वकसी भी
समाज में लोगों के बीच अपसी सहयोग और साझेदारी वनमाथण करने का कायथ
जनसंचार करता है।
जनसंचार में केवल सूचनाएं ही संप्रेवषत नहीं की जाती बवल्क कइ ऄनसुलझे प्रश्नों का
जवाब तथा कइ समस्याओं के पररणाम भी समाज तक पहुंचाए जाते है, वजनसे समाज
का मागथदशथन होता है।
वास्तव में कह सकते हैं वक अज के समय में जनसंचार की दृवष्ट से पूरे ववश्वभर में समाचार
पत्रों, रेवडयो, टेवलववज़न, वफल्म, आंटरनेट अवद जनसंचार साधनों का महत्व बहुत बढ़ गया
है। पूरे ववश्वभर में हर रोज लाखों समाचार पत्र प्रकावशत होते हैं, वजनके पाठक करोड़ों में है।
आसी प्रकार देशी-ववदेशी चैनलों की संख्या भी बहुत बड़ी है, वजनके माध्यम से ऄपने घर में
बैठकर लोग दुवनया भर की जानकारी कुछ ही क्षणों में प्राप्त करते हैं। आंटरनेट ने तो दूररयाँ
वमटा कर सभी लोगों को एक साथ जोड़ वदया है। ववश्व के वकसी भी कोने में रहने वाले
पररवचतों के साथ कुछ ही क्षणों में जहाँ संपकथ स्थावपत हो जाता है, वहीं जो चाहो वह
सामान घर बैठे मँगा सकते है। आस प्रकार जनसंचार का महत्व और ईपयोवगता बढ़ती ही जा
रही है।
१.४.३ जनसंचार का बदलता स्वरूप:
अज अम जन -जीवन से जनसंचार आतने व्यापक स्तर पर जुड़ चुका है वक, वकसी भी राष्र
के ववकास में जनसंचार की भूवमका बहुत महत्वपूणथ है। ववश्व के कइ ववकवसत देशों में अज
जनसंचार के द्वारा वशक्षा में गुणात्मक ववकास वकया जा रहा है। कइ ववद्वानों की मान्यता है
वक, जनसंचार द्वारा हम में काल्पवनक सोच पैदा होती है। आस से कुछ नया सीखने की प्रेरणा
वमलती है। टेलीववजन, रेवडओ, समाचारपत्र अवद जनसंचार माध्यमों द्वारा योग्य ववद्वान
लोगों के ववचार प्रसाररत वकए जाते है जो अम अदमी को बहुत प्रभाववत करते हैं। वसनेमा,
टेवलववज़न के कारण फॅशन की चकाचौंध बच्चों और युवाओं को प्रभाववत कर रही है।
जनसंचार माध्यमों द्वारा प्रकावशत रोजगार संबंधी समाचार युवा वगथ तथा कारोबाररयों के
वलए बहुत ही महत्वपूणथ सावबत होते हैं।
अज हम देख सकते हैं वक, मनुष्य के जीवन में जनसंचार का महत्व एवं ईपयोवगता बहुत
बढ़ गइ है। मनुष्य ऄपने भावों को शुरू से ही वववभन्न साधनों के द्वारा दूसरों तक भेजता रहा
है। जैसे-जैसे समय बदलता गया आन साधनों में भी पररवतथन होता गया। महाराष्र की बात
करें तो शुरू में लोकनाट्य, पोवाड़ा, भजन, कीतथन अवद जनसंचार के परंपरागत साधन थे।
आन साधनों में समयानुसार पररवतथन भी हुअ है। लोकनाट्य, भजन, कीतथन अवद ने समाज
के मनोरंजन तथा वशक्षा का काम वकया है। अगे चलकर बीसवीं शताब्दी में ‘रेवडयो और
दूरदशथन’ संचार के सबसे महत्वपूणथ साधन रहें है। रेवडयो ने कम समय में कम खचथ में
ऄवधक से ऄवधक लोगों तक जानकारी पहुँचाने का काम वकया। श्रव्य माध्यम के रूप में
रेवडयो ने बहुत लोकवप्रयता प्राप्त कर ली। जहाँ जनसंचार के मुवित माध्यम से केवल वशवक्षत
वगथ जुड़ा था और ऄवशवक्षत वगथ जनसंचार की प्रविया से बाहर था, वहीं रेवडयो ने यह कमी
दूर करके ऄवशवक्षत बड़े जन-समुदाय को भी जनसंचार की प्रविया से जोड़ वदया। भारत के
पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने ‘रेवडयो’ के संदभथ में कहा था वक, रेवडयो मानव munotes.in
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संचार माध्यम
12 को ववज्ञान का एक वरदान है, जो पलभर में हजारों वमल दूर बैठे लोगों की अपसी वस्थवत
से ऄवगत करता है और ईनमें खुशी की लहर भर देता है। वहीं जवररमल पारेख कहते हैं
वक, “रेवडयो वनरक्षरों के वलए भी एक वरदान है। वजसके द्वारा वे वसफथ सुनकर ऄवधक से
ऄवधक सूचना, ज्ञान और मनोरंजन हावसल कर लेते हैं।‛ अज स्थानीय बोवलयों में प्रसाररत
रेवडयो के कायथिम बहुत लोकवप्रय रहे।
दूरदशथन ऄथाथत टेवलववज़न ने लोगों तक संस्कृवत, खेल, संगीत को दृश्य रूप में पहुँचाया।
अज भी दूरदशथन की लोकवप्रयता और ववश्वसनीयता बरकरार है। भारत में पहली बार
दूरदशथन का प्रायोवगक रूप में प्रसारण का ईद्घाटन १५ वसतंबर १९५९ को तत्कालीन
राष्रपवत डॉ. राजेन्ि प्रसाद द्वारा वदल्ली में वकया गया था। अगे चलकर १५ ऄगस्त
१९६५ से वनयवमत रूप से एक घंटे का दैवनक कायथिम दूरदशथन से प्रसाररत होना शुरू हो
गया। यह कायथिम शुरुवात में वशक्षा के रूप में हफ्ते में चार वदन प्रसाररत होते थे। १५
ऄगस्त १९६५ को ही दूरदशथन से पहला समाचार प्रसाररत हुअ। अगे वकसानों के वलए नइ
तकनीक, प्रौद्योवगकी पर अधाररत कृवष से संबंवधत कायथिम प्रसारण शुरू हुअ। १५
ऄगस्त १९८४ से सारे देश में प्रसाररत होने वाले राष्रीय कायथिमों की शुरुवात हुइ। २३
जनवरी १९८७ से प्रातःकालीन प्रसारण और २६ जनवरी १९८९ से दोपहर का प्रसारण
दूरदशथन पर शुरू हुअ। १९९३ में मेरो चैनल के साथ-साथ प्रादेवशक चैनल की शुरुअत
हुइ। सन १९९६ से दूरदशथन पर ववज्ञापन प्रसारण की शुरुअत हुइ। अज भारत में ९००
से ऄवधक दूरदशथन चैनल हैं, जो ववषयानुसार, अयु नुसार जनसंचार का काम कर रहे हैं।
लगबघ ४०० चैनल वदन-रात समाचार प्रसाररत करते हैं। कइ चैनल ऐसे हैं जो केवल
वसनेमा, संगीत प्रसाररत करते रहते हैं। अज लोगों की रुवच नुसार पयथटन, खाद्य-संस्कृवत,
फॅशन, कृवष, ऄध्यात्म, अरोग्य जैसे ववषयों को लेकर कइ चैनल है, जो लोकवप्रय हैं और
जनसंचार का कायथ कर रहे हैं।
२१ वी शती में जनसंचार का स्वरूप बहुत तेजी से बदल चुका है। अज जो रोज नये-नये
ऄनुसंधान और अववष्कार हो रहे है, ईनसे जनसंचार प्रभाववत हुअ है। अज कइ देशों में
ऄंतररक्ष में ईपग्रह छोड़ने की होड लगी हुइ है। आन ईपग्रहों द्वारा कइ रेवडयो और टेवलववज़न
चैनल प्रसाररत हो रहे हैं। अज हर देश संचार ईपग्रह ऄंतररक्ष में छोड़कर ववश्व से जुड़ना
चाहता है।
पहले कबूतरों द्वारा वलवखत संदेश भेजा जाता था, बाद में टेलीफोन द्वारा अवाज के रूप में
संदेश भेजना शूर हुअ, और अज वीवडयो कॉलद्वारा कुछ ही क्षणों में अमने-सामने
वाताथलाप होता है। आंटरनेट के अववष्कार ने जनसंचार को काफी बड़े प्रभाव से बदल वदया
है। मोबाइल फोन ने जनसंचार के क्षेत्र में एक िांवत ही ला दी है। आसके माध्यम से ऄत्यंत
कम समय में सस्ते में और ऄत्यंत तेजी से जनसंचार का कायथ संपन्न हो रहा है। मोबाइल
और आंटरनेट के माध्यम से अज बदला हुअ जनसंचार का लोकवप्रय रूप सोशल मीवडया
है। एस.एम.एस., एम.एम.एस., व्हॅट्सऄप, फ़ेसबुक, ट्ववटर, यूट्यूब, वफल्म, डाकोमेन्टरी
अवद आसके ऄंतगथत अते है। अज लोगों की रुवच नुसार, ववषय नुसार जनसंचार के साधन
ईपलब्ध है। और वदन-ब-वदन तकनीकी में हो रहे अववष्कारों के कारण जनसंचार का रूप
भी बदल रहा है। munotes.in
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जनसंचार माध्यम
13 १.५ सारांश जनसंचार भाषा के माध्यम से प्रचार-प्रसार करने की एक प्रभावी प्रविया है। जनसंचार की
प्रविया में सूचना, ज्ञान तथा जानकारी का अदान-प्रदान होता है। जनसंचार यह शब्द
ऄंग्रेजी के ‘Mass Communication ’ आस शब्द का वहंदी रूप है। जनसंचार वह प्रविया है
वजसमें जन समूहों के बीच ऄथथपूणथ संदेशों तथा सूचनाओं का अदान-प्रदान होता है।
जनसंचार की पररभाषाओं को देखने के पिात हम संक्षेप में कह सकते हैं वक, जनसंचार एक
ऐसी प्रविया है वजसमें संदेश को यंत्रों की सहायता से दुगुना-वतगुना करके दूर-दूर तक भेजा
जाता है। भारत में जनसंचार की ऄवधारणा बहुत पुरानी है ऐसा हम कह सकते हैं। पौरावणक
पात्र महवषथ नारद तीनों लोकों में घूम घूमकर संचार का कायथ वकया करते थे यह ईल्लेख
वमलता है। अगे जैसे-जैसे मनुष्य सभ्यता का ववकास होता गया वैसे-वैसे जनसंचार की
तकनीकों में पररवतथन होता गया। जनसंचार के स्वरूप को देखने पर आसके सकारात्मक और
नकारात्मक दोनों ही पररणामों को हम अज देख सकते हैं।
जनसंचार के वनम्नवलवखत ६ तत्व है। संचारक (Sender ), संदेश (Message ), माध्यम
(Channel ), प्राप्तकताथ (Receiver ), प्रवतविया (Feed Back) और शोर (Noise )।
ऄमेररकी संचार वसद्धांतकार हेरॉल्ड लॉसवेल ऄपने जनसंचार के ‚क्लावसक मॉडल ‛ में
बताते हैं वक, जनसंचार में जब ‚कौन कहता है?, क्या कहता है?, वकस माध्यम में कहता
है?, वकसको कहता है? ईसका क्या प्रभाव पड़ता है?‛ आन प्रश्नों के जवाब वमल जाते हैं तब
जनसंचार की प्रविया संपन्न होती है।
जनसंचार के द्वारा मानवीय जीवन की नीरसता और तनाव दूर हो जाता है। वफल्म, संगीत,
नाटक, काटूथन, कववता, धारावावहक अवद के द्वारा समाज का मनोरंजन होता है साथ ही
ऄनेक महत्वपूणथ संदेश भी संप्रेवषत होते है। जनसंचार के द्वारा समाज की सोच प्रभाववत
होती है। जनमत वनमाथण करने का महत्वपूणथ कायथ भी जनसंचार के द्वारा संपन्न होता है।
मनुष्य के जीवन में जनसंचार का महत्व एवं ईपयोवगता बहुत बढ़ गइ है। बीसवीं शताब्दी में
‘रेवडयो और दूरदशथन’ संचार के सबसे महत्वपूणथ साधन रहें है। २१ वी शती में जनसंचार का
स्वरूप बहुत तेजी से बदल चुका है। अज जो रोज नये-नये ऄनुसंधान और अववष्कार हो
रहे है, ईनसे जनसंचार प्रभाववत हुअ है। अज कइ देशों में ऄंतररक्ष में ईपग्रह छोड़ने की
होड लगी हुइ है। आन ईपग्रहों द्वारा कइ रेवडयो और टेवलववज़न चैनल प्रसाररत हो रहे हैं।
अज हर देश संचार ईपग्रह ऄंतररक्ष में छोड़कर ववश्व से जुड़ना चाहता है। आस प्रकार
जनसंचार मनुष्य के जीवन को प्रभाववत करनेवाली एक महत्वपूणथ प्रविया है।
१.६ लघु उत्तरीय प्रश्न १. जनसंचार वकस माध्यम से प्रचार-प्रसार करने की एक प्रभावी प्रविया है ।
ई. भाषा ।
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संचार माध्यम
14 २. ‘संचार’ का ऄथथ क्या होता है ।
ई. सम्प्रेषण ।
३. जनसंचार में संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान तक अता–जाता है। ईसे क्या कहा
जाता है ।
ई. ऄथथपूणथ संदेश ।
४. ‘जनसंचार’ ऐसी प्रविया है वजसमें संदेश को वकसकी सहायता से भेजा जाता है ।
ई. यंत्रों की सहायता से ।
५. ‘जनसंचार’ के वकतने तत्व है ।
ई. 6 ।
६. जनमत वनमाथण करने का कायथ वकसके द्वारा संपन्न होता है ।
ई. जनसंचार ।
१.७ दीघोत्तरी प्रश्न १. जनसंचार की ईपयोवगता एवं महत्व को स्पष्ट कीवजए ।
२. जनसंचार प्रविया के तत्वों पर प्रकाश डावलए ।
३. जनसंचार की पररभाषा देते हुए जनसंचार की ववशेषताएँ स्पष्ट कीवजए ।
४. जनसंचार के लोकवप्रय माध्यम ‘दूरदशथन’ का पररचय दीवजए ।
१.८ संदभथ ग्रंथ १. संचार से जनसंचार – रुपचन्द गौतम
२. जनसंचार एवं समाज – डॉ. मोवनका नागौरी
३. जनसंचार : कल, अज और कल – प्रो. चंिकांत सरदाना और प्रो. कृ. वश. मेहता
४. जनसंचार माध्यम लेखन कला – डॉ. संतोष गोयल
५. जनसंचार वसद्धांत और ऄनुप्रयोग – ववष्णु राजगवढ़या
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15 २
मुþण कला सामाÆय पåरचय
इकाई कì łपरेखा
२.० इकाई का उĥेÔय
२.१ ÿÖतावना
२.२ मुþण कला का अथª, Öवłप एवं िवशेषताएं
२.३ मुþण कला का इितहास एवं िवकास
२.४ ÿूफ शोधन का अथª, Öवłप, ÿूफ शोधक के गुण एवं कतªÓय
२.४.१ ÿूफ शोधन का अथª, Öवłप,
२.४.२. ÿूफ शोधक के गुण एवं कतªÓय
२.५ सारांश
२.६ लघु°रीय ÿij
२.७ दीघō°री ÿij
२.८ संदभª úंथ
२.० इकाई का उĥेÔय इस इकाई के अÅययन के उपरांत छाý पåरिचत हŌगे:
मुþण कला का अथª, Öवłप एवं िवशेषताएं से पåरिचत हो जाएंगे ।
मुþण कला का इितहास एवं िवकास को जान पाएंगे ।
ÿूफ शोधन का अथª, Öवłप, ÿूफ शोधक के गुण एवं कतªÓय को समझ सक¤गे ।
२.१ ÿÖतावना एक माÖटर फॉमª या टेÌÈलेट का उपयोग करके िकसी टे³Öट या/और छिब (इमेज) कì
अनेक ÿितयाँ बनाना मुþण या छपाई (िÿंिटंग) कहलाता है। मुþण का इितहास कम से कम
तेरह-चौदह सौ वषª पुराना है। आधुिनक छपाई ÿायः कागज पर Öयाही से मुþण मशीन के
Ĭारा कì जाती है। इसके अलावा धातुओं पर, ÈलािÖटक पर, वľŌ पर तथा अÆय िमि®त
पदाथŎ पर भी छपाई कì जाती है। सामाÆयत: मुþण का अथª छपाई से है जो कागज, कपड़ा,
ÈलािÖटक, टाट इÂयािद पर हो सकता है।
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संचार माÅयम
16 २.२ मुþण कला अथª, Öवłप एवं िवशेषताएं िकसी धातु या िम®धातु से ढाले हòए वणªमाला के अ±रŌ को 'टाइप' (Type) कहते ह§। टाइप
का समूह बनाकर और उसपर Öयाही लगाकर छापने कì कला को मुþण कला या टाइप
कला (Typography) कहते ह§। छपाई कì ÿमुख कला होने के नाते टाइप कला का
आिवÕकार मानव के सवō°म आिवÕकारŌ म¤ उÐलेखनीय है। िवĬानŌ कì िवĬ°ा, बुिĦमानŌ
कì बुिĦम°ा, नेताओं के आदेश, कलाकारŌ कì कला, सभी को टाइपकला ने अमर बनाया
है। मानव को वै²ािनक, आिथªक, राजनीितक तथा सामािजक ±ेýŌ म¤ ÿगित के पथ पर
िनरंतर अúसर करनेवाली यही कला है।
छपाई कì िविवध कलाओं म¤ टाइपकला का Öथान अÆयतम है। इसकì ÿमुख ÿितĬंĬी
कलाएँ, िलथो ऑफसेट तथा फोटोúैÓयोर अÂयिधक ÿगितशील ह§। िकंतु टाइप कला अपने
िवÖतृत ±ेý तथा अगÁय सुिवधाओं का िनवारण करने के िजतने साधन टाइप कला म¤
उपलÊध ह§ उतने छपाई कì िकसी और कला म¤ नहé ह§। टाइप से छापनेवाली मशीन¤ भी
दूसरी कलाओं कì मशीनŌ कì तुलना म¤ अÂयिधक तेज चलती ह§। टाइप कला से छपाई,
कुछ ÿकार के रंगीन कायŎ को छोडकर, सÖती भी पड़ती है। अतएव टाइप कला का ÿयोग
पुÖतकŌ, समाचारपýŌ पिýकाओं, लेखन सामúी, फामª, िडÊबे, िडिÊबयाँ इÂयािद छापने म¤
Óयापक łप से होता है। फोटोúाफì अथवा यांिýक िविधयŌ से िचý बनाने तथा यंýŌ Ĭारा
टाइप को कंपोज (संयोजन) तथा फोटो िचýŌ को कंपोज करने कì ÿणािलयŌ का िवकास हो
