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1 १अनुवाद: परिभाषा एवं स्वरूप इकाई की रूपरेखा १.१ इकाई का उद्देश्य १.२ प्रस्तावना १.३ अनुवाद का अर्थ १.४ अनुवाद की परिभाषा १.५ अनुवाद का स्वरूप १.६ सािाांश १.७ वस्तुननष्ठ प्रश्न १.८ दीर्घोत्तिीय प्रश्न १.९ सांदभथ ग्रांर् १.१ इकाई का उद्देश्य ‘अनुवाद: परिभाषा एवां स्वरूप’ का मूल उद्देश्य नवद्यानर्थयों को यह समझाना है नक – • अनुवाद का अर्थ क्या है ? • अनुवाद की परिभाषा क्या है ? • नवनभन्न भाितीय एवां पाश्चात्य नवद्वानों की दृनि में अनुवाद की परिभाषा क्या है? • अनुवाद का स्वरूप क्या है ? १.२ प्रस्तावना: एक भाषा में कही गई बात को दूसिी भाषा में अनभव्यक्त किना ही अनुवाद है। अनुवाद समन्वय की कला है। अनुवाद एक ऐसा नवज्ञान है जो नवध्वांस या अलगाव को कदानप महत्त्व नहीं देता। यह सबको एक दूसिे से जोड़ने औि नमलाने का काम किता है। अनुवाद का महत्व, इसका अनस्तत्व अनानद काल से है। जैसे-जैसे मनुष्य नवकनसत होता गया, वैसे-वैसे अनुवाद भी नवकनसत होता गया। आज के अनत आधुननक युग में जैसे-जैसे नए-नए आनवष्काि हो िहे हैं, ननत्य नये परिवतथन हो िहे हैं वैसे-वैसे अनुवाद क्षेत्र भी नवकनसत हो िहा है। यनद हम वतथमान युग को अनुवाद का युग कहें तो कोई अनतश्योनक्त नहीं होगी क्योंनक यह आधुननक युग की पिम आवश्यक प्रनिया के रूप में उभि कि सामने आया है। भूमांडलीकिण, उदािीकिण बाजािीकिण, उपभोक्तावाद, सूचना औि सांचाि िानन्त के युग में जहााँ प्रनत क्षण कुछ बदल िहा है, प्रनतक्षण कुछ नया अनुसांधान हो िहा है, जहााँ ‘कि लो दुननया मुट्ठी में’ की अवधािणा को सबके द्वािा अपनाया जा िहा है, आत्मसात नकया जा िहा है इस प्रनत पल परिवनतथत होते munotes.in

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अनुवाद
2 समय में अनुवाद की महत्ता औि बढ़ती जा िही है, इसकी मााँग अनधक बढ़ती जा िही है। ऐसे में आवश्यकता इस बात की है नक अनुवाद को नवस्ताि से जाना समझा जाये, तभी हम इसकी महत्ता को भली-भााँनत समझ सकेंगे। १.३ अनुवाद का अर्थ ‘अनुवाद’ सांस्कृत का तत्सम शब्द है नजसका सांबांध ‘वद्’ धातु से है। ‘वद्’ धातु का अर्थ होता है ‘कहना‘ या ‘बोलना’ | ‘वद्’ धातू में ‘धञ’ प्रत्यय लगाने से ‘वाद’ शब्द बनता है औि निि उसके ‘बाद में’, ‘पीछे’, अनुवनतथता आनद अर्ों में प्रयुक्त ‘अनु’ उपसगथ जुड़ने से ‘अनुवाद’ शब्द बनता है। अत: ‘अनु’ औि ‘वाद’ (अनु+वाद) शब्दों के सांयोग से ‘अनुवाद’ शब्द बनता है, नजसका अर्थ है - नकसी के कहने के बाद उसे पुन: कहना। इस तिह से अनुवाद का शानब्दक अर्थ है - नकसी के कहने या बोलने के बाद उसे कहना या बोलना। शब्दार्थ नचन्तामनण कोश ग्रन्र् के अनुसाि अनुवाद शब्द की दो व्युत्पनत्तयााँ हैं:- १. प्राप्तस्य पुनः कर्नम् २. ज्ञातार्ाथय प्रततपादनम् पहली व्युत्पनत्त के आधाि पि - प्रर्म कहे गये का अर्थ ग्रहण कि उसको पुन: कहना ही अनुवाद है। दूसिी व्युत्पनत्त के अनुसाि नकसी के द्वािा कही गयी बातों को भली-भााँनत समझकि उसे पुनः प्रनतपानदत किना ही अनुवाद है। इस प्रकाि इन दोनों व्युत्पनत्तयों में र्ोड़ासा परिवतथन किके एक औि तिीके से इस कहा जा सकता है- ज्ञातार्थस्य पुनः कर्नम् तात्पयथ है नकसी के कहे गये कर्न के अर्थ को नबल्कुल सही तिह से समझकि उस कर्न को निि से कहना ही अनुवाद है। ‘अनुवाद’ शब्द का प्रचलन भाित में प्राचीन काल से, वैनदक काल से है। भाितीय दशथन ग्रांर्ों में भी अनुवाद शब्द का व्यापक प्रयोग नमलता है। प्राचीन भाित में जब नशक्षा की मौनिक पिांपिा प्रचनलत र्ी औि गुरू जी द्वािा कहे गये कर्नों, वाक्यों, श्लोकों को उनके नशष्य दुहिाते र्े। इस दुहिाने शब्द को ‘अनुवाक्’ या ‘अनुवाद’ शब्द से जाना जाता र्ा। सांस्कृत के प्राचीन में अनुवाद शब्द का प्रयोग नमलता है, इसके बाद ‘अनुवाद’ शब्द का प्रयोग मध्यकालीन सानहत्य, नवशेषतः भनक्तकालीन सानहत्य में व्यापक रूप से हुआ है नजसका प्रत्यक्ष प्रमाण है गोस्वामी तुलसीदास कृत ‘िामचरित मानस।’ प्राचीन काल से लेकि मध्यकाल में िचे गए सांस्कृत के अननगनत अमूल्य िचनाओां का नवनभन्न भाषाओां में भाषान्तिण हुआ, रूपान्तिण हुआ, नजसे ‘टीका’, ‘भाषा टीका’, भाषानुवाद, छाया, तिजुमा आनद के नाम से भी जाना गया नजसमें सबका आशय यही र्ा नक एक भाषा की सामग्री को दूसिी भाषा में रूपाांतिण का नाम ही अनुवाद है। आज के युग में ‘अनुवाद’ अांग्रेजी के ‘Translation’ शब्द के नहन्दी पयाथय के रूप में प्रयुक्त होता है। ‘Translation’ जो नक एक सांज्ञा शब्द है, इसका निया रूप है- ‘Translate’। ‘Translate’ शब्द मूलतः लैनटन शब्द ‘Translatum’ से ननकला है। Translatum शब्द munotes.in

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अनुवाद: परिभाषा
एवां स्वरूप
3 ‘Trans’ औि ‘Latum’ के सांयोग से यानी नक (Trans+Latum) से बना है। ‘Translatum’ शब्द में ‘Trans’ उपसगथ का अर्थ है ‘उस पाि’ या ‘दूसिी तिि’ औि Latum शब्द अर्थ है ‘ले जाना’। इस प्रकाि नहन्दी के अनुवाद शब्द की तिह ही अांग्रेजी के ‘Translation’ शब्द का अर्थ हुआ एक भाषा में कही गयी बात को दूसिी भाषा में सांप्रेनषत किना| एक भाषा में कही गयी बात को दूसिी भाषा में कहने या अनुवाद किने के नलए अनुवादक के नलए यह पिम अननवायथ है नक वह दोनों भाषाओां पि समान अनधकाि ििे, दोनों भाषा पि पूिा अनधकाि ििता हो । नजस भाषा से कोई भी अनुवाद नकया जाता है उस भाषा को स्रोत भाषा कहते हैं औि नजस भाषा में अनुवाद नकया जाता है उस भाषा को लक्ष्य भाषा कहा जाता है। १.४ अनुवाद की परिभाषाः आधुननक समय में ‘अनुवाद’ शब्द अांग्रेजी के ‘Translation’ शब्द के नहन्दी पयाथय के रूप से प्रचनलत है, नजसका तात्पयथ है एक भाषा (स्रोत भाषा) के भाव औि नवचािों को दूसिी भाषा (लक्ष्य भाषा) में ले जाना | नवनभन्न नवद्वानों के अनुसाि अनुवाद की परिभाषाएाँ भी नभन्न नभन्न हैं। हम इन्हें भाितीय नवद्वानों औि पाश्चात्य नवद्वानों द्वािा दी गयी परिभाषाओां को समझने का प्रयास किते है। संस्कृत परिभाषाएँ: १. शब्दार्थ नचांतामनण कोश के अनुसाि - (i) “प्राप्तस्य पुनः कर्ने।” (ii) “ज्ञार्ार्थस्य प्रनतपादने।“ अर्ाथत् पहले कहे गये अर्थ को निि से कहना। २. ऋगवेद के अनुसाि - “अन्वेको वदनत यद्ददानत ।” अर्ाथत् पश्चात् कर्न अनुवाद है। ३. पानणनी के अनुसाि - “अनुवादे चिणानाम् ।” पानणनी के प्रनसद्ध ग्रांर् ‘अिाध्यायी’ के अनुसाि अनुवाद प्राय: कर्न है | सांस्कृत भाषा की ये परिभाषाएाँ दशाथती हैं नक अनुवाद वास्तव में सार्थक सोद्देश्यपूणथ पुन: कर्न होता है। munotes.in

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अनुवाद
4 तिन्दी परिभाषाएँ: १. डॉ. भोलानार् ततवािी : भाषा ध्वन्यात्मक प्रतीकों की व्यवस्र्ा है औि अनुवाद है इन्हीं प्रतीकों का प्रनतस्र्ापन। अर्ाथत् एक भाषा के प्रतीकों के स्र्ान पि दूसिी भाषा के ननकटतम समतुल्य औि सहज प्रतीकों का प्रयोग किना अनुवाद है। २. डॉ. तवश्वनार् अय्यि: अनुवाद की प्रनवनध एक भाषा से दूसिी भाषा में रूपाांतरित किने तक सीनमत नहीं है। एक भाषा के रूप के कथ्य को दूसिे रूप में प्रस्तुत किना भी अनुवाद है। छांद में बताई गई बात को गद्य में उतािना भी अनुवाद है। ३. डॉ. कृष्ण कुमाि गोस्वामी: एक भाषा में व्यक्त भावों या नवचािों को दूसिी भाषा में समान औि सहज रूप में व्यक्त किने का प्रयास अनुवाद है। ४. जी. गोपीनार् : अनुवाद वह द्वांद्वात्मक प्रनिया है, नजसमें स्रोत पाठ की अर्थ सांिचना (आत्मा) का लक्ष्य पाठ की शैलीगत सांिचना (शिीि) द्वािा प्रनतस्र्ापन होता है। ५. डॉ. िवीन्रनार् श्रीवास्तव : एक भाषा (स्रोत भाषा) की पाठ सामग्री में अांतननथनहत तथ्य का समतुल्यता के नसद्धान्त के आधाि पि दूसिी भाषा (लक्ष्य भाषा) में सांगठनात्मक रूपाांतिण अर्वा सृजनात्मक पुनगथठन ही अनुवाद है। ६. पटनायक : अनुवाद वह प्रनिया है, नजसके द्वािा सार्थक (अर्थपूणथ सांदेश या सांदेश का अर्थ) को एक भाषा समुदाय से दूसिे भाषा-समुदाय में सांप्रेनषत नकया जाता है। ७. डॉ. िीतािानी पालीवाल : स्त्रोत भाषा में व्यक्त प्रतीक व्यवस्र्ा को लक्ष्य भाषा की सहज प्रतीक व्यवस्र्ा में रूपाांतरित किने का कायथ अनुवाद है। ८. डॉ. जयंती प्रसाद नौतटयाल : स्त्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में नकसी नवषयवस्तु या सांदेश की समतुल्य अनभव्यनक्त अनुवाद है। munotes.in

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अनुवाद: परिभाषा
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5 पाश्चात्य परिभाषाएँ : १. सैमुअल जॉनसन : To Translate is to change in to another language retaining the sense. (एक भाषा से दूसिी भाषा में भावार्थ का परिवतथन ही अनुवाद है।) २. ई.ए. नाइडा एवं टैबि : Translating consists in producing in the receptor language the closest natural equivalent to the message of the source language. First in meaning and secondly in style. (अनुवाद का तात्पयथ है, स्त्रोत भाषा में व्यक्त सांदेश के नलए लक्ष्य भाषा में ननकटतम सहज समतुल्य सांदेश प्रस्तुत किना। यह समतुल्यता पहले तो अर्थ के स्ति पि होती है, निि शैली के स्ति पि।) ३. न्यूयाकथ: अनुवाद एक ऐसा नशल्प है, नजसमें एक भाषा में व्यक्त सांदेश के स्र्ान पि दूसिी भाषा के उसी सांदेश को प्रस्तुत किने का प्रयास नकया जाता है। ४. िैतलडे: अनुवाद एक ऐसा सांबांध है, जो दो या दो से अनधक पाठों के बीच होता है। ये पाठ समान नस्र्नत में समान कायथ सांपानदत किते हैं। ५. जे. सी. कैटफोडथ: Translation is the replacement of textual material in one language by the equivalent textual material in another language. (एक भाषा की पाठ्य सामग्री को दूसिी भाषा की समानार्थक पाठ्य सामग्री से प्रनतस्र्ानपत किना ही अनुवाद है।) ६. डॉ. जानसन : अनुवाद का आशय अर्थ को अक्षुण्ण ििते हुए अन्य भाषा में अांतिण किना। ७. मैथ्यू आनथल्ड : अनुवाद ऐसा होना चानहए नक उसका वही प्रभाव पड़े जो मूल का उसका पहले श्रोताओां पि पड़ा होगा। ८. तलयोनाडथ फोिेस्टन: अनुवाद एक भाषा के कथ्य की नवषयवस्तु का दूसिी भाषा में रूपाांतिण है। munotes.in

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अनुवाद
6 ९. ए. एन. तस्मर् : अर्थ को बनाए ििते हुए अन्य भाषा में अांतिण अनुवाद है। १०. तवतलयम तवल्ज : अच्छा अनुवाद एक पुनजथन्म ही है। परिणामस्वरूप, एक भाषा में व्यक्त नवचािों को दूसिी भाषा में व्यक्त किना ही अनुवाद है। १.५ अनुवाद का स्वरूपः अनुवाद सानहत्य की एक नवधा है। पिन्तु निि भी इसे मौनलक सानहत्य की श्रेणी में नहीं शानमल नकया जा सकता है क्योंनक एक भाषा की सामग्री या मौनलक लेिन को दूसिी भाषा में अांतरित किने का माध्यम अनुवाद है। कुछ नवद्वानों ने इसे ‘सेकेंड हैंड’ सानहत्य माना है तो कुछ लोगों के अनुसाि अनुवाद की पूिी प्रनिया की तुलना आत्मा के पिकाया प्रवेश की प्रनिया से है। नकसी भाषा के भावों-नवचािों को दूसिी भाषा में अनभव्यनक्त प्रदान किना आसान कायथ नहीं होता है। यह एक अत्यन्त कनठन कायथ है। सांसाि में नजतनी भाषाएाँ होती हैं सभी भाषाओां की अपनी-अपनी नवशेषता होती है, उनकी अपनी व्याकिनणक सांिचना होती है। सभी भाषाओां की अपनी-अपनी ध्वनन, रूप, वाक्य अर्थ औि नवशेषताएाँ होती हैं। उनके अपने मुहाविे औि लोकोनक्तयााँ होती हैं। इसनलए मूलभाषा या स्त्रोत भाषा में व्यक्त भावों-नवचािों को उसी रूप में प्रस्तुत किना सिल या आसान कायथ नहीं है। प्रत्येक अनुवाद सिल होगा, इसकी कोई गािांटी नहीं होती है। उदाहिण स्वरूप मान लें नक हमने होटल में कोई बहुत स्वानदि भोजन िाया औि हमने यह तय नकया नक हम ठीक ऐसा ही भोजन अपने र्घि पि पकाएाँगे । हमने उस भोज्य पदार्थ को र्घि पि बनाने की पूिी प्रनिया का अध्ययन नकया, यू-ट्यूब से देिा औि उसे र्घि पि बनाया। ऐसे में तीन तिह की सांभावनाएाँ हो सकती हैं पहला या तो वह भोजन, होटल के भोजन की तिह स्वानदि बनेगा, या तो उससे भी अच्छा बन सकता है या निि नबल्कुल उसके अनुरूप नहीं बनेगा। अनुवाद के सार् भी यही नस्र्नत है। सांभव है नक अनुवाद मूल सामग्री से उत्तम बन जाए। सांभव है नक अनुवाद स्रोत भाषा में नलनित सानहत्य के समान अनूनदत हो जाए औि सांभव यह भी है नक अनुवाद अपने लक्ष्य को प्राप्त ही नहीं कि सके। ये तीनों तिह की सांभावनाएाँ अनुवाद की प्रनिया के दौिान बनी िहती है। इस प्रकाि अनुवाद सही मायने में मूलतः सृजन प्रनिया ही है। अनुवाद किते समय कई बाि स्त्रोत भाषा का कथ्य, लक्ष्य भाषा में कहीं अपेक्षाकृत नवस्तृत तो कहीं सांकुनचत औि कहीं नभन्न रूप का हो जाता है। उदाहिणस्वरूप अांग्रेजी भाषा-भाषी लोग ठांडे इलाके में िहने के कािण गमी का महत्त्व समझते हैं इसनलए वे ‘वामथ रिनसप्शन’ या ‘वामथ वेलकम’ किते है। इसके नलए हम नहन्दी में ‘गमथ स्वागत’ शब्द का प्रयोग किने के बजाय ‘हानदथक स्वागत’ शब्द का प्रयोग किते है क्योंनक नहन्दी में ‘गमथ स्वागत’ शब्द कदानप सटीक सार्थक नहीं है। munotes.in

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अनुवाद: परिभाषा
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7 नहन्दी में निया के सार् सहायक निया का भी कािी महत्व है क्योंनक सहायक निया से निया औि स्पि हो जाती है जैसे नक - १. बच्चा नगिा। २. बच्चा नगि गया। ३. बच्चा नगि पड़ा। इन तीनों वाक्यों में ‘नगि’ निया के सार् सहायक निया ‘गया’, ‘पड़ा’ का प्रयोग नकया गया है; नजसका अांग्रेजी अनुवाद है Child Fell या निि child fell down. इसी प्रकाि एक औि उदाहिण- १. आइए । २. आ जाइये। ३. आ भी जाइये। इन तीनों वाक्यों का अांग्रेजी अनुवाद ‘Come on’ या ‘Welcome’ होगा | नहन्दी के वाक्यों का अर्थ भेद अांग्रेजी अनुवाद में नहीं लाया जा सकता। वास्तव में जब अांग्रेजी में सहायक नियाएाँ ही नहीं तो निि भाव की समीपता से ही सांतोष किना पड़ेगा। कुछ अनुवादक अर्थ की समीपता को महत्त्व देने की दृनि से शब्दानुवाद किते हैं नजससे स्रोत भाषा में न तो मूल भाषा के भाव की िक्षा हो पाती है औि न ही अपेनक्षत सौन्दयथ आ पाता है। मूल कृनत के सृजनकाि औि अनुवादक में अांति होता है। मूलकृनत का सृजनकाि अपने भावों - नवचािों को आत्मनचांतन, आत्मभाव से नलिता है जबनक एक अनुवाद उसकी िचना को पहले ग्रहण किता हैं, निि उस उसका अनुवाद किता है। अनुवाद किते समय भी वह सृजन प्रनिया से गुजिता है। अनुवाद वास्तव में एक सृजन प्रनिया ही है। नवद्वान िाजिा पाउांड ने सानहत्य के अनुवाद को सानहनत्यक पुनजीवन माना है। इस प्रकाि हम देिते हैं नक अनुवाद का मूल उद्देश्य मूल या स्रोत भाषा के भावों-नवचािों-तथ्यों को यर्ासांभव लक्ष्य भाषा में प्रस्तुत किना है। इसके नलए अनुवादक के नलए आवश्यक है नक स्रोत भाषा औि लक्ष्य भाषा दोनों ही भाषाओां के नवस्तृत औि गहिे ज्ञान के सार्-सार् दोनों भाषाओां से सांबांनधत परिवेशों, परिनस्र्नतयों, देश, काल, समाज आनद के नवषय में व्यापक जानकािी, व्यापक ज्ञान अननवायथ रूप से हो, तभी दक्षता से अनुवाद कायथ नकया जा सकता है। १.६ सािांश : यहााँ पि एक भाषा में कही गई बात नवशेषतः दूसिी भाषा में उसे अनभयक्त किना ही अनुवाद है | प्रस्तुत अध्याय में छात्रों ने अनुवाद के सांदभथ में अनुवाद की परिभाषा, उसका अर्थ औि उसके स्वरुप का नवस्ताि से अध्ययन नकया है | munotes.in

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अनुवाद
8 १.७ वस्तुतनष्ठ प्रश्न : प्र.१ अनुवाद क्या है ? उ. एक भाषा में कही गई बात को दूसिी भाषा में अनभव्यक्त किना । प्र.२ अनुवाद का महत्त्व कब से है? उ. सृनि के अनानद काल से । प्र.३ वतथमान युग नकसका है? उ. अनुवाद का युग । प्र.४ अनुवाद नकस भाषा से सांबनधत है? उ. सांस्कृत के तत्सम शब्द से सांबांनधत । प्र.५ अनुवाद का सांबांध नकस धातु से है ? उ. सांस्कृत के ‘वद्’ धातु से । प्र.६ ‘वद्’ का अर्थ क्या है? उ. बोलना या कहना । प्र.७ ‘वद्’ धातु में कौन सा प्रत्यय लगाकि अनुवाद शब्द बनता है? उ. ‘धञ’ प्रत्यय । प्र.८ ‘वद्’ धातु में ‘धञ’ प्रत्यय लगाने के बाद कौन सा शब्द बनता है ? उ. ‘वाद’ शब्द । प्र.९ ‘अनु’ शब्द का क्या अर्थ है? उ. ‘बाद में’ या ‘पीछे लगना ।’ प्र.१० नकसी के कहने के बाद उसे पुन: कहना क्या है? उ. अनुवाद । प्र.११ शब्दार्थ नचन्तामनण कोश ग्रन्र् के अनुसाि दो व्युत्पनत्तयााँ क्या है ? उ. (क) प्राप्तस्य पुन: कर्नम् (ि) ज्ञातार्ाथय प्रनतपाद नम् प्र.१२ अनुवाद को अन्य नकन नामों से जाना जाता है? उ. टीका, भाषा टीका, भाषानुवाद, छाया, तिजुमा । प्र.१३ ‘अनुवाद’ अांग्रेजी के नकस शब्द का नहन्दी पयाथय है? उ. ट्ाांसलेशन । प्र.१४ अांग्रेजी का ट्ान्सलेट शब्द वास्तव में नकस भाषा से ननकला है ? उ. लैनटन । प्र.१५ अांग्रेजी के ‘ट्ान्स’ (Trans) उपसगथ का अर्थ क्या है? उ. उस पाि या दूसिी तिि ले जाना । munotes.in