जाने के कारण टाइप कला कì उपयोिगता अÂयिधक बढ़ गई है।
एक माÖटर फॉमª या टेÌÈलेट का उपयोग करके िकसी टे³Öट या/और छिब (इमेज) कì
अनेक ÿितयाँ बनाना मुþण या छपाई (िÿंिटंग) कहलाता है। मुþण का इितहास कम से कम
तेरह-चौदह सौ वषª पुराना है। आधुिनक छपाई ÿायः कागज पर Öयाही से मुþण मशीन के
Ĭारा कì जाती है। इसके अलावा धातुओं पर, ÈलािÖटक पर, वľŌ पर तथा अÆय िमि®त
पदाथŎ पर भी छपाई कì जाती है। कपड़ा या कागज आिद पर एक Öयाही-युĉ सतह रखकर
उसपर दाब डाला जाता है िजससे Öयाहीयुĉ सतह पर बनी छिव उÐटे łप म¤ कागज या
कपड़े पर छप जाती है।
िहÆदी शÊदकोश म¤ मुþण कì पåरभाषा:
१. िकसी चीज पर अ±र आिद अंिकत करना । छपाई ।
२. ठÈपे आिद कì सहायता से अंिकत करके मुþा तैयार करना ।
३. ठीक तरह से काम चलाने के िलये िनयम आिद बनाना और लगाना ।
४. बंद करना । मूँदना ।
२.३ मुþण कला का इितहास एवं िवकास मुþण का अथª छपाई से है, जो कागज, कपड़ा, ÈलािÖटक, टाट इÂयािद पर हो सकता है।
डाकघरŌ म¤ िलफाफŌ, पोÖटकाडŎ व रिजÖटडª िचåęयŌ पर लगने वाली मुहर को भी 'मुþण' munotes.in
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मुþण कला सामाÆय पåरचय
17 कहते ह§। ÿिसĦ अंúेजी िवĬान चाÐसª िड³नस ने मुþण कì मह°ा को बताते हòए कहा है िक
Öवतंý Óयिĉ के ÓयिĉÂव को बनाए रखने म¤ मुþण महÂवपूणª भूिमका िनभाती है। ÿारंिभक
युग म¤ मुþण एक कला था, लेिकन आधुिनक युग म¤ पूणªतया तकनीकì आधाåरत हो गया है।
मुþण कला पýकाåरता के ±ेý म¤ पुिÕपत, पÐलिवत, िवकिसत तथा तकनीकì के łप म¤
पåरवतêत हòई है।
वैिदक िसĦांत के अनुसार- परमेĵर कì इ¸छा से āĺाÁड कì रचना और जीवŌ कì उÂपि°
हòई। इसके बाद 'Åविन' ÿकट हòआ। Åविन से 'अ±र' तथा अ±रŌ से शÊदज् बन¤। शÊदŌ के
योग को 'वा³य' कहा गया। इसके बाद िपता से पुý और गुł से िशÕय तक िवचारŌ,
भावनाओं, मतŌ व जानकाåरयŌ का आदान-ÿदान होने लगा। भारतीय ऋिष-मुिनयŌ ने सुनने
कì िøया को ®ुित और समझने को ÿिøया को Öमृित का नाम िदया। ²ान के ÿसार का यह
तरीका असीिमत तथा असंतोषजनक था, िजसके कारण मानव ने अपने पूवªजŌ और
गुłजनŌ के ®ेķ िवचारŌ, मतŌ व जानकाåरयŌ को िलिपबĦ करने कì आवÔयकता महसूस
कì। इसके िलए िलिप का आिवÕकार िकया तथा पÂथरŌ व वृ±Ō कì छालŌ पर खोदकर
िलखने लगा। इस तकनीकì से भी िवचारŌ को अिधक िदनŌ तक सुरि±त रखना संभव नहé
था। इसके बाद लकड़ी को नुिकला छीलकर ताड़पýŌ और भोजपýŌ पर िलखने कì ÿिøया
ÿारंभ हòई। ÿाचीन काल के अनेक úंथ भोजपýŌ पर िलखे िमले ह§।
सन् १०५ ई. म¤ चीनी नागåरक टस्-Âसाई लून ने कपस एवं सलमल कì सहायता से कागज
का आिवÕकार िकया। सन् ७१२ ई. म¤ चीन म¤ एक सीमाबĦ एवं ÖपĶ Êलाक िÿंिटंग कì
शुłआत हòई। इसके िलए लकड़ी का Êलाक बनाया गया। चीन म¤ ही सन् ६५० ई. म¤ हीरक
सूý नामक संसार कì पहली मुिþत पुÖतक ÿकािशत कì गयी। सन् १०४१ ई. म¤ चीन के
पाई श¤ग नामक Óयिĉ ने चीनी िमĘी कì मदद से अ±रŌ को तैयार िकया। इन अ±रŌ को
आधुिनक टाइपŌ का आिद łप माना जा सकता है। चीन म¤ ही दुिनया का पहला मुþण
Öथािपत हòआ, िजसम¤ लकड़ी के टाइपŌ का ÿयोग िकया गया था। टाइपŌ के ऊपर Öयाही
जैसे पदाथª को पोतकर कागज के ऊपर दबाकर छपाई का काम िकया जाता था।
ÿकार, मुþण के आिवÕकार और िवकास का ®ेय चीन को जाता है। यह कला यूरोप म¤ चीन
से गई अथवा वहां Öवतंý łप से िवकिसत हòयी, इसके संदभª म¤ कोई अिधकाåरक िववरण
उपलÊध नहé है। एक अनुमान के मुतािबक कागज बनाने कì कला चीन से अरब देशŌ म¤
तथा वहां से यूरोप म¤ पहòंची होगी। एक अÆय अनुमान के मुतािबक १४वé - १५वé सदी के
दौरान यूरोप म¤ मुþण-कला का Öवतंý łप से िवकास हòआ। उस समय यूरोप म¤ बड़े-बड़े
िचýकार होते थे। उनके िचýŌ कì Öवतंý ÿितिøया को तैयार करना किठन कायª था। इसे
शीŅतापूवªक नहé िकया जा सकता था। अत: लकड़ी अथवा धातु कì चादरŌ पर िचýŌ को
उकेर कर ठÈपा बनाया जाने लगा, िजस पर Öयाही लगाकर पूवōĉ रीित से ठÈपे को दो
त´तŌ के बीच दबाकर उनके िचýŌ कì ÿितयां तैयार कì जाती थी। इस तरह के अ±रŌ कì
छपाई का काम आसान नहé था। अ±रŌ को उकेर कर उनके छÈपे तैयार करना बड़ा ही
मुिÔकल काम था। उसम¤ खचª भी बहòत ºयादा पड़ता था। िफर भी उसकì छपाई अ¸छी नहé
होती थी। इन असुिवधाओं ने जमªनी के लर¤स ज¤सजोन को छुĘे टाइप बनाने कì ÿेरणा दी।
इन टाइपŌ का ÿयोग सवªÿथम सन् १४०० ई. म¤ यूरोप म¤ हòआ। munotes.in
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संचार माÅयम
18 जमªनी के जॉन गुटेनबगª ने सन् १४४० ई. म¤ ऐसे टाइपŌ का आिवÕकार िकया, जो बदल-
बदलकर िविभÆन सामúी को बहòसं´या म¤ मुिþत कर सकता था। इस ÿकार के टाइपŌ को
पुनरावतªक छापे (åरपीटेिबल िÿÁट) के वणª कहते ह§। इसके फलÖवłप बहòसं´यक जनता
तक िबना łकावट के समाचार और मतŌ को पहòंचाने कì सुिवधा िमली। इस सुिवधा को
कायम रखने के िलए बराबर तÂपर रहने का उ°रदाियÂव लेखकŌ और पýकारŌ पर पड़ा।
जॉन गुटेनबगª ने ही सन् १४५४-५५ ई. म¤ दुिनया का पहला छापाखाना (िÿंिटंग-ÿेस)
लगाया तथा सन् १४५६ ई. म¤ बाइिबल कì ३०० ÿितयŌ को ÿकािशत कर पेåरस भेजा।
इस पुÖतक कì मुþण ितिथ १४ अगÖत १४५६ िनधाªåरत कì गई है। जॉन गुटेनबगª के
छापाखाने से एक बार म¤ ६०० ÿितयां तैयार कì जा सकती थी। पåरणामत: ५०-६० वषŎ
के अंदर यूरोप म¤ करीब दो करोड़ पुÖतक¤ िÿंट हो गयी थी।
इस ÿकार, मुþण कला जमªनी से आरंभ होकर यूरोपीय देशŌ म¤ फैल गयी। कोलने,
आगजवगª बेसह, टोम, पेिनस, एÆटवणª, पेåरस आिद म¤ मुþण के ÿमुख क¤þ बने। सन्
१४७५ ई. म¤ सर िविलयम केकÖटन के ÿयासŌ के चलते िāटेन का पहला ÿेस Öथािपत
हòआ। िāटेन म¤ राजनैितक और धािमªक अशांित के कारण छापाखाने कì सुिवधा सरकार के
िनयंýण म¤ थी। इसे Öवतंý łप से Öथािपत करने के िलए सरकार से िविधवत आ²ा लेना
बड़ा ही किठन कायª था। पुतªगाल म¤ इसकì शुłआत सन् १५४४ ई. म¤ हòई।
मुþण के इितहास कì पड़ताल से ÖपĶ है िक छापाखाना का िवकास धािमªक-øांित के दौर
म¤ हòआ। यह सुिवधा िमलने के बाद धािमªक úंथ बड़े ही आसानी से जन-सामाÆय तक पहòंचने
लगे। इन धािमªक úंथŌ का िविभÆन देशŌ कì भाषाओं म¤ अनुवाद करके ÿकािशत होने लगे।
पूतªगाली धमª ÿचार के िलए मुþण तकनीकì को सन् १५५६ ई. म¤ गोवा लाये और धमªúंथŌ
को ÿकािशत करने लगे। सन् १५६१ ई. म¤ गोवा म¤ ÿकािशत बाइिबल पुÖतक कì एक ÿित
आज भी Æयूयाकª लाइāेरी म¤ सुरि±त है। इससे उÂसािहत होकर भारतीयŌ ने भी अपने
धमªúंथŌ को ÿकािशत करने का साहस िदखलाया। भीम जी पारेख ÿथम भारतीय थे,
िजÆहŌने दीव म¤ सन् १६७० ई. म¤ एक उīोग के łप म¤ ÿेस शुł िकया।
सन् १६३८ ई. म¤ पादरी जेसे µलोभरले ने एक छापाखाना जहाज म¤ लादकर संयुĉ राºय
अमेåरका के िलए ÿÖथान िकया, लेिकन राÖते म¤ ही उसकì मृÂयु हो गयी। उसके बाद उनके
सहयोगी ÌयाÔयु और åरटेफेन डे ने उĉ छापाखाना (िÿंिटंग-ÿेस) को Öथािपत िकया। सन्
१७९८ ई. म¤ लोहे के ÿेस का आिवÕकार हòआ, िजसम¤ एक िलवर के Ĭारा अिधक सं´या म¤
ÿितयां ÿकािशत करने कì सुिवधा थी। सन् १८११ ई. के आस-पास गोल घूमने वाले
िसलेÁडर चलाने के िलए भाप कì शिĉ का इÖतेमाल होने लगा, िजसे आजकल रोटरी ÿेस
कहा जाता है। हालांिक इसका पूरी तरह से िवकास सन् १८४८ ई. के आस-पास हòआ।
१९वé सदी के अंत तक िबजली संचािलत ÿेस का उपयोग होने लगा, िजसके चलते
Æयूयाकª टाइÌस के १२ पेजŌ कì ९६ हजार ÿितयŌ का ÿकाशन एक घंटे म¤ संभव हो सका।
सन् १८९० ई. म¤ िलनोटाइप का आिवÕकार हòआ, िजसम¤ टाइपराइटर मशीन कì तरह से
अ±रŌ के सेट करने कì सुिवधा थी। सन् १८९० ई. तक अमेåरका समेत कई देशŌ म¤ रंग-
िबरंगे Êलॉक अखबार छपने लगे। सन् १९०० ई. तक िबजली संचािलत रोटरी ÿेस,
िलनोटाइप कì सुिवधा और रंग-िबरंगे िचýŌ को छापने कì सुिवधा, फोटोúाफì को छापने कì
ÓयवÖथा होने से सिचý समाचार पý पाठको तक पहòंचने लगे। munotes.in
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मुþण कला सामाÆय पåरचय
19 २.४ ÿूफ शोधन : अथª, Öवłप, ÿूफ शोधक के गुण एवं कतªÓय २.४.१ ÿूफ शोधन : अथª, Öवłप:
जब भी कोई समाचार पý पिýकाएं एवं पुÖतक¤ छाप जाती ह§ ,उसके पूवª कì ýुिटयŌ को सही
करने कì ÿिøया को ÿुफ शोधन कहा जाता है। ÿुफ शोधन को अंúेजी म¤ ÿूफ रीिडंग शÊद
का ÿयोग िकया जाता है। वतªमान समय म¤ समाचार पý, पिýकाएं तथा ²ान िव²ान से
संबंिधत łप म¤ अÂयािधक पुÖतकŌ का लेखन हो रहा है। िवशेषतः कंÈयूटर के आ जाने से
इस ±ेý म¤ पयाªĮ माýा म¤ ÿकाशन म¤ वृिĦ हो चुकì है। ÿकाशन Öतर म¤ मुþणालय का
िĬतीय Öथान रहा है। ²ान िव²ान के ÿचार-ÿसार का मु´य आधार मुþण होने के कारण
मुþण का महÂव अÂयािधक łप म¤ बढ़ गया है। ÿकाशन एक िवशेष ÿिøया है, िजसम¤
कंपोिजंग या टाइिपंग ÿूफ संशोधन, पृķ िनधाªरण और छपाई आिद ÿिøया से गुजरना
पड़ता है।
कंÈयूटर पूवª समय म¤ मुþण ÿिøया म¤ कंपोिजटर को एक- एक अ±र और माýा को उठाकर
जोड़ना पड़ता था। इस ÿिøया के अंतगªत कंपोजीशन Ĭारा कई ÿकार कì गलितयां हो
जाती थी । इस ÿिøया म¤ समय कì भी अिधक आवÔयकता महसूस होती थी। िकंतु वतªमान
समय म¤ कंÈयूटर के कारण यह कायª Łप से आसान हो गया है। कंÈयूटर पर पांडू िलिप के
आधार पर टाइिपंग कायª िकया जाता है। इसम¤ गलितयŌ कì संभावनाएं बहòत कम होती है।
अगर हो भी जाए तो उसे कम समय म¤ सुधारा जा सकता है। इसके पIJात ÿुफ शोधन करना
आवÔयक है। ÿुफ पठन के अंतगªत Óयाकरण संबंधी ýुिटयŌ को कम करना, िवशेषतः,
अधªिवराम, उģारवाचक िचÆह आिद महÂवपूणª पहलुओं पर Åयान देना आवÔयक होता है।
ÿूफ शोधन को इस ÿकार पåरभािषत िकया जा सकता है:
"कंपोज कì गई अथवा कंÈयूटर पर टाइप कì गई सामúी को पांडुिलिप के अनुłप संशोधन
करके सामने लाना संशोधन कहलाता है।"
इस ÿकार कह सकते ह§ िक ÿकाशन पूवªक कंपोिजंग या टाइिपंग कì गई सामúी को
पांडुिलिप के अनुłप शुĦ łप म¤ तैयार करने हेतु गलितयŌ को सुधारने कì ÿिøया के
साथ-साथ Óयाकरण संबंिधत ýुिटयŌ से मुĉ कराना िक 'ÿुफ शोधन' है।
िकसी भी पý-पिýका पुÖतक¤ आिद का ÿकाशन करने से पूवª ÿुफ रीडर Ĭारा चार ÿकार से
संशोधन करना आवÔयक होता है -
अ. गैली ÿूफ (िवशेष ůे):
यह ÿकाशन पुवª ÿथम ÿूफ होता है। मशीन म¤ सांचे नुमा चौकोर Èलेट होती है। पृķ को इस
चौकोर Èलेट पर दोनŌ और से धागŌ से बांध िदया जाता है। इंक रोलर कì सहायता से ÿूफ
िनकाला जाता है। इसे गैली ÿूफ िनकालने के िलए कागज को िगला करना पड़ता है। कागज
के सूख जाने के बाद ही ÿुफ शोधन' कर संशोिधत िकया जाता है। कंÈयूटर म¤ पांडुिलिप कì
सामúी को टाइप करने के बाद िÿंट िनकाला जाता है। वह ÿथम ÿुफ होता है। िजसे गैली
ÿूफ कहा जाता है। munotes.in
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संचार माÅयम
20 ब. पृķ ÿूफ:
ÿÂयेक पृķ पर जो भी गलितयां हो जाती है, जैसे िवराम िचÆह, माýाएं, अ±र कट जाना,
धÊबा आना, या अÖपĶता आिद गलितयŌ को उसी पृķ पर नीचे अंिकत कर िदया जाता है।
उसे िफर एक बार ÿूफ शोधन िकया जाता है इसे पृķ ÿूफ कहा जाता है।
क. Öटोन ÿूफ या मशीन ÿूफ:
यह तृतीय तथा अंितम ÿूफ होता है। कंÈयूटर और कंÈयूटर चलाने वाला पूवª ÿिøया के
अनुसार पाठ के Ĭारा संकेत कì गई गलितयŌ का संशोधन करता है। यहां यह िवचारणीय है
िक दूसरे ÿूफ म¤ बहòत कम गलितयां रहे जाने पर तीसरा ÿूफ मूल लेखक से ही पढ़वाकर
ÿूफ संशोधन कराया जाता है। यिद दूसरे ÿूफ म¤ भी संभावना से अिधक गलितयां हो तो
तीसरा ÿूफ Óयावसाियक ÿूĀìडर से पढ़वाते ह§। ऐसे म¤ तीसरे संशोधन के बाद एक
अितåरĉ ÿूफ िनकालकर लेखक से संशोधन करवाते ह§ । यिद लेखक उस पर छपाई का
संकेत कर दे तो उसे िÿंट आडªर ÿूफ कह¤गे। इस ÿकार छपाई के िलए उपयुĉ आदेश ÿाĮ
पूवª को िÿंट आडªर ÿूफ कहते ह§। इन चरणŌ से िनकलकर ÿूफ संशोधन हो जाता है, तो शुĦ
ÿकाशन कì संभावनाएं होती है।
ड. कापी होÐडर:
ÿाय: यह देखा जाता है िक ÿूफ -शोधक मूल ÿित से ÿूफ को िमलाते जाते ह§। जहां कहé
समाचार या पाठ म¤ कोई गड़बड़ी िदखाई देती है वहां पर मूल ÿित को देख लेते ह§। इससे
समय अिधक लगता है और अशुिĦ रह जाने कì संभावना भी बनी रहती है। इसिलए ÿूफ
शोधक के पास एक सहायक रखा जाता है िजसे 'काफì होÐडर' कहते ह§। इसका कायª है िक
मूल ÿित को ऊंचे Öवर से पढ़ना तािक ÿूफ शोधक िमलान करके ÿूफ म¤ सुधार करता जाए।
२.४.२. ÿूफ शोधक के गुण एवं कतªÓय:
ÿकाशन ÿिøया के अंतगªत ÿूफ रीडर का महÂवपूणª योगदान होता है ®ेķ पुŁष संशोधन के
आधार पर उ°म ÿकाशन सुिनिIJत हो जाता है ÿूĀìडर का मूल कायª पांडुिलिप के अनुसार
úुप को संशोिधत करना होता है उसे इसके साथ कंपोिजंग टाइिपंग और ÿकाशन ÿिøया
का सामाÆय ²ान होना आवÔयक होता है। ÿूफ रीडर िकसी भाषा िवशेष से संबंिधत होता
है। उसे संबंिधत भाषा कì िलिप और उसके Óयाकरण का ²ान भी अिनवायª होता है। इस
ÿकार ÿकाशन ÿिøया म¤ ÿूफ रीडर एक महÂवपूणª कड़ी है, ³यŌिक उसका ही दाियÂव
होता है िक, पांडुिलिप का शुĦ łप म¤ मुþण हो। ÿूफ रीडर कì गुण तथा िवशेषताएं िनÌन
ÿकार देखी जा सकती है, िजससे वह अपने कतªÓय का उ°म łप से पालन कर सकता है।
१. मि±का Öथाने मि±का:
ÿूफ रीडर को अपने कतªÓय के अनुसार पुŁष को पांडुिलिप से िमलान करना चािहए और
इसी के आधार पर संशोधन करना चािहए। ÿूफ रीडर को संशोधन ÿिøया म¤ अितåरĉ
Öवतंýता नहé लेनी चािहए मुþण कला म¤ उÆह¤ केवल माý ýुिटयŌ को जांचना है। उसका munotes.in
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मुþण कला सामाÆय पåरचय
21 कायª 'मि±का Öथाने मि±का' रखना है। इसका अथª यह है िक ÿूफ रीडर को संशोधन
ÿिøया के अंतगªत कुछ घटाना नहé और कुछ जोड़ना नहé है।
२. भाषा का ÿचूर ²ान:
एक अ¸छे ÿूफ रीडर को अपनी मातृभाषा के साथ साथ अÆय भाषाओं का ²ान भी होना
आवÔयक है। तभी वह Óयाकरिणक ýुिटयŌ को दूर कर सकता है। अशुिĦयŌ को भी दूर कर
सकता है। ÿूफ रीडर को भाषा का ÿचुर ²ान तथा भाषा पर अिधकार होना चािहए।
३. ÿूफ शोधन को दाियÂव समझे:
एक अ¸छे ÿूफ रीडर को ÿूफ संशोधन करते समय वह अपना दाियÂव समझ कर तथा
अपनी िजÌमेदारी समझ कर संशोधन कायª करना चािहए। अगर वह अपनी िजÌमेदारी समझ
कर काम नहé करता है, तो उसम¤ ýुिटयां शेष रह सकती है। अपने संशोधन म¤ कोई भी
Óयाकरिणक या कोई भी ÿकार कì गलती ना रहे इसीिलए बड़ी ईमानदारी एवं लगन से ÿूफ
रीडर को अपना संशोधन कायª करना चािहए। अÆयथा इसका ÿभाव पाठक पर पड़ सकता
है और पाठक कì आÖथा कम हो सकती है।
४. ÿूफ सही-सही पढ़ना:
ÿूफ रीडर सामúी को समझकर पड़ेगा तो ýुिटयां िमलेगी नहé । सामúी का पठन अगर तीĄ
गित से होता है तो ýुिटयां छूट सकती है। और सामúी म¤ ýुिटयां अिधक रहने कì संभावना
होती है।
५. कंपोिजंग तथा मुþण का ²ान:
ÿकाशन पूवª पांडुिलिप के आधार पर मुþण िकया जाता है। कुछ पयाªĮ समय बाद शोधन
करना चािहए ³यŌिक Èलेट गीली होती है। उसे आडा-तेडा उठाने से धÊबे-धÊबे आ जाते ह§।
गैली सूखने के बाद ही ÿूफ पठन का कायª कर सकते ह§। इसीिलए ÿूफ रीडर को कंपोिजंग
तथा मुþण का ²ान होना आवÔयक है।
६. अÆय िवषयŌ का ²ान:
समाचार पý पिýकाएं पुÖतकŌ के ÿकाशन पूवª úुप शोधन के िलए ÿूफ रीडर को सभी
िवषयŌ का ²ान होना आवÔयक है । जैसे - खेलकूद, अथªÓयवÖथा, राजनीित, समाज दशªन,
²ान िव²ान का ±ेý आिद कì जानकारी होनी चािहए। इसे समझ लेने कì ±मता होनी
चािहए। तभी वह पढ़कर-समझकर गलितयŌ को कम कर सकता है।
७. मानक िचÆहŌ का पयाªĮ ²ान:
ÿूफ संशोधन के िलए िनधाªåरत िचÆह / छूटा अंश ÿयोग करो, अÐपिवराम (,), अधªिवराम
(;), ÿijवाचक िचÆह (?), िवसगª िचÆह (:), योजक िचÆह (-), पूणª िवराम (।), हलंत, उकार,
अनुÖवार (◌ं) आिद िचÆह कहां पर आते है। इसका ²ान ÿूफ रीडर को होना चािहए।
अÆयथा ýुिटयŌ कì संभावना अिधक होती है। munotes.in
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संचार माÅयम
22 ८. पांडुिलिप को साथ साथ पढ़ना:
गैली ÿूफ का ÿथम ÿूफ के संशोधन हेतु पांडुिलिप को साथ- साथ पढ़ना अिनवायª होता है।
इससे ÖपĶ हो जाता है िक, कंपोिजंग या टाइिपंग पूणªłपेण हòई है या कोई अंश छूट गया है।
इससे पांडुिलिप का मूल łप सुिनिIJत हो जाता है।
९. Óयाकरण संबंधी ²ान:
एक अ¸छे ÿूफ रीडर को Óयाकरण संबंधी ²ान होना आवÔयक है ³यŌिक कभी-कभी मूल
सामúी अथाªत पांडुिलिप म¤ भी Óयाकरण कì ŀिĶ से ýुिटयां रह सकती है। उन ýुिटयŌ को
ÿूफ रीडर लेखक से संवाद कर उनकì सहमित से Óयाकरिणक गलितयŌ को सुधार सकता
है।
१०. सावधानी बरतना:
ÿूफ रीडर को ÿूफ पढ़ते समय सावधानी से देख लेना चािहए िक, ÿूफ का िवषय िकसी भी
मानहािन, िकसी का अपमान से संबंिधत या कानून कì ŀिĶ से आपि°जनक है। ऐसा होने
पर ÓयवÖथापक को सूिचत करते हòए ÿूफ ना पढ़ने का िनणªय लेना चािहए। ÿूफ शोधक के
पास िछþाÆवेिषणी शिĉ, ŀिĶ कì तीĄता, धैयª, सतकªता और ®म शीलता होनी चािहए।
ÿूफ संशोधन करते हòए ह§ कुछ सावधािनयां रखनी चािहए
ÿूफ संशोधन के िलए सावधािनयां:
ÿूफ रीडर को छपाई कì सामúी के साथ-साथ िविभÆन िशषªकŌ, उप िशषªकŌ के साथ
ितिथ, øम, पृķ सं´या आिद को भी देखना चािहए।
मुþण तकनीकì कì िवशेष जानकारी होनी चािहए।
सामाÆय ²ान कì जानकारी होनी चािहए।
Óयाकरण वणª िवÆयास तथा िवराम िचÆहŌ का ²ान होना चािहए।
अÖपĶ अ±रŌ को इस (×) िचÆह से काट देना चािहए।
ÿूफ संशोधन कì सुिवधा और ÓयवÖथा के िलए ÿूफ के øम अथाªत ÿथम, िĬतीय
और तृतीय ÿूफ िलख देना चािहए।
ÿूफ पढ़ते समय यिद ÿूफ रीडर को पांडुिलिप कì सामúी म¤ शंका हो तो हािशए पर
तीन ÿijवाचक (???) बना देना चािहए। शंका का समाधान कर लेना चािहए।
'करे³शन' के बाद जो पृķ दूसरी बार åरवीजन के िलए आता है उसे भी पुनः देख लेना
चािहए ³यŌिक कई बार टाइप भी बदल जाते ह§।
कई बार छपने म¤ माýाएं टूट जाती ह§ या अ±र िनकल जाते ह§, ÿूफ शोधक को इनका
भी Åयान रखना चािहए। munotes.in
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मुþण कला सामाÆय पåरचय
23 पहला ÿूफ भेजते समय 'संशोधन करो' िलखकर नीचे हÖता±र करने चािहए दूसरे
ÿूफ म¤ 'संशोधन करो और मेक -अप िलखना होता है। तथा तीसरे ÿूफ म¤ 'मशीन ÿूफ'
िलखना चािहए।
अंितम ÿूफ पढ़ने के पIJात मुþण का िनद¥श łप संशोधन के साथ 'छाप िदया जाए' या
'छोड़ िदया जाए' अवÔय िलख देना चािहए।
ÿूफ पढ़ लेने के पIJात अंत म¤ अपना संि±Į हÖता±र कर देना चािहए।
िकसी भी समाचार पý पिýका पुÖतक का ÿूफ शोधन महÂवपूणª भाग होता है। िजसका ÿूफ
शोधन शुĦ होता है। उसको पाठक Öवीकार करता है। पढ़ने म¤ Łिच लेता है, और उस
सामúी के ÿित िवĵास रखता है।
२.५ सारांश इस इकाई के माÅयम से मुþण कला का अथª, Öवłप एवं िवशेषताओं से पåरिचत कराने का
ÿयास िकया गया है। मुþण कला का इितहास एवं िवकास का सामाÆय पåरचय भी िदया गया
है। ÿूफ शोधन अथª Öवłप, ÿूफ शोधक के गुण एवं कतªÓय िकस ÿकार है इस पर िववेचन
िकया गया है।
२.६ लघु°रीय ÿij १. मुþण का इितहास िकतने वषŎ पुराना ह§?
उ : मुþण का इितहास तेरह-चौदह सौ वषŎ पुराना ह§।
२. िकसी धातु या िम®धातु से ढाले हòए वणªमाला के अ±रŌ को ³या कहाँ जाता है?
उ : 'टाइप' (Type) ।
३. िकस िसĦांत के अनुसार āĺाÁड कì रचना और जीवŌ कì उÂपि° हòई है?
उ : परमेĵर कì इ¸छा से āĺाÁड कì रचना और जीवŌ कì उÂपि° वैिदक िसĦांत के
अनुसार हòई है।
४. िकस अिवÕकार के बाद टाइप राइटर मशीन कì तरह से अ±रŌ के सेट करने कì
सुिवधा आसान हòई?
उ : सन १८९० ई. म¤ िलनोटाइप के अिवÕकार से टाइप राइटर मशीन कì तरह से
अ±रŌ के सेट करने कì सुिवधा आसान हòई।
५. िकसी भी ÿकार कì पý-पिýकाएँ और िकताब के ÿकाशन के पहले िकतने ÿकार से
संसोधन करना आवÔयक ह§?
उ : पý-पिýकाएँ और िकताब के ÿकाशन के पहले पूवª ÿूफ रीडर के Ĭारा चार ÿकार से
संसोधन करना आवÔयक होता है। munotes.in
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संचार माÅयम
24 २.७ दीघō°री ÿij १. मुþण कला का अथª, Öवłप एवं िवशेषताओं को िववेिचत कìिजए ।
२. मुþण कला का इितहास एवं िवकास का पåरचय दीिजए ।
३. ÿूफ शोधन अथª एवं Öवłप बताते हòए ÿूफ शोधक के गुणŌ पर ÿकाश डािलए ।
२.८ संदभª úंथ १. मीिडया लेखन - सुिमत मोहन
२. कंÈयूटर और िहंदी - ÿो. हåरमोहन
३. इंटरनेट पýकाåरता - सुदेश कुमार
४. िविकपीिडया
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इले³ůॉिनक ŀÔय, ®Óय जनसंचार माÅयम
इकाई कì łपरेखा
३.० इकाई का उĥेÔय
३.१ ÿÖतावना
३.२ रेिडयो : अवधारणा, िवकास, कायªøम एवं उĦघोषक के गुण-कतªÓय
३.२.१ रेिडयो कì अवधारणा
३.२.२ रेिडयो का िवकास
३.२.३ रेिडयो : कायªøम एवं उĦघोषक के गुण-कतªÓय
३.३ िसनेमा : ÖवŁप, िवकास एवं पटकथा लेखन
३.३.१ िसनेमा : Öवłप
३.३.२ िसनेमा का िवकास
३.३.३ पटकथा लेखन
३.४ टेलीिवजन : ÖवŁप, िवकास एवं धारावािहक लेखन
३.४.१ टेलीिवजन का ÖवŁप
३.४.२ टेलीिवजन का िवकास
३.४.३ धारावाहीक लेखन
३.५ सारांश
३.६ लघु°रीय ÿij
३.७ दीघō°री ÿij
३.८ संदभª úंथ
३.० इकाई का उĥेÔय ÿÖतुत इकाई म¤ िनÌनिलिखत िबंदुओं का छाý अÅययन कर¤गे।
रेिडयो कì अवधारणा और िवकास से छाý पåरिचत हो जाय¤गे।
रेिडयो के कायªøम, उĦघोषक के गुण-कतªÓय ³या ह§ उसका िवÖतार से अÅययन
कर¤गे।
िसनेमा का ÖवŁप, िवकास एवं पटकथा लेखन कì जानकारी ÿाĮ होगी।
टेलीिवजन का ÖवŁप, िवकास एवं धारावािहक लेखन का छाý अÅययन कर¤गे। munotes.in
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संचार माÅयम
26 ३.१ ÿÖतावना आज का िवĵ इले³ůॉिनक माÅयक के साथ जुड़ गया है और यह इले³ůॉिनक माÅयम िवĵ
म¤ तेजी से ÿगित कì ओर बढ़ रहा है। िवĵ म¤ बढ़ती लोकसं´या कì जłरतŌ को देखते हòए
तरह-तरह के संचार माÅयमŌ का िवकास हòआ है। नई-नई सूचना पहòँचाने कì दुिनया म¤ होड़
लगी हòई है। रेिडयो अिवÕकार से कई ÿकार के कायªøम जनसमुदाय Ĭारा łिच के साथ
सुना जाते थे। इसी के साथ उसका िवकास होता चला गया। दुिनया म¤ पहले िसफª
टेलीिवजन पर समाचार देखा करते थे पंरतु आज कì दुिनया म¤ चैबीसŌ घंटे देश-दुिनया कì
खबरŌ का ÿसारण दूरदशªन के माÅयम से चल रहा है। नए-नए अिवÕकार से दुिनयाँ और
नज़दीक आ रहé ह§। इसी का नतीजा यह रहा है कì जनसंचार माÅयमŌ का िवकास तेज गती
से हो रहा है। इसीिलए संचार माÅयमŌ म¤ रेिडयो, िसनेमा और टेलीिवज़न आिद का
महÂवपूणª Öथान रहा है।
३.२ रेिडयो : अवधारणा, िवकास, कायªøम एवं उĦघोषक के गुण-कतªÓय ३.२.१ रेिडयो कì अवधारणा:
मुþण माÅयम के अिवÕकार के पIJात दूसरा महÂवपूणª और ÿभावशाली अिवÕकार ®Óय
माÅयम के łप म¤ रेिडयो का हòआ। रेिडयो अिवÕकार के Ĭारा जीवन म¤ काफì पåरवतªन हòए।
मुþण माÅयम के अिवÕकार से जनसंचार के िवकास और समाज पåरवतªन म¤ तो øांित
िनमाªण हो चुकì थी, िकंतु रेिडयो के Ĭारा एक साथ देश के कोने कोने म¤ असं´य लोगŌ तक
एक साथ आवाज प हòंचाना अिधक सुलभ बन गया। भारत म¤ बहòत से गाँव अÂयंत दुगªम ±ेý
म¤ बसे है । ऐसे दुगªम ±ेý के लोगŌ के िलए रेिडयो ÿसारण बहòत बड़ी खोज है।
रेिडयो िवīुत ऊजाª के Ĭारा Åविन तरंगो को काफì दूर तक भेजता है। रेिडयो Öटेशन से
िजस समय संदेश भेजा जाता है, िठक उसी समय हजारŌ मी ल दूर बैठे लोग रेिडयो सेट पर
उसे सुन सकते है। रेिडयो माÅयम Åविन पर आधाåरत होने के कारण समाचार पýŌ कé शैली
से रेिडयो पýकाåरता कì शैली काफì िभÆन होती है। रेिडयो ®Óय माÅयम होने के कारण
Óयिĉ का िशि±त होना आवÔयक नहé होता। रेिडयो अिशि±तŌ के िलए भी मनोरंजन और
²ान ÿाĮ करने का ÿभावी माÅयम है ।
मुिþत और इले³ůॉिनक जनसंचार माÅयमŌ के अिवÕकार के पूवª भी मनुÕय के Ĭारा सूचना
के लेन-देन कì ÿिøया देखी जा सकती है । इन माÅयमŌ के अिवÕकार से पूवª मनुÕय पुकार,
पुकार कर संदेश देता था। लोगŌ को एकिýत कर सभा का आयोजन िकया जाता था। िकंतु
इस पारंपåरक पĦित से दूर िवशाल जनसमुदाय तक पहòंच पाना आसान नहé था। अपने
िवचारŌ को िवशाल जन समुदाय तक पहòंचाने के ÿयास से ही मुþण माÅयम का आिवÕकार
हòआ। परंतु यह माÅयम केवल िशि±त लोगŌ के िलए ÿभािव थे। इन से ÿाĮ संदेशŌ को ÿाĮ
करने के िलए मनुÕय का पढ़ा िलखा होना आवÔयक था, तथा उÆह¤ दुगªम भागŌ तक पहòंचाना
आसान नहé था। रेिडयो के अिवÕकार से इस समÖया का हल ÿाĮ हòआ देखा जा सकता
है।
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इले³ůॉिनक ŀÔय, ®Óय जनसंचार माÅयम
27 ३.२.२ रेिडयो का िवकास:
रेिडयो एक øांितकारी अिवÕकार है। िजससे Åविन तरंगŌ के Ĭारा दुगªम गाँवŌ, पहाड़Ō, घने
जंगलŌ, रेिगÖतान सभी ±ेýŌ म¤ अपनी आवाज पहòँचाने म¤ समथª है । रेिडयो िवīुत ऊजाª
शिĉ के Ĭारा Åविन तरंगŌ को एक Öथान से दूसरे Öथान तक भेजता है। िकंतु ůांिजÖटर के
आगमन से िवīुत ऊजाª कì अिनवायªता समाĮ हो गई। मुिþत माÅयम से ®Óय माÅयम
अिधक जन सुलभ हो गया । मूÐय कì ŀिĶ से अगर िवचार िकया जाए तो यह कम मूÐय के
कारण गरीब Óयिĉ के िलए भी उसे खरीद पाना आसान हो गया।
सैÌयुअल मासª Ĭारा टेलीúाफ (१८४४), अल¤³झ¤डर úाहम बेल Ĭारा टेलीफोन (१८७६ )
और एडीसन Ĭारा बÐब खोज के बाद दुिनया ने ‘िवīुत युग’ ÿवेश िकया । रेिडयो का
आिवÕकार १९ शताÊदी म¤ हòआ। १८९० म¤ इटली के एक इंजीिनयर गूिµलयŌ माकōनी ने
रेिडयो टेलीúाफì के जåरए पहला संदेश ÿसाåरत िकया । िजससे बगैर तार ( वायरलेस) के
समुþ म¤ जहाजŌ और नौकाओं म¤ संदेश भेजना संभव होने लगा। सन १९०६ म¤ पहली बार
रेिडयो पर मनुÕय कì आवाज सुनाई दी। यह अिवÕकार ली डे फॉरेÖट Ĭारा हòआ । ली डे
फॉरेÖट ने रेिडयो के िलए उपयुªĉ वाफ रिहत नली (वै³युम ट्यूब) बनाई, िजससे आवाज
का ÿसारण संभव हो पाया।
भारत म¤ रेिडयो का आरंभ १९२६ से शुł हòआ। मुंबई, कोलकाता, चेÆनई म¤ Óयिĉगत
रेिडयो ³लब Öथािपत िकया। इन ³लबŌ के ÓयावसाियकŌ ने एक िनजी ÿसारण सेवा शुł
कì। १९२६ म¤ भारत सरकार के जåरए देश म¤ ÿसारण क¤þ ÿÖथािपत करने के िलए
लाइस¤स ÿदान िकया । २३ जुलाई १९२७ म¤ इस कंपनी के जåरए मुंबई से पहला ÿसारण
हòआ । १९३० म¤ भारत सरकार के जåरत ÿसारण-सेवा का ÿबंध अपने अिधकार म¤ िलया।
तथा १९३० ई म¤ ही ‘इंिडयन āॉडकािÖटंग सिवªस’ के नाम से नया उपøम शुł िकया।
इसके क¤þ मुंबई कोलकाता म¤ Öथािपत िकए गए। कालांतर म¤ इसका नाम ‘इंिडयन Öटेट
āॉडकािÖटंग सिवªस’ हो गया। १९३६ म¤ इसका नाम ‘ऑल इंिडया रेिडयो’ के łप म¤ बदल
गया। १९३५ म¤ तÂकालीन देसी åरयासत, मैसूर म¤ एक Öवतंý रेिडयो Öटेशन कì Öथापना
हòयी। तÂकालीन मैसूर åरयासत ने इसे ‘आकाशवाणी’ नाम िदया। Öवतंýता के समय,
१९४७ म¤ रेिडयो Öटेशन िसफª मुंबई, िदÐली, चेÆनई, लखनऊ, चंडीगढ़ जो आज बढ़कर
१०० से अिधक है। ये रेिडयो Öटेशन देश के तीन चौथाई से अिधक भौगोिलक ±ेý तथा
९० ÿितशत से अिधक जनसं´या को अपने ÿसारण ±ेý म¤ िलए हòए ह§। १९५६ तक
‘रेिडयो सीलोन’ अिधक ÿिसĦ था, िकंतु १९५६ म¤ िविवध भारती के आगमन के पIJात
उसकì łिच कम हो गई देखी जाती है । शहरŌ कì अपे±ा गांवŌ म¤ रेिडयो सुनने कì सं´या
अिधक देखी जाती है। इसकì लोकिÿयता को देखते हòए भारत सरकार ने आकाशवाणी को
अलग िवभाग के łप म¤ गिठत िकया है। आज सूचना और ÿसारण मंýालय के सभी िवभागŌ