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9 प्र.१६ अनुवाद के नलए नकतने भाषाओां का ज्ञान अननवायथ है? उ. दो । प्र.१७ “अर्थ को बनाए ििते हुए अन्य भाषा में अांतिण अनुवाद है।” यह नकसका कर्न है? उ. ए. एन. नस्मर् । प्र.१८ अच्छे अनुवाद को पुनजथन्म नकसने माना है? उ. नवनलयम नवल्ज । प्र.१९ कुछ नवद्वानों ने ‘सेकेंड हैंड’ सानहत्य नकसे कहा है? उ. अनुवाद को । प्र.२० नकसी भावों-नवचािों को दूसिी भाषा में व्यक्त किना कैसा कायथ है? उ. कनठन, श्रमसाध्य । १.८ संभातवत दीर्घोत्तिीय प्रश्न : प्र.१ नवनभन्न नवद्वानों के अनुसाि अनुवाद को परिभानषत कीनजए । प्र.२ अनुवाद क्या है? सनवस्ताि से नलनिए । प्र.३ अनुवाद शब्द की उत्पनत्त नकस शब्द से हुई है? इसे परिभानषत किते हुए नलनिए । प्र.४ अनुवाद के स्वरूप पि प्रकाश डानलए । प्र.५ अनुवाद की परिभाषा औि स्वरूप पि प्रकाश डानलए । १.९ संदभथ ग्रंर् : १. प्रयोजनमूलक नहन्दी - नवनोद गोदिे, वाणी प्रकाशन, नई नदल्ली, १९९८ २. प्रयोजनमूलक नहन्दी - डॉ. अांबादास देशमुि, शैलजा प्रकाशन, कानपुि, २००९ ३. प्रयोजनमूलक नहन्दी - डॉ. लक्ष्मीकाांत पाांडेय, डॉ. प्रनमला अवस्र्ी, कल्याण चांद्र चौबे, आशीष प्रकाशन, कानपुि, २००५ ४. अनुवाद - अनमत कुश, सौम्य प्रकाशन, मुांबई, २०११ munotes.in

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अ न ुव ा द
10 २अनुवाद : आवÔयकता एवं महßव इकाई की रूपरेखा २.० इ काई का उ द्द ेश् य २.१ प्र स् त ाव न ा २.२ अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा २.३ अ न ु व ा द क ा म ह त्त् व २.४ स ा र ा ांश २.५ व स् त ु न न ष्ठ प्र श्न २.६ दीर्घो त्तरी य प्र श्न २.७ स ांद र् भ ग्र ांथ २.० इकाई का उĥेÔय: 'अ न ु व ा द : आ व श् य क त ा ए व ां म ह त्त् व' इ क ा ई क ा म ु ख् य उ द्द ेश् य ह ै - नवद्य ा न थ भ य ों क ो अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा ए व ां म ह त्त् व क े न व ष य म ें न व स् त ृ त ज ा न क ा र ी द ेन ा त ा न क व े इ स क ा अ ध् य य न क र इ स म ें र ो ज ग ा र क ी स ांर् ा व न ा ओ ां क ी त ल ा श क र स क ें, अ न ु व ा द क र न े क ी य ो ग् य त ा न व क न स त क र स क ें। २.१ ÿÖतावना : अ न ु व ा द म ा न व क ी म ू ल र् ू त ए क त ा क ा, न व श्व च ेत न ा क ो ए क स ू त्र म ें न ि र ो न े क ा स ब स े स श क्त म ा ध् य म ह ै न ज स म ें द ो र् ा ष ा ओ ां क ी ब ा ह र ी न व न र् न् न त ा ओ ां क ो क म न क य ा ज ा त ा ह ै, द ो र् ा ष ा- स ांस् क ृ न त क ी त ह त क ज ा क र म ा न व ी य अ न स् त त् व क े ए क स म ा न त त् व ों क ो प्र क ा श म ें ल ा य ा ज ा त ा ह ै। य ह क ा य भ न ब न ा अ न ु व ा द क े क द ा न ि स ांर् व न ह ीं ह ै । य ू ूँ त ो अ न ुव ा द , अ न ु व ा द स ांप्र ेष ण, समन्वय क ा ए क ऐ स ा स ा ध न ह ै न ज स क ा अ न स् त त् व ह ज ा र ों व ष ों स े ह ै त ो ज ा न ह र स ी ब ा त ह ै न क य ह म न ु ष् य जीव न क ी ए क अ न न व ा य भ आ व श् य क त ा ह ज ा र ों स ा ल ों स े र ह ी ह ै। ि र न् त ु अ त् य ा ध ु न न क य ु ग म ें ज ब नन त न ए-न ए ि र र व त भ न ह ो र ह े ह ैं प्र न त क्ष ण ह म न व क ा स क ी स ी न ि य ा ूँ च ि र ह े ह ैं, व ैश्व ी क र ण - ब ा ज ा र ी क र ण क ी द ु न न य ा म ें स ा ूँ स ल े र ह े ह ै त ो ऐ स े म ें अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा स म य क े स ा थ-साथ औ र बित ी ज ा र ह ी ह ै। २.२ अनुवाद कì आवÔयकता : व त भ म ा न य ु ग व ैश्व ी क र ण, बाजारी करण, उि र्ोक्ता वा द, त म ा म व ै ज्ञ ा न न क अ न ु स ांध ा न ों औ र स ू च न ा औ र स ांच ा र क्र ा न न् त क ा य ु ग ह ै। न व क ा स क ी र फ़् त ा र ज ैस े-ज ैस े त ेज ग न त ि क ड़ र ह ी ह ै व ैस े-व ैस े स ू च न ा क ी आ व श् य क त ा औ र म ह त्त् व र् ी क ा फ ी ग न त ि क ड़ त ी ह ै। न व ज्ञ ा न औ र स ांच ा र क्र ा न न् त क े munotes.in

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अ न ुव ा द : आ व श्य क ता ए व ां
मह त्त् व
11 क्ष ेत्र म ें ह ो न े व ा ल े न ए-न ए अ न ु स ांध ा न ों क ी ज ा न क ा र ी अ न् य व ै ज्ञ ा न न क ों स म ेत स र् ी अ न ु स ांध ा न क त ा भ प्र ा प्त क र न ा च ा ह त े ह ैं। य ह ज ा न क ा र ी न ज स र् ा ष ा म ें उ ि ल ब् ध ह ै, उ स े अ ि न ी र् ा ष ा म ें ल ा न े क े न ल ए अ न ु व ा द क ों क ी आ व श् य क त ा ि ड़ त ी ह ै। व त भ म ा न य ु ग म ें प्र त् य ेक व् य न क्त क े ज ी व न म ें ए क द ूस र े क ी आ व श् य क त ा ओ ां क ी ि ू न त भ म ें प्र त् य क्ष य ा ि र ो क्ष रू ि स े स ह र् ा न ग त ा ब ि ी ह ै। ब ह ु र ा ष् र ी य क ां ि न ी, उ ि र् ो क्त ा व ा द औ र ब ा ज ा र ी क र ण क े य ु ग म ें य ह स ह र् ा न ग त ा ज ैस े-ज ैस े ब ि र ह ी ह ै व ैस े-व ैस े अ न ुव ा द क ी आ व श् य क त ा त ेज ी स े ब ि रह ी ह ै। उ द ा ह र ण स् व रू ि आ ज क े य ु ग म ें य न द न क स ी ब ह ु र ा भ ष् र ी य क ां ि न ी क ो अ ि न ा उ त् ि ा द (Product) र् ा र त क े ग ा ूँ व-ग ा ूँ व म ें ब ेच न ा ह ैं, शह र शहर म ें ब ेच न ा ह ै त ो उ स उ त् ि ा द क ा न व ज्ञ ा ि न ब ड़ े -ब ड़ े स ु ि र स् ट ा र, अ न र् न ेत ा-अ न र् न े न त्र य ों द्व ा र ा ब ड़ े ि ैम ा न े ि र र् ा र त क े न व न र् न् न र् ा ष ा ओ ां म ें क र व ा न ा ह ो ग ा, न व न र् न् न र् ा ष ा ओ ां म ें अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा ि ड़ े ग ी, य ह क ा य भ क र त े स म य श ह र ी औ र ग्र ा म ी ण ि र र व ेश क े ल ो ग ों ( उ ि र् ो क्त ा ओ ां ) क ो ध् य ा न म ें र ख क र न व ज्ञ ा ि न त ैय ा र न क य ा ज ा ए ग ा, न व न र् न् न र् ा ष ा ओ ां म ें उ स े अ न ू न द त न क य ा जाएगा, त ो ज ा न ह र ह ै न क य ह ा ूँ अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा ब ड़ े ि ैम ा न े ि र ह ो ग ी । इ स ी प्र क ा र द न क्ष ण र् ा र त म ें ब न न े व ा ल ी, न व द ेश ी र् ा ष ा ओ ां म ें ब न न े व ा ल ी अ स ांख् य न फ ल् म ों क ो न ह न् द ी क े स ा थ-साथ न व न र् न् न द ेश ी-न व द ेश ी र् ा ष ा ओ ां म ें ब न ा य ा ज ा र ह ा ह ै, त म ा म क ा ट ू भ न, ध ाराव ा नहक, सामान जक-ध ा न म भ क-श ैक्ष न ण क क ा य भ क्र म ब न ा य े ज ा र ह े ह ैं इ न स ब क ा र् ा ष ान् त र ण न क य ा ज ा र ह ा ह ै अ न ुव ा द न क य ा ज ा र ह ा ह ै। ऐ स े म ें अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा औ र ब ि र ह ी ह ै। आ ज म ैग ी, क ो ल् ड न र ांक् स, िास् त ा, निज्ज ा, स ौ न् द य भ, प्र स ा ध न ों क ी ि ह ु ूँ च ग ा ूँ व-ग ा ूँ व त क फ ै ल ी ह ै त ो इ स म ें अ न ु व ा द क ी ब ह ुत अ ह म र् ू न म क ा ह ै। व त भ म ा न य ु ग अ न ु व ा द क ा य ु ग ह ै । स म ग्र न व श्व क े न ल ए आ ज अ न ुव ा द क ी ि र म आ व श् य क त ा ह ै। स ांस ा र क े न क स ी र् ी द ेश म ें य न द क ो ई न ई ख ो ज ह ो र ह ी ह ै, न य ा अ न ु स ांध ा न ह ो र ह ा य ा न फ र क ो ई न य ा न व च ा र स ा म न े आ त ा ह ै त ो प्र त् य ेक द ेश क ी य ह ी क ो न श श ह ो त ी ह ै न क उ स क ी स ू च न ा य ा ज ा न क ा र ी य थ ा श ी घ्र उ स क े न ा ग र र क ों क ो न म ल स क े । य ह ज ा न क ा र ी अ ि न े द ेश क ी र् ा ष ा म ें ल ो ग ों त क ि ह ु ूँ च ा न े क े न ल ए अ न ु व ा द क ो म ा ध् य म ब न ा य ा ज ा त ा ह ै। स ांि ू ण भ न व श्व म ें द ेश ों म ें ल ग र् ग ५००० स े अ न ध क र् ा ष ा ओ ां, ब ो न ल य ों क ा प्र य ो ग न क य ा ज ा त ा ह ै अ त ः न क स ी ए क द ेश क ी क ा य ा भ त् म क, स ृ ज न ा त् म क औ र व ै च ा र र क त ा ल म ेल क ो अ न् य द ेश ों क े स ा थ स् थ ा न ि त क र न े क े नलए अ न ु व ा द स ब स े स श क्त म ा ध् य म ह ै। र् ा र त ज ैस े ब ह ु र् ा ष ी, ब ह ुस ांस् क ृ न त स े स ांि न् न द ेश क े न ल ए अ न ु व ा द क ी म ह त्त ा औ र अ न ध क ब ि ज ा त ी ह ै। अ त ः न व श्व क े न क स ी र् ी द ेश, स ांस् क ृ न त, र्ाषा औ र व् य न क्त क े न ल ए ब ा क ी ब च े अ न् य द ेश ों स े ज ु ड़ न े क े न ल ए, उ स े ज ा न न े स म झ न े क े न ल ए अ न ु व ा द क े अ ल ावा अन् य क ो ई म ा ध् य म न ह ीं ह ै। म न ु ष् य अ ि न े र ा ज् य, अ ि न े द ेश क े अ ल ा व ा अ न् य र ा ज् य ों य ा अ न् य द ेश ों क े स ा थ अ ि न ा स ा ांस् क ृ न त क, सामा न जक, राजनी नतक, वा न णन ज्यक, व्या िाररक, क ई ब ा र ि ा र र व ा र र क स ांब ांध स् थ ा न ि त क र न ा च ा ह त ा ह ै न ज स क े न ल ए अ न ु व ा द क य ा द ु र् ा न ष ए क ी आ व श् य क त ा ि ड़ त ी ह ी ह ै। व् य न क्त य न द द ूस र े द ेश ों, राज्य ों की ऐनतह ानस क, स ा ांस् क ृ न त क, र्ौगो नलक, ध ा न म भ क, आ न थ भ क, सामान जक औ र स ा न ह न त् य क ध र ो ह र आ न द क ा ग ह न अ ध् य य न क र न ा च ा ह त ा ह ै त ो उ स े अ न ु व ा द क ा स ह ा र ा ल ेन ा ह ी ि ड़ त ा ह ै। य ह अ ध् य य न न ब न ा अ न ुव ा द क े स ां र् व ह ी न ह ीं ह ै। अ न ेक ल ो ग ऐ स े ह ो त े ह ैं ज ो ए क स ा थ अ न ेक र् ा ष ा ि र अ ि न ा ि ू र ा अ न ध क ा र र ख त े ह ै ल ेन क न व े अ न ध क स े अनधक ८-१० र् ा ष ा ओ ां क े ज ा न क ा र ह ो स क त े ल ेन क न स र् ी र् ा ष ा ओ ां क े ज ा न क ा र न ह ीं ह ो स क त े ह ै। munotes.in

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अ न ुव ा द
12 इ स त रह, व ा स् त व म ें र ा ष् र ी य ए क त ा स े ल ेक र अ ांत र ा भ ष् र ी य न न क ट त ा ब ि ा न े म ें अ ि न ी अ ह म र् ू न म क ा न न र् ा त ा ह ै, इ स न ल ए अ न ु व ा द आ ज क ी आ व श् य क त ा ह ै। द ु न न य ा क े ह र क ो न े म ें ज्ञ ा न-नव ज्ञा न-स ू च न ा व स ां च ा र क्र ा ांन त क े य ु ग म ें, न न त न ई न व क न स त ह ो र ह ी त क न ी क ी क े य ु ग म ें स ांस ा र की समग्र प्र गनत - उ न् न न त औ र उ ि ल न ब् ध य ों क ो ज ा न न े स म झ न े औ र अ ध् य य न क र न े क ा स व भ स ु ल र् म ा ध् य म अ न ु व ा द ह ी ह ै। अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा ि र ब ल द ेत े ह ु ए क न व ड ॉ . ह र र व ांश र ा य ब च् च न य ह म ा न त े थ े न क “ अ न ु व ा द ए क र् ा ष ा क ा द ू स र ी र् ा ष ा क ी ओ र ब ि ा य ा ग य ा म ैत्र ी क ा ह ा थ ह ै। व ह न ज त न ी ब ा र औ र न ज त न ी न द श ा ओ ां म ें ब ि ा य ा ज ा स क े, ब ि ा य ा ज ा न ा च ा न ह ए । अ न ु व ा द द ो र् ा ष ा ओ ां क े ब ी च म ैत्र ी क ा ि ू ल ह ैं। ” न व द्व ा न ग ो ि ी न ा थ न अ न ुव ा द क ी आ व श् य क त ा र ा ष् र ी य अ ांत र ा भ ष् र ी य ए क त ा स् थ ा न ि त क र न े क े उ द्द ेश् य स े र् ी द ेख त े ह ैं। उ न क ा क ह न ा ह ै न क र् ा र त ज ैस े ब ह ुर् ा ष ा-र् ा ष ी द ेश म ें अ न ु व ा द क ी उ ि ा द ेय त ा स् व य ां न स द्ध ह ो त ी ह ै। अ न ु व ा द-न व ज्ञ ा न ी ड ॉ . ज ी ग ो ि ी न ा थ क े श ब् द ों म ें “ अ न ु व ा द ए क ऐ स ा स ेत ु ब ांध न क ा क ा य भ ह ै, न ज स क े न ब न ा न व श्व स ांस् क ृ न त क ा न व क ा स स ांर् व न ह ीं ह ै। अ न ु व ा द क े द्व ा र ा ह म म ा न व क े इ स न व श्व क ु ट ु ां ब म ें स ांि ू ण भ ए क त ा औ र स म झ द ा र ी क ी र् ा व न ा न व क न स त क र स क त े ह ैं, म ैत्र ी ए व ां र् ा ई च ा र े क ो न व क न स त क र स क त े ह ैं औ र ग ु ट ब ांद ी, स ांक ु न च त प्र ा न् त ी य त ा व ा द आ न द स े म ु क्त ह ो क र म ा न व ी य ए क त ा क े म ू ल न ब ांद ू त क त क ि ह ु ूँ च स क त े ह ैं। ” अ ांत त ः क ह ा ज ा स क त ा ह ै न क ज्ञ ा न न व ज्ञ ा न, स ू च न ा औ र स ांच ा र क्र ा न न् त, प्र ौ द य ो नगकी, त कन ीकी, व्यव स ाय , ित्रकारर त ा, ज न स ांच ा र, नच नकत्स ा, क ा न ू न, प्र शासन, क ल ा , स ांस् क ृ न त वा नण ज् य-व् य ा ि ा र औ र अ न ु स ांध ा न आ न द क्ष ेत्र ों म ें अ न ु व ा द क े न बन ा क ु छ र् ी ह ो न ा अ स ां र् व ह ै। सामान जक-स ा ांस् क ृ न त क-आ न थ भ क ए व ां स ा न ह न त् य क न व क ा स, र ा ष् र ी य ए क त ा अ ख ांड त ा ए व ां न श क्ष ा का प्र चा र-प्र स ा र क र न े म ें अ न ु व ा द क ी म ह त्त् व ि ू ण भ र् ू न म क ा ह ै। इ न त म ा म क्ष ेत्र ों म ें आ ज अ न ु व ा द ए क स् व त ांत्र व् य व स ा य औ र आ ज ी न व क ा क ा म ा ध् य म ब न च ु क ा ह ै। ऐ स े म ें अन ु व ा द आ ज क े य ु ग म ें आ व श् य क ह ी न ह ीं ब न ल् क ि र म आ व श् य क ह ै। २.३ अनुवाद का महÂव : य ह य ु ग अ न ु व ा द क ा ह ै। व त भ म ा न य ु ग म ें अ न न ग न त ल ो ग ऐ स े ह ैं ज ो अ न ेक र् ा ष ा ओ ां क े ज ा न क ा र ह ैं, म म भ ज्ञ ह ै, ि ा र ां ग त ह ै। व े न ज न र् ा ष ा ओ ां क ो र् ल ी-र् ा ूँ न त ज ा न त े ह ैं उ न म ें न ल न ख त ज्ञान-नव ज्ञान क े न व न र् न् न ि ह ल ु ओ ां क ी न व स् त ृ त ज ा न क ा र ी र ख स क त े ह ै ल ेन क न उ न् ह ें स र् ी न व ष य ों क ा ज्ञ ा न ह ो य ा अ न् य र् ा ष ा ओ ां म ें न ल न ख त अ न त आ ध ु न न क, ज्ञान-नव ज्ञा न का समग्र-ज्ञान ह ो, य ह कदानि अ स ांर् व ह ै। ऐ स े म ें अ न ु व ा द क ी म ह त्त् व स व भ न व न द त ह ै। अ न ु व ा द ए क ऐ स ा म ा ध् य म ह ै ज ो इनतह ास क े न व न र् न् न म ो ड़ ों ि र स ा ांस् क ृ न त क न व ज ा ग र ण क ा म ु ख् य म ा ध् य म ब न ा । न व श्व ब न् ध ु त् व क ी क ल् ि न ा को स ा क ा र क र न े क े न ल ए न व श्व स ा न ह त् य क ा अ न ु व ा द आ व श् य क ह ै। आ ज व ैश्व ी क र ण क े य ु ग म ें ज ब न व श्व ग्र ा म क ी ब ा त उ ठ त ी ह ै त ो न व श्व म ैत्र ी, द ेश ों क े आ ि स ी स ह य ो ग क े इ स य ु ग म ें न व श्व की ज न म ा न स क ो स म झ न ा अ न न व ा य भ ह ो ग य ा ह ै। आ ज क ा य ु ग ि र म ा ण ु ब म क ा य ु ग ह ै, न ह ांस ा त् म क, र् ा व न ा ओ ां क े च र म ो त् क ष भ ि र ि ह ु ूँ च न े क ा य ु ग ह ै। ऐ स े म ें इ स ब ा त क ी आ व श् य क त ा औ र अ न ध क ब ि ज ा त ी ह ै न क न व श्व स ा न ह त् य म ें न व द्य म ा न य थ ेष्ट आ द श भ न व च ा र ध ा र ा ओ ां क ो ि ु न ः आ ज क े स ांद र् भ म ें स म झ ा जाय , त माम अव ध ा र ण ा ओ ां, न व च ा र ध ा र ा ओ ां क ा अ न ु व ा द अ न न व ा य भ रू ि स े न क य ा ह ै, munotes.in