म¤ ‘आकाशवाणी’ िवभाग सबसे बड़ा है।
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संचार माÅयम
28 ३.२.३ रेिडयो : कायªøम एवं उĦघोषक के गुण-कतªÓय:
१. कायªøम
भारत म¤ रेिडयो पर ÿसाåरत होने वाले कायªøमŌ कì चचाª कì जाए तो इसम¤ भी भारत पीछे
नहé है। आकाशवाणी के जåरए सूचना, समाचार, मनोरंजन, िश±ा, िव²ापन आिद का
ÿसारण िकया जाता है। वतªमान समय म¤ आकाशवाणी के Ĭारा २४ घंटŌ म¤ २८४ समाचार
बुलेिटन ÿसाåरत िकए जाते ह§ । एक छोटा समाचार बुलेिटन ५ िमनट और बड़ा समाचार
बुलेिटन १५ िमनट का होता है। सामाÆय समाचार बुलेिटन के साथ-साथ समाचार पýŌ से
िटपिÁणयॉ लोकŁिच के समाचार जैसे बुलेिटन भी ÿसाåरत होते ह§ । समाचार के अलावा
®ोताओं से बातचीत का कायªøम भी ÿसाåरत होता है। इसके अितåरĉ साĮािहकì, संसद
कì कारªवाई, Æयूज रील, चुनाव और उसके पåरणामŌ को जन-जन तक पहòंचाने के िलए
िवशेष समाचार बुलेिटन आिद ÿभावशाली एवं लोकिÿय कायªøम म¤ ÿसाåरत होते ह§ ।
आकाशवाणी के कायªøमŌ को दो भागŌ म¤ बांटा जाता है -
अ) आंतåरक ÿसारण सेवा
ब) िवदेश ÿसारण सेवा
रेिडयो Ĭारा ÿितिदन हर घंटे कì सूचना तथा समाचार कì जानकारी िद जाती है । शै±िणक
ŀिĶ से Öकूल तथा महािवīालयीन िश±ा संबंिधत िविवध कायªøमŌ का आयोजन िकया
जाता है। मनोरंजन, खेल ÿसारण कì भी रेिडयो कì िविशĶ सेवा है। िव²ापन को रेिडयो के
माÅयम से Óयापक मंच ÿाĮ हòआ है। िविभÆन कायªøमŌ कì िविभÆन समय पर कायªøम के
बीच म¤ रेिडयो िव²ापन ÿसाåरत िकए जाते ह§। रेिडयो जन-जीवन का आवÔयक अंग बन
चुका है। हम घर म¤ हो, बाहर हŌ, बाहर जा रहे हो, कोई कायª कर रहे हो रेिडयो हमारे साथी
का काम करता है। केवल िशि±त बिÐक अिशि±तŌ कì आ Âमीयता रेिडयो रखता है।
रेिडयो पर ÿसाåरत होने वाले कायªøमŌ म¤ लंबी ®ृंखला देखी जाती है । सभी कायªøम सभी
जनसमुदाय Ĭारा Łिच के साथ सुने जाते ह§।
शाľीय संगीत, नाटक, डॉ³यूम¤ůी, िव²ापन, ऋिष, राजनीित, Æयूज़रील, समाचार, हाÖय
मनोरंजन, सािहिÂयक, मिहला िवशेष, आरोµय िवषयक, िफÐमी गीत, लोकगीत, आिद सभी
ÿकार के कायªøमŌ को ®ोता वगª Ĭारा Łिच के साथ सुना जाता है।
रेिडयो पर ÿसाåरत होने वाले कायªøमŌ कì लंबी सूची देखी जाती है। समाचार, फìचर,
वाताª, सा±ाÂकार, डॉ³यूम¤ůी, पिýका, िवचार गोĶी, आंखŌ देखा हाल, नाटक, कहानी,
काÓयपाठ, किव सÌमेलन, िवशेष ÿसारण कायªøम, Æयूज रील, रेिडयो åरपोटª, ब¸चŌ का
कायªøम, मिहला कायªøम, युवा कायªøम, ऋषकŌ के िलए संगीत के िविवध कायªøम, खेल
जगत्, पवª और जयंतीया आिद। उनके अितåरĉ भी समय समय पर ÿसाåरत होने वाले
कायªøमŌ म¤ िव²ान जगत्, Öथल åरकॉिड«ग, आज का िवचार , आमंिýत ®ोताओं के सम±
आयोिजत कायªøम, बुजुगŎ के िलए पåरवार-कÐयाण, और ÖवाÖÃय संबंधी कायªøम भी
ÿसाåरत िकए जाते ह§। munotes.in
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इले³ůॉिनक ŀÔय, ®Óय जनसंचार माÅयम
29 २. उĤोषक के गुण:
रेिडयो ®Óय माÅयम होने के कारण इसम¤ उĤोषक का बहòत ही महÂवपूणª Öथान रहता है।
एक अ¸छा उĤोषक ही अ¸छी उĤोषणा कर सकता है। उĤोषक को चुनने के िलए Öवर
पåर±ा ली जाती है। उĤोषक िनÌनांिकत गुणŌ का होना अिनवायª होता है।
१. ÿसारण योµय Öवर:
ÿसारण योµय Öवर उĤोषक का महÂवपूणª गुण है। रेिडयो ®Óय माÅयम होने के कारण
रेिडयो ÿसाåरत होने वाले कायªøम आवाज के सहारे ही लोकिÿय हो जाते ह§। इसिलए
उĤोषक कì आवाज कणªिÿय, आकषªक होनी अिनवायª होती है। िनरंतर अËयास से आवाज
म¤ िनखारपन लाया जा सकता है। आजकल कैसेट åरकॉिड«ग उपलÊधता के कारण आवाज
को अ¸छा बनाने और सही उ¸चारण के िलए आसानता आ गई है।
२. शुĦ उ¸चारण:
ÿसारण योµय Öवर के साथ ही रेिडयो पर ÿसाåरत कायªøमŌ म¤ उ¸चारण कì शुĦता भी
बहòत महÂव रखती है । गलत उ¸चारण से शÊद का अथª ही बदल जाता है। िहंदी के शÊदŌ
कì चचाª कì जाए तो ‘श’ को ‘स’ बोलते है जो गलत है। आकाश को अकाश बोल कर उसे
छोटा कर िदया जाता है। ľी हो तो इľी, Öकूल हो तो सकुल, गृह मंýी को úहमंýी आिद।
इससे शÊदŌ के अथª म¤ पåरवतªन आ जाता है।
३. Öवर म¤ उतार चढाव:
उद्घोषक को इस बात का Åयान रखना चािहए िक उसे उĤोषणा लोगŌ को सुनानी होती है।
इसीिलए उसे शÊदŌ म¤ भावनाओं का Åयान रखना चािहए। अपने Öवर म¤ बोलने के अंदाज म¤
िवनăता, ÿेम, आÂमीयता लानी चािहए , िजससे ®ोता के साथ अपनेपन का åरÔता िनमाªण
हो जाता है। छोटे से पॉज या शÊदŌ के उतार-चढाव से वा³य का पूरा अथª बदल जाता है।
जैसे – łको मत …. आओ
łको मत…… जाओ
इसीिलए समय, कायªøम के अनुसार उĤोषणा का होना आवÔयक हो जाता है।
४. उ°म सामाÆय ²ान :
रेिडयो के ऊपर केवल समाचार खबरे ही नहé तो िभÆन–िभÆन ÿकार के कायªøमŌ का
ÿसारण िकया जाता है। इसिलए उद् घोषक को उद् घोषणा िलखने के िलए सामाÆय ²ान
कì आवÔयकता होती है। एक रेिडयो केÆþ के उद् घोषक ने एक गजल सुनाई, िजस गायक
उसे िलखा था। उĤोषक ने उĤोषणा कर दी- इस गजल के गायक ‘क’ और शायर थे –
सेÐफ। यह जो गलती उĤोषक से होती है यह मु´यतः सामाÆय ²ान का अभाव है। नÛम या
नगमा को उĤोषक गजल बनाता है, जो िक गलत है। ³यŌिक तीनŌ ही अलग अलग है। जब
कभी कÌपीयर अचानक नहé आए तो उĤोषक को ही कÌपीयर का काम करना पड़ता है।
इसिलए भी उĤोषक को सामाÆय ²ान , संगीत का ²ान होना आवÔयक होता है। इसी के munotes.in
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संचार माÅयम
30 साथ-साथ सािहÂय, आिथªक, खेल, राजनीित जैसे ±ेý कì भी जानकारी होना आवÔयक
होता है ।
५. आलेख लेखन कì ±मता:
उĤोषक को भाषा पर पकड़ होना आवÔयक होता है इसी के आधार पर वह उĤोषणा को
आकषªक, रोचक बना सकता है। भाषा ²ान के सहारे ही उĤोषणा म¤ नािवÆयपूणªता लाई जा
सकती है। उĤोषणा के अितåरĉ िफÐम, संगीत जैसे कायªøमŌ का ÿÖतूतीकरण करते
समय भी आलेख के िलए अ¸छी भाषा तथा लेखन कì कुशलता का पåरचय देना होगा ।
३.३ िसनेमा : ÖवŁप, िवकास एवं पटकथा लेखन ३.३.१ िसनेमा का Öवłप:
िसनेमा भारतीय संÖकृित के संदभª म¤ सवाªिधक लोकिÿय और शिĉशाली संचार माÅयम
है। अÆय भाषाओं म¤ िनिमªत िसनेमा कì तुलना म¤ िहंदी िसनेमा अिधक लोकिÿय िदखाई
देता है । िसनेमा के बारे म¤ कहा जाए तो िसनेमा मनुÕय कì गहन अनुभूितयŌ और संवेदनाओं
को ÿकट करनेवाला एक आधुिनक माÅयम है। िजसम¤ लेखन, ŀÔय, कÐपना, मंच-िनद¥शन
łप सºजा के साथ ÿकाश िव²ान, इले³ůॉिनक और वै²ािनक तकनीकì का योगदान
होता है।
िसनेमा के बारे म¤ ÿिसĦ िनमाªता तथा िनद¥शक सÂयजीत रे कहते ह§, “िफÐम सिचý है,
िफÐम शÊद है, िफÐम आंदोलन है, िफÐम नाटक है, िफÐम एक कहानी है, िफÐम हजारŌ
अिभÓयिĉ पूणª ®Óय एवं ŀÔय आ´यान है ।”
िफÐमकार कमलÖवłप :
“‘िसनेमा’ अनुभूित और संवेदना ÓयिĶ और समĶी के संबंध का िव²ान है। िविभÆन नाट्य
एवं लिलत कलाओं का सिÌम®ण है । िकसी घटना के काल और िदक् के आयामŌ का
łपांकन है।”
िवजय शमाª:
“‘िफÐम सािहÂय से अलग एक िभÆन िवīा है’। यहा कथानक होता है मगर वही सबकुछ
नहé होता है। िफÐम िभÆन मुहावरŌ म¤ बात करती है।”
आलोक पांडेय:
“दरअसल िसनेमा िसफª अिभÓयिĉ नही है, वह एक अÆवेषणकारी माÅयम भी है । वह बहòत
कुछ ऐसा भी कहता और करता है िजसे शÊदŌ म¤ नही कहा जा सकता ।”
वसंतकुमार ितवारी:
“िसनेमा एक बडा धोखा है। कुछ भी नहé होकर वह चलिचýŌ से दशªक को इतना
आÂमिवभोर कर देता है िक कुछ समय के िलए वह अपने अिÖतÂव को भी भूल जाता है।” munotes.in
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इले³ůॉिनक ŀÔय, ®Óय जनसंचार माÅयम
31 डॉ. कैलाशनाथ पांडेय:
"जीवन कì हर झांकì और मंजर को łपाियत करनेवाला िसनेमा संसार का सबसे सुंदर
सांÖकृितक उपहार है।"
शुिचता शरण:
"िसनेमा को एक कला, एक Óयवसाय, एक उपयोग, एक नकली दुिनया, चकाचŏध, एक
हकìकत अनेक िवशेषणŌ से संबोिधत िकया जा सकता है।"
डॉ. गज¤þÿताप िसंह:
"िफ़Ðम मनोरंजन के साथ-साथ हमारे देश कì संÖकृित, सËयता और नए युग को ÿदिशªत
करती है। िफ़Ðम ही एक ऐसा माÅयम है, िजसके जåरए लोक लोग हर चीज से ÿभािवत होते
है।"
िवनोद दास:
"िसनेमा एक कला है और अÆय कलाओं कì तरह यह भी हमारे समय और समाज कì
बुिनयादी तथा ताÂकािलक िचंताओं-िज²ासाओं कì अपनी सृजनशीलता का एक अिनवायª
अंश बनाता रहा है।"
Êलादीिमर उÐवीच Ðयेिनन:
"हमारे िलए िसनेमा सभी कलाओं से अिधक महÂवपूणª है। िसनेमा न केवल लोगŌ के
मनबहलाव का बिÐक सामािजक िश±ा, संवाद Öथािपत करने का तथा हमारी िवशाल
जनसं´या को एक सूý म¤ बाँध लेने का सशĉ साधन है।"
लुई बुनुएल:
"िसनेमा ÖवÈनलोक मानवीय भावनाओं को उनकì सÌपूणªता म¤ िदखाने और भावनीय संवेगŌ
को िचिýत करने का सवō°म माÅयम है।"
िसनेमा मनोरंजन का एक महÂवपूणª साधन है। िसनेमा को मास Öकेल वाली कला भी कहा
जा सकता है। िसनेमा राजनीती, सामािजक, धािमªक, आिथªक सभी िवषयŌ, पåरिÖथितयŌ
को साथ लेकर रचनाÂमक अिभÓयिĉ के łप म¤ िचिýत होता है।"
िसनेमा म¤ फìचर िफ़Ðम (ÿेमÿधान िफÐम¤, िहंसाÿधान िफÐम¤, हाÖयÿधान िफÐम¤,
सामािजक िफÐम¤, राजिनितक, पाåरवाåरक िफÐम¤) डॉ³यूम¤ůी िफÐम¤, टेलीिफÐम,
एिनमेशन और काटूªन िफ़Ðम, िव²ापन िफ़Ðम सभी ÿकार के िफ़ÐमŌ कì िनिमªित कì जाती
है।"
३.३.२ िसनेमा का िवकास:
िसनेमा के िवकास पर ÿकाश डाला जाए तो उसकì शुŁआत १८९५ म¤ Ðयुिमयर बंधूओं के
चलिचý के łप म¤ हòयी। भारत म¤ ७ जुलाई १८९६ म¤ मुंबई के वाटसन होटल म¤ भारतीय munotes.in
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संचार माÅयम
32 िसनेमा का िवकास ÿारÌभ हòआ जो आज तक नई नई वै²ािनक तकनीकì के Łप म¤ िनरंतर
सफलता ÿाĮ कर रहा है। वाÖतव म¤ भारत म¤ िसनेमा का इितहास तब शुł हòआ, जब
Ðयूमेरे āदसª से ÿभािवत होकर हåरशचंþ सखाराम भाटवडेकर ने इंµल§ड से एक कैमरा
मँगवाया । मुंबई म¤ उनकì पहली िफ़Ðम ‘द रेसलर’ हैिगंग गाडªन म¤ शुट कì जो १८९९ म¤
ÿदिशªत हो गई।
भारत म¤ सबसे पहले दादा साहब फालके और िहरालाल ने पहली पुÁडिलक नामक लघु
कथा िफ़Ðम बनाई। पहली लंबी फìचर िफ़Ðम बनाने का ®ेय भी दादासाहेब फालके को
िदया जाता है। उÆहŌने ‘राजा हåरIJंþ’ नामक पहली मूक िफ़Ðम बनाई जो सन् १९१३ म¤
ÿदिशªत हòई। 'राजा हåरIJंþ िफ़Ðम को १९१४ म¤ लंदन म¤ ÿदिशªत कराया गया। दादा साहेब
फालके ने १९१३ से लेकर १९१८ तक २३ िफÐमŌ का िनमाªण िकया।
'आलमं आरा' नामक पहली बोलती िफ़Ðम १९३१ म¤ ÿदिशªत हòई । िजसकì िनिमªित
अदैिÔत ईरानी Ĭारा कì गई जो बॉÌबे म¤ ÿदिशªत हòई। १९३७ म¤ पहली रंगीत िफ़Ðम
‘िकसान कÆया’ बनाई गयी। १९४८ म¤ भारतीय िफ़Ðम िडवीजन कì Öथापना कì गई।
िफ़Ðम िडवीजन के Ĭारा समाज, संÖकृित, सािहÂय, जैसे िविवध ÿijŌ पर िफÐमे तैयार कì
जाने लगी।
िहंदी िसनेमा ही नहé बिÐक िहंदी िसनेमा के साथ साथ ±िýय िफÐमŌ का िवकास भी हो
रहा था। १९१७ म¤ पहली बंगाली फìचर िफ़Ðम 'नल दमयंती' जो एक मदान Ĭारा बनाई
गई। १९१९ म¤ पहली दि±ण भारतीय फìचर िफ़Ðम 'कìचक वधम' नामक मूक िफ़Ðम और
नटराज मुदिलयार Ĭारा बनायé गई। दादा साहब फाÐके कì बेटी मंदािकनी पहली बाल
कलाकार थी। िजÆहŌने १९१९ म¤ 'कािलया मदªन' िफ़Ðम म¤ बाल कृÕण कì भूिमका िनभाई।
उसके साथ ही बंगाल कì पहली Åविन िफ़Ðम 'जमाई षķी 'जो १९३१ म¤ ÿदिशªत कì गई
िजसे मदन िथयेटर िलिमटेड Ĭारा िनिमªत िकया गया। तिमल भाषा कì पहली Åविन िफ़Ðम
एचएम रेड्डी Ĭारा िनद¥िशत 'कािलदास' ३१ अĉूबर १९३१ को मþास म¤ ÿदिशªत कì गई।
बंगाली, दि±ण भारतीय भाषाओं के साथ मराठी, असमी, उिड़या, पंजाबी आिद ±ेýीय
भाषाओ म¤ भी िफ़Ðम¤ तैयार कì जा रही थी।
'अयोÅयेचा राजा' पहली मराठी िफ़Ðम जो. वी. शांताराम Ĭारा १९३२ म¤ िनद¥िशत िकया
गया। यह िफ़Ðम २ भाषाओं म¤ बनाई गई। िहंदी म¤ 'अयोÅया का राजा' और मराठी म¤
'अयोÅयेचा राजा ।'
िहंदी ±ेýीय िफÐमो के साथ १९७० के दशक म¤ बॉलीवुड म¤ मसाला िफÐमŌ का आगमन
हòआ। १९८० के दशक म¤ कई मिहला िनद¥शक जैसे मीरा नायर, अपणाª सेन और अÆय
लोगŌ ने अपनी ÿितभा का ÿदशªन िकया। १९८१ म¤ 'उमराव जान' िजसम¤ रेखा कì
असाधारण अदाकारीया को लोग भूल नहé सकते। वषª २००८ म¤ भारतीय िफ़Ðम उīोग के
िलए भारतीय िफ़Ðम ‘Öलमडॉग िमिलयनयेर’ म¤ सवª®ेķ संगीत के िलए ए. आर. रहमान को
दो अकादमी पुरÖकार भी ÿाĮ हòए। २०१३ म¤ भारत के नेशनल Öटॉक ए³स¤ज म¤ ३०
िफ़Ðम ÿोड³शन कÌपिनओं को सूचीबĦ िकया गया था। munotes.in
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इले³ůॉिनक ŀÔय, ®Óय जनसंचार माÅयम
33 िफÐमŌ को ÿोÂसाहन देने के िलए ÿितवषª राÕůीय पुरÖकार िदए जाते है। राĶीय तथा
अंतरराÕůीय िफ़Ðम समारोह का आयोजन िकया जाता है। भारतीय िसनेमा हमारे दैिनक
जीवन का एक िहÖसा बन गया है। िसनेमा मनोरंजन का एक ÿभावी माÅयम के łप म¤
अपनी लोकिÿयता िनरंतर बढाता हòआ देखा जाता है।
३.३.३ पटकथा लेखन:
िफÐम के िलए िÖøÈट राइिटंग का कायª तीन चरणŌ म¤ िकया जाता है।
१) कहानी लेखन
२) Öøìन Èले या पटकथा तैयार करना
३) डायलॉग या संवाद
लेखक सािहÂयकर का कायª कागज, कलम तक मयाªिदत रहता है। लेिकन िफÐम लेखकŌ
को अपनी कला परफोिम«ग ॲ³ट म¤ पåरवितªत करनी होती है। इÆह¤ पटकथा को िलखते
समय परदे पर उतरे जाने वाले ŀÔयŌ कì सीमाओं और िफ़Ðम के बजट इन दोनŌ का Åयान
रखना होता है।
पटकथा लेखन म¤ अगर सफलता ÿाĮ करनी है तो भाषा पर ÿभुÂवः होना बहोत आवÔयक
होता है। भाषा के ÿभुÂव के साथ िøएिटिवटी म¤ भी स±म होना आवÔयक होता है। शÊद
भंडार िजतना िवÖतृत होगा उतना ही िवचारŌ को उिचत शÊदŌ के साथ अिभÓयĉ िकया
जाता है ।