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अ न ुव ा द : आ व श्य क ता ए व ां
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13 उ स े स व भ स ु ल र् ब न ा क र ज न म ा न स क ो व ैन श्व क श ा ांन त क े प्र न त ज ा ग रू क न क य ा ज ा ए । य ह क ा य भ अ न ु व ा द क े न ब न ा ह ो न ा म ु न श् क ल ह ै। र् ा र त म ें प्र ा च ी न क ा ल स े ह ी अ न ु व ा द क ा म ह त्त् व स म झ ा ज ा त ा र ह ा ह ै। ह ा ल ा ूँ न क य ह र् ी स च ह ै प्र ा च ी न क ा ल ी न र् ा र त म ें अ न ूनदत स ा न ह त् य अ न ध क म ा त्र ा म ें उ ि ल ब् ध न ह ीं ह ै। ि र न् त ु इ त न ा अ व श् य ह ै न क इ स क ा ल म ें र् ी अ न ु व ा द क ा व् य ा ि क म ह त्त् व ह ै। म ध् य क ा ल ी न य ु ग म ें आ य ु व ेद, ज्योन त ष, न ीनत, क थ ा व ा त ा भ इ त् य ा न द क ा अ न ु व ा द स ांस् क ृ त स े अ न् य र् ा ष ा ओ ां म ें ह ोन े ल ग ा थ ा । य ह ा ूँ र् ा ष ा स े अ न र् प्र ा य ब ो ल च ा ल क ी र् ा ष ा न ह न् द ी स े ह ै। न व द ेश ों म ें र् ी अ न ुव ा द क ी ि र ां ि र ा प्र ा च ी न ह ै। ग्र ी क र् ा ष ा म ें न ल ख ी ग ई स ु क र ा त, प् ल ेट ो, अ र स् त ू आ न द क ी र च न ा ए ूँ ए न श य ा क े न व न र् न् न द ेश ों क ी न व न र् न् न र् ा ष ा ओ ां म ें अ न ू न द त ह ो क र ज्ञ ा न-नव ज्ञ ान, क ल ा औ र स ां स् क ृ न त क ा न व क ा स क र त ी र ह ी ह ै। ठ ी क इ स ी प्र क ा र र् ा र त ी य न व द्व ा न ों र् ी र च न ा ओ ां क ा अ न ु व ा द ि ह ल े अ र ब ी औ र उ स क े ब ा द उ न क ा य ू र ो ि ी य र् ा ष ा ओ ां म ें अ न ु व ा द ह ु आ, न ज स स े र् ा र त ी य स भ् य त ा स ांस् क ृ न त क ा आ द ा न-प्र दान, प्र चा र-प्र स ा र ह ुआ । अ त ः स् ि ष्ट ह ै न क अ न ु व ा द क ा य भ क े न ब न ा म न ु ष् य त ा क ा न व क ा स क न ठ न ह ो ज ा त ा ह ै। आ ज प्र त् य ेक द ेश म ें प्र न त न द न प्र त् य ेक क्ष ेत्र म ें न व न र् न् न प्र क ा र क े अ न ु स ांध ा न, अ न् व ेष ण, व्या ख्य ा ए व ां न व श्ल ेष ण ह ो र ह े ह ैं न ज न् ह ें आ म ल ो ग ों त क ि ह ु ूँ च ा न े म ें अ न ु व ा द क ी अ ह म र् ू न म क ा ह ो त ी ह ै। ह ा ल ा ूँ न क आ ज क ा म न ु ष् य अ न े क र् ा ष ा ए ूँ ज ा न त ा ह ै। व ह ह र र् ा ष ा म ें द क्ष ह ो स क त ा ह ै । ल ेन क न उ स े स र् ी र् ा ष ा ओ ां औ र उ न म ें प्र ा प्त स र् ी प्र क ा र क े अ ध ु न ा त न ज्ञ ा न-न वज्ञ ा न, अ न ु स ांध ा न आ न द जान कारी प्र ाप्त हो, य ह अ स ांर् व ह ै। ऐ स ी ि र र न स् थ न त म ें अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा औ र ब ि ज ा त ी ह ै। अ न ु व ा द क े स ांब ांध म ें ि ह ल े क े ल ो ग अ क स र ह ेय ा त् म क दृ न ष्ट स े य ा ह ी न दृ न ष्ट स े द ेख ा क र त े थ े । ि र न् त ु ध ी र े-ध ी र े उ न क ा भ्र म ट ू ट ग य ा । अ न ुव ा द क र न ा, न क स ी स ृज न ा त् म क ल ेख न स े क म क न ठ न क ा य भ न ह ीं ह ै । म ू ल ल ेख क अ ि न ी र् ा ष ा म ें ज ब क ो ई अ ि न ी म ौ न ल क र च न ा प्र स् त ु त क र त ा ह ै त ो व ह अ ि न ी र् ा ष ा म ें स ृ ज न ा त् म क ल ेख न क र त ा ह ै, ल ेन क न अ न ु व ा द क, म ू ल ल ेख न क ी सान हनत्यक, स ा ांस् क ृ न त क, व ैज्ञ ा न न क, न व न ध स ांब ांध ी आ न द स र् ी त थ् य ों को ब ा र ी क ी स े स ू क्ष् म त ा समझकर, आ त् म स ा त क र क े उ न् ह ें अ ि न े ल क्ष् य म ें अ त् य न् त स ांज ी द ग ी स े प्र स् त ु त क र त ा ह ै। अ न ु व ा द क क ा उ द्द ेश् य म ू ल स ा न ह त् य क े स ांद ेश क ो स म ा न रू ि स े स ांप्र ेन ष त क र न ा ह ो त ा ह ै। इ स न ल ए अ न ु व ा द क ा य भ अ न ध क ि र र श्र म औ र न व श ेष न व श ेष ज्ञ त ा क ी अ ि े क्ष ा र ख त ा ह ै क् य ों न क अ न ुव ा द क क ो म ू ल ल ेख क क ी म न ो र् ू न म त क, मन, म न स् त ष् क त क ि ह ु ूँ च न ा ह ो त ा ह ै। अ न ु व ा द क र न े क ी क ल ा र् ी स ब क ो न ह ीं आ त ी ह ै। य ह न क स ी र् ी दृ न ष्ट स े ह ेय ा त् म क य ा क म त र न ह ीं ह ै। ब न ल् क य ह औ र अ न ध क क न ठ न क ा य भ ह ो न े क ी व ज ह स े औ र अ न ध क म ह त्त् व ि ू ण भ ह ै। स च् च ा ई त ो य ह ह ै न क आ ज क े प्र न त ि ल ब द ल त े ि र र व ेश म ें स म स् त न व श्व क े स ा म न े अ ि न े-अ ि न े अ न स् त त् व क ो ब च ा य े ब न ा ए र ख न े क े न ल ए औ र म न ुष् य क ो न न र ां त र न व क ा स क र न े क े न ल ए अ न ु व ा द स ब स े स श क्त म ा ध् य म ह ै। अ ांत त ः य ह क ह ा ज ा स क त ा ह ैं न क अ न ु व ा द क ा क्ष ेत्र अ त् य न् त व् य ा प्त ह ै। च ा ह े स ा म ा न ज क, राजनी नतक, आ न थ भ क, र्ौगो न लक, व ैन श्व क, ऐनतह ानस क, ध ा न म भ क, स ा ांस् क ृ न त क, सान हनत्यक, ि य भ ट न, ि य ा भ व र ण इ त् य ा न द स े ज ु ड़ ा क्ष ेत्र ह ो, च ा ह े स ू च न ा औ र स ांच ा र क्र ा न न् त, ज्ञा न न वज्ञ ा न, अ ध ु न ा त न अ न ुस ांध ा न, त क न ी क ी औ र प्र ौ द य ो न ग क ी स े ज ु ड़ ा क्ष ेत्र ह ो, च ा ह े त म ा म त र ह क े ट ी . munotes.in

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अ न ुव ा द
14 वी . ध ाराव ानहक, न स न ेम ा, द ूर द श भ न, समाच ारित्र, ज न स ांच ा र, आ क ा श व ा ण ी , क ा ट ू भ न, कला, ख ेल क ु द, ध म भ औ र स ां स् क ृ न त , न व ज्ञ ा ि न, व् य व स ा य य ा व् य ा ि ा र स े ज ु ड़ ा क्ष ेत्र ह ो, प्र त् य ेक क्ष ेत्र म ें अ न ु व ा द अ स ी न म त, अ ि र र न म त ह ै। इ स े न कस ी स ी म ा क्ष ेत्र क े अ ांत ग भ त न ह ीं ब ा ूँ ध ा ज ा स क त ा ह ै, न ज न त म ा म क्ष ेत्र ों क ा य ह ा ूँ उ ल् ल ेख न क य ा ग य ा ह ै, इ स क े अ न त र र क्त र् ी अ न् य अ स ांख् य क्ष ेत्र ह ैं न क ज ह ा ूँ अ न ु व ा द क ी अ ह म र् ू न म क ा ह ै। इ न त म ा म क्ष ेत्र ों म ें अ न ु व ा द क र न े क े न ल ए अ न ु व ा द क ों द्व ा र ा ह ी त ैय ा र र य ा ूँ क ी ज ा त ी ह ै औ र अ न ु व ा द न क य ा ज ा त ा ह ै। इ स प्र क ा र य ह क ह ा ज ा स क त ा ह ै न क आ ज क े न न त न ए ि र र व न त भ त ह ो त े य ु ग म ें अ न ु व ा द का म ह त्त् व औ र अ न ध क ब ि ग य ा ह ै। २.४ सारांश आ ध ु न न क य ु ग म ें अ न ु व ा द क ा न व श ेष म ह त् व र ह ा ह ै | ज ब-ज ब न ए ि र र व त भ न ह ो त े ह ै त ब म न ु ष् य क े ज ी व न म ें अ न ुव ा द क ी आ व श् य क त ा होत ी ह ै | इ स व ैश्व ी क र ण औ र ब ा ज ा र ी क र ण क ी द ु न न य ा म ें अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा स म य क े स ा थ ब ि त ी ह ु ई न द ख ा ई द ेत ी ह ै | इ स अ ध् य ा य म ें छ ा त्र न व श ेष त ः अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा औ र उ स क े म ह त् व क ो न व स् त ा र स े ज ा न ि ा ए ह ै | २.५ वÖतुिनķ ÿij प्र.१ अ न ु व ा द क र न े क े न ल ए न क त न े र् ा ष ा ओ ां क ी आ व श् य क त ा ह ो त ी ह ै? उ. क म स े क म द ो र् ा ष ा ओ ां क ी । प्र .२ अ न ु व ा द ह ेत ु अ न न व ा य भ द ो न ों र् ा ष ा ओ ां क े क् य ा न ा म ह ैं? उ. (i) स्त्र ोत र्ाषा । (ii) लक्ष् य र्ाषा । प्र.३ न ज स र् ा ष ा म ें न ल न ख त स ा म ग्र ी क ा अ न ु व ा द न क य ा ज ा र ह ा ह ै, उ स र् ा ष ा क ो क् य ा क ह त े ह ैं? उ. स्रोत र्ाषा । प्र.४ ए क र् ा ष ा म ें न ल न ख त स ा म ग्र ी क ा न ज स र् ा ष ा म ें अ न ु व ा द ह ो त ा ह ै व ह र् ा ष ा क् य ा क ह ल ा त ी ह ै ? उ. लक्ष् य र्ाषा । प्र.५ स्र ो त र् ा ष ा क् य ा ह ै? उ. न ज स र् ा ष ा स े अ न ु व ा द न क य ा ज ा त ा ह ै व ह स्र ो त र् ा ष ा ह ै । प्र.६ ल क्ष् य र् ा ष ा क् य ा ह ै? munotes.in

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15 उ. न ज स र् ा ष ा म ें र् ा ष ा न् त र न क य ा ज ा त ा ह ै य ा अ न ु व ा द न क य ा ज ा त ा ह ै, व ह ल क्ष् य र् ा ष ा ह ै। प्र.७ ब ह ु र ा भ ष् र ी य क ां ि न न य ों क ी ि ह ु ूँ च ग ा ूँ व-ग ा ूँ व त क न क स क े म ा ध् य म स े ह ु ई ह ै? उ. अ न ु व ा द क े ज र र य े । प्र.८ अ न ु व ा द क ो द ो र् ा ष ा ओ ां क े ब ी च ‘ म ैत्र ी क ा ि ु ल ’ न क स न े क ह ा ह ै? उ. ह र र व ांश र ा य ब च् च न न े । प्र.९ अ न ु व ा द क ा द ा य र ा क ह ा ूँ त क ह ै? उ. न व स् त ृ त-व्या िक-असीनमत । प्र.१० अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा क् य ों ब ि ग ई ह ै? उ. नव श्व स् त र िर ज्ञान-नव ज्ञा न, त क न ी क ी आ न द त म ा म क्ष ेत्र ों म ें ल ग ा त ा र अ न ु स ांध ा न ह ो न े, ि र र व त भ न ह ो न े क े क ा र ण अ न ु व ा द क ा म ह त्त् व औ र इ स क ी आ व श् य क त ा ब ि त ी ज ा र ह ी ह ै। २.६ दीघō°रीय ÿij प्र . १ अ न ु व ा द क े म ह त्त् व ि र प्र क ा श ड ा न ल ए । प्र . २. अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा क् य ों ि ड़ त ी ह ै? सोदा हरण स मझाकर नलनखए। प्र . ३. अ न ु व ा द क ी म ह त्त ा प्र न त ि ा न द त क ी न ज ए । प्र . ४. अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा ि र प्र क ा श ड ा न ल ए । प्र . ५. अ न ु व ा द क ी आ व श् य क त ा औ र म ह त्त् व क ो अ ि न े श ब् द ों म ें न ल न ख ए । २.७ संदभª úंथ १. प्र य ो ज न म ू ल क न ह न् द ी - न व न ो द ग ो द र े, वा णी प्र काशन, न ई नदल् ली, १९९ ८ २. प्र य ो ज न म ू ल क न ह न् द ी - ड ॉ . अ ांब ा द ा स द ेश म ु ख, श ैल ज ा प्र क ा श न, क ा न ि ु र, २००९ ३. प्र य ो ज न म ू ल क न ह न् द ी - ड ॉ . ल क्ष् म ी क ा ांत ि ा ांड े य, डॉ. प्र नमला अव स् थी, क ल् य ा ण च ांद्र च ौ ब े, आशीष प्र काशन, क ा न ि ु र, २० ०५ ४. अ न ु व ा द - अ न म त क ु श, सौम्य प्र काशन, म ु ांब ई, २०११ munotes.in

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अ न ुव ा द
16 ३अनुवाद कला एवं िव²ान इकाई कì łपरेखा ३.० इ काई का उ द्द ेश् य ३.१ प्र स् त ाव न ा ३.२ अ न ु व ा द क ल ा ए व ं व व ज्ञ ा न ३.३ स ा र ा ंश ३.४ व स् त ु व न ष्ठ प्र श्न ३.५ दीर्घो त्तरी प्र श्न ३.६ स ंद र् भ ग्र न् थ स ू च ी ३.० इकाई का उĥेÔय : इ स इ क ा ई क ा म ु ख् य उ द्द ेश् य ह ै व व द य ा व थ भ य ों क ो य ह स म झ ा न ा व क – • अ न ु व ा द ए क क ल ा व क स प्र क ा र ह ै। • अ न ु व ा द क ो व व ज्ञ ा न क् य ों क ह ा ग य ा ह ै। ३.१ ÿÖतावना : अ न ु व ा द ए क क ल ा ह ी न ह ीं बवक क ए क व व ज्ञ ा न र् ी ह ै। इ स क े स ा थ ह ी स ा थ य ह ए क क ौ श ल र् ी ह ै। अ न ु व ा द ए क क ल ा, व व ज्ञ ा न औ र व श क प त ी न ों ह ै व ि स क े व ल ए अ न ु व ा द क क ो द ो र् ा ष ा ओ ं अ थ ा भ त स्त्र ो त र् ा ष ा औ र ल क्ष् य र् ा ष ा क ी स ंप ू र् भ ज्ञ ा न अ व न व ा य भ रू प स े ह ो न ा च ा व ह ए । इ स क े ब ा द अ न व र त रू प स े व न र ं त र अ न ु व ा द क र न े क ा अ भ् य ा स अ न ु व ा द क क ो द क्ष ब न ा द ेत ा ह ै। अ न ु व ा द क ा अ न ु श ी ल न औ र अ ध् य य न, क र क े अ न ु व ा द स फ ल त ा प्र ा प्त क र स क त ा ह ै। इ स इ क ा ई म ें अ न ु व ा द व क स प्र क ा र क ल ा औ र व व ज्ञ ा न द ो न ों ह ै इ स व व ष य प र च च ा भ क ी ि ा ए ग ी । ३.२ अनुवाद : कला एवं िव²ान अ न ु व ा द क ल ा औ र व व ज्ञ ा न द ो न ों क ी ह ी श्र ेर् ी म ें स म ाव ह त ह ै। ३.२.१ अनुवाद : एक कला : अ न ु व ा द ए क त र ह क ी क ल ा ह ै। व ि स प्र क ा र ए क क ल ा क ा र, वच त्रकार, गाय क आ वद को अप न ी क ल ा क ो व न ख ा र न े क े व ल ए उ न क ा व ष ो क ा ल ग ा त ा र प्र य ा स, अभ्या स, ररय ाि, म ेह न त ल ग न औ र रु व च आ व द क ी आ व श् य क त ा ह ो त ी ह ै, ठ ी क उ स ी प्र क ा र अ न ु व ा द क क ो र् ी ल ग ा त ा र स ा ध न ा औ र अ भ् य ा स क र न ा प ड़ त ा ह ै त र् ी ि ा क र व ह क ु श ल अ न ुव ा द क ब न स क त ा ह ै। ि ैस ा व क ह म munotes.in

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अ न ुव ा द क ला ए व ं वव ज्ञा न
17 ि ा न त े ह ैं व क अ न ु व ा द क े व ल ए स्त्र ो त र् ा ष ा औ र ल क्ष् य र् ा ष ा द ो न ों क ी प ा र ं ग त त ा अ व न व ा य भ ह ै, इ स क े स ा थ ह ी अ न ु व ा द क क े व ल ए अ व न व ा य भ ह ै व क द ो न ों र् ा ष ा ओ ं क े व्या करवर्क और व् य ा व ह ा र र क व ह न् द ी क ो ध् य ा न म ें र ख े, स्त्र ो त र् ा ष ा क े म ू ल स ा व ह त् य क ी प ू र ी प ृ ष्ठ र् ू व म, उनकी सभ्य त ा-स ंस् क ृ व त, वव चा रधारा, रहन-सहन, खान-पान, प र र व ेश, त म ा म प र र व स् थ व त स े र् ल ी-र् ा ाँ व त प र र व च त ह ो न ा च ा व ह ए त र् ी व ह अ प न े व व ष य क े स ा थ न् य ा य क र स क त ा ह ै क् य ों व क अ न ु व ाद क क ो व क स ी र् ा व य ा व व च ा र ध ा र ा क ो द ूस र ी र् ा ष ा म ें प्र स् त ु त क र न ा ह ो त ा ह ै। इ स क ा य भ को वित न ी पररप क्व त ा, अ भ् य ा स औ र व न ष्ठ ा क ी आ व श् य क त ा ह ो त ी ह ै ठ ी क उ त न ी ह ी इ न स र् ी त थ् य ों क े स म ा य ो ि न क े व ल ए स म न् व य क े व ल ए क ल ा त् म क त ा क ी आ व श् य क त ा ह ै। अ न ु व ा द क ो क ल ा त् म क ब न ा न े क े व ल ए व व श े ष त र ह क े ज्ञ ा न अ थ ा भ त व व ज्ञ ा न क ी आ व श् य क त ा अ व न व ा य भ रू प स े ह ो त ी ह ै, इ स व ल ए अ न ु व ा द क ल ा औ र व व ज्ञ ा न द ो न ों ह ै। श्र ी व थ य ो ड र स ेव र ी न े इ स े अ त् य न् त व् य ा व ह ा र र क त र ी क े स े स् प ष्ट ह ु ए क र त े स म झ ा य ा ह ै- “इ सकी ( व व ज्ञ ा न औ र क ल ा ) त ु ल न ा व च त्र क ल ा औ र फ ो ट ो ग्र ा फ ी ि ैस ी क ल ा ओ ं स े र् ी क ी ि ा स क त ी ह ै क् य ों व क इ न द ो न ों क ल ा ओ ं म ें म ूल प द ा थ भ (object) ह ो त ा ह ै औ र व च त्र क ा र अ थ व ा फ ो ट ो ग्र ा फ र अ प न ी क ल ा स े उ स क ा व च त्र अ थ व ा फ ो ट ो ख ीं च त ा ह ै। क ई ब ा र य ह व च त्र म ू ल रू प स े र् ी स ु ंद र ह ो त ा ह ै। इ स अ थ भ म ें य व द य े द ो न ों क ल ा ए ाँ क ल ा क े क्ष ेत्र म ें आ त ी ह ैं त ो अ न ु व ाद र् ी क ल ा ह ै क् य ों व क अ न ुव ा द क म ू ल क ृ व त क ो अ प न ी क ल ा क े म ा ध् य म स े इ स ी र् ा ष ा म ें अ व र् व् य व ि क र त ा ह ै। अ न ु व ा द व व ज्ञ ा न ह ो न े क ा र् ी द ा व ा क र स क त ा ह ै। व व श ेष क र उ स व स् थ व त म ें ि ब व व ज्ञ ा न अ थ व ा ग व र् त क े स ू त्र ों क ा र् ी अ न ु व ा द व क य ा ि ा त ा ह ै। इ स व स् थ व त म ें अ न ु व ा द य थ ा त थ् य ह ो त ा ह ै औ र उ स क ा व ह ी स् व रू प ह ो त ा ह ै ि ो व क स ी व ैज्ञ ा व न क व व ष य व स् त ु क ा ह ो त ा ह ै। ” व े प ु न ः अ न ु व ा द क ो क ल ा स् व ी क ा र क र त े ह ु ए स् प ष्ट क र त े ह ैं- “ स ह ि स फ ल त ा क ी ख ो ि म ें अ न ुव ा द क ो अ क स र प ु न स ृ भ ि न क र न ा प ड़ त ा ह ै। अ ग र व ह अ न ु व ा द न ल ग े त ो व ह ा ाँ म ू ल ल ेख क क ी ह त् य ा ह ो त ी ह ै औ र य व द अ न ु व ा द, अ न ुव ा द ह ी ल ग े त ो र् ी म ू ल ल ेख क क ी ह त् य ा ह ो त ी ह ै क् य ों व क म क् ख ी की िगह मक्खी चा वहए िीवव त उड़ ान र्रत ी ह ु ई, व र् न व र् न ा त ी ह ु ई । त ा त् प य भ य ह ह ै व क अ न ु व ा द स् व त ंत्र, स र ल र् ी ह ै। अ न ु व ा द क ो क ल ा म ा न न े क ा आ ध ा र य ह र् ी ह ै व क अ न ु व ा द क क ो म ू ल र च न ा क ी आ त् म ा क ो ल क्ष् य र् ा ष ा म ें प्र व तव ब ंव ब त क र न ा प ड़ त ा ह ै। आ त् म ा क ा य ह प्र व त व ब ंब व क स ी य ंत्र अ थ व ा म श ी न द्व ा र ा स ंर् व न ह ीं ह ै।” व ा स् त व म ें द ेख ा ि ा य त ो अ न ु व ा द क र न े क े व ल ए श ब् द च य न, वा क्य चयन, वशकप-श ैल ी, व्या करवर्क – ज्ञ ान, व व ष य ग त ज्ञ ा न क े स ा थ-स ा थ अ न ु व ा द क क े व् य व ि त् व क ा म ह त्त् व र् ी क ा फ ी म ह त्त् व प ूर् भ ह ो त ा ह ै। अ न ु व ा द क म ें र् ी स ृ ि न श ी ल त ा क े ग ु र् व व द्य म ा न ह ो त े ह ैं। ि ैस े व क स्र ो त र् ा ष ा क ी क व व त ा क ो ल क्ष् य र् ा ष ा म ें य व द अ न ु व ा द क र न ा ह ै त ो य ह क ा म व ैज्ञ ा व न क म व स् त ष् क व ा ल े व् य व ि द्व ा र ा स फ ल औ र स ा थ भ क ह ो, इ स म ें थ ो ड़ ा स ंद ेह र ह त ा ह ै। य ह क ा य भ व ह क र र् ी स क त ा ह ै ल ेव क न व ह म ू ल ल ेख क क ी र् ा व ा व र् व् य व ि त क प ह ु ाँ च े, य ह उ स क े व ल ए क व ठ न व स द्ध ह ो स क त ा ह ै। म ू ल स ा व ह त् य क ा र औ र अ न ु व ा द क क ा स् व र् ा व, उसकी अवर् रूवच, प्र क ृ व त, प्र व त र् ा क े स् व रू प क ा अ न ु व ा द प र व् य ा प क प्र र् ा व प ड़ त ा ह ै। य ू ाँ द ेख ा ि ा य त ो अ न ु व ा द क क ी स ृ ि न ा त् म क श व ि त थ ा क क प न ा श व ि म ू ल ल ेख क स े क ु छ ब ढ़ क र ह ी ह ो त ी ह ै। इ स त र ह ि ह ा ाँ स ृ ि न ा त् म क त ा ह ै, र च न ा त् म क त ा ह ै, र् ा व ा व र् व् य व ि ह ै, क क प न ा श ी ल त ा ह ै, स म न् व य ा त् म क त ा ह ै व ह ीं क ल ा त् म क त ा munotes.in

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अ न ुव ा द
18 ह ै। इ स ी दृ व ष्ट स े य ह क ह न े म ें क ो ई स ंक ो च न ह ीं व क अ न ु व ा द क ल ा ह ै व ि स क ी व ैज्ञ ा व न क त ा स े क द ा व प इ ंक ा र न ह ीं व क य ा ि ा स क त ा ह ै। ३.२.२ अनुवाद : एक िव²ान: अ न ु व ा द क ो व व ज्ञ ा न म ा न न े व ा ल े व व द्व ा न ों क ा म ा न न ा ह ै व क “अ न ुव ा द ए क व ैज्ञ ा व न क प्र व ि य ा ह ै, व ि स म ें आ व द स े अ ंत त क स ुव न व ि त त थ ा स ा थ भ क व न य म ों क ो स त् य व न ष्ठ ा औ र त ट स् थ त ा क े स ा थ अ न ु व ा द क क ो प ा ल न ा प ड़ त ा ह ै। स्र ो त र् ा ष ा क े र् ा व ों क ा अ न ु व ा द क द्व ा र ा ग्र ह र्, उसका म ा न व स क रू प स े र् ा ष ा न् त र र्, उ स क े ब ा द ल क्ष् य र् ा ष ा म ें उ स क ी अ व र् व् य व ि । अ न ु व ा द क ी प्र व ि य ा इ स प्र क ा र व ैज्ञ ा व न क ह ो त ी ह ै। ” ववद्व ा न ों र् ा ष ा व व द ों क ा ए क प ू र ा स म ू ह अ न ु व ा द क ो व श क प म ा न त ा ह ै। उ न क े अ न ु स ा र त क न ी क ी, अ थ भ श ा स्त्र, मान वव क ी, प्र शासन, वच वकत्सा, क ं प् य ू ट र, क ृ व ष, र्ाषा वव ज्ञान, सामा विक वव ज्ञ ान, पत्रकाररत ा, रािनी वत शास्त्र, ि ीव वव ज्ञान, रसा य न शास्त्र, र् ौव त क शास्त्र, समस् त व व ज्ञ ा न क्ष ेत्र, वव वध, व ा व र् ज् य व् य ा प ा र आ व द त म ा म ऐ स े क्ष ेत्र ह ैं, व ि न क ी स ा म ग्र ी त थ् य ा त् म क औ र स ू च न ा त् म क ह ो त ी ह ै, व ि स म ें व क स ी र् ी त र ह क ी न त ो क ो ई र् ा व न ा त् म क त ा, स ंव ेद न श ी ल त ा ह ो त ी ह ै औ र न ह ी र ा ग ा त् म क त ा ह ो त ी ह ै। इ स क े व ल ए प्र व श क्ष र्, अ भ् य ा स औ र अ व ध क स े अ व ध क क ा य भ अ न ु र्व ह ी आ व श् य क ह ै। य ह ग ु र् ब ा द म ें उ प य ो ग ी क ल ा ब न ि ा त ी ह ै। उ द ा ह र र् स् व रू प, ब ैंव क ं ग क्ष ेत्र म ें ग्र ा ह क ों क ो अ प न ी य ो ि न ा ओ ं, स ेव ा ओ ं -स ु व व ध ा ओ ं आ व द क े व व ष य म ें व् य ा प क ि ा न क ा र ी द ेन े क े व ल ए ब ैंक आ क ष भ क प ो स् ट र, फ ोकडर, ब्र ो श र आ व द छ प व ा क र ल ग ा त े ह ैं, कर्ी समाच ार-पत्रों; पवत्रक ा ओ ं औ र ह ो व ड िं ग् स आ व द क े म ा ध् य म स े व व ज्ञ ा प न र् ी क र ा त े ह ैं। आ म त ौ र प र य ह स ा र ा क ा य भ अ ंग्र ेि ी र् ा ष ा म ें स ंप न् न ह ो त ा ह ै। इ स क े ब ा द ि ैस ी आ व श् य क त ा ह ो त ी ह ै, उ स ी क े अ न ु स ा र उ न क ा अ न ु व ा द व ह न् द ी य ा अ न् य क्ष ेत्र ी य र् ा ष ा ओ ं म ें व क य ा ि ा त ा ह ै। इ स अ न ु व ा द क ा म ु ख् य उ द्द ेश् य ह ो त ा ह ै ब ैंव क ं ग क ा य ों क ी ि ा न क ा र ी ल व क्ष त ग्र ा ह क ों त क उ स ी क ी र् ा ष ा म ें स र ल त र ी क े स े प ह ु ाँ च ा न ा । ब ैंक म ें प्र च व ल त क ु छ व व व ध क श ब् द व ा स् त व व क व व व ध क श ब् द स े व र् न् न ह ो त े ह ैं ि ैस े व क Delivery क ा ब ैंव क ं ग म ें अ थ भ स ु प ु द भ ग ी औ र व व व ध म ें प र र द ा न ह ो ग ा औ र Depreciation क ा ब ैंव क ंग म ें अ थ भ अ व म ू क य न औ र व व व ध म ें अ व क्ष य र् ह ो ग ा । य े स र् ी श ब् द व ैज्ञ ा व न क प द्ध व त स े ब न ा य े ि ा त े ह ैं औ र इ स त र ह क े ह ो न े व ा ल े त म ा म अ न ु व ा द व ै ज्ञ ा व न क त ा स म् प न् न ह ो त े ह ैं। इ स प्र क ा र ह म द ेख त े ह ैं व क अ न ु व ा द क ा य भ व स फ भ क ा ब भ न क ॉ प ी क र न े ि ैस ा स ह ि स र ल क ा य भ न ह ीं ह ै ब व क क “व ह स्र ो त र् ा ष ा क े स ृ ि न ा त् म क स ा व ह त् य क ी स ृ ि न ा त् म क त ा क ो ल क्ष् य र् ा ष ा म ें उ स ी क्ष म त ा स े उ स क ी स म स् त स ू क्ष् म त ा ओ ं ए व ं र् ंव ग म ा ओ ं क े स ा थ रू प ा ंव क त क र न े क ा प्र य त् न ह ै। द ूस र ी ओ र व ह क ा य ा भ ल य ी अ न ु व ा द क ो रु क्ष आ च ा र स ंव ह त ा ओ ं ए व ं म य ा भ द ा ओ ं क े ब ी च म ू ल क ी क ा य ा भ ल य ी न त ा क ो ल क्ष् य र् ा ष ा म ें उ स क े स ंप ू र् भ अ व र् प्र ेत क र द ेत ा ह ै। स ि भ न ा त् म क स ा व ह त् य क ी स ृ ि न ा त् म क त ा स े उ स क ा स व ि य स ा क्ष ा त् क ा र ए व ं क ा य ा भ ल य ी स ा व ह त् य क े प्र व त उ स क ी अ न ा स ि त ट स् थ त ा क े क ा र र् अ न ु व ा द क ो आ ि क ल ा क े स ा थ-स ा थ व व ज्ञ ा न र् ी म ा न ा ि ा न े ल ग ा ह ै।” munotes.in

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अ न ुव ा द क ला ए व ं वव ज्ञा न
19 ३.३ सारांश स ा र ा ंश त ः य ह क ह ा ि ा स क त ा ह ै व क अ न ु व ा द व व ज्ञ ा न ो न् म ु ख क ल ा ह ै। प ृ ष्ठ र् ू व म क ा व व ज्ञ ा न प क्ष औ र प्र य ो ग क ी क ल ा ध व म भ त ा आ प स म ें व म ल क र अ न ु व ा द क ो ए क व ैज्ञ ा व न क क ल ा स् थ ा व प त क र त े ह ैं। ३.४ वÖतुिनķ ÿij प्र.१ अ न ु व ा द क ो क ल ा क े स ा थ औ र क् य ा क ह ा ग य ा ह ै ? उ. वव ज्ञा न । प्र.२ अ न ु व ा द व ै ज्ञ ा व न क ह ो न े क े स ा थ-साथ औ र क् य ा ह ै? उ. कलात् मक । प्र.३ अ न ु व ा द क ो क ल ा औ र व व ज्ञ ा न ह ो न े स ा थ ह ी औ र क् य ा क ह ा ग य ा ह ै? उ. वशकप, कौशल । प्र.४ वकसी ववज्ञ ान, ग व र् त व च व क त् स ा आ व द स े स ंब ंव ध त अ न ु व ा द क ल ा ह ै य ा व व ज्ञ ा न ? उ. वव ज्ञा न औ र कला दोन ों । प्र.५ व थ य ो ड र स ेव र न े अ प न ी प ु स् त क 'द आ ट भ स ऑ फ ट्र ा न् स ल ेश न' म ें अ न ु व ा द क ल ा ह ै य ा व व ज्ञ ा न स म झ ा न े क े व ल ए व क न क ा उ द ा ह र र् व द य ा ह ै? उ. वच त्रकार औ र फो ट ोग्रा फर । प्र.६ व व ज्ञ ा न स म् म त व व द्व ा न ों क े अ न ुस ा र अ न ु व ा द व क स त र ह क ी प्र व ि य ा ह ै ? उ. ए क व ैज्ञ ा व न क प्र व ि य ा । प्र.७ ब ैंक, व व व र् न् न व व ज्ञ ा न आ व द क े क्ष ेत्र म ें अ न ु व ा द क र न े ह ेत ु अ भ् य ा स क े स ा थ-सा थ व क स क ी आ व श् य क त ा ह ो त ी ह ै ? उ. व व श ेष प्र व श क्ष र् क ी । ३.५ दीघō°रीय ÿij प्र . १ अ न ु व ा द व व ज्ञ ा न ह ै य ा क ल ा ? स् पष्ट कीविए । प्र . २ अ न ु व ा द व व ज्ञ ा न ो न् म ु ख क ल ा व क स प्र क ा र ह ै? समझाकर वलवखए । प्र. ३ अ न ु व ा द व व ज्ञ ा न ह ै य ा क ल ा ? इ स पर प्र काश डावलए । प्र . ४ अ न ु व ा द व व ज्ञ ा न ह ै अ थ व ा क ल ा ? समझाकर वलवखए । munotes.in

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अ न ुव ा द
20 ३.६ संदभª úÆथ सूची १. प्र य ो ि न म ू ल क व ह न् द ी - व व न ो द ग ो द र े, वा र्ी प्र काशन, न ई वदक ली, १९९ ८ २. प्र य ो ि न म ू ल क व ह न् द ी - ड ॉ . अ ंब ा द ा स द ेश म ु ख, श ैल ि ा प्र क ा श न, क ा न प ु र, २००९ ३. प्र य ो ि न म ू ल क व ह न् द ी - ड ॉ . ल क्ष् म ी क ा ंत प ा ंड े य, डॉ. प्र वमला अव स् थी, क क य ा र् च ंद्र च ौ ब े, आशीष प्र काशन, क ा न प ु र, २० ०५ ४. अ न ु व ा द - अ व म त क ु श, सौम्य प्र काशन, म ु ंब ई, २०११ ५. अ न ु व ा द क ल ा - डॉ. एन . ई . ववश्वन ाथ अ य्य र munotes.in

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21 ४अनुवाद के िसĦाÆत, ÿिøया और भेद इकाई कì łपरेखा ४.० इकाई का उĥेÔय ४.१ ÿÖतावना ४.२ अनुवाद शÊद का अथª ४.३ अनुवाद का Öवłप और पåरभाषा ४.४ अनुवाद कì ÿिøया ४.५ अनुवाद के िसĦाÆत ४.६ अनुवाद के भेद ४.७ सारांश ४.८ लघु°åरय ÿij ४.९ वÖतुिनķ ÿij ४.१० संभािवत ÿij ४.११ संदभª úंथ ४.० इकाई का उĥेÔय ÿÖतुत पाठ का अÅययन के बाद छाý -  अनुवाद का अथª और Öवłप समझ पाएँगे ।  अनुवाद का महÂव एवम् ÿिøया को समझ पाएँगे ।  अनुवाद के िसĦाÆतŌ का िववेचन कर पाएंगे ।  अनुवाद के िविभÆन भेदŌ को समझ पाएंगे । ४.१ ÿÖतावना अनुवाद मूल रचना अथवा सूचना सािहÂय को िजतना हो सके मूल भावना के समानांतर अथª एवं संÿेषण के आधार पर लàय भाषा-Target Language (िजस भाषा म¤ अनुवाद करना है) म¤ अिभÓयĉ करने कì ÿिøया है । आजकल अनुवाद के िलए भाषाÆतर, तजुमाª एवम् łपाÆतर आिद पयाªयी शÊदŌ का भी ÿयोग िकया जाता है । ४.२ अनुवाद शÊद का अथª अनुवाद शÊद कì उÂपि° संÖकृत शÊद के ‘वद्’ धातु से हòई है | ‘वद्’ का अथª है बोलना, ‘वद्’ धातु म¤ ‘अ’ ÿÂयय जोड़ देने पर भावाÂमक सं²ा म¤ इसका पåरवितªत łप है ‘वाद’ िजसका munotes.in

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अनुवाद
22 अथª है – ÿाĮ कथन को पुनः कहना | अतः अनुवाद का अथª हòआ – कही हòई बात को िफर से कहना | अंúेजी म¤ अनुवाद के िलए ůांसलेशन शÊद का ÿयोग होता है | यह शÊद अपनी सं²ा के िलए लैिटन शÊद ‘ůांसलेटम’ (Translatum) से आया है, जो दो शÊदŌ के जोड़ से बना है - (ůाÆस + लेटम) - ůाÆस शÊद का अथª होता है (पार अथवा दूसरी ओर) तथा ‘लेटम’ का अथª (ले जाना), इन दोनŌ शÊदŌ के जोड़ से बना एक भाषा के पार दूसरी भाषा म¤ ले जाना । अंúेजी शÊदकोश म¤ भी ůांसलेशन शÊद का यही अथª िमलता है ‘वेÊÖटसª िड³शनरी’ म¤ | ůांसलेट तथा ůांसलेशन शÊद का अथª इसी ÿकार िदया गया है - ůांसलेट अथाªत एक भाषा से दूसरी भाषा म¤ बदलना और ůांसलेशन का अथª है - िकसी सािहिÂयक रचना का दूसरी भाषा म¤ पåरवतªन करना । ४.३ अनुवाद का Öवłप और पåरभाषा अनुवाद संÖकृत भाषा का तÂसम् शÊद है, िकÆतु संÖकृत म¤ अनुवाद का अथª अलग łप से ÿयुĉ होता है – ‘संÖकृत म¤ अनुवाद का शÊदाथª है - “ÿाĮÖय पुनः कथते।” अथाªत (िकसी के) कहने के बाद ‘कहना’ अथवा िकसी कì कही हòई बात को दोहराना । िहÆदी म¤ - एक भाषा म¤ जो कुछ कहा जाए, उसे दूसरी भाषा म¤ Óयĉ करना अनुवाद है। िजस भाषा म¤ अनुवाद करते ह§ उसे ąोत भाषा कहा जाता है और िजस भाषा म¤ उसका अनुवाद िकया जा रहा है उसे लàय भाषा कहते ह§ । अतः सफल अनुवादक म¤ तीन योµयताएँ होनी चािहए। ąोत भाषा का ²ान, लàय भाषा का ²ान और उस िवषय का ²ान, िजससे सÌबिÆधत सामúी का अनुवाद होना है । यिद ąोत भाषा और लàय भाषा के Óयाकरण और मुहावरे म¤ काफì समानता हो तो अनुवाद कायª सरल होता है। दूसरी ओर ąोत भाषा और लàय भाषा के Óयाकरण और मुहावरे म¤ िजतनी िभÆनता होगी, अनुवाद उतना ही किठन होगा और उसके िलए उतने ही कौशल अËयास और सूझ-बूझ कì जłरत होगी। अंúेजी िहÆदी अनुवाद म¤ यही िभÆनता देखने को िमलती है। इसिलए अनुवाद कभी- कभी एक किठन कायª बन जाता है । अनुवाद कì पåरभाषा- िभÆन -िभÆन भाषा वै²ािनकŌ ने अनुवाद को इस ÿकार पåरभािषत करने का ÿयास िकया है - ए. एच. िÖमथ- ने अनुवाद कì पåरभाषा देते हòए िलखा है “अथª को बनाए रखते हòए अÆय भाषा म¤ अंतरण करना |” दी है । कैटफोड - ने अनुवाद कì पåरभाषा इस ÿकार दी है - “मूल भाषा कì पाठ्य सामúी के तÂवŌ को दूसरी भाषा म¤ Öथानांतåरत कर देना अनुवाद कहलाता है ।” १. मूल भाषा, २. मूल भाषा का अथª (सÆदेश), ३. मूल भाषा कì संरचना (ÿकृित) । डॉ. भोलानाथ ितवारी- “एक भाषा म¤ Óयĉ िवचारŌ को यथासÌभव समान और सहज अिभÓयिĉ Ĭारा दूसरी भाषा म¤ Óयĉ करने का ÿयास अनुवाद है।” munotes.in

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अनुवाद के िसĦाÆत,
ÿिøया और भेद
23 देवेÆþ नाथ शमाª के अनुसार, “िवचारŌ को एक भाषा से दूसरी भाषा म¤ łपाÆतåरत करना अनुवाद है।” डॉ. िवनोद गोदरे के अनुसार, “अनुवाद ąोत भाषा म¤ अिभÓयĉ िवचार अथवा वĉÓय अथवा रचना अथवा सूचना, सािहÂय को यथासंभव मूल भावना के समानाÆतर बोध एवं संÿेषण के धरातल पर लàय भाषा म¤ अिभÓयĉ करने कì ÿिøया है।” डॉ. दंगल के अनुसार, “ąोत भाषा के मूल पाठ के अथª को लàय भाषा के पåरिनिķत पाठ के łप म¤ łपाÆतरण करना अनुवाद है।” डॉ. रीतारानी पानीवाल के अनुसार, “ąोत भाषा म¤ Óयĉ ÿतीक ÓयवÖथा को लàय भाषा कì सहज ÿतीक ÓयवÖथा म¤ łपाÆतåरत करने का कायª अनुवाद है।” अनुवाद का मूल उĥेÔय ąोत भाषा कì िवचार सामúी को अपनी भाषा म¤ यथासÌभव मूल łप म¤ उपिÖथत करना है। अनुवाद कì इन पåरभाषाओं से अनुवाद कì ÿकृित, अनुवादक के लàय और अनुवाद कì ÿिøया ÖपĶ होती है | उपयुªĉ पåरभाषाओं से अिभÓयĉ होता है िक अनुवाद वाÖतव म¤ अनुवाद कì कोई सवª सÌमत िनिIJत पåरभाषा नहé दी जा सकती है । यह एक भाषा-समुदाय के िवचारŌ और अनुभवŌ को िकसी दूसरे भाषा-समुदाय के पास सÌÿेिषत करना है। सÌÿेषण के इस ÿयास म¤ अनुवादक कोिशश करता है िक सÌÿेषण लगभग यथावत् हो। लेिकन इस øम म¤ अनुवाद ąोत भाषा म¤ उपलÊध िवचारŌ और अनुभवŌ कì शÊदावली को लàय भाषा कì शÊदावली म¤ पåरवितªत करता है। यह सारी ÿिøया िनिIJत तौर पर उĥेÔय पूवªक होती है। ४.४ अनुवाद कì ÿिøया वÖतुतः अनुवाद एक िĬभािषक ÿिøया है। िविभÆन भाषाओं कì ÿकृित और ÿवृि° एक दूसरे से िभÆन होती है, अतएव अनुवाद कì सफलता एवं साथªकता के िलए उन दोनŌ भाषाओं के बीच एक िविभÆन Öतर पर समतुÐयता कì आवÔयकता है, इसी कारण दोनŌ भाषाओं ąोत भाषा तथा लàय भाषा टारगेट ल§µवेज का तुलनाÂमक अÅययन जłरी होता है । अनुवाद भाषा का एक Óयापार है, आधुिनक युग म¤ अनेक ±ेýŌ म¤ यह Óयापार अिनवायª हो गया है, जहाँ भाषा है वहाँ अनुवाद भी आता है । अनुवाद कì ÿिøया म¤ अनुवाद कताª सबसे पहले मूल पाठ (ąोत भाषा म¤ िलिखत) को पढ़ता है, उसका अथª úहण करता है उसके पIJात पढ़ी हòई सामúी का मनन करता है उसके पIJात पाठांतर/अनुवाद (लàय भाषा म¤) करने के िलए ÿेåरत होता है, िजसम¤ मूल भाषा के कÃय एवम् कथन को लàय भाषा म¤ समतुÐय या िनकटतम łप म¤ अनूिदत िकया जाता है - अनुवाद कì ÿिøया के िलए िनÌनिलिखत बातŌ को Åयान म¤ रखना अिनवायª है- १. पाठ–पठन - पहला चरण है उपलÊध सामúी को पूरी तरह समझ-बूझ कर पढ़ना, यह पाठ - पठन िजस ŀिĶ से िकया जाता है उसम¤ आंिशक अथª कì ŀिĶ से पाठ कì सामúी को पढ़ा जाता है । दूसरा िवषय अथª कì ŀिĶ से- अथाªत पाठ म¤ िकस भाषा और संÖकृित को िलया गया है पाठ के िवषय को इस म¤ Åयान म¤ रखा जाता है और पठन-munotes.in