पटकथा लेखन एक कला है, जो मनुÕय म¤ मौलीक łप से होती है। इस मौलीक कला कŌ
िवकिसत और पåरमिजªत करने का कायª पुÖतकŌ तथा िश±ा के Ĭारा िकया जाता है।
अंúेजी, अमåरका म¤ इसके िलए अलग कोसª चलाये जा रहे ह§, पुÖतक¤ िलखी जा रही है। पर
िहÆदी म¤ सीिमत िकताबŌ, गाईड के जåरए उसे िवकिसत करने का ÿयÂन िकया जाता है।
३.४ टेलीिवजन : ÖवŁप, िवकास एवं धारावािहक लेखन ३.४.१ टेलीिवजन का ÖवŁप:
इले³ůॉिनक जनसंचार माÅयमŌ म¤ टेलीिवजन को अिधक ÿभावी माÅयम देखा जाता है।
िफ़Ðम के साथ ही टेलीिवजन भी अिधक लोकिÿय जनसंचार माÅयम है। टेलीिवजन
बहòअयामी माÅयम िदखाई देता है। टेलीिवजन के अिवÕकार से सारी दुिनया को एक साथ
जोडना संभव हो पाया। इले³ůॉिनक जनसंचार माÅयमŌ के िवकास से िवĵ को नजदीक
कर िदया है, िकÆतु इसके साथ हमारी आदत¤ इन साधनŌ कì वजह से िबगडती जा रही है।
टेलीिवजन कì वजह से हमारी पढ़ने कì ±मता कम हो गयी है तो कंÌÈयूटर के कारण
गिणती ±मता को बांध िदया है। लेिकन ऐसा होते हòए भी िफ़Ðम, टेलीिवजन, कÌÈयूटर
अिधक लोकिÿय माÅयम देखे जा सकते है। munotes.in
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संचार माÅयम
34 टेलीिवजन के अिवÕकार ने पýकाåरता के ±ेý म¤ एक तरह से øांती कर दी है। िफ़Ðम कì
अपे±ा टेलीिवजन बहòत महÂवपूणª है। टेलीिवजन के सहारे िकसी भी घटना का सीधा
ÿसारण घर बैठे देखा जा सकता है। कुछ वषª पूवª मुंबई म¤ हòए आतंकवादी हमले को सारी
दुिनया ने घर बैठे देख िलया था। इसतरह से कोई भी घटना, कायªøम का सीधा ÿसारण
देख पाना सभी वगª के िलए आसान हो गया।
टेलीिवजन तरंगŌ के माÅयम से एक साथ ŀÔय और आवाज को सभी ÖथानŌ तक आसानी
से पहòँचाता है। टेलीिवजन ŀÔय-®Óय माÅयम होने के कारण अिधक लोकिÿयता को ÿाĮ
कर पाया। रेिडयो और टेलीिवजन म¤ यह फकª है कì रेिडयो के जåरए केवल आवाज को सुना
जा सकता था तो टेलीिवजन के Ĭारा आवाज के साथ-साथ ŀÔय भी देखे जाते है। रेिडयो
पर जो भी जानकारी दी जाती है उसका कोई ÿमाण या पुिĶ के िलए यथाथª का आधार नहé
था। िकंतु टेलीिवजन पर सीधा ÿसारण और ŀÔय िदखाई देने के कारण लोगŌ का िवĵास
संपािदत िकया जाता है। टेलीिवजन केवल समाचार ही नहé तो सभी वगª के Óयिĉ के िलए
मनोरंजन का खजाना भी उपलÊध हòआ है। रेिडयो कì अपे±ा टेलीिवजन महंगा होने पर
लोकिÿय है। ŀÔय-®Óय होने के कारण समाज के िवशाल जनसमूदाय का Åयान आकिषªत
करने म¤ सफल सािबत हòआ है ।
३.४.२ टेलीिवजन का िवकास:
रेिडयो कì किमयŌ को टेलीिवजन के अिवÕकार से दूर करना संभव हो पाया। दूर तक
तÖवीरŌ को ÿसाåरत करने कì कला १८९० म¤ ²ात हो चुकì थी। १९२० म¤ िचý को वाणी
देने म¤ वै²ािनक सफल हो गए थे। १९३० के अंत म¤ टेलीिवजन िāटन म¤ घरेलु शÊद बन
गया बिÐक १९३६ से संसार का पहला सावªजिनक ÿसारण ÿारÌभ हòआ।
जे. एल. बेयडª ने १९२५ म¤ तÖवीरŌ को ÿभावशाली ढंग से ÿसाåरत करनेवाला पहला
उपकरण बनाकर उसका ÿदशªन भी िकया। १९२७ म¤ बेल टेिलफोन कंपनी के इंजीिनयर
सी. एफ. जेिकÆस ने अमरीका म¤ पहली बार ÿसाåरत तÖवीर िदखाई। ÿारÌभ म¤ टेलीिवजन
यांिýक थे। Öटूिडयो म¤ तीĄ ÿकाश जलता था जो िछिþत िडÖक पर डालकर िडÖक घूमती
थी, िजससे पद¥ पर ŀÔय देखे जाते थे। १९३० ई. के आसपास इस यांिýकì ÿणाली कì
जगह इले³ůॉिनक ÿणाली ने ले ली। १९३० म¤ आवाज के साथ टी. वी. का ÿथम
सावªजिनक ÿसारण िāटेन म¤ हòआ।
१९३७ म¤ सवªÿथम बी. बी. सी. ने िनयिमत कायªøम का ÿारंभ िकया। कुछ ही समय म¤
टेलीिवजन का ÿसार तीĄ गित से फैलने लगा। सन १९३० से लेकर १९३८ के बीच िāटन
३०० Óयिĉगत रीिसवर से यह सं´या ४००० हो गयी । १९३९ म¤ ७००० सेट िबक गए।
Āांस म¤ टेलीिवजन का िनयिमत ÿसारण १९३८ म¤ तथा अमåरका म¤ १९४१ म¤ ÿारंभ
हòआ।
रंगीन टेलीिवजन ÿसारण कì शुŁआत १९५३ म¤ संयुĉ राºय Ĭारा पुरे िवĵ म¤ हो गयी।
१९५५ से 'युरोिवजन' नेटवकª िविधवत देखा गया। िāटेन, Āांस, इटली, डेनमाकª,
िÖवज़रल§ड, प. जमªनी, बेिÐजयम तथा नेदरलँड को जोडा गया। १९६२ म¤ सेटेलाइट के
जåरए पहले सीधे (live) कायªøम का आदान-ÿदान यूरोप तथा अमेåरका के बीच हòआ। munotes.in
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इले³ůॉिनक ŀÔय, ®Óय जनसंचार माÅयम
35 भारत म¤ ही टेलीिवजन का आरÌभ १५ िसतंबर १९५९ को हòआ। भारत के ÿथम राÕůपित
डॉ. राज¤þ ÿसाद के हाथŌ ÿथम ÿायोिगक टी. वी. कायªøम का उĤाटन िकया गया।
१९५९ म¤ नई िदÐली म¤ युनेÖको का संÌमेलन हòआ था। उस संÌमेलन म¤ यूनेÖको ने भारत
को टेलीिवजन कायªøम शुł करने के िलए २०,००० डॉलर का अनुदान िदया। यूनेÖको ने
टेली³लबŌ के सदÖयŌ को िदÐली-Ĭारा िनिमªत तथा ÿसाåरत कायªøमŌ को देखने के िलए
िनःशुÐक सेट ÿदान िकए। १९६१ म¤ उ¸चतर िवīालयŌ म¤ िनयिमत Öकूल टी. िव कायªøम
शुł िकया। १९६५ म¤ जनता कì माँग के अनुसार सरकार िश±ा के साथ मनोरंजन के
कायªøमŌ को ÿसाåरत करने के िलए सहमत हो गयी। १ अÿैल १९७६ को टेलीिवजन
'दूरदशªन' नाम से आकाशवाणी से पृथक हो गया। आज टेलीिवजन पर िविभÆन ÿकार के
चैनल, िश±ा, मनोरंजन, समाचार आिद उपलÊध है।
दूरदशªन पर ÿसाåरत होने वाले कायªøम को दो वगª म¤ िवभािजत िकया जा सकता है:
१. ऐसे कायªøम िजसम¤ उ¸चåरत शÊद का महÂव अिधक है।
२. ऐसे कायªøम िजनमे संगीत और मनोरंजन एकमाý लàय है।
ÿथम वगª के कायªøमŌ म¤ समाचार, वाताª, सा±ाÂकार, åरपोटª, नाटक, पåरचचाª, łपक या
फìचर, कॉम¤ůी, खेल का ऑखो देखा ÿसारण, वृ°िचý, किव सÌमलेन, मुशायरा, यू. जी.
सी / एन. सी. ई. आर. टी. के िश±ण कायªøम इ. आते ह§ ।
दूसरे वगª म¤ फìचर िफ़Ðम, िफÐमी गीत एवं संगीत, लोकगीत-संगीत, पारंपåरक संगीत, सुगम
संगीत, शाľीय संगीत, गायन, वाद्य संगीत आिद आते है।
इस तरह से दूरदशªन (टेलीिवजन) िदन-ब-िदन अपने िवकास के िशखर पर पहòँचता हòआ
समाज के हर वगª के िलए ²ानवधªक, मनोरंजन का ÿभावी माÅयम बन रहा है।
३.४.३ धारावाहीक लेखन:
धारावाहीक लेखन कì शुŁआत िफ़Ðम धारावािहक के आगमन के साथ २० वी शताÊदी म¤
हòई। टेलीिवजन धारावािहक के िजस ÿाłप को आज जाना जाता है उसकì शुŁआत रेिडयो
से हòयी। जो ब¸चŌ के साहिसक शो और दैिनक १५ िमिनट के कायªøमŌ के łप म¤ 'सापे
ओपेरा' का łप म¤ जाना जाता है। सापे ओपेरा िवशेषतः मिहलाओं को आकिषªत करने के
िलए बनाए गए थे। ये हर िदन सोमवार से शुøवार एक ही समय पर चलते थे। रेिडयो के
इितहासकार Āांिसस चेज जूिनयर Ĭारा 'द. िÖमथ फैिमली’ नामक एक शो को सापे ओपेरा
के परदादी के łप म¤ चलाया। जो सĮाह म¤ एक बार रात के समय ÿसाåरत िकया जाता था
जो १९३० के दशक कì शुŁआत म¤ िशकागो म¤ WENR पर शुł हòआ।
३.५ सारांश सारावंशतः कह सकते है िक इले³ůॉिनक ŀÔय और ®Óय के माÅयम से िवĵ म¤ कहé
माÅयमŌ का िवकास हòआ ह§। इसम¤ ÿमुखता रेिडयो, िसनेमा और टेलीिवजन आिद कì
महÂवपूणª भूिमका रही है। इसी माÅयमŌ के Ĭारा देश कì जनता को कहé ÿकार कì munotes.in
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संचार माÅयम
36 जानकारी ÿाĮ होती ह§। आधुिनक युग म¤ इले³ůॉिनक ŀÔय-®Óय जनसंचार माÅयमŌ का
उपयोग िशि±त, अिशि±त और अंध Óयिĉ आिद सभी को होता है।
३.६ लघु°रीय ÿij १. मुþण माÅयम के अिवÕकार के पIJात दूसरा ®Óय माÅयम अिवÕकार कौनसा हòआ
ह§?
उ. रेिडयो।
२. रेिडयो टेलीúाफì के माÅयम से पहला ÿसाåरत संदेश िकस िवĬान ने िकया?
उ. इटली के एक ÿिसĦ इंजीिनयर गूिµलयŌ माकōनी ने िकया।
३. भारत म¤ रेिडयŌ का आरंभ कब हòआ?
उ. भारत म¤ रेिडयŌ का आरंभ सन १९२६ म¤ हòआ।
४. आकाशवाणी के कायªøमŌ को िकतने भागŌ म¤ बाटा जाता है?
उ. आतंåरक ÿसारण सेवा और िवदेश ÿसारण सेवा इन दो भागŌ म¤ बाटा ह§।
५. भारत म¤ ÿदिशªत हòई पहली मूक िफ़Ðम कौनसी ह§?
उ. भारत कì पहली मूक िफ़Ðम 'राजा हåरIJंþ' सन १९१३ म¤ ÿदिशªत हòई।
६. िकस िवĬान ने सन १९२५ म¤ तÖवीरŌ को ÿभावशाली ढंग से ÿसाåरत करनेवाला
पहला उपकरण बनाया था?
उ. जे. एल. बेयडª।
७. पटकथा लेखन म¤ िÖøÈट राइिटंग िकतने चरणŌ म¤ कì जाती ह§?
उ. पटकथा लेखन म¤ िÖøÈट राइिटंग तीन चरणŌ म¤ कì जाती ह§।
३.७ दीघō°री ÿij १. रेिडयो के िवकास को ÖपĶ करते हòए उĦोषक के गुण-कतªÓय को ÖपĶ कर¤?
२. िसनेमा का ÖवŁप और िवकास पर िवÖतार से ÿकाश डािलए?
३. टेलीिवजन के िवकास को दशाªते हòए धारावािहक लेखन का पåरचय दीिजए?
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इले³ůॉिनक ŀÔय, ®Óय जनसंचार माÅयम
37 ३.८ संदभª úंथ १. मीिडया लेखन – सुिमत मोहन
२. सूचना ÿौīोिगकì और जन-माÅयम - ÿो. हåरमोहन
३. इले³ůॉिनक मीिडया - डॉ. सुधीर सोनी
४. इले³ůॉिनक मीिडया लेखन - डॉ. हरीश अरोड़ा
५. रेिडयो और दूरदशªन पýकाåरता - डॉ. हåरमोहन
६. इले³ůॉिनक मीिडया एवं सायबर पýकाåरता - राकेश कुमार
*****
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38 ४
अÂयाधुिनक जनसंचार माÅयम : उपयोग एवं िदशाएं
इकाई कì łपरेखा
४.० इकाई का उĥेश
४.१ ÿÖतावना
४.२ वेब पýकाåरता अवधारणा एवं िवशेषताएं
४.३ वेब पýकाåरता तकनीक, उपयोिगता एवं भिवÕय
४.३.१. वेब पýकाåरता तकनीक और उपयोिगता
४.३.२. वेब पýकाåरता का भिवÕय
४.४ ÿमुख वेब संÖकरण : समाचार पý, पिýकाएं, रेिडयो, समाचार चैनल
४.४.१ वेब समाचार पý
४.४.२ ई-पिýकाएं
४.४.३ समाचार चैनल
४.४.४ इंटरनेट रेिडयो
४.५ सारांश
४.६ लघु°रीय ÿij
४.७ दीघō°री ÿij
४.८ संदभª úंथ
४.० इकाई का उĥेश ÿÖतुत इकाई म¤ िनÌनिलिखत िबंदुओं का अÅययन कर¤गे:
वेब पýकाåरता अवधारणा एवं िवशेषताओं कì भली-भांित पåरिचत हो जाएंगे ।
वेब पýकाåरता कì तकनीकì, उपयोिगता एवं भिवÕय के ÿित जानकारी ÿाĮ कर
सक¤गे।
ÿमुख वेब संÖकरणŌ के ÿित अवगत हो सक¤गे ।
ÿमुख वेब समाचार पýŌ के ÿित जानकारी ÿाĮ कर सक¤गे ।
ÿमुख वेब रेिडयो के ÿित जानकारी ÿाĮ कर सक¤गे ।
ÿमुख वेब पिýकाओं के ÿित जानकारी ÿाĮ कर सक¤गे ।
समाचार चैनलŌ के ÿित जानकारी ÿाĮ कर सक¤गे । munotes.in
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अÂयाधुिनक जनसंचार माÅयम : उपयोग एवं िदशाएं
39 ४.१ ÿÖतावना इंटरनेट के माÅयम से जुड़े साइबर मीिडया, साइबर जनªिलºम, ऑनलाइन जनªिलºम,
इंटरनेट जनªिलºम, कंÈयूटराइºड जनªिलºम, वेबसाइट पýकाåरता व वेब पýकाåरता सिहत
कई समानाथê नामŌ से पुकारे जाने वाला 'कलम रिहत' नए मीिडया अथाªत वेब पýकाåरता ।
वेब पýकाåरता का अथª ‘वेब’ यानी वÐडª वाइड वेब (www ) अथाªत इंटरनेट के माÅयम से
िवĵ के िविभÆन देशŌ म¤ पाठकŌ से वेब यानी तरंगŌ के जåरए संपकª करना है। यह पýकाåरता
इंटरनेट पर ऑनलाइन यानी लाइन अथाªत तरंगŌ पर हमेशा ऑन यानी उपलÊध होने कì
वजह से ऑनलाइन पýकाåरता तथा साइबर पýकाåरता भी कहा जाता है। यह इंटरनेट और
कंÈयूटर के सहारे संचािलत ऐसी पýकाåरता है िजसकì पहòंच िकसी एक पाठक, गांव, एक
ÿखंड, एक ÿदेश या एक देश तक सीिमत नहé रहती वरना िडिजटल तरंगŌ के माÅयम से
पूरी दुिनया म¤ ÿदिशªत हो जाती है। इसका सारा कायª ऑनलाइन यानी ‘åरयल टाइम’ म¤
होता है।'
४.२ वेब पýकाåरता अवधारणा एवं िवशेषताएं भारत म¤ इंटरनेट कì सुिवधा सन १९९० से िमलने लगी तÂपIJात वेब पýकाåरता कì
शुŁआत १९९५ म§ चेÆनई से िनकलने वाले 'िहंदू' समाचार पý ने सबसे पहले अपना
इंटरनेट संÖकरण जारी िकया। उसके बाद इंदौर के 'नई दुिनया' अखबार ने 'वेब दुिनया' के
नाम से िहंदी का पहला समाचार पोटªल शुł कर िहंदी पýकाåरता म¤ एक नए युग कì
शुŁआत कì। उसके बाद िदÐली से पýकार हåरशंकर Óयास ने िहंदी पोटªल नेट जाल शुł
िकया । आगे रेिडफ डॉट काम, इंफोलाइन डॉट काम, सÂयम जैसे कुछ बड़े वेब पोटªलŌ ने
भी िहंदी के िलए योगदान िदया। साथ ही अÆय राÕůीय समाचार पýŌ ने भी इंटरनेट
संÖकरण समाचार पोटªल जारी िकए । इसकì यह गित तेज रही । सन १९९८ तक आते -
आते लगभग ४८ समाचार पýŌ ने अपने इंटरनेट संÖकरण शुł कर िदए थे। कुछ समाचार
पý अपनी कायª पĦित म¤ पåरवतªन कर वेब एवं िÿंट संÖकरण के िलए अलग-अलग तरीके
से समाचार, िफचर और सूचनाएं तैयार कर रहे ह§ । इसकì शुŁआत वेबदुिनया, ÿभासा±ी,
और बीबीसी िहंदी ने अपने ऑनलाइन वेब संÖकरणŌ के िलए अलग से संपादकìय िवभाग
रख कर कì है। साथ ही मोबाइल फोन के उपयोगकताªओं के िलए अलग से मोबाइल ऐप भी
तैयार िकए गए है ।
अमेåरका और यूरोपीय देशŌ से शुł हòई समाचार पýŌ के घटते ÿसार कì यह िचंता इधर
एिशया तक पहòंच गई है । िदसंबर २००९ म¤ हैदराबाद म¤ आयोिजत हòए १६ वडª एिडटर
फोरम और ६२ वे Æयूज़पेपर कांúेस सिहत अनेक मंचŌ पर देश के साथ ही िवĵ भर के
समाचार पý-पिýकाओं के संपादकŌ और मािलकŌ के बीच समाचार पýŌ कì घटती
लोकिÿयता बडी िचंता का कारण बन चुका था । मीिडया के ±ेý म¤ िवĵ म¤ भारत, चीन,
āाजील, जापान और िवयतनाम सिहत कुछ देशŌ को छोड़कर अिधकतर देशŌ और
िवशेषकर अमेåरका और यूरोप म¤ समाचार पýŌ का ÿसार और ÿभाव लगातार घट रहा है।
इस पर भी टीवी चैनलŌ ने रही -सही कसर तोड़ दी है, और नई पीढ़ी अिधकतर इंटरनेट कì
ओर बढ़ रही है । पहले ही खबर को टीवी, इंटरनेट पर देख चुके लोग अब २४ घंटे पुरानी
खबर के िलए िकसी समाचार पý का इंतजार नहé करना चाहते ह§। munotes.in
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संचार माÅयम
40 एक åरपोटª के अनुसार लंदन म¤ वषª २००२ म¤ ही अखबारŌ यानी इंटरनेट पर उपलÊध
समाचार पýŌ ने िÿंट पýकाåरता के पारंपåरक माÅयम को चौथे Öथान पर िवÖथािपत कर
िदया है। यही कारण है िक कई देशŌ म¤ इस नए मीिडया माÅयम को अखबारŌ के िलए नए
शýु के łप म¤ बताया जा रहा है। िÿंट मीिडया ही नहé इले³ůॉिनक मीिडया सिहत पूरे