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अनुवाद
24 पाठन म¤ हो सकता है िक भाषा किठन हो तब उस भाषा को समझने कì आवÔयकता होती है इसम¤ अनुवाद कायª करने वाले को मूल भाषा और लàय भाषा दोनŌ का भी उिचत ²ान होना चािहए यिद कभी भाषा कì जिटलता के कारण पाठ समझ म¤ नहé आ पाता है तब िवषय के जानकार या ÿामािणक पुÖतकŌ कì सहायता ली जानी चािहए। यहां भी यह Åयान म¤ रखा जाना चािहए िक अनुवाद करते समय लàय भाषा के िवषय म¤ िनधाªåरत काल, देश, िलंग, वचन ÿसंग आिद बातŌ को Åयान म¤ रखना पड़ता है जो िक अथª िनधाªरण के िलए आवÔयक माने जाते ह§ । २. िवषय का ²ान और पाठ िवĴेषण - अनुवादक को अनुवाद सामúी के िवषय का पूणª ²ान होना चािहए। अगर उसे िवषय का अ¸छी तरह ²ान नहé होगा तो वह मूल रचना के साथ सही Æयाय नहé कर पायेगा। अनुवादक को Óयाकरण का उिचत ²ान होना चािहए। अनुवादक को अनुवाद म¤ ÖपĶ और सही उ¸चारण का ÿयोग करना चािहए, और अनुवाद से सÌबिÆधत िवषय का सÌपूणª ²ान होना चािहए I अनुवाद कì ŀिĶ से दूसरे चरण म¤ पाठ का िवĴेषण करते ह§, िवĴेषण म¤ िवशेष Åयान इस बात पर िदया जाना चािहए िक कहाँ शÊद का अनुवाद करना है, कहाँ पदबंध का, कहां उपवा³य का, कहाँ वा³य का और कहाँ एक से अिधक वा³यŌ को एक म¤ िमलाकर अनुवाद करना है । ३. भाषा का ²ान - अनुवादक कì सवªÿथम आवÔयकताओं म¤ से एक है िक उसे भाषाओं का समुिचत ²ान हो ³यŌिक उसके सामने दो अलग-अलग भाषाओं कì ÿकृित, ÿवृि°, संÖकृित, अिभÓयिĉ, शिĉ आिद बातŌ से वािकफ होना चािहए िजससे भाषा कì वा³य-रचना, शÊदŌ कì चयन-ÿिøया, अिभÓयिĉ कì स±म परख और वा³य - िवÆयास एवं शैिलयŌ पर सांÖकृितक ÿभाव का गहन अÅययन हो तािक अपने दाियÂवŌ को अ¸छी तरह िनभा सके। अनुवाद म¤ आसान भाषा का ÿयोग होना चािहए। साथ ही अनुवादक को भािषक अÆतरण यह चरण अनुवाद का ÿाण माना जाता है, मूल भाषा के शÊद, आशय, िवषय, कÃय, सामािजक संरचना कì िविशĶताएँ आिद को यथावत संÿेिषत करने के जिटल दाियÂव को िनभा कर लàय भाषा म¤ लाना होता है । ४. अिभÓयिĉगत तटÖथता और उिचत समायोजन - उ°म अनुवाद अनुवादक के Łिच के साथ उसकì योµयता, िवषय-वÖतु कì समझ, भाषाओं कì िनपुणता आिद बातŌ पर बहòत िनभªर करता है। अ¸छे और सफल अनुवाद कì पहचान यही िक पाठक को पढ़ते समय ऐसा न महसूस हो अनुवाद पढ़ रहे है बिÐक पाठक को ऐसा महसूस हो िक वे मूल पाठ पढ़ रहे ह§। अनुवादक को चािहए िक Öवयं से कुछ न जोड़कर तटÖथता का Åयान रखे। यहाँ ąोत भाषा का लàय भाषा कì ŀिĶ से समायोजन भी करते ह§ । इस समायोजन म¤ मु´य बात¤ Åयान म¤ रखनी चािहए- अ- ąोत भाषा और लàय भाषा कì वा³य संरचना तथा भाषा शैली का उिचत बोध हो । ब- भाषा म¤ सहज ÿवाह हो । स- ąोत भाषा कì छाया ना हो । जैसे- अंúेजी का वा³य - “I have taken my meal” का िहÆदी शािÊदक अनुवाद - “म§ने अपना खाना खा िलया है” िजसम¤ ąोत भाषा कì छाया है, िहÆदी कì वा³य संरचना के अनुसार इसका सही अनुवाद होगा - “म§ने खाना िलया है ।” munotes.in

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अनुवाद के िसĦाÆत,
ÿिøया और भेद
25 ५. पुनिनªरी±ण- अनुवादक को चौथे चरण म¤ आकर अपने कतªÓय कì इित®ी नहé समझ लेना चािहए । उसे अंत म¤ मूल रचना के कÃय एवम् कथन से लàय भाषा म¤ िकये गए अनुवाद से एक बार तुलना अवÔय कर लेनी चािहए, और यह आĵासन कर लेना चािहए िक अनुवाद मूल से कम नहé कह रहा हो, ना अिधक कह रहा हो और ना ही कुछ हट कर कहा गया हो तथा मूल रचना के अनुłप ही कÃय को रखा गया हो । भाषा का संबंध सदैव इितहास, समाज और संÖकृित कì परंपराओं, मनुÕय कì मानिसकता, संÖकार Łिच, योµयता, उसकì पृķभूिम तथा पåरवेश से होता है, इन सभी तÃयŌ के आधार पर कहा जा सकता है िक भाषा का शािÊदक आधार ही अनुवाद का िनयामक नहé है परंतु अनुवाद भाव, भाषाओं, मानिसकता के िविभÆन पहलुओं से जुड़कर िसफª भाषा का अनुवाद ना रहकर मनुÕय कì मानिसकता व मानिसक वतªन के सा±ाÂकार का साधन बन जाता है । ४.५ अनुवाद के िसĦांत- सािहÂय, पýकाåरता, ²ान- िव²ान और यांिýक ±ेýŌ म¤ वैिĵक Öतर पर सूचनाओं का आदान-ÿदान होता है, इसिलए अनुवाद आधुिनक जन-जीवन कì अिनवायªता बन चुका है । अनुवाद के िविभÆन िसĦाÆत इस ÿकार ह§ - १. अनुवाद अथª संÿेषण का िसĦांत- अनुवाद के िसĦांत के ÿेरक डॉ. जॉनसन तथा ए. एच. िÖमथ ह§ । यह दोनŌ िāटेन के भाषा वै²ािनक थे । अपने अनुवाद कायŎ म¤ इन भाषा वै²ािनकŌ ने यह महसूस िकया िक अनुवाद म¤ ÿथम तथा महÂवपूणª भूिमका अथª कì होती है । डॉ. जॉनसन के अनुसार “To translate is to change into another language retaining the sense.” अथाªत मूल के अथª को बनाये रखते हòए लàय भाषा म¤ अÆतरण अनुवाद है।” पहले ąोत भाषा के पाठ का अथª सही होना चािहए । डॉ³टर जॉनसन के अनुसार अनुवाद पाठ का नहé पाठ के अथª का होता है । पाठ के शÊदŌ, वा³य आिद के अथª को लàय भाषा म¤ अंतåरत िकया जाता है । शÊदŌ, पदबंधŌ अथवा समú वा³य का अंतरण नहé िकया जाता है । आगे चलकर अंúेजी सािहÂय के आधुिनक आलोचक ए. एच. िÖमथ ने डॉ³टर जॉनसन कì पåरभाषा म¤ संि±Į संशोधन करते हòए अपना तकª रखा - “(To translate is to change into another language retaining as much as of the sense as one can) अथाªत ‘अनुवाद मूल भाषा से लàय भाषा म¤ पåरवतªन करना है, िजतना हो सके उतना मूल भाषा का आशय / तÂव उसम¤ रखना चािहए|’ इस ÿकार दोनŌ भी िवĬान इस बात से सहमत हòए िक – अनुवाद कì ÿिøया म¤ अथª कì कुछ ना कुछ हािन होती ही है, अथª कì हािन का कारण है िक - दो अलग-अलग भाषाओं कì अलग-अलग भािषक संरचना का होना । जैसे - Óयाकरण, वा³य रचना, मुहावरे, सामािजक और सांÖकृितक परÌपरा आिद म¤ िभÆनता का होना । इसिलए डॉ. जॉनसन और िÖमथ ने अथª सÌÿेषण का िसĦांत रखा । इनके अथª संÿेषण का ताÂपयª ąोत भाषा के पाठ के अथª का लàय भाषा म¤ संÿेषण से था । जैसे - (Lokayukta to get more teeth soon.) इस अंúेजी वा³य का जो अथª है, अनुवाद उसी का िकया जाएगा लोकायुĉ एक संवैधािनक शÊद होता है और उसका मु´य काम ÿशासन म¤ ĂĶाचार िनवारण का होता है । परंतु munotes.in

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अनुवाद
26 इस हेतु लोकायुĉ को िकसी ÿकार का ÿभावी अिधकार नहé होता अंúेजी पाठ का more teeth लोकायुĉ को ºयादा अिधकार देने के अथª म¤ ÿ युĉ है । इसिलए इस वा³य का अनुवाद “लोकायुĉ को और अिधकार जÐदी ही िमल¤गे” होगा । ÖपĶ है िक इस ÿकार के ąोत भाषा के पाठ का जो अथª िनÖपंद होता है, लàय भाषा म¤ अनूिदत करते हòए उसे ही संÿेिषत करने कì चेĶा कì जाती है । इस तरह के अनुवाद म¤ पाठ के भाव, शैली आिद पर Åयान नहé िदया जाता है । अथª के इकहरी łपांतरण का उदाहरण होता है ऐसा अनुवाद जो िक अ³सर कायाªलयीन अनुवाद म¤ उपयोग होते ह§ । अनुवाद म¤ ÿायः ऐसे ही उदाहरण देखने पढ़ने को िमलते ह§ इसिलए अनुवाद म¤ अथª संÿेषण के िसĦांत कì माÆयता है । अनुवाद िसĦांत कì ®ृंखला म¤ यह िसĦांत ÿाथिमक है । २. अनुवाद म¤ Óया´या का िसĦांत- कुछ िवĬानŌ ने अनुवाद को मूल łप म¤ Óया´या माना है । इस मत के समथªक िवĬान शैली ÿधान सािहÂय ( िलटरेचर ऑफ पावर) के अनुवाद म¤ उसी को Óया´यानुवाद का अिधकार देते ह§ िजसको अनुवाद करने कì ±मता और सामÃयª और िवĬता हो । Roman Jacobson के अनुसार, “Translation proper or interlingual translation is an interpretation of verbal signs by means of signs in some other language.” अथाªत अनुवाद एक भाषा के शािÊदक ÿतीकŌ के दूसरी भाषा के शािÊदक ÿतीकŌ Ĭारा Óया´या है यīिप शैली ÿधान सािहÂय (काÓय, नाटक आिद) का रचनाकार महान उĥेÔय और अनुपम कÐपना शिĉ के साथ भािषक ÿतीकŌ का ÿयोग करता है, अतः कह सकते ह§ िक मूल रचना म¤ ÿयुĉ ÿतीकŌ का दूसरी भाषा म¤ अंतरण उसकì कÐपनाशील Óया´या के िबना संभव नहé है । िविध, वािणºय, िचिकÂसा आिद िवषयŌ पर आधाåरत ²ान ÿधान सािहÂय म¤ तकनीकì शÊद कì Óया´या उनके अिभÿेत अथª को जानने के िलए आवÔयक मानी जाती है । शैली ÿधान सािहÂय के अनुवाद म¤ अनुवादक से Óया´या परक अंतरण (interpretative transfer) करना अपेि±त होता है । एक अनुवादक को सृजनशील होना ही चािहए, तभी वह उस सािहिÂयक पाठ (literary text) कì संकÐपना और संरचना को ठीक से समझ सकता है यही कारण है िक एक ही पाठ के दो अनुवादकŌ Ĭारा िकये गए अनुवाद म¤ िभÆनता पाई जाती है । भाषा वै²ािनक रोमन याकÊसन, यूरोपीयन होÌस के िवचार म¤ अनुवाद का मूल तÂव (Essence) पाठ कì Óया´या होती है। वैसे भी िकसी भाषा के िकसी कथन का, दूसरी भाषा म¤ łपांतरण सवªदा सरल नहé होता, हर एक भाषा कì संरचना, भाषाओं के शÊद, पदबÆध, वा³य, मुहावरे Óयाकरिणक िनयम, शैली आिद म¤ काफì िभÆनता होती है । इसी तकª के आधार पर इन भाषा वै²ािनकŌ ने अनुवाद म¤ Óया´या का ÿितपादन िकया है इनके अनुसार, “Translation is an act of interpretation” जैसे - “Due to rain, cricket match is cancelled” यिद इस वा³य का अनुवाद करना पड़े तो अनुवाद म¤ केवल शÊद का अंतरण माý ही नहé होगा, बिÐक भाषा और वा³य कì संरचना के ÿभाव कì मह°ा भी होगी। यिद हम माý शÊदाÆतरण कर¤ तो इसका अनुवाद munotes.in

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अनुवाद के िसĦाÆत,
ÿिøया और भेद
27 इस ÿकार होगा- ‘ कारण के बाåरश, िøकेट मैच बंद’ यह अनुवाद कदािप नहé होगा, अंúेजी वा³य के अनुवाद म¤ Óया´या से ही सहायता िमलेगी और Óया´या म¤ भाव कì ÿधानता होती है, इसिलए ऐसे पाठ के अनुवाद म¤ भावानुवाद कì सहायता लेनी पड़ती है । अतः “Due to rain, cricket match is cancelled” का सही िहÆदी अनुवाद- ‘बाåरश के कारण, िøकेट मैच बंद िकया गया’ होगा । शायद इसिलए अनुवाद म¤ भाव अनुवाद कì ÿधानता होती है । इस तरह से अनुवाद म¤ कभी-कभी ąोत भाषा के कथन के लàय भाषा म¤ łपांतरण के समय पाठ कì Óया´या अपåरहायª होती है अनुवाद म¤ Óया´या का िसĦांत इसी वजह से ÿचिलत हòआ और ÿिसĦ हòआ । Óया´या के िसĦाÆत कì सबसे बड़ी समÖया यह है िक Óया´या करते समय अनुवादक कभी- कभी मूल पाठ के अथª से भटक जाता है, िजससे मूल पाठ के अथª, सÆदेश िभÆन हो सकता है और उसके पाठक के साथ Æयाय नहé हो सकता है । ३. अनुवाद म¤ ÿभाव समता का िसĦांत- िāिटश वै²ािनक टैÆकाक इस िसĦांत के ÿणेता ह§। उनके अनुसार-अनुवाद म¤ ąोत भाषा के कथन को लàय भाषा म¤ पुनः Öतुित कì जाती है और यह Öतुित पाठक म¤ ÿभाव के मामले म¤ िबÐकुल मूल जैसी होती है, और यही अनुवाद सफल माना जा सकता है। जैसे - I am very angry - इस वा³य का अनुवाद होगा म§ बहòत नाराज़ हóँ, इसम¤ मूल पाठ और अनुिदत पाठ के ÿभाव एक समान ÿतीत होते ह§ । िकंतु अंúेजी वा³य का अनुवाद यिद िहंदी मुहावरे के साथ “ म§ गुÖसे से आग बबूला हóँ ” िकया जाए तो उपयुĉ नहé होगा ³यŌिक अंúेजी कथन का जैसा ÿभाव ÿतीत होता है िहंदी अनुवाद का ÿभाव उससे भी कम-ºयादा हो जाता है, Öमरणीय रहे िक काल और पåरिÖथित के अनुसार, शÊदŌ के अथª म¤ कुछ उÆनीस-बीस होते रहता है । परÆतु टैÆकाक, अनुवाद म¤ यह उÆनीस-बीस के खेल को नहé Öवीकारते ह§, वे अनुवाद को समान भाषाÆतरण कì ÿिøया मानते ह§ । इसम¤ अनुवादक को अपनी ÿितभा, अनुभव और कÐपना से काम लेना होता है तथा सुिनिIJत करना होता है िक अनुिदत पाठ ÿभाव के मामले म¤ मूल पाठ जैसा ही बने, जािहर है िक इसके िलए अनुवादक को कभी-कभी िकंिचत मूल पाठ के सीमा का अितøमण करना पड़ता है । अनूिदत पाठ म¤ कÐपना के सहारे कुछ जोड़ना, रचना होता है । अनुवाद चूँिक सृजन का अनुसृजन है, इसिलए ऐसा करना उिचत होता है । इसे एक अÆय उदाहरण म¤ भी समझने का ÿयास कर¤गे । जैसे -The time has not ripen to ink nuclear pact. इस अंúेजी वा³य के अनुवाद म¤ ripen और ink शÊदŌ के सरल अथª लेने का कोई तुक नहé बनता है, परमाणु समझौते के िसलिसले म¤ कुछ क¸चा -प³का नहé होता है और नाही ink के अथª म¤ Öयाही कì यहाँ पर कोई अथª संगित है । इस कथन का सामाÆय अनुवाद इस ÿकार होगा जैसे - “परमाणु समझौते का समय अभी नहé आया है” और यह łपांतरण ही मूल कथन के ÿभाव को Óयंिजत करता है । इस ŀिĶ से अनुवाद म¤ मूल कथन के ÿभाव कì Óयंजना महÂवपूणª है, ना िक शÊदŌ के अथª और उनका ÿयोग । टैÆकाक अपने इस िसĦांत म¤ एक युिĉपरक अवधारणा रचते ह§ । इसिलए अनुवाद म¤ ÿभाव समता का िसĦांत महÂवपूणª माना जाता है । munotes.in

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अनुवाद
28 ४. अनुवाद म¤ सांÖकृितक संदभª के एकìकरण का िसĦांत- इस िसĦांत के ÿÖतोता भाषा वै²ािनक िफथª, एच. आर. रॉिबंसन और मैक होिलडे और म§ हॉलीडे ह§ । इन िवĬानŌ के अनुसार भाषा म¤ हमेशा समाज तथा जन-जीवन कì संÖकृित अिभÓयĉ तो होती ही ह§, साथ ही साथ संरि±त रहते ह§ । हर एक भाषा म¤ संÖकृित अपने ढंग से मुखåरत होती ह§ । शाएद इसीिलए भाषा को संÖकृित का संवाहक कहा जाता है ³यŌिक भाषा समाज कì होती और संÖकृित को ÿितिबिÌबत करने का साधन होती है। समाज से इसिलए जैसी संÖकृित होती है, लोक के तीज Âयौहार जैसे होते ह§, भाषा के शÊद संरचना वैसे ही होती है । अलंकार मुहावरे और लोकोिĉयां इसम¤ हर भाषा कì खास और िनजी होते ह§ िफथª का मानना है िक िकसी एक भाषा के सांÖकृितक कथन का दूसरी भाषा म¤ हó-ब-हó अनुवाद नहé हो सकता है अनुवाद के िलए या तो भाव ÿधान हो आधार बनाना पड़ेगा अथवा Óया´या का सहारा लेना होगा ऐसे म¤ िकसी एक भाषा के सांÖकृितक कथन अथवा लोकोिĉयां मुहावरे का अनुवाद दूसरी भाषा म¤ उसके सांÖकृितक कथन अथवा लोकोिĉ मुहावरे के Ĭारा ही िकया जाता है । अनुवाद के सफल और सटीक होने के िलए ऐसा करना जłरी होता है अÆयथा अनुवाद अथª अंतरण बन जाता है, मूल का ÿभाव उÂपÆन नहé कर पाता है जैसे to kill birds with one stone, birds of same feather flock together, Herculean task, आिद । ÖपĶ है िक उदाहरण के वा³य अंúेजी के मुहावरे ह§ और उनम¤ अंúेजी जीवन और समाज कì अिभÓयिĉ है । भारतीय भाषाओं अथवा िहंदी म¤ इनका अनुवाद करते हòए िनIJय ही भारतीय जीवन और समाज के कथन और मुहावरŌ को अपनाना पड़ेगा अÆयथा अनुवाद िनÕफल होगा अंúेजी मुहावरे को भारतीय लोकजीवन म¤ ÿचिलत मुहावरे से ही Öथािपत करना उिचत और साथªक होगा िफर, रॉिबंसन और मैक हॉिलडे के ÿÖतुत तकª म¤ अनुवाद कì साथªकता और जीवन म¤ उसकì Öवीकृित कì मु´य िचंता थी इसिलए उÆहŌने सांÖकृितक कथनŌ कì एकłपता को अनुवाद के िलए जłरी माना । अनुवाद म¤ मूल भाषा से सÌबिÆधत समाज कì संÖकृित को हó-ब-हó नहé łपाÆतरण कर सकते ह§, लàय भाषा के समाज और संÖकृित के अनुसार अनुवाद करना ही ÿभावी अनुवाद हो सकता है । इसीिलए साँÖकृितक संदभª के एकìकरण का िसĦांत इसिलए ÿचलन म¤ आया । ५. अनुवाद म¤ पुनरकोडीकरण करण का िसĦांत अमेåरका के भाषा वै²ािनक िविलयÌस Āाउले ने इस िसĦांत का ÿितपादन िकया है। उनके अनुसार अनुवाद एक पुनÖथाªपन कì ÿिøया है | (Translation means recodification). उÆहŌने भाषा को, भाषा कì समÖत शÊद तथा वा³य संरचना को अंकìय आधार पर संकेत (Codes) म¤ जोड़ने कì अवधारणा ÿÖतुत कì । Āाउले ने इस हेतु कंÈयूटर कì कायª ÿणाली से भािषक संरचना को जोड़ने का तकª िदया । इस तरफ से सभी भाषाओं का अंकìय सूý िनłिपत हो सकता है और आज के युग म¤ हòआ भी है । उÆहŌने इस हेतु भाषा कì सबसे छोटी इकाई अ±र को आधार बनाया और अ±र के अंकìय िनधाªरण कì बात कही । इससे िकसी कì भाषा को समÖत अ±रŌ, अ±रŌ से बने शÊद, पदबंधŌ, वा³यŌ का आंकड़ा (Data) तैयार िकया जा सकता है । Āाउले ने उसे Data Matrix कहा है । munotes.in

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अनुवाद के िसĦाÆत,
ÿिøया और भेद
29 उनके अनुसार अनुवाद म¤ ąोत भाषा और लàय भाषा का अलग-अलग Data Matrix यिद बना िलया जाए तो आंकड़Ō या अंकŌ के माÅयम से, भाषा के शÊदŌ और उनके अथŎ म¤ समानता, और पयाªय िनधाªरण िकया जा सकता है और इस तरह से िकसी भी भाषा के कथन के कोड को दूसरी भाषा के कोड code म¤ łपांतरण के Ĭारा अनुवाद ÿाĮ िकया जा सकता है । इस िसĦांत म¤ एक भािषक कोड के समतुÐय दूसरे भािषक कोड से िमलाना और उसम¤ łपांतरण करना होता है । अथाªत एक भाषा के कोड को दूसरी भाषा के कोड से संबंिधत Öथािपत कराना और पुनः दूसरे भािषक कोड कì भािषक संरचना म¤ बदलना ही पुनरकोडीकरण है । इस तरह के अनुवाद म¤ सरलता तो कम होती है परÆतु अिधकतर शािÊदक सटीकता कì संभावना रहती है । कंÈयूटर आधाåरत मशीनी अनुवाद इस िसĦांत से पåरचािलत है । अनुवाद के िलए इस िसĦांत कì ÿासंिगकता से इनकार नहé िकया जा सकता है । ६. अनुवाद म¤ समतुÐयता का िसĦांत- अनुवाद का यह िसĦांत बहòत महÂवपूणª तथा सबसे अिधक ÿचिलत है । इस िसĦांत के ÿणेता ÿिसĦ भाषा वै²ािनक ÿोफेसर जे. सी. कैटफोडª (J. C. Catford) और यूजीन (Eusin) ए. नोएडा ह§ । अपनी पुÖतक - Linguistic Theory of Translation म§ िकया है । उÆहŌने अनुवाद को इस łप म¤ पåरभािषत िकया है- “Translation is the textual replacement of textual material in one language (SL) by equivalent textual material in another language (TL), अथाªत अनुवाद ąोत भाषा कì पाठ्य सामúी का लàय भाषा के समतुÐय पाठ्य सामúी Ĭारा ÿितÖथापन है|” उÆहŌने Textual material पाठ्य सामúी और Translation equivalence ( अनुवाद समतुÐयता) पदŌ को ÖपĶ करते हòए तथा भाषा के िविभÆन ÖतरŌ यथा- Öविनम (Öवर िव²ानं) Phonology, लेिखम (Graphology), Óयाकरण और शÊद (grammar and lexis) को महÂव देते हòए भाषा के बाहरी और उसके बारीक ÖतरŌ का वृहत िववेचन िकया है। यīिप कैटफोडª ने अथª को गौण नहé माना है, िकंतु उÆहŌने भाषा के łप तÂव (structural forms) को अथª कì अपे±ा अिधक महÂव िदया है। इससे अनुवाद कì ÿिøया को समझने के िलए भाषा वै²ािनक आधार िमला है और दो भाषाओं कì संरचनाओं के तुलनाÂमक अÅययन तथा Óयितरेकì िवĴेषण का मागª खुला है िकंतु अथª गौण हो गया है। इसकì तुलना म¤ नोएडा का िचंतन अिधक Óयापक और गहन िसĦ हòआ है । नोएडा ने अपने िचंतन म¤ यह Öवीकार िकया िक - “अनुवाद का संबंध ąोत भाषा के संदेश का पहले अथª और िफर शैली के धरातल पर लàय भाषा म¤ िनकटतम, Öवाभािवक तथा तुÐयाथªक ( Equivalent) पाठ ÿÖतुत करने से होता है । ÖपĶ है िक कैटफोडª जहां पर भी सामúी के समतुÐय चाहते ह§ वही नोएडा पाठ म¤ िनिहत अथª और उसकì शैली के तुÐय उपादान ÿÖतुत करने पर बल देते ह§ । इससे ÖपĶ होता है िक अनुवाद म¤ भाषाओं के अंतर के कारण कथन म¤ समłपता का िनवाªह नहé होता है, बिÐक समतुÐयता हो पाती है, परंतु यह समतुÐयता बड़ी िविचý ÿकृित कì होती है । munotes.in

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अनुवाद
30 समतुÐयता का आधार भी एक ÿकार का नहé होता । अलग-अलग अनुवाद के ÿकारŌ म¤ यह समतुÐयता अलग-अलग łप म¤ िदखाई पड़ती है । जैसे- कहé शािÊदक समतुÐयता तो कहé भावगत समतुÐयता, कहé-कहé ÿतीकाÂमक और शैलीगत समतुÐयता भी अनुवाद म¤ िदखाई देती है । समतुÐयता अनुवाद को कुछ उदाहरणŌ के साथ समझ सकते ह§ जैसे- • शÊद गत समतुÐयता बचत खाता – Saving account कला बाज़ार- Black market. • भावगत समतुÐयता ऊँट के मुँह म¤ जीरा- A drop in the ocean. आँख का पानी उतर जाना – To become shameless. • ÿतीकाÂमक अनुवाद अब तो इस तालाब का पानी बदल दो । ये कमल के फूल अब कुÌहलाने लगे ह§। The present system has rotten. It should immediately be changed. • शैलीगत समतुÐयता अÅय± का िनणªय अभी गोपनीय है । The Chairperson has kept his card close to his chest. म§ सच का खुलासा अभी नहé कłँगा । I will not open secret card soon. ४.६ अनुवाद के भेद - Types of Translation अनुवाद कì उपयोिगता एवम् महßव आधुिनक जीवन कì अिनवायªता बन चुका है। अनुवाद कायª म¤ अनुवादक कì भूिमका अहम होती ह§ और दरअसल अनुवाद कì पूरी ÿिøया िभÆन-िभÆन िवषय वÖतु म¤ िभÆन -िभÆन हो जाती है अतएव एक अनुवादक को भी अनुवाद करने के िलए म¤ अलग-अलग भूिमकाएँ िनभानी पड़ती ह§ । मूलपाठ का िवĴेषण करते हòए वह पाठक कì भूिमका म¤ होता है। अंतरण करते हòए िĬभािषक िवĬान कì भूिमका म¤ और अनूिदत पाठ या पुरनªरचना ÿÖतुत करते हòए लेखक कì भूिमका म¤ अनुवाद कई ÿकार का होता है। इस ÿकार अनुवाद को भागŌ म¤ वगêकृत िकया है पहला अनुवाद कì िवषयवÖतु के आधार पर और दूसरा उसकì ÿिøया के आधार पर उदाहरण के िलए िवषयवÖतु के आधार पर सािहÂयानुवाद, कायाªलयीन अनुवाद, िविधक अनुवाद, आशु अनुवाद, वै²ािनक एवं तकनीकì अनुवाद, वािणिºयक अनुवाद आिद। ÿिøया के आधार पर शÊदानुवाद, भावानुवाद, सारानुवाद तथा यांिýक अनुवाद। munotes.in

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अनुवाद के िसĦाÆत,
ÿिøया और भेद
31 िवषयवÖतु तथा ÿिøया के आधार पर अनुवाद के ÿकार - १. सािहÂयानुवाद – इसके अंतगªत गī-पī, उपÆयास, नाटक, जीवनी, िनबÆध, आलोचना आिद अनुवाद आते ह§ । सािहÂय, कला और संगीत िकसी भी समाज कì पहचान होती ह§। िकसी भी देश और समाज को जानने के िलए वहाँ के सािहÂय को पढ़ना-परखना जłरी होता है। सािहÂय म¤ हमेशा देश और काल का िचýांकन होता है । सािहÂयानुवाद हमेशा सूचना ÿधान अनुवाद से किठन होता है ³यŌिक सूचना सािहÂय के शÊदकोशŌ एवम् िनयिमत कायª के अनुभव से िकया जा सकता है परÆतु सािहÂयानुवाद म¤ अनुवादक को लàय भाषा और समाज के मानिसक, साँÖकृितक एवम् सामािजक और राजनीितक प±Ō से गुजरना पड़ता है । उदाहरण के िलए मि³सम गोकê का कथासिहÂय तÂकालीन łस म¤ हòई øांित और जनसंघषª का जीवÆत दÖतावेज़ है, उसका अनुवाद करते हòए हम पाýŌ या ÖथानŌ आिद के नाम बदलते हòए उसका भारतीयकरण नहé कर सकते ³यŌिक भारतीय िÖथितयाँ तÂकालीन łस से िबÐकुल िभÆन थी। इसी तरह िकसी नोबेल िवजेता यूरोपीय सिहÂयकार से सÌबिÆधत िहंदी समाचार बनाया जा रहा है तो पýकार को उस सािहÂयकार के पåरवेश और युगीन िÖथितयŌ का िहंदी म¤ जस का तस उÐलेख करना होगा ³यŌिक उसके सािहÂय म¤ उसके देश और समाज कì िÖथितयŌ का दÖतावेज़ है, भारत का नहé। २. कायाªलयीन अनुवाद - कायाªलयी अनुवाद से आशय ÿशासिनक पýाचार तथा कामकाज के अनुवाद का है। भारत के संिवधान के अनु¸छेद ३४३(१) के अंतगªत िहÆदी को देवनािगरी िलिप म¤ Öवीकार िकया गया । Öवतंýता के पIJात संिवधान ने िहंदी को राजभाषा बनाने का संकÐप तो िलया पर कुछ राजनीितक और सामािजक दुिवधाओं के चलते वह आज तक कायªłप नहé ले सका। आज राजभाषा के मसले पर भारत म¤ िĬभािषक नीित लागू है। िजस अंúेजी को संिवधान ने दस साल म¤ राजभाषा के पद से पद¸युत करने का ÿाłप िदया था, वह आज भी अपने Öथान पर िकंिचत िभÆन łप म¤ डटी हòई है। हर राºय को अपनी राजभाषा िनधाªåरत करने कì Öवतंýता संिवधान ने दी थी और राºयŌ ने उसके अनुłप राजभाषा का िनधाªरण िकया भी है िकÆतु संघीय सरकारŌ से उसके ÿशासिनक कायªÓयहार अंúेज़ी म¤ ही होते ह§। िहंदी है लेिकन अंúेजी भी है और राºयŌ के ÿकरण म¤ उनकì अपनी राजभाषाएँ भी ह§। ऐसी िÖथित म¤ अनुवाद कì उपयोिगता और महÂव उ°रो°र बढ़ता जा रहा है। सभी जानते ह§ िक ÿशासिनक शÊदावली का अपना एक िविशĶ łप है जो बहòधा अंúेज़ी से अनुवाद पर आधाåरत होता है। पाåरभािषक शÊद इसी ÿकार कì ÿशासिनक शÊदावली का एक ÿमुख िहÖसा ह§। एक पýकार के िलए सरकार के कामकाज पर आधाåरत समाचार बनाते समय इस शÊदावली कì सामाÆय जानकारी का होना अिनवायª है। अनेक संसदीय शÊदŌ का िहÆदी म¤ ÿचलन इसी शÊदावली के आधार पर हो गया है। munotes.in

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अनुवाद
32 ३. िविधक अनुवाद - Æयायपािलका संिवधान म¤ विणªत लोकतंý के तीन ÖतÌभŌ म¤ एक है। समाचारपýŌ म¤ Æयाय और उससे जुड़ी ÿिøया से सÌबिÆधत अनेक समाचार होते ह§। िहंदी को राजभाषा बनाए जाने के संकÐप के बावजूद उ¸च तथा उ¸च Æयायालय का सारा कामकाज अंúेजी म¤ ही होता है। सारे िनणªय और अिभलेख अंúेजी म¤ होते ह§ और Æयायालय कì कायªवाही भी अंúेजी म¤ ही सÌपÆन होती है। एक अनुवादक या पýकार के िलए जłरी हो जाता है िक िहंदी म¤ समाचार बनाते हòए वह िविधक शÊदावली का तकनीकì łप से सही अनुवाद हòआ हो । ४. वाताªनुवाद अथवा आशु अनुवाद - यह एक रोचक ÿिøया है। अंúेजी म¤ सामाÆय łप से इसे Interpretation कहते ह§। जब कोई दूसरे देश का राजनेता अपने देश म¤ आता है िजसे अंúेज़ी नहé आती होती हो तब हमारे देश के राजनेताओं के साथ उसकì वाताª Interpreter कì सहायता से ही सÌभव हो पाती है। Interpreter वह Óयिĉ होता है जो िवदेशी राजनेता कì भाषा का तुरंत और सरल अनुवाद मौिखक łप से हमारे राजनेता के सÌमुख करता है और हमारे राजनेता कì भाषा का आगंतुक राजनेता के सÌमुख वह एक ऐसा भािषक मÅयÖथ बन जाता है िजस पर यह उ°रदाियÂव होता िक वह वाताª म¤ ÿयोग िकये गए शÊदŌ का सही अथª लगाकर आगÆतुक कì भाषा म¤ ÿÖतुत कर¤ । ५. वै²ािनक एवं तकनीकì अनुवाद - आधुिनक समय िव²ान और तकनीक का युग है। िव²ान के बहòआयामी िवकास ने मानव जीवन कì गितिविधयŌ ही नहé, वरन उसके जीवनमूÐयŌ को भी कई ÖतरŌ पर बदल िदया है। वतªमान समाचारपýŌ म¤ िव²ान और तकनीक से सÌबिÆधत गितिविधयŌ के कई समाचार होते ह§ और उनके िलए जłरी होता है िक पýकार को वै²ािनक एवं तकनीकì शÊदावली कì पयाªĮ जानकारी हो, िजसके अभाव म¤ अनुवाद हाÖयाÖपद और िविचý हो सकता है। इसिलए कई तकनीिक शÊदŌ को अनुवाद म¤ मूल भाषा के शÊद का ही िलÈयÆतरण करके िलखा जाता है- जैसे Rail या Train को िहंदी म¤ लौहपथगािमनी जैसे िविचý और हाÖयाÖपद अनुवाद कì जगह रेल या ůेन ही िलखना अनुवादक के िहत म¤ होगा। Computer के िलए कÌÈयूटर ही िलखना होगा इसी तरह िहंदी संगणक कì जगह कैल³यूलेटर शÊद का ही ÿयोग होता है। ६. वािणिºयक अनुवाद - यह ±ेý Óयापार के साथ-साथ ÿमुखतः बैिकंग Óयवसाय का है। सभी को िविदत है िक समूचे िवĵ कì संचालक शिĉ अब पूँजीगत हो चली है। भूमंडलीकरण और िवĵúाम जैसी उ°रआधुिनक अवधारणाएँ ÿकारांत से इसी के ईदª- िगदª घूमती ह§। बहòराÕůीय कÌपिनयŌ और अंतराªÕůीय Óयापार के समाचारŌ का िनमाªण अकसर सÌबिÆधत िवषयवÖतु के अनुवाद Ĭारा ही सÌभव हो पाता है। इस तरह के अनुवाद कì अपनी munotes.in

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अनुवाद के िसĦाÆत,
ÿिøया और भेद
33 शÊदावली होती है, िजसकì ÿाथिमक जानकारी अनुवादक को होना जłरी है। ब§िकंग के ±ेý म¤ िहंदी का ÿयोग मु´य łप से दो ÖतरŌ पर होता है, एक राजभाषा के Öतर पर और दूसरा जनभाषा के Öतर पर िहंदी को राजभाषा के łप म¤ सÌमान िदलाए जाने के बाद ब§कŌ Ĭारा िहंदी के ÿयोग पर जोर िदए जाने कì नीित शािमल ह§। ब§कŌ को भी अपना Óयवसाय चलाना है जो िक जन भाषा म¤ ही सÌभव है। ब§कŌ को अपनी पहòँच जनता तक बनानी होती है और इसके िलए वे िहंदी के इÖतेमाल पर बल देते ह§। हर ब§क म¤ चूँिक महÂवपूणª मसौदे अंúेज़ी म¤ ही तैयार िकए जाते ह§ लेिकन जनता तक उÆह¤ पहòँचाने के िलए उनका सरल िहंदी अनुवाद अिनवायª होता है, पåरणाम Öवłप हर ब§क म¤ िहंदी अिधकारी तैनात िकए गए ह§। इसके अलावा राÕůीय Öतर पर ब§क कì ऋण सÌबÆधी नीितयŌ और उतार-चढ़ाव कì जानकारी भी उसे पाठकŌ तक सरल और सही łप म¤ पहòँचानी होती है, िजसके िलए िहÆदी एवम् Öथानीय भाषा म¤ अनुवाद अिनवायª है । ७. भावानुवाद - जैसा िक नाम से ही ÖपĶ है इसम¤ भाव, अथª और िवचार पर अिधक Åयान िदया जाता है । भावानुवाद मूल रचना कì आÂमा को लàय भाषा म¤ अिभÓयĉ करने कì कोिशश करता है । अनुवादक कì सÌपूणª चेतना, सÌपूणª ²ान मूल भाषा के सािहÂय कì आÂमा से जुड़ा रहता है, तािक मूल रचना के भाव को जैसे का तैसा लàय भाषा म¤ पहòँचा सके । लेिकन ऐसे शÊदŌ, पदŌ या वा³यांशŌ कì उपे±ा नहé कì जाती जो महÂवपूणª हŌ। ऐसे अनुवाद से सहज ÿवाह बना रहता है। सािहÂयकार अ³सर इसका सहारा लेते ह§। ८. छाया अनुवाद- जब िकसी रचना का शÊदशः या भावानुवाद ना कर रचना म¤ माý कुछ पåरवतªन कर अÆय भाषा म¤ ÿÖतुत िकया जाता है तब ऐसे अनुवाद को छायानुवाद कहते ह§। इसम¤ लेखक मूल रचना कì छाया úहण कर Öवतंý भाव से उसी रचना को िफर से िलखता है। इसम¤ लेखक मूल रचना कì केवल छाया úहण करता है और कभी-कभी लेखक मूल रचना के Öथान और वातावरण को िवĵसनीय बनाने के िलए उसका देशीकरण कर देते ह§ तािक रचना मूल ÿतीत हो । ९. सारानुवाद - सारा अनुवाद जब िकसी लंबे कथन अथवा रचना को उसके सार तÂव को पूरी तरह सुरि±त रखते हòए या दूसरे कारण से संि±Į िकया जाता है तब अनुवाद सारानुवाद कहलाता है । अनुवादक इसम¤ पूरी रचना नहé उसके सार तÂवŌ का अनुवाद रचना के कÃय कì आवÔयक जानकारी के साथ देता है तािक पाठक या ®ोता को आवÔयक जानकारी भी िमले और समय भी बचे । यह आवÔयकतानुसार संि±Į या अित संि±Į होता है। भाषणŌ, िवचार गोिķयŌ और संसद के वादिववाद कì िवशद िवषयवÖतु के सार का अनूिदत ÿÖतुतीकरण इसी कोिट का होता है। munotes.in

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अनुवाद
34 १०. Óया´यानुवाद – Óया´यानुवाद, सारानुवाद के िवपरीत होता है । इसम¤ मूल पाठ का अनुवाद करते समय अनुवादक िकसी शÊद तथा पद कì अितåरĉ Óया´या कर देते ह§ । इसिलए इसे Óया´यानुवाद कहते ह§ । इस रचना म¤ मौिलकता का समावेश होता है और वह कृित अनुवाद के घेरे से मुĉ रहती है, अनुवादक का िचंतन – मनन इसम¤ सिÌमिलत रहता है । िनÕकषªतः अनुवाद कायª ने पुरातन समय से ही मानव समाज को संगिठत िकया है । आधुिनक वैĵीकरण के युग म¤ अनुवाद देश- िवदेश के Öतर पर वाताª, सूचना – ÿसारण, उīोग, तकनीक, सािहÂय और ²ान-िव²ान का आदान-ÿदान करने के िलए एक अहम िहÖसा बन गया है । ४.७ सारांश सारांशतः यह कहा जा सकता है िक अनुवाद मूल रचना को अथªपूणª ढंग से लàय भाषा म¤ अंतåरत करने कì एक पुनर रचनाÂमक ÿिøया है । इसम¤ एक मूल लेखक और एक अनुवादक होता है। एक अनुवादक का नैितक उ°रदाईÂव होता है िक वह मूल रचना का तÂव हर हाल म¤ बनाये रखे तािक अनुवाद माý भाषाÆतर ना ÿतीत हो । आधुिनक तांिýक और भूमंडलीकरण के युग म¤ अनुवाद का ±ेý बहòत अिधक बढ़ गया है, वैिĵक, साँÖकृितक, वै²ािनक और तांिýक एकता Öथािपत करने म¤ अनुवाद का महÂव और अिधक बढ़ गया है । ४.८ लघु°åरय ÿij १. अनुवाद शÊद कì ÓयुÂपि° िकस धातु से हòई ? २. ‘अनुवाद’ िकस भाषा का तÂसम शÊद है ? ३. डॉ. भोलेनाथ ितवारी ने अनुवाद कì ³या पåरभाषा दी है ? ४. आशु अनुवाद िकसे कहते ह§ ? ५. ‘ऊँट के मुँह म¤ जीरा’ यह मुहावरा िकस अनुवाद का उदाहरण है ? ४.९ वÖतुिनķ ÿij १. ----------- के अनुसार अनुवाद एक पुनÖथाªपन कì ÿिøया है । (िविलयÌस ÿाउले, िविलयÌस जॉन, जॉन मैक) २. टैÆकाक ------------ िसĦांत के ÿणेता ह§ । (शैलीगत, समता, पुनरकोडीकरण)। ३. -------- अनुवाद म¤ जन-जीवन कì संÖकृित कì अिभÓयिĉ है । (साँÖकृितक, ऐितहािसक, राजनैितक) । ४. -------अनुवाद मु´यतः ब§िकंग Óयवसाय का है । (सािहिÂयक, वै²ािनक, वािणिºयक) munotes.in

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अनुवाद के िसĦाÆत,
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35 ४.१० संभािवत ÿij १. अनुवाद कì ÿिøया को ÖपĶ कìिजए । २. अनुवाद के िसĦाÆतŌ को उदाहरण के साथ िलिखए । ३. अनुवाद के िविभÆन ÿकारŌ का उÐलेख कìिजये । ४.११ संदभª úंथ १. ÿयोजनमूलक िहÆदी: िसÅदाÆत और ÿयोग - दंगल झाÐटे । २. ÿयोजनमूलक िहÆदी - माधव सोनट³के । ३. ÿयोजनमूलक िहÆदी - िवनोद गोदरे | munotes.in

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अनुवाद
36 ५ अनुवाद के उपकरण इकाई कì łपरेखा ५.0 इकाई का उद्देश्य ५.१ ÿÖतावना ५.२ अनुवाद के उपकरण ५.३ मशीनी अनुवाद : वतªमान िÖथित ५.४ साराांश ५.५ लघुत्तररय प्रश्न ५.६ बोध ÿij ५.० इकाई का उĥेÔय : प्रस्तुत इकाई में ननम्ननलनित न ांदुओ का छात्र अध्ययन करेंगे - • अनुवाद के उपकरण कौन-कौन से है, उसे देि लेंगे | • मशीनी अनुवाद की वततमान नस्िनत को देिेंगे | ५.१ ÿÖतावना : मनुÕय एक बुिĦजीवी ÿाणी है । उसने अपनो के आधार पर Öवयं के सहयोग के िलए तरह-तरह के उपकरणŌ का इजात िकया । अगर हम अनुवाद के ±ेý कì बात कर¤ तो हम¤ अनुवाद का ±ेý बहòत िवÖतृत और Óयापक देखने को िमलता है । आज के इस दौर म¤ घर से लेकर बाहर तक, बाजार से लेकर कायाªलय तक सभी ÖथानŌ पर अनुवाद अपने पैर जमा िलये ह§ । जैसे-जैसे हम िवकासवाद कì तरफ बढ़ते जा रहे ह§ वैसे-वैसे अनुवाद कì मह°ा म¤ भी बढ़ोतरी आ रही है । अनुवाद कì इस बढ़ती मह°ा का मूल कारण केवल-व-केवल बाजारवाद ही है । अतः हम देखत¤ ह§ िक आज के दौर म¤ िजस Óयिĉ को िजतनी अिधक भाषाओं का ²ान और भाषा अिभÓयिĉ कì कला आती है, वह उतना ही अिधक बुिĦमान और समाज उपयोगी है । इस ÿकार Óयिĉ अपनी भाषा कौशल और उपकरणŌ को आधार बनाकर अनुवाद कला को और अिधक िवकिसत कर सकता है । अनुवाद करने के िलए Óयिĉ को सहायता पहòँचाने के िलए आज तरह-तरह के यंý उपलÊध है ; जैसे ‘गूगल ůांसलेशन टूल’, ‘गूगल इनपुट’, ‘इजी इंिµलश टाइिपंग’, ‘टाइिपंग बाबा’, ‘इंिडया टाइिपंग’, ‘ůांसलेशन. कॉम’, ‘िहंदी खोज’, ‘इंिµलश वाले’, ‘िहंदी राजभाषा’ आिद सहायक वेबसाइट तथा ‘एक भाषीय शÊदकोश’, ‘िĬभाषायी शÊदकोश’, ‘पुÖतक¤’, ‘समाÆतर कोश’ आिद उपकरण अनुवाद कला के िलए महÂवपूणª है । munotes.in