परंपरागत मीिडया के समानांतर खड़े होकर वैकिÐपक मीिडया के łप म¤ उभरे नए मीिडया
कì इस चुनौती का पåरणाम िवĵ के िवकिसत देशŌ म¤ साफ तौर पर िदखाई दे रहा है।
वेब पýकाåरता उपयोगकताªओं को घर बैठे जÐदी और अिधकांश तथा िबना अितåरĉ खचª
िकए ÿाĮ हो जाती है। यहां उपयोगकताª सूचनाओं तथा समाचारŌ को पढ़ देख और सुन भी
सकते ह§। साथ ही तुरंत अपनी ÿितिøया भी दे सकते ह§। यहां समाचार पý, रेिडयो, और
टेलीिवजन िनजी कंÈयूटर, लैपटॉप या कहé भी चलते िफरते टेबलेट मोबाइल Öमाटªफोन
आिद पर उपलÊध हो जाते ह§ तथा इनका ÿयोग न केवल कभी भी कर सकते ह§, वरना उÆह¤
भिवÕय के उपयोग के िलए हमेशा अपने पास ही रख सकते ह§। इसके िलए माý इंटरनेट और
कंÈयूटर, लैपटॉप, पॉमटॉप या अब मोबाईल कì ही जłरत होती है । िजसम¤ ख़बर¤ िदन के
चौबीसŌ घंटे और हÜते के सातŌ िदन उपलÊध रहती ह§ ।
ऑनलाइन पýकाåरता म¤ समय कì भारी बचत होती है ³यŌिक इसम¤ समाचार या पाठ्य
सामúी िनरंतर अपडेट होती रहती है । इसम¤ एक साथ टेिलúाफ़, टेिलिवजन, टेिलटाइप
और रेिडयो आिद कì तकनीकì द±ता का उपयोग सÌभव होता है । इसम¤ उपलÊध िकसी
दैिनक, साĮािहक, मािसक पý-पिýका को सुरि±त रखने के िलए िकसी िकसी आलमारी या
लायāेरी कì जłरत नहé होती । आकाªइव म¤ पुरानी चीज¤ यथा मुþण सामúी, िफÐम,
आिडयो जमा होती रहती ह§ िजसे जब कभी सुिवधानुसार पढ़ा जा सकता है । ऑनलाइन
पýकाåरता म¤ मÐटीमीिडया का ÿयोग होता है िजसम¤ टै³Öट, úािफ³स, Åविन, संगीत,
गितमान वीिडयो, Ňी-डी एनीमेशन, रेिडयो āोडकािÖटंग, टीÓही टेलीकािÖटंग ÿमुख ह§ ।
और यह सब ऑनलाइन होता है, यहाँ तक िक पाठकìय ÿितिøया भी ऑनलाइन होती है ।
भारत म¤ इंटरनेट के ÿसार के तुरंत १ वषª बाद कंÈयूटर पर िहंदी लेखन ने एक नई िदशा दी।
माइøोसॉÉट के ऑपरेिटंग िसÖटम िवंडोज २००० म¤ यूिनकोड इनकोिडंग का इÖतेमाल
करते हòए िहंदी को जोड़े जाने कì ऐितहािसक घटना से इसकì शुŁआत हòई । इससे फŌट
और कìबोडª कì समÖयाओं के Öथाई समाधान का मागª खुला 'मंगल' नामक यूिनकोड फŌट
जारी िकया गया। िहंदी म¤ टाइप करने के िलए इनिÖøÈट का बोडª आया और कई तरह के
इनपुट मैथड एिडटर जारी हòए, िजÆहŌने रोमन म¤ टाइप करते हòए देवनागरी म¤ काम करना
संभव बनाया। आगे वषª २००० म¤ एंűॉयड, आईओएस और िवंडोज मोबाइल भी िहंदी को
समथªन उपलÊध हòए ह§ । आज वतªमान म¤ कंÈयूटर के साथ मोबाइल, Öमाटªफोन और
टेबलेट आिद पर भी िहंदी म¤ िलखने पढ़ने कì सुिवधा उपलÊध हो गई है।
संचार øांित के इस दौर म¤ जन संचार माÅयमŌ के भी आयाम बदल चुके ह§। सूचना जगत
को तेज गित ÿाĮ हो चुकì ह§। िजसका ÿभाव जनसंचार माÅयमŌ पर पड़ा है। पारंपåरक
मुिþत, इले³ůॉिनक जनसंचार माÅयम िजसम¤ समाचार पý, रेिडयो और टेलीिवजन कì
जगह अब वेब मीिडया ने ली है। भारतीय लोकतंý म¤ मीिडया को अÂयािधक महÂव ÿाĮ है।
पारंपåरक मीिडया को चौथा खंबा माना गया है। इस संबंध म¤ अगर कहा जाए तो िवगत दो munotes.in
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अÂयाधुिनक जनसंचार माÅयम : उपयोग एवं िदशाएं
41 दशकŌ म¤ वेब पýकाåरता पांचवा खंबा बन चुकì है। इसके पूवª िवĵ भर कì खबर¤ सूचनाओं
एवं जानकारी परंपरागत माÅयम रेिडयो, समाचार पý, टेलीिवजन के जåरए ÿाĮ होती थी।
िडिजटल इंिडया के तहत āॉडब§ड कì सुिवधाएं अिधक से अिधक लोगŌ तक पहòंच जाने के
कारण इंटरनेट ने तÖवीर पूरी कì पूरी बदल दी है। िवĵ के लगभग दूर दराज के गांव म¤
इंटरनेट पहòंच कì वजह से सभी अखबार या िविभÆन समाचार चैनल समूह ने अपनी
वेबसाइट बना ली है। मोबाइल कंपिनयŌ Ĭारा इंटरनेट के ÿसार के कारण वेब पýकाåरता
आज कì जłरत बन गई है, जो कंÈयूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन पर सहजता से उपलÊध
होती है इसके िलए िकसी भी ÿकार का कोई मूÐय चुकाना नहé पड़ता जो िक परंपरागत
मीिडया के िलए समय और आिथªक ÿबंधन कì आवÔयकता होती है। कम लागत तथा
इंटरनेट कì सुिवधा के कारण इसके िवकास म¤ गितशीलता आ चुकì है।
वेब पýकाåरता हमारे देश म¤ िवगत कुछ वषŎ से तेजी से िवकिसत हो रही है शुł के समय म¤
इंटरनेट कì सुिवधा बड़े शहरŌ म¤ उपलÊध थी । इंटरनेट से जुड़े वेब मीिडया, सोशल मीिडया
का ÿभाव समाज के िविभÆन घटकŌ पर िदखाई देता है। सूचना या खबर हम िहंदी चैनलŌ
पर देखते थे। िकÆतु अब यह सुिवधा इंटरनेट से िवकिसत हòई वेब पýकाåरता के कारण जब
चाहे तब समाचार चैनल िक वेबसाईट या वेब पý-पिýकाओं को खोलकर पढ़ा या देखा -
सुना जा सकता है। वेब मीिडया आज काफì सशĉ, Öवतंý और ÿभाव युĉ बन चुका है।
वेब या आनलाइन पýकाåरता आज कì जłरत बन चुकì है। वेब पýकाåरता कम मूÐय
लागत म¤ इंटरनेट के जåरए ÿचाåरत िकया जाता है। इसके िलए संपादन, िÿंट एवं ÿसारण
कì जłरत नहé होती। इसम¤ समसामियक पåरिÖथितयŌ पर टे³Öट, िप³चर, लेख,
ऑिडयो, वीिडयो आिद को िडिजटल मंचŌ पर ÿसाåरत िकया जाता ह§। िजसे हम एक
ि³लक पर देख, सुन, पढ सकते ह§ । इसम¤ समाचार पý-पिýकाओं, रेिडयो और टेलीिवजन
Ĭारा िनयंिýत सूचनाओं के बहाव को लोकतांिýक बना िदया है। वेब पýकाåरता के संदभª म¤
िवĬानŌ Ĭारा िनÌनÿकार पåरभाषाएं दी गयी है।
१. जॉन हबªटª ने कहा है, "भीतर जाने के िलए कम बाधाएं, ÿसाåरत करने का कम खचाª,
और कंÈयूटर तकनीक के अिधक फैलाव ने िडिजटल जनªिलºम को वैिĵक बना िदया
है।”
२. यूिनविसªटी ऑफ साउदनª केिलफोिनªया व Æयूज कंट¤ट के अनुसार "जो इंटरनेट के
माÅयम से िनिमªत और ÿसाåरत िकया जाता है। िवशेषकर वह कंट¤ट जो मु´यधारा म¤
काम कर रहे पýकारŌ Ĭारा िनिमªत िकया गया हो ऑनलाइन जनªिलºम कहा जाता है।"
३. वåरķ पýकार डग िमिलसन के अनुसार, “ऑनलाइन मीिडया यानी ऑनलाइन कì
जाने वाली पýकाåरता।”
४. एक अÆय िवĬान के अनुसार, “जनªिलºम म¤ परंपरागत पýकाåरता और परंपरागत
माÅयमŌ कì अपे±ा अिधक रचनाÂमकता का ÿयोग िकया जा सकता है। पýकार इस
संदेश म¤ िडिजटल प± के क¤þ म¤ रखना है अथवा नहé यह िनणªय पूरी तरह से लेखक,
संपादक अथवा ÿकाशक के हाथ म¤ रहता है। अतः यह ÖपĶ łप से कहा जा सकता है
िक, ‘इंटरनेट के जåरए सूचना ÿौīोिगकì पाठ सामúी एवं सूचना को िवĵ भर म¤ एक munotes.in
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संचार माÅयम
42 Öथान से दूसरे Öथान पहòँचाने का एक नवीन माÅयम है , जो शीŅता के साथ अÐप
Óयय, समय म¤ सुगमता पूवªक संचार करता है, वही वेब पýकाåरता है ।”
वेब पýकाåरता कì िवशेषताएँ िनÌन ÿकार है:
वेब मीिडया म¤ जगह कì कोई सीमा नहé होती है, जो परंपरागत मीिडया समाचार पý,
रेिडयो, तथा टेलीिवजन के िलए जगह कì आवÔयकता होती है । िकÆतु यहाँ हम¤ वैचाåरक
ŀिĶ से अपनी बात रखनी होती ह§। इंटरनेट पर िलखते समय हम¤ कई बातŌ का खयाल
रखना होता है । जगह कì कोई सीमा नहé होती है, इसका मतलब यह नहé िक हम कुछ भी
िलख¤ । हम¤ कम से कम शÊदŌ म¤ अपनी बात कहने कì आवÔयकता होती है।
साइबर पýकाåरता के इस दौर म¤ आप देश-िवदेश कहé भी रह कर िकसी दूसरे मुÐक कì
खबर¤ समसामियक घटनाøम को आसानी से पढ़, समझ और जान सकते ह§। परंपरागत
मीिडया कì अपनी कुछ सीमाएं होती है। भारत म¤ रहने वाले Óयिĉ को िवदेशŌ के अखबार
पढ़ पाना संभव नहé है, लेिकन इंटरनेट ने इस दुिवधा का अंत कर िदया है। आज आप
भारत के िकसी भी िहÖसे म¤ बैठकर आप अमेåरका के ‘Æयूयाकª टाइÌस’ से लेकर पािकÖतान
का ‘डॉन’ तक कोई भी अखबार पढ़ सकते ह§। खास बात यह है िक अब तो ई-पेपर भी नेट
पर उपलÊध है। इसका अथª यह है िक आप वही अखबार पढ़ सकते ह§, जो Æयूयाकª
इÖलामाबाद के पाठक पढ़ रहे हŌगे।
मÐटीमीिडया साइबर पýकाåरता केवल शÊदŌ और िचýŌ का ही मेल नहé है। अभी तो इसम¤
तमाम नई तकनीकŌ का समावेश िकया जा सकता है इसम¤ ऑिडयो, वीिडयो, मÐटीमीिडया,
úािफ³स आिद शÊद का उपयोग िकया जा सकता है। खबरŌ कì िलंक Ĭारा आप इंटरनेट
पर आप यूजर को बड़ी आसानी और रोचक तरीके से संबंिधत जानकारी पहòंचा सकते ह§।
इसके िलए आपको उस खबर अथवा लेख म¤ संबंिधत खबरŌ का िलंक डालना है और
इसके बाद आप उसे एक के बाद एक कडी थमा सकते ह§।
इंटरनेट पýकाåरता म¤ आपको पाठक, ®ोता, दशªक कì राय का फौरन पता चल जाता है।
यिद िकसी बात से सहमत नहé है, तो वह िबना देर िकए अपनी राय जािहर कर देगा। अगर
कहé वह आपसे सहमत ह§ उसे बताने म¤ भी उसे देर नहé लगेगी। इंटरनेट पर पýकाåरता
करते समय आपको अपने पाठक, ®ोता अथवा दशªक कì Âवåरत ÿितिøया िमल जाती ह§।
इसके साथ ही इंटरनेट पर आप इसी िवषय पर चचाª आिद भी आरंभ कर सकते ह§, िजस
पर आपको अलग-अलग लोगŌ कì राय िमल सकती ह§। िकÆतु परंपरागत समाचार पý,
रेिडयो, टेलीिवजन मीिडया म¤ लोगŌ कì राय कम शािमल हो पाती है। िजसम¤ पाठक कì
Âवåरत ÿितिøया जान पाने कì गुंजाइश जरा कम होती है।
इंटरनेट पर बहòत ही आसानी से अपनी सामúी को हम Öटोर कर सकते है। साथ ही सामúी
को तलाशने म¤ भी हम¤ ºयादा मेहनत नहé करनी पड़ेगी । खोजने पर वह सामúी तुरंत ÿाĮ
हो जाएगी । साथ ही कोई खबर या सूचना ÿसाåरत करने के िलए आपको बड़ी-बड़ी मशीनŌ
कì जłरत नहé होती बस एक ि³लक करने कì देर होती ह§।
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अÂयाधुिनक जनसंचार माÅयम : उपयोग एवं िदशाएं
43 ४.३ वेब पýकाåरता तकनीक, उपयोिगता, भिवÕय ४.३.१. वेब पýकाåरता तकनीक और उपयोिगता:
अमेåरका के टाइÌस मैगजीन ने इंटरनेट पर संÖकरण शुł िकया। तुरंत एक वषª बाद भारत
म¤ चेÆनई से ÿकािशत 'द िहंदू' ने अपना ई- संÖकरण शुł िकया। पIJात िविभÆन भारतीय
भाषाओं के समाचार पý ऑनलाइन हो चुके थे। उस समय तीन वेबसाइट वेबदुिनया,
रीिडफ और इंिडयाइंफो ने खबरŌ को इंटरनेट के माÅयम से जनता तक पहòंचाने कì
शुŁआत कì थी। अतः वेब पýकाåरता उपयोिगता िनÌन ÿकार देखी जा सकती ह§।
वेब मीिडया िजसे हम Æयूज मीिडया भी कहते ह§, िÿंट और इले³ůॉिनक मीिडया का सबसे
उÌदा िवकÐप है। एक टीवी चैनल कì शुŁआत के िलए लाइस¤स फìस, नेटवथª, परफोरम¤स,
ब§क गारंटी, अपिलंिकंग शुÐक, हर एक भाषा के िलए अलग से शुÐक, मशीनरी, Öटूिडयो,
Öटॉफ का खचाª, िवतरण एवं संचालन के अÆय खचª इतनी बड़ी रािश होती है िजसे वहन
करना हर िकसी के बूते कì बात नहé है। ऐसा ही खचª एक रेिडयो Öटेशन Öथािपत करने पर
भी आता है। अखबार कì बात कर¤ तो वहां छोटे या Öथानीय Öतर पर िकए गए ÿयास म¤
पैसा कुछ कम लगता है, लेिकन राÕůीय Öतर या राºय Öतर पर कì गई शुŁआत काफì
महंगी बैठती है। मीिडया के इन माÅयमŌ म¤ बड़ी धनरािश खचª करने के बाद भी यह तय नहé
है िक पहòंच जन-जन तक होगी या सीमांत और दूरÖथ ±ेýŌ तक पहòंच बन पाएगी । जबिक,
वेब Æयूज मीिडया म¤ ऐसा नहé है। इस ±ेý म¤ लागत कुछ हजार ही रहती है। अपनी इ¸छा के
नाम के साथ मामूली फìस अदाकर िसफª एक कंÈयूटर, कैमरा, Öकैनर, इंटरनेट कने³शन
और सवªर Öपेस के साथ इसकì शुŁआत कर सकते ह§। लंबे चौड़े आिफस Öपेस कì कतई
जłरत नहé है। लेिकन आपकì पहòंच समूची दुिनया तक होगी, इसकì गारंटी है जो अÆय
मीिडया माÅयमŌ के साथ नहé है।
हमारे देश म¤ इसका िजस तेज गित से िवÖतार हो रहा है उसे देखते हòए अगले दो से तीन
साल बाद िकसी भी अखबार, टीवी चैनल का मु´य चेहरा यही होगा। मीिडया हाउस केवल
िÿंट माÅयम का काम जानने वालŌ को नौकरी नहé दे रहे बिÐक Æयूज िलखने कì कला के
अलावा कैमरे का उपयोग करने म¤ िनपुण और वेब माÅयम कì आवÔयकताओं को समझने
वाले मीिडयाकिमªयŌ कì ही भतê कर रहे ह§। यह ÖपĶ है िक उनका लàय अखबार के बजाय
वेब के जåरये लोगŌ तक पहòंचाना रहा है। बदले समय और बदली Łिच म¤ हरेक अखबार,
टीवी चैनल कì यह जłरत बन गई है िक सारी खबरŌ को टै³Öट के अलावा ऑिडयो-
वीिडयो फामª म¤ वेब पर लाया जाए। बदले माहौल म¤ खासकर युवाओं के पास कतई समय
नहé है िक वे अखबार को बैठकर पढ़¤ या टीवी के सामने सभी कामधाम छोड़कर Æयूज
जानने के िलए बैठ रह¤ और अपनी पसंद कì खबरŌ के आने तक इंतजार कर¤। कम समय म¤
तेजी से सूचनाएं वेब म¤ आप जब जी चाहे और जो पसंदीदा खबर हो उसे देख सकते ह§
जबिक टीवी म¤ एक खबर के बाद ही दूसरी खबर को आने म¤ वĉ लगता है और इस बीच
िव²ापन आ जाए तो अगली खबर म¤ काफì देरी हो जाती है। मौजूदा िÖथित को देख¤ तो
दुिनया के हरेक मीिडया हाउस ने यह मान िलया है िक बगैर वेब म¤ गए उनका उĦार नहé ह§। munotes.in
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संचार माÅयम
44 भारतीय ब§िकंग ±ेý म¤ सबसे बड़ी øांित एटीएम (ऑटोमैिटक टेलर मशीन) मशीन के आने
से हòई एवं ब§िकंग जगत का जो चेहरा बदला उसकì कÐपना इससे पहले शायद ही िकसी ने
कì होगी जब हर आदमी अपने िव°ीय लेनदेन के िलए ब§क कì शाखा खुलने का इंतजार
करता रहता था। ठीक इसी तरह, Æयूज मीिडया म¤ जोरदार øांित का जनक मोबाइल को
माना जा सकता है। मोबाइल खासकर Öमाटª फोन के आने के बाद लोगŌ कì आदतŌ म¤ तेजी
से बदलाव आया और इंटरनेट कने³शन के माÅयम से वे चलते िफरते, आिफस म¤ काम
करते अथवा कहé भी, कभी भी समाचार जान सकते ह§, अपने मनपसंदीदा कायªøम को
देख या सुन सकते ह§। यह बात सही है िक शहरŌ, कÖबŌ और गांवŌ तक मोबाइल ने अपनी
पहòंच बना ली है। सÖते Öमाटª फोन आपको आबादी के बड़े िहÖसे के हाथŌ म¤ देखने को
िमल जाएंगे।
हमारे देश म¤ िबजली एक बड़ी समÖया है िजसकì वजह से हर समय टीवी देख पाने म¤
िद³कत आती है। आजादी के इतने साल बीत जाने के बावजूद खराब पåरवहन ÓयवÖथा कì
वजह से कई कई गांवŌ तक अखबार नहé पहòंच पाए ह§ लेिकन मोबाइल, टेबलेट और नेटबुक
ने अपनी पहòंच बनाकर लोगŌ को खबरŌ के संसार से जोड़ िदया है। इस तरह, वेब मीिडया