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अनुवाद के उपकरण
37 ५.२ अनुवाद के उपकरण : जब िकसी मूल पाठ को दूसरी भाषा म¤ ÿÖतुत िकया जाता है, तो उसे अनुवाद कहा जाता है। मूल पाठ कì भाषा को ąोत भाषा (Source Language या SL) कहा जाता है, िजस भाषा म¤ अनुवाद िकया जाता है उस भाषा को लàय भाषा (Target Language या TL) कहा जाता है । इस ÿकार अनुवाद कì ÿिøया म¤ कम से कम दो भाषाएँ शािमल होती ह§ ąोत भाषा (SL) और लàय भाषा (TL) । कभी-कभी इस ÿिकया म¤ तीन भाषाएँ भी हो सकती ह§ । अनूिदत पाठ को लàय भाषा म¤ तभी Öवीकार िकया जाता है, जब वह मूल पाठ कì छाया अथाªत् अवांिछत ÿभाव से मुĉ हो और एक नया पाठ िजसे पढ़ने पर ऐसा महसूस हो िक यह लàय भाषा म¤ ही मूल łप से िलखा गया है । भािषक अंतरण के दौरान हòई मÅयÖथता कì ÿिøया कì कोई भी िनशानी नजर नहé आनी चािहए । इस मंिजल तक पहòँचने के िलए या इस नतीजे को पाने के िलए अनुवादक को लàय भाषा का भी पूणª łप से ²ान होना अित आवÔयक है । अनुवाद िøया भाषा से जुड़ी हòई िøया है । इसके अिधकतर बौिĦक उपकरण (intellectual tool) भाषािव²ान से ही जुड़े ह§ । पåरणामÖवłप ąोत और लàय भाषाओं का ²ान और मूल पाठ से जुड़ी हòई जानकारी एक अनुवादक के बुिनयादी यंý ह§ । इन बुिĦजीवी और भाषावै²ािनक यंýŌ के अितåरĉ कुछ बुिĦजीवी गैर भाषा वै²ािनक साधन भी अनुवादक के िलए आवÔयक ह§ । जैसे िवषय कì जानकारी, अनुवाद के ±ेý म¤ अनुभव और कुछ ऐसे सहकमê िजनके साथ आवÔयकता पड़ने पर िवचारŌ का आदान-ÿदान हो सके । अत: इस ±ेý म¤ हो रहे शोध और िवकास म¤ लगभग दो दशक बीत चुके ह§ । िजस औज़ार कì मदद से कायªकुशलता को बढ़ाया जा सके, उसे ‘यंý’ (tool) कहा जाता है। फलतः यंý मानव शरीर को िकसी भी किठन कायª करने या बल के ÿयोग म¤ मदद िदलाने के िलए भौितक या मशीनी सहायक होते ह§ । उदाहरण के तौर पर हम देखते ह§ िक हथौड़ी के बगैर दीवार म¤ कìल ठोकने जैसे छोटे से कायª को करने म¤ भी काफì परेशानी होती है । यहाँ हथौड़ी को भौितक (material) यंý कहा जा सकता है । इस ÿकार यंý के बहòत सारे उदाहरण हमारे सामने िवīमान है, िजसे हम रोजमराª के काम के उपयोग करते ह§ । पåरणामत: मनुÕय कì गितिविधयŌ का दायरा ºयŌ-ºयŌ बढ़ गया, उसके ²ान का िवकास िजतनी ही तेज़ी से होता गया है । अत: उसके अनुłप ही 'यंý' शÊद के मतलब का िवÖतार भी हो गया है । पहले भले ही इस शÊद का ÿयोग ठोस वÖतुओं के संदभª म¤ ही िकया जाता रहा हो, पर अब यही शÊद िनराकार और ÖपशªगÌय वÖतुओं के संदभª म¤ भी िकया जाने लगा है । पहले यंý केवल मानव के शरीर कì मदद के िलए ही थे, िकंतु अब मनुÕय के मन और मिÖतÕक कì सहायता के िलए भी यंý अथवा उपकरण उपलÊध ह§ । उदाहरण के तौर पर हम ‘सॉÉटवेयर’ ‘कंÈयूटर ÿोúाम’ आिद को देख सकते ह§ । आधुिनक युग म¤ अनुवाद कì बढ़ती मह°ा के साथ-साथ अनुवाद के उपकरणŌ म¤ भी वृिĦ हòई है । सन् २००० म¤ एम.आई.टी. (Massachusetts Institute of Technology: MIT) के िलंकॅÐन (Lincoln) ÿयोगशाला म¤ यंग-शुक (Young Suk) और ³लीफॉडª वीÆसटाईन (Clifford Weinstein) ने एक अÂयाधुिनक कोåरयन-अंúेजी वाक् से वाक् अनुवाद यंý के munotes.in

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अनुवाद
38 ÿोटोटाईप ÿणाली का ÿदशªन िकया था । सन् २००१ म¤ चीनी देश म¤ बोली जाने वाली अÐपं भाषा जैसे øोिशयन (Croatian) के िलए कान¥गी मेलॉन िवĵिवīालय (Carnegie Mellon University) के भाषा-ÿौīोिगकì संÖथान के जेमी कारबोनेल (Jaime Carbonell) ने वाक् से वाक् अनुवाद ÿणाली का िनमाªण िकया । यू.एस.सी. (USC) के जैव िचिकÂसक अिभयंता िथयोडोर बजªर (Theodor Berger) और िज़म िशह (Jim Shih) ने एक नये बजªर-िलअव (Berger-Liaw) तंिýकìय संजाल वाक् अिभ²ान ÿणाली (Neural Network Speech Recognition System : SRS) का िवकास िकया है । यह उपकरण मानव कì अपे±ा वािचक भाषा को समझने म¤ अिधक स±म है । सन् २००२ म¤ एक एज¤ट आधाåरत Æयूज़ रीडर ÿणाली (Agent-Based News Reader Device) का िवकास हòआ । यह आलेखŌ का अनुवाद कर उसे एमपी३ (MP3) ®Ó य फाइल के łप म¤ पåरवितªत करता है । सन् २००६ म¤ नासा के िनद¥शक रफु संजली (Rafu Sanjali) ने पृÃवी से एक रोबोट िनयंिýत यान Ĭारा मंगल úह पर होने वाले चौथे आपदा को ९९.९९९ ÿितशत पåरशुĦता के साथ मशीनी अनुवाद ÿौīोिगकì का ÿयोग कर नाकाम कर िदया । सन् २००७ म¤ माइøोसॉÉट ने "What do you want to think today?" अिभयान (Campaign) के माÅयम से एक िवचार अिभ²ान अंतरापृķय (TRI) का ÿदशªन िकया गया । सन् २००८ म¤ एल एÁड एच (L&H) के ůैवल सनµलासेज Ĭारा सनµलासेज धारक कì मातृभाषा म¤ रोड िचĹ, ůैिफक िचĹŌ को तÂकाल अनुवाद करने कì सुिवधा ÿदान कì गयी । सन् २००९ म¤ जापानी से अंúेजी डा³यूम¤टेशन अनुवाद ÿोúाम कì अंितम कॉपी बनाई गई है । यह मानव संपादन कì जłरत को कृिýम बुिĦ आधाåरत अथêय संजाल का ÿयोग कर कम करता है । अत: अÆय देशŌ के साथ-साथ भारत म¤ भी मशीनी अनुवाद ÿसारण होना शुł हो गया है । भारत म¤ सभी ±ेýीय भाषाएँ या तो मातृभाषाएँ ह§ या ±ेýीय तौर पर ÿशासिनक भाषाएँ ह§ अतएवं Óयावसाियक अनुवादक बनने के इ¸छुक Óयिĉ को कम-से-कम तीन भाषाओं कì जानकारी होना आवÔयक है । भौितक साधनŌ के वगª म¤ शÊदकोश, Óयाकरण कì िकताब¤, समांतर कोश (thesaurus), िवĵकोश (encyclopedia) और संदभª पुÖतक¤ (reference books) आिद अनुवादक के कायª म¤ सहायक होते ह§ । वÖतुत: इस ±ेý म¤ भौितक यंýŌ का आगमन नया है । भाषावै²ािनक भौितक यंý जैसे िक डाटा िलंक (data link) और कÌÈयूटर कृत शÊदकोशŌ का भी िवकास कर रहे ह§ । इस ÿकार अनुवाद कì मशीनŌ कì लोकिÿय बढ़ने लगी है । इनके अितåरĉ गैर-भाषावै²ािनक मशीनी यंý जैसे िक ‘टाइपराइटर टेलीफोन’, ‘शÊदकोश मशीन’, ‘कॉपी मशीन’, ‘इले³ůॉिनक संúहण’ एवं ‘पुनःÿािĮ यंý’ और ‘टेले³स’ और ‘फै³स’ भी उपलÊध ह§ । १. शÊदकोश : अनुवादक के िलए सबसे बड़ा सहायक उपकरण शÊदकोश होता है । अनुवाद चाहे सािहिÂयक पाठ का हो या तकनीकì, सभी अनुवादकŌ को अ¸छे शÊदकोश कì जłरत अिनवायª łप से महसूस होती है । शÊदŌ के पयाªय देने के साथ-साथ अ¸छे शÊदकोश म¤ Öविनक िलÈयंकन (Phonetic transcription) (शÊद का उ¸चारण), पयाªय (equivalent), अथª अथवा दूसरी भाषा म¤ पयाªय (शÊद-साधन, derivation) और ÓयुÂपि° (etymology) भी दी जाती है । िकसी भी जीती जागती भाषा का शÊदकोश munotes.in

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अनुवाद के उपकरण
39 कभी भी िनिIJत łप से संपूणª नहé कहा जा सकता है ³यŌिक समय के साथ-साथ पुराने शÊद बोलचाल कì भाषा से लुĮ हो जाते ह§ और नए शÊदŌ का िवकास हो जाता है तथा शÊदŌ के अथŎ म¤ भी लगातार बदलाव होते रहे ह§ । जैसे िक िहंदी के पद शÊद का अंúेजी के “Post” पयाªय के łप म¤ अथª िवÖतार है । आधुिनक शÊदकोश कई मायनŌ म¤ वणªनाÂमक (descriptive) न होकर अनुशासनाÂमक (prescriptive) ह§ ³यŌिक वे भाषा के Öवłप को बेहतर बनाने कì कोिशश करते ह§ । अनुवादक के िलए शÊदकोश सबसे महÂवपूणª उपकरण है ; चाहे वह एकभाषी हो या िĬभाषी या बहòभाषी हो । समांतर कोश, ²ानकोश, पाåरभािषक शÊदावली आिद भी अनुवाद के महßवपूणª उपकरणŌ म¤ से एक है ।
अ) एकभाषी शÊद-कोश : शÊदŌ कì पåरभाषा, पयाªय एवं अथª एक ही भाषा म¤ िदये जाते ह§ । साधारणतः इन शÊदकोशŌ का संकलन उस भाषा िवशेष के िवशेष²Ō कì एक सिमित Ĭारा िकया जाता है िजसका यह पåरणाम होता है िक अनुवादक को िकसी भी शÊद के िवĵसनीय, उपयोगी, यथातÃय अथª और भावानुवाद उपलÊध हो जाते ह§ । एकभाषी कोश अनुवादक के िलए तब उपयोगी होता है, जब ąोत भाषा के िकसी शÊद के लàय भाषा म¤ िदये गये पयाªयŌ के बीच अथª का अंतर समझना हो । एकभाषी शÊदकोष से अनुवादक को ąोत भाषा को ÖपĶ łप से समझने म¤ मदद िमलती है । एकभाषी शÊदकोश लेखक क¤िþत या पाठ-आधाåरत भी हो सकते ह§। उदाहरणाथª "āजभाषा सूरकोश" लेखक- क¤िþत शÊदकोश है । ऐसे शÊदकोश म¤ लेखक िवशेष Ĭारा ÿयोग िकये गये शÊदŌ को संúहीत िकया जाता है। अत: ऐसे शÊदकोशŌ से भी अनुवादक को बहòत मदद िमलती है । ³यŌिक इनम¤ शÊदŌ के िनजी और िवचिलत ÿयोग भी िमल जाते ह§ । पåरणामÖवŁप अनुवादक को िहंदी के एकभािषक कोशŌ कì जानकारी आवÔयक होनी चािहए, तािक वह अनुवाद के कायª को सहजता से पूणª कर सके । ब) िĬभाषी शÊद-कोश : अनुवादक को अनुवाद करते समय िĬभाषी शÊदकोश कì िवशेष आवÔयकता होती है । अत: यह अनुवाद का सबसे महÂवपूणª उपकरण है िजसकì मदद से
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40 वह लàय भाषा म¤ उपयुĉ शÊदŌ का चयन करता है । िĬभाषी शÊदकोश के उपयोग से अनुवादक का समय भी बचता है । अत: िĬभाषीय शÊदकोश ąोत भाषा और लàय भाषा के बीच पुल का काम करते ह§ । उदाहरण के तौर पर अगर हम देखते ह§ िक अनुवादक बांµला भाषा से िहंदी भाषा म¤ अनुवाद कर रहा है, तो उसके िलए बांµला- िहंदी शÊदकोश अिनवायªत: आवÔयक है । इसी तरह अंúेजी से िहंदी म¤ अनुवाद करने के िलए अ¸छा अंúेजी-िहंदी शÊदकोश अनुवादक के िलए आवÔयक है । िवĵभर म¤ अंúेजी-िहंदी के कई शÊदकोश उपलÊध ह§ । अत: अनुवादक को यह जान लेना चािहए िक उसके िलए कौन सा शÊदकोश उपयोगी और महßवपूणª है । तथा अनुवादक के पास शÊदकोश होना माý पयाªĮ नहé है । उसे कोश का उपयोग करना आना चािहए । िजन शÊदŌ के अथª उसे नहé आते उनके िलए उसे अिनवायª łप से कोश देखना ही चािहए साथ ही अनुवाद सीखने कì ÿिøया म¤ उसे उन शÊदŌ के िलए भी कोश देखने कì आदत डालनी चािहए िजनका अथª उसे पता है । शÊदŌ का अथª पर संदेह होने पर शÊदकोश को देखना ही अ¸छा अनुवादक बनने कì कुंजी मानी है । उदाहरण के तौर पर अगर आप देखते ह§ िक Reference का अथª संदभª होता है, यिद आप कोश नहé देखते तो आप हमेशा reference का सही अनुवाद नहé कर सक¤गे ; जैसे, यिद कहा गया है “terms of reference’’ और आप िलख देते ह§ ‘संदभª कì शत¦’ तो यह िबÐकुल गलत होगा ³यŌिक वाÖतव म¤ “terms of reference” का अथª “िवचारणीय िवषय” होता है । इसी तरह एक शÊद के अनेक पयाªयŌ म¤ से सही शÊद चुनाव करने का गुण अनुवादक म¤ होना चािहए । कोश म¤ शÊद िवशेष से बनने वाले शÊदŌ को भी शािमल िकया जाता है, उनके पयाªय भी िदए जाते ह§ तथा उनके Óयाकरिणक łप का उÐलेख होता है साथ ही उससे िनिमªत Óयाकरिणक łप रचना का भी उÐलेख होता है । िवशेष िवषयगत शÊदकोश सामाÆय शÊदकोशŌ म¤ एकभाषी या िĬभाषी शÊदकोशŌ म¤ सामाÆय तकनीकì और वै²ािनक शÊदावली को भी शािमल िकया जाता है । इनके अितåरĉ कुछ िवशेष शÊदकोश ऐसे ह§ जो एक खास ±ेý से जुड़े हòए शÊदŌ कì जानकारी देते ह§ । ऐसे शÊदकोश Óयावसाियक अनुवादक के िलए बहòत उपयोगी सािबत होते ह§ । उदाहरण के िलए २३ भाषाओं म¤ उपलÊध Interactive Terminology of Europe एक बहò±ेýीय शÊदकोश है ; 'American National Biography' एक ही िवषय का शÊदकोश है और 'African American National Biography Project एक उप±ेýीय शÊदकोश है । आजकल हर महÂवपूणª, ÿासंिगक िवषय के िवशेष शÊदकोश ह§ जैसे ‘ऑ³सफोडª मौसम शÊदकोश’ ‘ऑ³सफोडª संगीत शÊदकोश’, ‘िचिकÂसा शÊदकोश’, ‘िविधक शÊदकोश’ इÂयािद मौजूद है । munotes.in

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41 इ) पाåरभािषक शÊदावली कोश : साधन शÊदसंúह (Glossary) या पाåरभािषक शÊदावली भी अनुवाद के आवÔयक उपकरण ह§ । Óया´या (Gloss) का अथª है वे शÊद, जो िकसी भी पाठ के पाĵª (margin) म¤ किठन शÊदŌ को समझाने, कोई िटÈपणी करने या भावानुवाद देने के िलए सिÌमिलत िकए गए हŌ । यह अÆय शÊदकोशŌ से िभÆन है ³यŌिक इसम¤ उ¸चारण, ÓयुÂपि° या Óयाकरण से संबंिधत जानकारी नहé दी जाती है । अत: पाåरभािषक शÊदसंúहŌ कì सं´या िदन-ÿितिदन बढ़ती जा रही है । िकताबŌ, पिýकाओं, ÿितवेदनŌ और शोध िनबंधŌ म¤ भी कभी-कभी इस तरह कì शÊदावली अलग से दी जाती है । पाåरभािषक शÊद का लàय भाषा म¤ पयाªय पाåरभािषक शÊद के łप म¤ िदया जाता है इसिलए इस ÿकार कì शÊदावली िवषय िवशेष अथवा ±ेý िवशेष कì पाåरभािषक शÊदावली कì अनुवादक के िलए बहòत उपयोगी होती है । िवकिसत देशŌ म¤ िविभÆन ±ेýŌ कì पाåरभािषक सेवाएँ उपलÊध ह§ िजनका लाभ अनुवादक उठा सकते ह§ । पाåरभािषक शÊदावली म¤ शÊदŌ के डाटा ब§क होते ह§, जो िवशेष łप से िकसी खास कायª के िलए िवकिसत िकए गए ह§ और िजनका लगातार आधुिनकìकरण िकया जाता है । इन सेवाओं कì एक कमी यह है िक इÆह¤ शÊदकोश या शÊदसंúहŌ कì तरह अनुवादक अपने पास रख कर िकसी भी समय उनकì मदद नहé ले सकता है । अत: सभी भारतीय भाषाओं म¤ इले³ůॉिनक शÊदकोशŌ के िवकास का कायª चल रहा है एवं ऐसे कंÈयूटरीकृत शÊदकोशŌ के साथ-साथ सÖते कंÈयूटर भी उपलÊध हो जाएँगे और उसके साथ-साथ भारतीय अनुवादकŌ को तकनीकì और सािहिÂयक पाåरभािषक शÊदŌ कì जानकारी भी िमल जाया करेगी । ई) समांतर कोश (Thesaurus) : यह शÊदकोश से िमलता-जुलता है, मगर यह उदाहरण या ÓयुÂपि° - िवषयक ढाँचŌ का उÐलेख नहé करता । अनुवाद के छाýŌ के िलए यह एक अÂयंत उपयोगी साधन है ³यŌिक इसम¤ एक ही शÊद से संबंिधत िविभÆन अथŎ वाले शÊद एक साथ एकý रहते ह§, िजससे अनुवादक को लàय भाषा म¤ सबसे उपयुĉ शÊद का चयन करने म¤ सहायता िमलती है । अंúेजी म¤ Roget का thesaurus सबसे अिधक ÿचिलत समांतर कोश है । यूनानी भाषा म¤ ‘thesaurus’ का मतलब है ‘खज़ाना’ और यह अनुवादक के िलए वाÖतिवक łप से खजाना सािबत होता है । उ) िवĵकोश (Encyclopedia ) : अनुवादक के िलए िवĵकोश एक शिĉशाली और उपयोगी उपकरण है, िजसम¤ ऐितहािसक, भौगोिलक, वै²ािनक, सािहिÂयक, दाशªिनक, राजनैितक आिद कई ÿकार के िवषयŌ कì जानकारी सं±ेप म¤ िमलती है । अनुवादक के िलए िवĵकोश अÂयंत महÂवपूणª संदभª-úंथ का काम करता है ³यŌिक इस úÆथ म¤ munotes.in

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42 मूल पाठ के अपåरिचत िवषय भी आ जाते ह§ । यिद ąोत भाषा का कोई शÊद अनुवादक के िलए नया है, तो वह आम शÊदकोश कì मदद ले सकता है ; एकभाषी शÊदकोश इसके िलए पयाªĮ है । िकÆतु यिद वह शÊद िकसी िवशेष वगª का न हो तो इस िÖथित म¤ अनुवादक केवल उस शÊद का अथª जानने का ही इ¸छुक होता है । यिद अनुवादक उस शÊद का लàय भाषा म¤ समानाथª चाहता है, तो उसे िĬभाषी शÊदकोश कì मदद लेनी होगी और यिद वह शÊद िकसी िविशĶ वगª का है, तो उसे िवशेष शÊदकोश कì सहायता लेनी होगी । ऊ) ऑनलाइन शÊदकोश : कÌÈयूटर और इंटरनेट ने ऑनलाइन शÊदकोशŌ के łप म¤ अनुवादकŌ को एक अÆय उपकरण भी उपलÊध करा िदया है । ऑनलाइन शÊदकोश से अिभÿाय है ; इंटरनेट पर उपलÊध शÊदकोश । ऐसे शÊदकोश एकभाषी भी होते ह§ और िĬभाषी भी । इंटरनेट पर उपलÊध शÊदकोश म¤ िकसी शÊदकोश कì वेबसाइट म¤ जाकर आवÔयक शÊद टाइप करने पर उसके अथª सामने आ जाते ह§ । इस तरह ऑनलाइन शÊदकोश का लाभ यह है िक अनुवादक को शÊदकोश का भार उठाना नहé पड़ता और साथ ही शÊदकोश पर होने वाले Óयय से भी बचा जा सकता है । अत: ऐसे शÊदकोशŌ का जÐदी-जÐदी नवीनीकरण भी होता रहता है जबिक पारंपåरक शÊदकोशŌ का नवीनीकरण उनके नए संÖकरण के ÿकािशत होने पर ही हो पाता है । अंúेजी-िहंदी या िहंदी अंúेजी ऑनलाइन के ढेरŌ ऑनलाइन शÊदकोश इंटरनेट पर उपलÊध ह§ । िहंदी के ऑनलाइन िĬभाषी कोश अनुवादक के िलए मददगार हो सकते ह§ । िहंदी के ऑनलाइन शÊदकोशŌ कì कुछ वेबसाइटŌ के नाम इस ÿकार है - १. http://www.google.com/translate-dict २. http://www.shabdakosh.com/ ३. http://www.hinkhoj.com/ ४. http://www.cfilt.iitf.ac.in/ ५. http://www.shabdakosh.com/shabadanjali ५.३ मशीनी अनुवाद : वतªमान िÖथित : मशीनी अनुवाद के ±ेý म¤ िवĵ के ÿÂयेक देशŌ म¤ िभÆन-िभÆन तरीके से ÿगित हòई है । मशीनी अनुवाद ÿणाली ÿाकृितक भाषा संसाधन के अनुÿयोगŌ म¤ से एक है । इसके िवकास हेतु वाक् और पाठ दोनŌ ÖतरŌ पर अनेक ÿकार के यंýानुवाद से इतर मॉड्यूल, उपकरण और सॉÉटवेयर कì आवÔयकता होती है । भारतीय भाषाओं के िलए ÿौīोिगकì िवकास (TDIL) पåरयोजना के अंतगªत मशीनी अनुवाद के िलए कई उपकरण िनिमªत िकए गए ह§ । इनम¤ ÿमुख łप से ²ान ąोत (समानांतर : Parallel) कॉरपोरा, बहòभािषक लाइāेरी कोश, कोशीय ąोत, ²ान उपकरण (भाषा संसाधन टूÐस, अनुवाद Öमृित टूÐस), अनुवाद सहायक ÿणाली munotes.in