िÿंट और इले³ůॉिनक पर भारी पड़ता जा रहा है।
एक अखबार, टीवी चैनल या रेिडयो Öटेशन कì पहòंच कì एक सीमा होती है और वह ±ेý
िवशेष म¤ ही अपनी पहòंच बना पाते ह§ जबिक वेब मीिडया म¤ ऐसा नहé है। आप दुिनया के
िकसी भी कोने म¤ रहे लेिकन मनचाही सूचनाओं को वहé पा सकते ह§। मसलन आप मुंबई के
रहने वाले ह§, लेिकन आप चेÆनई म¤ ह§ तो संभव है आपको आपके ±ेý कì सूचनाएं वहां
िकसी अखबार या टीवी चैनल पर न िमले लेिकन वेब मीिडया ने इस समÖया को दूर कर
िदया है। अपने देश से बाहर रहते हòए भी आप वेब मीिडया कì बदौलत अपने को उन सभी
खबरŌ से अपडेट रख सकते ह§ जो आप चाहते ह§।
टीवी चैनल केवल अपनी बात ही कहते ह§ वहां अपने दशªकŌ से सीधे फìडबैक कì कोई
सुिवधा नहé है जबिक वेब मीिडया म¤ आप िकसी समाचार को पढ़ने या कायªøम को देखने
के बाद तÂकाल अपनी िटÈपणी दे सकते ह§ और वह उसी समय ÿकािशत हो जाती है। यह
माÅयम सीधे अपने यूजसª से संवाद Öथािपत करता है िजसकì वजह से यूजर Öवयं åरपोटªर
कì भूिमका िनभा सकता है। यूजर अपने आसपास घटने वाली घटनाओं कì जानकारी
तÂकाल वीिडयो, ऑिडयो या टै³Öट के माÅयम से संपादक या उसके सहयोिगयŌ को दे
सकता है एवं समूची दुिनया इसे जान सकती है।
वेब मीिडया म¤ Öपेस कì कोई समÖया नहé है। जबिक, एक अखबार जो आठ से बीस-
चौबीस पेज का िनकलता है, हरेक तरह कì Æयू ज और Óयूज के िलए िनिIJत जगह रखता है।
इस वजह से अनेक समाचार-िवचार छपने से वंिचत रह जाते ह§। टीवी चैनल म¤ तो यह
समÖया इससे भी ºयादा बड़ी है। वहां हम देख¤ तो एक चैनल कई-कई घंटे तक िसफª पांच
से छह खबरŌ म¤ खेलते रहते ह§। इन खबरŌ का भी पूरा कवरेज नहé होता या िकसी मसले
का गहराई से िवĴेषण नहé िकया जाता। एक समाचार को कुछ सैकंड से लेकर दो िमनट म¤
िनपटा िदया जाता है। जबिक, वेब म¤ Öपेस कì कोई िद³कत नहé होती। यहां दो लाइन से
लेकर हजारŌ लाइन तक कì खबर¤ जारी कì जा सकती ह§। इन समाचारŌ को अिधक munotes.in
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अÂयाधुिनक जनसंचार माÅयम : उपयोग एवं िदशाएं
45 आकषªक एवं ÿामािणक बनाने के िलए फोटो एवं वीिडयो का साथ ही उपयोग िकया जा
सकता है। आप एक टीवी चैनल कì तुलना म¤ कहé तेज गित से यहां āेिकंग Æयूज दे सकते
ह§। टीवी चैनल एक åरपोटª को शूट कर जब तक इसका ÿसारण करता है आप वेब मीिडया
म¤ उससे कई गुना तेजी से पूरी खबर को समूची दुिनया के सामने पेश कर बाजी मार सकते
ह§। कई बड़ी घटनाओं और दुघªटनाओं कì सूचना िजतनी तेजी से इस माÅयाम से दी जा
सकती है, वह मीिडया के अÆय िकसी łप म¤ संभव नहé है।
खबरŌ के अलावा भी बहòत कुछ आपको वेब मीिडया के माÅयम से सुिवधाएं ÿाĮ होती है
जैसे पयªटन, होटल बुिकंग, रेल-हवाई िटकट, बीमा, कजª, ब§िकंग सेवाएं, शॉिपंग, कारोबार,
जॉब, िश±ा, ÖवाÖÃय, मनोरंजन सुिवधाएं पाने के अलावा और तो और शादी-िववाह तक
कì झंझट से मुिĉ िदलाने म¤ वेब मीिडया ने अहम भूिमका िनभाई है। असल म¤
µलोबलाइजेशन का अहम औजार वेब है िजसकì वजह से हम न केवल अपनी दैिनक
जłरतŌ को पूरा कर पा रहे ह§ बिÐक हर िकसी को जानने, समझने के िलए हजारŌ
िकलोमीटर कì याýा और खचª से बचकर िमनटŌ म¤ यह कायª िनपटा पा रहे ह§।
हम यिद आय कì बात कर¤ तो वेब मीिडया म¤ इसकì िÖथित िदन ÿितिदन सुधर रही है।
सरकारी और िनजी कंपिनयां गांव गांव तक अपनी पहòंच बनाने के िलए वेब िव²ापन का
सहारा ले रही ह§। िÿंट और टीवी चैनल म¤ िव²ापन कì ऊंची दर¤ और सीिमत पहòंच ने
िव²ापनदाताओं का नजåरया बदलना शुł िकया है। िÿंट एवं टीवी चैनल म¤ िव²ापन लाने
के िलए भी एक पूरी टीम रखनी होती है, लेिकन वेब म¤ एक Óयिĉ खुद ही िव²ापन के िलए
बगैर कहé गए िसफª एक ईमेल के जåरए अÿोच कर सकता है। गूगल, जेडो, मैनहटन,
कोमली सिहत अनेक ऐसी एज¤िसयां ह§ जो वेबसाइटŌ के िलए िव²ापन जारी करती ह§ एवं
उनके भुगतान सीधे ब§क खातŌ म¤ करती ह§। क¤þ सरकार और अनेक राºय सरकार¤ भी अब
वेबसाइटŌ को िव²ापन दे रही ह§, िजनसे इनके संचालकŌ को अ¸छी खासी आय हो रही है।
इसी तरह, यूट् यूब चैनल के माÅयम से आप अपने वीिडयो पर रेवेÆयू पा सकते ह§।
अखबार म¤ समाचार और िव²ापन का एक अनुपात है िजससे ºयादा िव²ापन लेने पर
पाठकŌ कì सं´या कम होने का डर रहता है। इसी वजह से टीवी चैनल म¤ िनयामक संÖथा
ůाई ने यह आदेश जारी िकया है िक कोई भी टीवी चैनल एक घंटे म¤ 12 िमनट से ºयादा के
िव²ापन नहé िदखा सकेगा। जबिक वेब मीिडया म¤ इस तरह कì कोई सीमा नहé है। यहां
आपकì मेहनत और नए आइिडया आपको मनचाही आय िदला सकते ह§।
४.३.२. वेब पýकाåरता का भिवÕय:
िवĵ के कोने- कोने म¤ पहòंचे इंटरनेट ने पारंपाåरक पýकाåरता िÿंट मीिडया, इले³ůॉिनक
मीिडया कì जगह ऑनलाइन मीिडया तथा वेब मीिडया को गित ÿदान कì है । परंपरागत
मीिडया पर आधुिनक मीिडया हावी हो चुकì है। िजसका कारण यह है िक इंटरनेट से जुड़े
कंÈयूटर, लैपटॉप, Öमाटªफोन के जåरए इंटरनेट उपभोĉा जहां कहé भी बैठकर जब चाहे तब
समाचार चैनल कì वेबसाइट या वेब पिýका को खोल कर िवĵ के िकसी भी शहर कì या
िकसी भी कोने कì खबर आसानी से देख, पढ़, सुन सकते ह§। Óयापार, राजनीित, सािहÂय,
संÖकृित, िश±ा आिद ±ेý म¤ उपयोगी तथा घर बैठे सहज मु´य łप म¤ दुिनया के िकसी भी
कोने म¤ अपनी बात, िवचार पल भर म¤ भेज सकते ह§ तथा खबरŌ का आदान -ÿदान कर munotes.in
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संचार माÅयम
46 सकते ह§। इसीिलए आज वेब पýकाåरता उ°रो°र िवकास कì ओर बढ़ रही है। आज वह
युवा तथा समाज के िविभÆन घटकŌ कì आवÔयकता बनने लगी है।
'िजस तरह से ÿौīोिगकì क¤िþत होती जा रही है और िजस तरह से िवĵमानव का łझान
साफ़ झलक रहा है उसे देखकर कहा जा सकता है िक भिवÕय म¤ उसकì िदनचचाª को
कंÈयूटर और इंटरनेट जीवन-साथी कì तरह संचािलत कर¤गे, यह कहना अितशयोिĉ नहé
होगा िक सूचना और संचार पूरी दुिनया भिवÕय म¤ इंटरनेट आधाåरत पýकाåरता पर अिधक
िनभªर और िवĵास करेगी ।' वåरķ पýकार आनंद ÿधान ने एक जगह कहाँ है 'एक शोध
अÅययन के अनुसार यूएस म¤ अÿैल २०४० म¤ समाचार पý कì आिखरी ÿित छपेगी, यानी
िÖथित के उपरांत यूएस म¤ समाचार पý ÿकािशत नहé होगा, और इसका Öथान वेब
पýकाåरता और दूसरे नए मीिडया माÅयम ले ल¤गे।' यह बात हम¤ सोचने पर िववश कर देती
ह§।
पिIJमी देश के पåरŀÔय यही िसĦ करते ह§ जहाँ िÿंट मीिडया का Öथान धीरे-धीरे
इले³ůािनक मीिडया ने ले िलया और अब वहाँ वेब-मीिडया या ऑनलाइन मीिडया का
बोलबाला है । १९ वी सदी कì उ°राधª म¤ जब कंÈयूटर का Óयापक ÿयोग होने लगा तब
समाचार पý के उÂपादन िविध म¤ पåरवतªन आने लगा । तब यह िकसे पता था िक यही
कंÈयूटर एक िदन ऑनलाइन पýकाåरता कì जगह ले लेगा । िडिजटल पýकाåरता कì बढ़ती
लोकिÿयता के कारण भिवÕय म¤ बडे़ शहरŌ म¤ समाचार पý नहé हŌगे या कम सं´या म¤ हŌगे
या िफर समाचार-पý अÆय समाचार-पýŌ के साथ िमलकर संयुĉ łप से उÆह¤ ÿकािशत
कर¤गे, िविभÆन संÖकरण भी समाĮ हŌ जाएंगे या िफर अÆय िकसी Óयवसाय के साथ
िमलकर समाचार पýŌ को िनकाला जाएगा।
भिवÕय म¤ हर पý-पिýका ऑन-लाईन होगी। साथ ही साथ Öवतंý Æयूज पोटªल कì सं´या म¤
भी वृिĦ होगी। यह आसार लगाया जा रहा है िक समाचार-पý घाटे से बचने के िलए िÿंट
संÖकरण बंद कर ऑन-लाईन से अपनी सेवा जारी रखेगा। बात ÖपĶ है िक िजस पý का
लि±त समूह उ¸च वगª है और िजनके पास इंटरनेट आसानी से उपलÊध है, वह धीरे-धीरे
िÿंट संÖकरण बंद कर पूणª łप से ऑन-लाईन हो जायेगा। िवĵ ब§क के मुतािबक २०११
तक भारत म¤ १२.५ करोड़ लोग इंटरनेट इÖतेमाल कर रहे थ¤ िजसकì सं´या म¤ तीĄ वृिĦ
होगी। वेब पýकाåरता का उºजवल भिवÕय इस बात से भी आंका जा सकता है। परंपरागत
समाचार पýŌ और टेिलिवज़न कì तुलना म¤ इंटरनेट पýकाåरता कì उă बहòत कम होते हòए
भी उसका िवÖतार िवĵ म¤ तेज़ी से हो रहा है ।
४.४ ÿमुख वेब संÖकरण : समाचार पý, पिýकाएं, रेिडयो, समाचार चैनल ४.४.१ वेब समाचार पý:
'वेबदुिनया' पोटªल से िहंदी म¤ नेट पýकाåरता का आरंभ हòआ। यह पोटªल इंदौर के 'नई
दुिनया' समूह ने आरंभ िकया था। यह िहंदी का संपूणª पोटªल है। इसके पIJात िहंदी म¤
िविभÆन ÿमुख समाचार पý तथा पý पिýकाएं इंटरनेट से जुड़ने लगी है। इंटरनेट आधाåरत
पý-पिýकाओं कì सं´या िनरंतर बढ़ती जा रही है । इंटरनेट पर ऑनलाइन सुिवधा के
कारण Öथानीयता का कोई मतलब नहé रहा है िकÆतु समाचारŌ कì मह°ा और ÿांसिगकता munotes.in
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अÂयाधुिनक जनसंचार माÅयम : उपयोग एवं िदशाएं
47 के आधार पर वगêकरण कर¤ तो ऑनलाइन पýकाåरता को भी हम Öथानीय, ÿादेिशक,
राÕůीय या अंतरराÕůीय Öतर देख सकते ह§ । जैसे भोपाल कì www. com को Öथानीय,
नई दुिनया डॉट कॉम, या दैिनक छ°ीसगढ़ डॉट कॉम को ÿादेिशक, नवभारत टाइÌस डॉट
कॉम को राÕůीय और बीबीसी डॉट कॉम आिद को अंतरराÕůीय Öतर कì ऑनलाइन
समाचार पý मान सकते ह§ ।
नेट पर िहंदी अखबार नई सूचना ÿौīोिगकì और वेब तकनीक को देश के बड़े अखबार
वालŌ ने जÐदी अपनाया। आज हम देश-िवदेश कì कई िहंदी दैिनकŌ को घर बैठे पढ़ सकते
ह§। इनम¤ अमर उजाला, अमेåरका कì आवाज़ (वायस औफ़ अमेåरका) आगरा Æयूज़, आज,
आज तक, इरान समाचार, उ°राँचल टाइÌस, ए³सÿेस Æयूज़, ख़ास ख़बर, जन समाचार
(भारतीय व भारतीय úामीण मुĥŌ से सÌबिÆधत समाचार पý), िडयूश वेÐल (जमªन रेिडयो
Ĭारा ÿसाåरत िहÆदी कायªøम) पा¼चजÆय, इंिडया टुडे, डेली िहÆदी िमलाप, द गुजरात,
दैिनक जागरण , दैिनक जागरण ई-पेपर , दैिनक भाÖकर , नई दुिनया - नव भारत अखबार,
नवभारत टाइÌस, पंजाब केसरी, ÿभा सा±ी, ÿभात खबर, राजÖथान पिýका, राÕůीय
सहारा, रेिडयो चाइना ऑनलाइन, लोकतेज, तािĮलोक, लोकवाताª समाचार, िवजय Ĭार,
वेबदुिनया, समाचार Êयूरो, सरÖवती पý (कनाडा का िहÆदी समाचार) सहारा समय, िसफ़ì
िहÆदी, सुमनसा ( कई ąोतŌ से एकिýत िहÆदी समाचारŌ के शीषªक) हåरभूिम , µवािलयर
टाइÌस, दैिनक मÅयराज, राजमंगल, अमर उजाला, नवभारत टाइÌस, िहंदी िमलाप, Öवतंý
चेतना, नवभारत, िहंदुÖतान टाइÌस, टाइÌस ऑफ़ इंिडया, पोटªल या Æयूज साइट
ÿभासा±ी डॉट कॉम आिद ÿमुख ह§ ।
४.४.२ ई-पिýकाएं:
वेब पिýकाएं इÁटरनेट के माÅयम से खुली पहòँच Ĭारा उपलÊधता और सं´या बढ़ रही है।
खुली पहòँच होने पर अंशदान कì आवÔयकता नहé होती है। इन सामिúयŌ को िनःशुÐक
ऑनलाइन देखा जा सकता है। अिधकांशतः ई-जरनल एच.टी.एम.एल. (HTML) म¤
ÿकािशत होते ह§ और इनका फाम¥ट डी.पी.एफ. (DPF) होता है। कुछ जरनल एक अथवा
दो फाम¥ट म¤ भी उपलÊध होते ह§। छोटे ÿकाशक जरनल को DOC पर ÿकािशत करते ह§
और कुछ ÿकाशक एम.पी.३ ®Óय सामúी के आधार पर ई-जरनल को ÿकािशत करते ह§।
कुछ जरनल ऐसे भी होते ह§ जो पहले ASCII पर ÿकािशत हो चुके होते ह§ जबिक कुछ
अनौपचाåरक łप से एक ही फाम¥ट पर ÿकािशत होते ह§। वेब पý- पिýकाएं काफì माýा म¤
ऑनलाइन ÿकािशत हो रही है। िवषय वÖतु कì ŀिĶ से इÆह¤ हम समाचार ÿधान, शैि±क,
राजनैितक, आिथªक , समाज, सािहÂय, कला, संÖकृित, धमª, दशªन तथा अनुसंधान आिद
िविभÆन ±ेý म¤ िलखी जा रही है। जो दैिनक, साĮािहक, मािसक, ýैमािसक सभी तरह कì
आवृि°यŌ वाले समाचार पý और पिýकाएँ शािमल ह§ ।
िहंदी म¤ ÿकािशत कì जाने वाली ई-पिýकाएं इस ÿकार है - सािहÂय रचना, िविशĶ Åयान,
अखंड ºयोित, अनंत अिवराम, अनुभूित अिभÓयिĉ, िहंदी नेÖट, सराय, साĮािहक, भारत
संदेश, भारत दशªन, गीत-पहल, िहंदीकुंज. कॉम, िहंदीनेÖट डॉट कॉम, िहंदुÖतान बोल रहा
है, इंिडया टुडे, शोधादशª, शोध संचयन। (अधª वािषªक) सीमापुरी टाइÌस, सृजनगाथा,
Öवगªिवभा, वटवृ±, िवचार मीमांसा, समय, इन कॉम, गूगल समाचार, तहलका बीबीसी िहंदी, munotes.in
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संचार माÅयम
48 ÿभासा±ी, वेबदुिनया, रिववार, शुøवार, भोपाल समाचार, आईबीएन खबर, P7 Æयूज़,
एनडीटीवी खबर, ÿवĉा, िहंदी समय, पूवाªभास, युग मानस, Öवगª िवभा, िवचार मीमांसा,
िहंदी मािसक पिýका, ‘ÿितयोिगता दपªण’ िहंदी पिýका, ‘सरस सिलल’, िहंदी साĮािहक
पिýका, ‘इंिडया टुडे’ िहंदी समय, पåरकÐपना, ई ÿदीप आिद। मिहलाओं को क¤þ म¤ रखकर
ÿकािशत कì जाने वाली ई-पिýकाएं इस ÿकार है - िबंिदया, मेरी सहेली, मनोरमा, सखी,
विनता, गृह शोभा आिद। तथा बालकŌ को क¤þ म¤ रखकर ÿकािशत होने वाली ई-पिýकाएं -
अिभनव बालमन, चकमक, चÆदामामा, चंपक, देवपुý, नंदन, बाल भाÖकर, बाल वाणी
आिद।
इस ÿकार वेब पिýकाएं सहज सरल आसान सÖता मÅयम होने के कारण आज िवĵ भर म¤
काफì माýा म¤ ÿकािशत हो रही है। दैिनक समाचर-पý तथा साĮािहक-पý, पाि±क एवं
मािसक पिýकाओं म¤ भारत म¤ िश±ा तथा िनर±रता का Êयौरा रहता है। इसे देखकर िनर±र
वयÖकŌ तथा िशि±त ÓयिĉयŌ के मन म¤ उन पý-पिýकाओं को पढ़ने तथा समझने कì
ललक उÂपÆन होती है। ÖवाÖÃय बीमाåरयŌ, ÓयिĉयŌ के उ°म कायŎ आिद के िवषय म¤ भी
समाचार िमलते ह§ जो ²ान कì वृिĦ करते ह§। धािमªक, सांÖकृितक, Óयावसाियक, समाज
कÐयाण कì बात¤ आिद भी ई-पिýकाओं से ÿाĮ होती ह§। इस बहाने से पढ़े-िलखे लोग
उनको समझने का ÿयास करते ह§। ई-पý-पिýकाओं से सÌÿेषण तथा समाचार कì ÿिøया
होती है िजसके Ĭारा Óयिĉ अपने िवचारŌ को दूसरे ÓयिĉयŌ तक पहòँचाते ह§। इससे एक ओर
सÌÿेषण व समाचार सरलता से ÿाĮ हो जाता है, तो दूसरी ओर िश±ा का ÿसार भी हो
जाता है।
४.४.३ समाचार चैनल:
इंटरनेट टेलीिवज़न (आइ. टीवी (i TV ), ऑनलाइन टीवी या इंटरनेट टीवी भी कहते ह§)
इंटरनेट के माÅयम से ÿसाåरत दूरदशªन सेवा होती है। ये सेवा २१ वé शताÊदी म¤ काफì
ÿचिलत हो चुकì है। इसके उदाहरण ह§ संयुĉ राºय म¤ Ļूलु एवं बीबीसी आईÈलेयर,
नीदरल§ड्स म¤ नीदरल§ड २४ सेवा। इसके िलये तेज गित वाला āॉडब§ड कने³शन चािहये,
िजसके Ĭारा इंटरनेट पर उपलÊध टीवी चैनलŌ कì Öůीिमंग करके लाइव खबर¤ व अÆय
सामúी देख सकते ह§। अभी तक उपभोĉा पहले सीधे उपúह, िफर केबल टीवी और उसके
बाद डीटीएच यानी डायरे³ट टू होम िडश के माÅयम से टीवी देखते रहे ह§। इंटरनेट अब नया
माÅयम है, िजस पर टीवी देखा जा सकता है। यह आम आदमी तक देश और दुिनया के
समाचार व मनोरंजन सामúी पहòंचाने का नया तरीका है और एकदम वैसा ही, जैसे बाकì
माÅयम है। भारत म¤ इस पूरी ÿिøया कì शुŁआत को इंटरनेट ÿोटोकाल टेलीिवजन
(आईपीटीवी) के łप म¤ समझ सकते ह§। इसम¤ इंटरनेट, āाडब§ड कì सहायता से टेलीिवजन
कायªøम घरŌ तक पहòंचाता है। इस नेट िनयोिजत ÿणाली म¤ टेलीिवजन के कायªøम
डीटीएच या केबल नेटवकª के बजाय, कंÈयूटर नेटवकª म¤ ÿयोग होने वाली तकनीकì मदद से
देखे जाते ह§।
संभवत: दुिनया म¤ एबीसी का वÐडª Æयूज नाउ पहला टीवी कायªøम रहा है, िजसे इंटरनेट
पर ÿसाåरत िकया गया था। इंटरनेट के िलए एक वीिडयो उÂपाद तैयार िकया गया, िजसका
नाम आईपीटीवी रखा गया था। लेिकन सबसे पहले जो टेलीिवजन के कायªøम इंटरनेट munotes.in
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अÂयाधुिनक जनसंचार माÅयम : उपयोग एवं िदशाएं
49 āाडब§ड के Ĭारा ÿसाåरत िकए गए तो उस फाम¥ट को भी आईपीटीवी का ही नाम िदया गया।
भारत सरकार ने भी इसे Öवीकृित दे दी है और भारत के कई शहरŌ म¤ यह सेवा चालू हो
चुकì है।
टीवी और इंटरनेट साथ-साथ उपलÊध होने के इन िवकÐपŌ को उपलÊध कराने हेतु कई
टीवी कंपिनयां इंटरनेट संपकō को साधने म¤ समथª टीवी िनमाªण कर रही ह§। इनम¤ सोनी,
सैमसंग और एलजी शािमल ह§। एलजी के अनुसार नया टीवी ऑनलाइन ÿदशªन को आसान
और बेहतर बनाएगा। एलजी ने ऑनलाइन टीवी िवकÐपŌ को ÿदिशªत करने के िलए िजस
टीवी सेट का िनमाªण िकया है। एलजी नेटिÉल³स के सहयोग से जÐद ही ऐसे टीवी सेट का
उÂपादन करने जा रही है, जो सीधे इंटरनेट से जुड़े रह सक¤गे और इंटरनेट उपभोĉा िबना
िकसी दूसरे उपकरण के इंटरनेट के माÅयम से टीवी और वीिडयो भी देख सक¤गे।
नेटिÉल³स सेवा वतªमान म¤ नाममाý के मािसक िकराये पर असीिमत िफÐमŌ और
ऑनलाइन टीवी शो उपलÊध कराती है। इस कंपनी कì लाइāेरी म¤ इस समय १ लाख से भी
अिधक िफÐम¤ उपलÊध ह§।
इसके Ĭारा दशªक के łप म¤ िøकेट, समाचार, टीवी कायªøम आिद अपने कंÈयूटर या
लैपटॉप के Ĭारा, कहé भी, कभी भी देख सकते ह§। और इसके िलए कोई अलग से
साÉटवेयर कì भी आवÔयकता न रहेगी। हालांिक इस मामले म¤ दूरदशªन का िवकÐप
कंÈयूटर पहले से ही बना हòआ है। एक टीवी कॉÌबो बॉ³स और उसके साथ सैट टॉप बॉ³स
या टीवी ट्यूनर काडª को जोड़ कर कंÈयूटर को दूरदशªन म¤ बदला जा सकता है। ये काडª या
युिĉयां कंÈयूटर म¤ बाहरी या आंतåरक हो सकती ह§। हां ए³सटनªल काड्ªस का कोई
दुÕÿभाव भी कंÈयूटर पर नहé पड़ता, जबिक इंटरनल टीवी ट्यूनर के कारण कई बार
कंÈयूटर म¤ आंतåरक खराबी कì िशकायत¤ िमल सकती ह§। और जब एक ही मॉनीटर पर
दूरदशªन और इंटरनेट के दोनŌ िवकÐप उपलÊध हŌ तो अलग-अलग कंÈयूटर और टीवी कì
आवÔयकता नहé रहती है। हां जहां देखने वाले और उनकì आवÔयकताएं अलग-अलग ह§
वहां कì बात अलग है।
ऐसी बहòत सारी इंटरनेट साइट ह§ जहां पर जाकर थडª पाटê कì वीिडयो Öůीिमंग करके
ऑिडयो-वीिडयो सामúी कंÈयूटर पर देख सकते ह§। इसी øम म¤ आइडÊलूआई जैसे िवकÐप
भी इंटरनेट पर ह§ जहां से िवĵ म¤ हजारŌ टीवी चैनलŌ म¤ से Āì टू एयर चैनलŌ का सीधा
ÿसारण अपने कंÈयूटर पर देख सकते ह§। लोग इसके माÅयम से कायªøम और समाचार
चुन-चुन कर देख सकते ह§।
इंटरनेट म¤ आई हòई गित के कारण वतªमान समय म¤ ऑनलाइन समाचार चैनलŌ म¤ तेज गित
ÿाĮ हòई है। ÖवाÖÃय, Óयापार, सािहÂय, कला एवं राजनीित आिद ±ेý म¤ िवचारŌ का
आदान-ÿदान हो रहा है । वतªमान समय म¤ कंÈयूटर, लैपटॉप, मोबाइल कì उपलÊधता के
कारण िवĵ का बहòसं´य समाज आसानी से समाचारŌ को पा सकते ह§। इसीिलए उनकì मांग
तथा Óयापाåरक ŀिĶकोण से िविभÆन Æयूज़ समूह ने अपने-अपने ऑनलाइन समाचार चैनलŌ
का िनमाªण िकया है। िपछले कई वषŎ म¤ यह भी देखने म¤ आया िक "Öटार Æयूज' जैसे चैनल
जो अंúेजी म¤ आरंभ हòए थे वे िवशुĦ बाजारीय दबाव के चलते पूणªत: िहंदी चैनल म¤
łपांतåरत हो गए। साथ ही, "ई.एस.पी.एन' तथा "Öटार Öपोट्ªस' जैसे खेल चैनल भी िहंदी म¤ munotes.in
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संचार माÅयम
50 कम¤ůी देने लगे ह§। देखते देखते आज समाचार चैनलŌ कì भरमार आ चुकì है। िहंदी म§ ÿमुख
समाचार चैनल है आज तक, एबीपी माझा, डीडी Æयूज़, ईटीवी, इंिडया टीवी, सहारा समय,
इंिडया Æयूज़, P7 Æयूज़, तेज टीवी, åरपिÊलक भारत, TV9, एनडीटीवी, सीएनबीसी,
आवाज, टोटल टीवी, जी Æयूज़, Æयूज़ १८ इंिडया, राजÖथान पिýका, आयबीएन 7, िहंदी
समाचार पोटªल के जåरए िहंदी का मान बढ़ाया है। िहंदी को वैिĵक संदभª देने म¤ उपúह-
चैनलŌ, िव²ापन एज¤िसयŌ, बहòराÕůीय िनगमŌ तथा यांिýक सुिवधाओं का िवशेष योगदान है।
४.४.४ इंटरनेट रेिडयो:
तकनीकì के िवकास के कारण रेिडयो म¤ øांित आ गई है। १० जुलाई १९६२ म¤ दुिनया के
ÿथम संचार सेटेलाइट म¤ ÿायोिगक तौर पर कायª करना आरंभ िकया था। रेिडयो कì गित
और शिĉ म¤ अभूतपूवª िवकास हो चुका है। इसके वजह से संदेशŌ का आदान-ÿदान सहज
łप से होने लगा है ।आज वतªमान समय म¤ रेिडयो कì नई छिव उभर कर सामने आई है।
सहज सुलभ जन उपयोगी है । २ मई १९६५ दुिनया के सबसे पहले Óयवसाियक संचार
सेटेलाइट अलê बडª Ĭारा िनयिमत łप से रेिडयो का ÿारंभ हòआ । आज िडिजटल
तकनीकì के कारण ®ोता िबना िकसी łकावट के रेिडयो सुन सकते ह§।
इंटरनेट रेिडयो (वेब रेिडयो, नेट रेिडयो, Öůीिमंग रेिडयो, ई-रेिडयो, आईपी रेिडयो,
ऑनलाइन रेिडयो भी) इंटरनेट के माÅयम से ÿसाåरत एक िडिजटल ऑिडयो सेवा है, जो
सन १९९३ म¤ शुł कì गई थी । इंटरनेट पर ÿसारण को आमतौर पर वेबकािÖटंग के łप
म¤ संदिभªत िकया जाता है ³यŌिक यह Óयापक łप से वायरलेस माÅयमŌ से ÿसाåरत नहé
होता है । इसे या तो इंटरनेट के माÅयम से चलने वाले Öट§ड-अलोन िडवाइस के łप म¤, या
िकसी एकल कंÈयूटर के माÅयम से चलने वाले सॉÜटवेयर के łप म¤ उपयोग िकया जा
सकता है। इंटरनेट रेिडयो का उपयोग आम तौर पर बातचीत के माÅयम से संदेशŌ को
आसानी से ÿसाåरत करने और फैलाने के िलए िकया जाता है। यह एक ÿकट ąोत के
माÅयम से एक िÖवच पैकेट नेटवकª (इंटरनेट) से जुड़े वायरलेस संचार नेटवकª के माÅयम से
िवतåरत िकया जाता है। इंटरनेट रेिडयो म¤ Öůीिमंग मीिडया शािमल है, ®ोताओं को
ऑिडयो कì एक सतत धारा के साथ ÿÖतुत करता है िजसे आमतौर पर पारंपåरक ÿसारण
मीिडया कì तरह रोका या िफर से चलाया नहé जा सकता है; इस संबंध म¤, यह ऑन-
िडमांड फ़ाइल सेवा से अलग है। इंटरनेट रेिडयो पॉडकािÖटंग से भी अलग है, िजसम¤
Öůीिमंग के बजाय डाउनलोड करना शािमल है । इंटरनेट रेिडयो सेवाएं समाचार, खेल,
बातचीत और संगीत कì िविभÆन शैिलयŌ कì पेशकश करती ह§ - हर ÿाłप जो पारंपåरक
ÿसारण रेिडयो ÖटेशनŌ पर उपलÊध है । कई इंटरनेट रेिडयो सेवाएं संबंिधत पारंपåरक
(Öथलीय) रेिडयो Öटेशन या रेिडयो नेटवकª से जुड़ी हòई ह§, हालांिक कम Öटाटª-अप और
चल रही लागत ने Öवतंý इंटरनेट-केवल रेिडयो ÖटेशनŌ के पयाªĮ ÿसार कì अनुमित दी है।
उपयुĉ इंटरनेट कने³शन के साथ इंटरनेट रेिडयो सेवाएं आमतौर पर दुिनया म¤ कहé से भी
उपलÊध ह§ । उदाहरण के िलए कोई भी यूरोप और अमेåरका के एक ऑÖůेिलयाई Öटेशन
को सुन सकता है। इसने इंटरनेट रेिडयो को ÿवासी ®ोताओं के बीच िवशेष łप से अनुकूल
और लोकिÿय बना िदया है। िफर भी, कुछ ÿमुख नेटवकª जैसे ट्यूनइन रेिडयो, एंटरकॉम,
प¤डोरा रेिडयो, आईहाटªरेिडयो और िसटाडेल āॉडकािÖटंग (समाचार / वाताª और खेल munotes.in
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अÂयाधुिनक जनसंचार माÅयम : उपयोग एवं िदशाएं
51 ÖटेशनŌ को छोड़कर) संयुĉ राºय अमेåरका म¤, और यूनाइटेड िकंगडम म¤ िøसिलस, देश
म¤ सुनने को ÿितबंिधत करते ह§। इंटरनेट रेिडयो िवशेष Łिच वाले ®ोताओं के िलए भी
उपयुĉ है, िजससे उपयोगकताª िविभÆन ÖटेशनŌ और शैिलयŌ कì भीड़ से चुन सकते ह§ जो
पारंपåरक रेिडयो पर कम ÿितिनिधÂव करते ह§। ७ नवÌबर १९९४ को, डÊलूए³सवाईसी
(८९.३ एफएम (FM) चैपल िहल, एनसी (NC) यूएसए) इंटरनेट पर ÿसारण कì घोषणा
करने वाला पहला पारंपåरक रेिडयो Öटेशन बन गया। माइøोसॉÉट और नलसॉÉट जैसी
कंपिनयŌ ने Öůीिमंग ऑिडयो Èलेयर मुÉत डाउनलोड के łप म¤ जारी िकये । सॉÉटवेयर
ऑिडयो Èलेयर जब उपलÊध हो गए, "कई वेब आधाåरत रेिडयो ÖटेशनŌ कì बाåरश शुł हो
गयी।"
माचª १९९६ म¤, विजªन रेिडयो-लंदन, इंटरनेट पर अपना पूरा कायªøम सीधा ÿसाåरत करने
वाला पहला यूरोपीय रेिडयो Öटेशन बन गया। इसने ąोत से अपना एफएम (FM) संकेत,
सतत łप से िदन के २४ घंटे इंटरनेट पर ÿसाåरत िकया। रेिडयो िमचê ९८.३ एफएम िहंदी
रेिडयो िबग एफएम एयर एफएम रेनबो िविवध भारती ऑल इंिडया रेिडयो लाइव रेड एफएम
तकनीकì के कारण रेिडयो के कायªøमŌ म¤ भी नए पåरवतªन होते हòए िदखाई देते ह§।
िडिजटल øांित का ÿभाव इस रेिडयो के िवकास पर रहा है । इस इंटरनेट कì वजह से
रेिडयो को उ¸च गुणव°ा ÿाĮ हो चुकì है। नई तकनीकì के कारण जन सहभािगता बढ़ चुकì
है और कायªøमŌ का संपादन सरल, सहज ,सुबोध बन सका है।
४.५ सारांश िडिजटल मीिडया का नया Öवłप दुिनया कì पýकाåरता म¤ Óयापक बदलाव लाने म¤
कामयाब हो चुका है। भारतीय पýकाåरता म¤ इसके जåरए बदलाव भी देखने लगा है। लेिकन
इसका ºयादा असर और फायदा खासतौर पर संचार कì 4जी तकनीक के िवÖतार के बाद
बढ़ता ही जा रहा है। िजसका ÿभाव िनिIJत तौर पर भावी पýकाåरता और संचार पर भी
पड़ना ही है। अब इंटरनेट और मोबाइल फोन पर टेलीिवजन का ÿसार तो हो ही रहा है।
जÐद ही िफÐमŌ का ÿीिमयर भी मोबाइल फोन और इंटरनेट पर होना संभािवत है। लेिकन
सबसे बड़ी बात यह है िक भारतीय भाषाओं और कंपिनयŌ के पास उ¸च िडिजटल कृत
सामúी न के बराबर है । िडिजटलीकरण दरअसल अखबार रेिडयो तक ही सीिमत नहé रहा
बिÐक यह पाठ्य पुÖतकŌ और सामाÆय सूचनाओं तक िवÖताåरत हो चुका है। इसकì एक
बड़ी खािसयत है इसका समावेशी Öवभाव िजसकì वजह से यह खासकर नई पीढ़ी के िलए
सहज िशकारी हो गया है। भारत जैसे देश म¤ जहां िबजली बड़ी चुनौती है िडिजटलीकरण कì
ÿिøया और इसके जåरए िवÖताåरत सूचना तंý के फायदे उठाने के िलए संभावनाएं हसीन
है भारत म¤ िडिजटल मीिडया के िलए संभावनाएं बनी और बची हòई है जैसी पिIJमी देशŌ म¤
øांित हòई ह§। अखबार तो तकरीबन खाÂमे के कगार पर है या खÂम हो चुके ह§ कागज पर
छपाई आधाåरत मीिडया अपने आिखरी दौर म¤ ह§ देखा जाए तो िडिजटल मीिडया के दौर म¤
पýकाåरता भी बदल रही है और इसके िलए नए पý कायª मानदंडŌ वाला सेटअप और नए
िकÖम के पýकार तैयार िकए जाने चािहए। िडिजटल इंिडया के तहत इंटरनेट के हो रहे तेजी
से िवÖतार के कारण ऑनलाइन पýकाåरता कì लोकिÿयता बढ़ती जा रही है। यह
पýकाåरता अंúेजी के साथ-साथ िहंदी तथा िविभÆन भारतीय भाषाओं म¤ हो रही है। इस
वजह से उसकì ताकत बढ़ रही है। साथ ही इस ±ेý म¤ रोजगार के अवसर भी बढ़ने लगे ह§। munotes.in
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संचार माÅयम
52 ४.६ लघु°रीय ÿij १. भारत म¤ इंटरनेट कì सुिवधा कब उपलÊध हòई?
उ : सन १९९० से इंटरनेट कì सुिवधा िमलने लगी।
२. माइøोसॉÉट के ऑपरेिटंग िसिÖटम िवंडोज ने िहंदी को जोड़ने के िलए िकस फॉÁट
का िनमाªण िकया?
उ : माइøोसॉÉट के ऑपरेिटंग िसिÖटम िवंडोज २००० म¤ यूिनकोड इनकोिडंग का
इÖतेमाल करते हòए िहंदी के िलए 'मंगल' नामक फॉÁट जारी िकया।
३. भारत म¤ चेÆनई से िकसने ई-संÖकरण शुł िकया?
उ : भारत म¤ चेÆनई से ÿकािशत 'द िहंदू' ने ई-संÖकरण शुł िकया।
४. भारतीय ब§िकंग ±ेý म¤ सबसे बड़ी øांित ³या आने से हòई?
उ : भारतीय ब§िकंग ±ेý म¤ सबसे बड़ी øांित एटीएम (ऑटोमैिटक टेलर मशीन) आने से
हòई।
५. ई-पिýकाएँ एच.टी.एम.एल. (HTML) म¤ ÿकिशत होते है तब उनका फॉम¥ट ³या
होता ह§?
उ : डी.पी.एफ. (DPF) ।
६. दुिनया म¤ िनयिमत łप से रेिडयो का ÿारंभ कब और िकसके Ĭारा हòआ?
उ : सन २ मई १९६५ म¤ Óयवसाियक संचार सेटेलाइट अलê बडª के Ĭारा दुिनया म¤
िनयिमत łप से रेिडयो का ÿारंभ हòआ।
७. इंटरनेट के माÅयम से रेिडयो के िलए िडिजटल ऑिडयो सेवा कब शुł कì गई थी?
उ : सन १९९३ म¤ ।
४.७ दीघō°री ÿij १. वेब पýकाåरता कì अवधारणा एवं िवशेषताएं िलिखए।
२. वेब पýकाåरता तकनीकì एवं उपयोिगता पर ÿकाश डािलए ।
३. ÿमुख वेब संÖकरणŌ को अपने शÊदŌ म¤ िवÖतार से ÖपĶ करŌ।
४.८ संदभª úंथ १. इंटरनेट पýकाåरता - सुरेश कुमार munotes.in
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अÂयाधुिनक जनसंचार माÅयम : उपयोग एवं िदशाएं
53 २. िहंदी Êलॉिगंग Öवłप, ÓयािĮ और संभावनाएं - संपादक डॉ. मनीष कुमार िम®
३. वचुªअल åरयिलटी और इंटरनेट - जगदीĵर चतुव¥दी
४. ÿयोजनमूलक िहंदी - डॉ. पी. लेता,
५. वेब पýकाåरता - Ôयाम माथुर
६. वेब पýकाåरता - सं. हंसराज सुमन
७. कंÈयूटर और िहंदी - ÿो. हåरमोहन
८. नए जनसंचार माÅयम और िहंदी - सं. सुधीश पचौरी
९. िविकपीिडया
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