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43 (मशीनी अनुवाद, बहòभािषक सूचना ए³सेस, सूचना ÿÂयानयन), मानव-मशीन अंतरापृķ ÿणाली (संÿतीक अिभ²ान ÿणाली, वाणी अिभ²ान ÿणाली, पाठ से वाक् ÿणाली), Öथानीयकरण (Localization), भाषा-ÿौīोिगकì मानव ąोत िवकास (ÿाकृितक भाषा संसाधन और कंÈयूटेशनल भाषािव²ान म¤ मानवशिĉ का िवकास) (Language Technology Human Resource Development) आिद है । भारतीय भाषा संÖथान, मैसूर Ĭारा ‘अनुकृित’ नामक डाटाबेस का िनमाªण, कथा-भारती नामक भारतीय ³लािसक अनुवाद और भाषा-भारती नामक लाइāेरी ąोतŌ का िडजीटलीकरण, ÿगत संगणन िवकास क¤þ (C-DAC) नोएडा Ĭारा ‘²ान िनिध’ नामक समानाÆतर पाठगत कॉरपोरा का िनमाªण, ई.एम.एल.ई. (EMLE- Enabling Minority Language Engineering) Ĭारा िलिखत एवं वािचक डाटा का संúह िकया जा रहा है । वािचक कॉरपोरा के संकलन हेतु क¤þीय इलै³ůॉिनक अिभयांिýकì अनुसंधान संÖथान (CEERI), नई िदÐली Ĭारा संचािलत रेलवे पूछ-ताछ ÿणाली और अ±र-िवभाजन (Syllabification) के िलए िहंदी-बंगाली पाठ से वाक् पद-िव¸छेदन िनयमŌ का िनमाªण, मराठी और पंजाबी के िलए ‘िवĴेिषका’ नामक सांि´यकìय पाठ िवĴेषक उपकरण का िनमाªण, ÿगत संगणन िवकास क¤þ (C-DAC) नोएडा Ĭारा ‘²ानिनिध’ कॉरपोरा का ÿयोग कर िहंदी, ÿगत संगणन िवकास क¤þ (C-DAC) कोलकाता Ĭारा असमी और मिणपुरी भाषा म¤ वाक्-संĴेषक और Öवरचािलत वाक्-अिभ²ान ÿणाली का िनमाªण, एच॰पी॰ लैब (HP Labs) Ĭारा पाठ से वाक् ÿणाली के िलए िहंदी और अंúेजी डाटाबेस का िनमाªण, Öवरचािलत वाक्-अिभ²ान ÿणाली के िलए असमी और भारतीय अंúेजी डाटाबेस का िनमाªण, हैदराबाद के संयुĉ तÂवावधान म¤ मराठी, वतªमान म¤ अंतरराÕůीय सूचना-ÿौīोिगकì संÖथान, तिमल और तेलुगु के िलए संúह कायª जारी है । टाटा अनुसंधान संÖथान (Tata Institute of Fundamental Research), मुंबई Ĭारा वाक्-अिभ²ानक, वाक्-संĴेषक, भाषा-मॉडिलंग और वाक्-डाटाबेस का िनमाªण, ÿोलॉिग³स सॉÉटवेयर (Prologix Software), लखनऊ Ĭारा िहंदी वाक्-संĴेषक का िनमाªण, Ăीगस सॉÉटवेयर िलिमटेड (Bhrigus Software Limited), हैदराबाद Ĭारा िहंदी, तेलुगु वाक्-अिभ²ानक, वाक्-संĴेषक का िनमाªण, वेबल मीिडयाůॉिन³स (Webel Mediatronics), कोलकाता Ĭारा िहंदी, बंगाली वाक्-संĴेषक का िनमाªण िकया जा रहा है । भारतीय ÿौīोिगकì संÖथान, मुंबई संयुĉ राÕů संघ कì िव°पोिषत पåरयोजना िहंदी शÊद संजाल के िलए कायª कर रही है। इसके अलावा िलन³स मंच के िलए देवनागरी कì एच.टी.एम.एल. दÖतावेजŌ के अनुøमण और खोज के िलए िहंदी खोज इंजन का िवकास िकया जा चुका है और िहंदी बुलेिटन बोडª ÿणाली का कायª िवकासाधीन है । ‘अ±र’, ‘शÊदमाला’, ‘शÊदरÂन’, ‘आलेख’, ‘भारती’, ‘मÐटीवडª’ आिद शÊद संसाधन के अलावा ‘िजÖट,’ तकनीक (úािफक एंड इंिडयन िÖøÈट टिमªनल) पर कई हाडªवेयर युिĉ का िवकास िकया जा चुका है । सी-डैक, बंगलौर Ĭारा संÖकृत शÊद संसाधक का कायª िनमाªणाधीन है । पाठ-संसाधन के ±ेý म¤ संÖकृत िवĬानŌ के ÿयोग के िलए संÖकृत शÊद संसाधक सिहत संÖकृत संलेखन ÿणाली िवकिसत कì जा रही है । संÖकृत भाषा के िलए ÿाकृितक भाषा समझ ÿणाली के łप म¤ ‘देिशका’ नामक सॉÉटवेयर पैकेज िवकिसत िकया गया है, जो ÿाचीन भारतीय िव²ान के िसĦांतŌ पर आधाåरत है । कंÈयूटर भाषािव²ान शोध munotes.in

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44 एवं िवकास के संÖकृत अÅयगयन क¤þ के अंतगªत, जवाहरलाल नेहł िवĵिवīालय, नई िदÐली Ĭारा डॉ॰ िगरीश नाथ झा के मागªदशªन म¤ एम.िफल. शोध के दौरान कोशीय ąोत के łप म¤ वषª २०११ म¤ ‘सु®ुत सिÌहता’ (Sushruta Samhita) नामक ऑन-लाईन आयुव¥द अनुøमणी (On-line Indexing of Ayurved) िनिमªत कì गई है । वषª २००८ म¤ ब¸चŌ के िलए मÐटीमीिडया और ई - िश±ण सामúी के िनमाªण हेतु संÖकृत कंÈयूटेशनल टूलिकट्स और संÖकृत-िहंदी मशीनी अनुवाद http://sanskrit.jnu.ac.in/shmt/index.jsp का िवकास िकया जा रहा है, िजसके िलए अंबा कुलकणê (हैदराबाद िवĵिवīालय) के नेतृÂव म¤ सात संÖथाओं के संघ िनिमªत हòए ह§- जवाहरलाल नेहł िवĵिवīालय, नई िदÐली, अंतरराÕůीय सूचना-ÿौīोिगकì संÖथान, हैदराबाद, संÖकृत अकादमी, पूमा ÿजना िवīापीठ, बंगलौर, जे.आर.आर.एस.यू. (Jagadguru Ramanandacharya Rajasthan Samskrita University), जयपुर और ितłपित िवīापीठ। कासटल (Castle) सॉÉटवेयर ने िजÖट काडª के साथ डॉस Èल¤टफामª पर संÖकृत िश±ण और अिभगम पåरयोजना िवकिसत कì थी, िजसके अंतगªत संÖकृत Öवनिव²ान और łपिव²ान के संĴेषण प± को संĴेषक का िनमाªण िकया गया है । मानव-मशीन अंतरापृķ ÿणाली के िवकास के अंतगªत क¤þीय इले³ůॉिनक इंजीिनयåरंग अनुसंधान संÖथान (CEERI), नई Ĭारा सुर, अनुतान से युिĉ ‘िहंदी वाणी’ नामक पाठ से वाक् पåरवतªन सॉÉटवेयर िवकिसत िकया गया है । भारतीय ÿौīोिगकì संÖथान, मþास के वाक्-ÿौīोिगकì समूह Ĭारा भारतीय भाषाओं के िलए ÿौīोिगकì िवकास कायª जारी है । अमेåरका Ĭारा एक ऐसे तंý का िवकास िकया जा रहा है, जो वािचक भाषा को संकेत म¤ पåरवितªत कर शीŅता से अनुवाद करने म¤ स±म है । अनुवाद सहायक ÿणाली के िवकास के अंतगªत ‘ÿबंिधका’ नामक कॉपªस ÿबंधक, ‘िचýा±åरका’ नामक िहंदी ÿकािशत संÿतीक अिभ²ान (OCR), बहòभािषक सूचना ÿÂयानयन ÿणाली, ÿित भािषक सूचना ÿÂयानयन ÿणाली (Cross Lingual information retrieval system), ‘लेिखका’ भारतीय भाषा शÊद, संसाधक का िवकास हो चुका है । यूिनवसªल िडिजटल कÌयूिनकेशन åरसचª इंिÖटट्यूट ने अंकìय कोश कì िवÖतृत योजना बनायी है । आंµलभारती िमशन के अंतगªत मशीन सािधत मशीनी अनुवाद के िवकास के िलए आंµल ÿौīोिगकì के अंतगªत अंúेजी से भारत कì १२ भाषाओं म¤ अनुवाद के िलए इसे ८ अलग-अलग संÖथानŌ म¤ Öथानांतåरत िकया गया है । इनम¤ भारतीय ÿौīोिगकì संÖथान, मुंबई आंµल-मराठी और आंµल-कŌकणी पर, भारतीय ÿौīोिगकì संÖथान, गुवाहाटी आंµल-असमी और आंµल-मिणपुरी पर, सी-डैक, पुणे आंµल-िसंधी, आंµल-उदूª और आंµल-कÔमीरी पर, सी-डैक, कोलकाता आंµल-बंµला पर, सी-डैक, ितłवनंतपुरम आंµल-मलयालम पर, थापर अिभयांिýकì एवं ÿौīोिगकì संÖथान, पंजाब आंµल - पंजाबी पर, जवाहरलाल नेहł िवĵिवīालय, नई िदÐली, आंµल--संÖकृत पर कायªरत ह§ । माइøोसॉÉट Ĭारा माइøोसॉÉट शोध-मशीनी अनुवाद (Microsoft Research Machine Translation : MSR-MT) नामक एक डाटा-चािलत (Data Driven) अनुवाद ÿणाली िवकिसत कì गई है, िजसकì ±मता अपने समÖत कोशीय और पदबंधीय ²ान को सीधे उपलÊध डाटा से अनुवाद करने कì है । इस ÿणाली के पद-िव¸छेदक (Parser) अंúेजी, munotes.in

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45 Ā¤च, जमªन, कोåरयन, जापानी, चीनी और Öपेिनश एवं जेनरेटर (Generator) पांच भाषाओं अंúेजी, Ā¤च, जमªन, जापानी और Öपेिनश म¤ उपलÊध है । माइøोसॉÉट अनुवादक ÿौīोिगकì Ĭारा िबंग अनुवादक (Bing Translator) नामक सेवा उपलÊध कराई गई है, जो पूरे पाठ या वेबपृķ को िविभÆन भाषाओं म¤ अनुवाद करती है । सन १९८८ म¤ इलेक्ट्रोननक िवभाग, भारत सरकार Ĭारा सूचना इंटरच¤ज के िलए भारतीय िलिप कोड (Indian Script Code for Information Interchange : ISCII) िवकिसत हòई थी, िजसे सन १९९१ म¤ भारतीय मानक Êयूरो Ĭारा संशोिधत िकया गया था । सी-डैक, मॉड्यूलर, इंफोटेक Ĭारा अनेक भारतीय भाषा ÿोसेिसंग सॉÉटवेयर पैकेज िवकिसत िकये गये ह§ । सोनाटा, िशखर, सॉÉटेक, वेब दुिनया, इंड-िलन³स, सरल सॉÉट, इलै³ůािनकì शोध एवं िवकास क¤þ, ÿगत संगणन िवकास क¤þ (C-DAC) मुंबई, भारतीय ÿौīोिगकì संÖथान, कानपुर, राÕůीय इंफॉरमेिट³स क¤þ (National Informatics Centre : NIC), टीसीएस, आई.बी.एम. इंिडया अनुसंधान लैब, ओरेकल आिद सरकारी, अĦª सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनŌ Ĭारा पता ÿबंधन ÿणाली (Address Management System), भारतीय भाषा-िश±ा ÿणाली, Óयापार ÿबंधन ÿणाली आिद के łप म¤ भारतीय भाषाओं म¤ फॉÆट आधाåरत बहòभाषी पैकेज, बहòभाषी शÊद-संसाधक, ÿितलेखन सुिवधा, फॉÆट आधाåरत भारतीय डी.टी.पी. पैकेज, डेटाबेस पैकेज के िलए स±म िÖøÈट, भारतीय िलिप स±म पैकेज, डेटा ÿिविĶ पैकेज, ई-मेल ÿणाली, अनुÿयोग सॉÉटवेयर पैकेज को िवकिसत िकया जा चुका है । माइøोसॉÉट Ĭारा महाÂमा गांधी अंतरराÕůीय िहंदी िवĵिवīालय, वधाª के सहयोग से वषª २०१० म¤ िहंदी म¤ कैÈसन ल§µवेज़ अंतरापृķ पैकेज (Caption Language Interface Package) का िनमाªण िकया गया है । ÿौīोिगकì संÖथानŌ एवं िवĵिवīालयŌ म¤ शोध कायŎ Ĭारा मशीनी अनुवाद कì अनेक िविधयŌ, ÿिविधयŌ, उ¸चÖतरीय मÅयवतê भाषा (High Level Medium Language) व अंतरभाषा एवं िĬभाषी कोशŌ का िवकास िकया जा रहा है । अनूिदत सामúी को संपािदत कर और अिधक बेहतर बनाने के िलए िविभÆन ÿकार के अंतरापृķ िनिमªत िकए जा रहे ह§ । महाÂमा गांधी अंतरराÕůीय िहंदी िवĵिवīालय, वधाª म¤ भाषा-ÿौīोिगकì िवभाग, कंÈयूटेशनल भाषािव²ान िवभाग और इÆफॉरमेिट³स एÁड ल§µवेज इंजीिनयåरंग िवभाग भी िहंदी से अÆय भारतीय भाषाओं एवं अंúेजी म¤ अनुवाद के िलए ऐसी ÿणािलयŌ के िवकास कायª म¤ संलµन है । एम.िफल. और पीएच.डी. शोध के अंतगªत िहंदी के कई सहायक उपकरण का िवकास िकया जा चुका है तथा शोधािथªयŌ Ĭारा ऐसे अनेक उपकरणŌ पर िनमाªण कायª जारी है । ५.४ सारांश : साराांशतः यह कहा जा सकता है नक भाषा कì उÂपि° मनुÕय ने अपनी भावना कì अिभÓयिĉ के िलए िकया है, इस अिभÓयिĉ म¤ अनुवाद कला और उपकरण अÂयिधक सहायक िसĦ हòए ह§ । भाषा Óयवहार के चार łप ह§ । इन चारŌ म¤ अनुवाद का ÿयोग ÿमुख łप से होता है । वÖतुत: अनुवाद के साधन उपकरणŌ म¤ अनुवाद कोशŌ कì उपयोिगता तथा कोशŌ का इÖतेमाल शÊदŌ कì जानकारी के िलए िकया जाता है । अनुवाद करते समय सही भाव, भाषा, अथª तथा कोशŌ का उपयोग करना ही सफल अनुवाद ह§ । munotes.in

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46 ५.५ लघु°åरय ÿij : १. नजस औजार की मदद से कायतकुशलता को ढाया जा सके, उसे क्ट्या कहा जाता है? २. जापानी से अांग्रेजी में डाक्ट्यूमेंटेशन अनुवाद की अांनतम कॉपी नकस वषत नाई गई? ३. च्चों के नलए मल्टीनमनडया और ई-नशक्षण सामग्री के ननमातण हेतु नकसका नवकास नकया जा रहा है? ४. न्यूज़ रीडर प्रणाली में आलेिों का अनुवाद करके उसे नकस प्रकार की श्रव्य फ़ाइल् के रूप में पररवनततत करता है? ५.६ बोध ÿij : १. शÊदकोशŌ म¤ शÊद के अथª के अितåरĉ और ³या जानकारी दी जाती है? २. एकभाषी कोश और िĬभाषी कोश म¤ मु´य अंतर ³या है? ३. िवĵकोश म¤ िकस ÿकार कì जानकारी दी जाती है? ४. अनुवाद के उपकरणŌ से ³या ताÂपयª है? ५. शÊदकोशŌ के मु´य ÿकारŌ का पåरचय दीिजए । ६. ऑनलाइन शÊदकोश तथा सामाÆय शÊदकोश म¤ ³या अंतर है? munotes.in

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47 ६अनुवाद के ±ेý एवं समÖयाएँ इकाई कì łपरेखा ६.० इकाई का उĥेÔय ६.१ ÿÖतावना ६.२ अनुवाद : िवĵ बाजार ६.३ अनुवाद के ±ेý ६.४ अनुवाद कì समÖयाओं का समाधान ६.५ अनुवाद कì समाधान ६.६ सारांश ६.७ बोध ÿij ६.८ संदभª úंथ ६.० इकाई का उĥेÔय : ÿÖतुत इकाई म¤ िनÌनिलिखत िबंदुओ का छाý अÅययन कर¤गे - • अनुवाद म¤ िवĵ बाजार को समझ जाएँगे | • अनुवाद म¤ ±ेý कौन-कौनसे है उसे जान पाएंगे | • अनुवाद कì समÖया को िवÖतार से जान¤गे | ६.१ ÿÖतावना : सन् १९९१ के बाद भारत म¤ बाजारवाद ने अपना पैर पसारना शुł कर िदया । उसके बाद ही से सािहÂय जगत से लेकर सूचना जगत तक सभी ÖथानŌ पर बाजारवाद कì मह°ा को Öवीकृित िमली है । अत: २१वé सदी के इस युग म¤ बाजारवाद का महßव बढ़ गया है । चूँिक देखा जाए तो बाजारवाद और अनुवाद का बहòत ही गहरा संबंध रहा है इसिलए वैिĵकरण के इस बाजारवादी समय म¤ अनुवाद को काफì महßवपूणª समझा जाने लगा है । यīिप जैसे-जैसे मनुÕय िवकासवाद कì ओर अपने पैर बढाते जाएगा वैसे-वैसे िवĵ म¤ अनुवाद कì माँग बढती जाएगी । इस ÿकार आज के दौर म¤ बाजारवाद और अनुवाद एक दूसरे के पूरक हो गये ह§ । वÖतुत: आज अनुवाद को देखने का ताÂपयª है ; बाजार को देखना । ³यŌिक बाजार के कारण ही अनुवाद फलीभूत हòआ है । munotes.in

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48 ६.२ अनुवाद और िवĵ बाजार : अनुवाद कì उपयोिगता आरिÌ भक काल म¤ ही िसĦ हो गई थी। िकÆ तु उस दौर म¤ इसका उपयोग जनजीवन कì समझ बनाने तथा ²ान-फलक का िवÖ तार करने के िलए होता था । िĬतीय िवÔ व-युĦ के बाद अÆ तराªÕ ůीय राजनीितक सÌ बÆ धŌ कì शृंखला चली, तो यहाँ अनुवाद राजनीितक-संवाद के िलए महß वपूणª हो गया । भारत कì बहòभािषकता, अÆ तराªÕ ůीय कूटनीितक सÌबÆध कì अिनवायªता, सीमावतê Öवाय°ता कì वजह से पहले से ही इसकì Ó यविÖ थत उपादेयता सुिनिÔ चत हो गयी है । इस तरह आधुिनक युग म¤ अनुवाद ने सभी ±ेýŌ म¤ अपना पैर पसार िलया है । भारतीय úÆ थŌ के अंúेज सÌ पोिषत अनुवाद के कारण दुिनया भर के बौिĦकŌ का सामना पहली बार दूिषत अनुवाद से हòआ और यहाँ से अúसर अनुवाद-कमª कì परख राजनीितक ितकड़म के िहÖ से के łप म¤ होने लगी । इसिलए अब अनुवाद ²ान-िवÖ तार का साधन भर नहé रह गया । बिÐक साăाº य-िवÖ तार के आखेटकŌ ने मूल-पाठ के भाव को जुगाड़ तकनीक से लà य-भाषा के पाठ म¤ तोड़-मरोड़ शुł िकया । अनुवाद म¤ अब वा³ यŌ, पदŌ, शÊ दŌ, वणŎ, िवराम िचĹŌ के बीच छुपे हòए अथª-Å विनयŌ कì तलाश और Ó या´ या होने लगी और अनुवाद-कमª एवं अनुवादकŌ को इस Ó या´ या कì चतुराई का घातक पåरणाम भोगना पड़ा । वैसे तो भारतीय नवजागरण और िहÆ दी नवजागरण के अúदूतŌ ने अनुवाद एवं अनूī पाठ के चयन के अपने कौशल से ÿदूिषत अनुवाद से ÿसाåरत इन 'िविचý धारणाओं' को Å वÖ त कर िदया । राजा राममोहन राय से शुł हòई भारतीय úÆ थŌ के अंúेजी अनुवाद कì परÌ परा आर.सी.द°, दीनबÆ धु िमý, अरिबÆ द, रवीÆþ नाथ टैगोर एवं जैसे अÆय अनुवादकŌ का øम सतत चलता रहा । चूँिक इसी तरह अंúेजी úÆ थŌ के िहÆ दी अनुवाद कì परÌ परा राÕ ůीय भावना, देश कì िÖथित, आधुिनक िचÆ तन और ²ान-िव²ान से भारतीय समाज को पåरिचत कराने के िलए भारतेÆदु हåरIJÆ þ, महावीर ÿसाद िĬवेदी, रामचÆ þ शु³ ल से शुł होते हòए अब तक चली आ रही है । उदाहरणÖवłप मच¥Á ट ऑफ वैिनस (शे³ सिपयर), एजुकेशन (हबªटª ÖपेÆ सर), ऑन िलबटê (जान Öटुअटª िमल), åरिडल ऑफ यूनीवसª (जमªन वै²ािनक अÆÖटª हैकल), Öवदेशी भावना और राÕůीय चेतना जगानेवाली पुÖ तकŌ के िहÆ दी अनुवाद ने भारत के Ö वाधीनता सेनािनयŌ को आ मगौरव से सराबोर कर िदया । इस तरह यूरोपीय एवं भारतीय भाषाओं के बीच अनुवाद का चलन चल पड़ा । और साथ ही भारतीय भाषाओं म¤ अनेक पारÖपåरक अनुवाद भी शुł हòए । इसके साथ-साथ एक अ¸ छी बात यह भी हòई िक शासनाÅ य±Ō एवं Ó यवसािययŌ कì नजर म¤ अनुवादकŌ का महß व भी बहòत बढ़ गया । शासन-Ó यवÖ था म¤ कायª करनेवाले लोगŌ को अनुवाद कला कì जłरत समझ म¤ आने लगी । तथा िवĵ Öतर पर िविभÆन भाषाओं म¤ अनुवाद का कायª शुł हो गया । भारतीय संिवधान के अनुसूची आठ के तहत सन् १९४९ को िहंदी को राजभाषा का दजाª ÿाĮ हòआ । सवªÿथम इस अनुसूची म¤ कुल १४ भाषाओं को माÆयता ÿदान िकया गया था और साथ संपूणª भारत म¤ िýभाषा-सूý भी लागू िकया । भाषा कì बहòलता के कारण अनुवाद कì मह°ा और अिधक बढ़ी । आगे चलकर सरकारी तथा गैर-सरकारी कायाªलयŌ म¤ राजभाषा ÿकोÕ ठ भी बने । िजसके कारण शासकìय ÿयासŌ से अनुवाद कमª से रोजगार और उपाजªन के अवसर सामने आए । जन-संचार एवं ÿकाशन Ó यवसाय के िवकास के कारण भी अनुवाद के अवसर बढ़े । पयªटन के िवकास से अनुवादकŌ या दुभािषयŌ कì माँग बढ़ी । इस तरह सरकारी काम-काज म¤ िहÆ दी कì अिनवायªता के कारण अनुवाद कायª लाभदायी िदखने लगा। munotes.in

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अनुवाद के ±ेý एवं समÖयाएँ
49 Ó यवÖ था संचालन और सË यता संचरण के िलए अनुवाद अिनवायª साधन बन गया । यīिप आधुिनक समय के सूचना-सÌ पÆ न नागåरक होने के िलए इसकì मह°ा तो पहले ही ÿमािणत हो चुकì थी । बाजार के वािणिº यक िवÖ तार म¤ इस बौिĦक पहल कì बड़ी भूिमका िसĦ हòई । Ö वयं म¤ तो इसका बाजार-मूÐ य ऊजªिÖ वत था ही, जीवन-Ó यवÖ था के सारे ±ेýŌ म¤ इसकì उपयोिगता Ö वत: ÿमािणत थी, इस ÿकार अनुवाद कौशल हािसल कर आज असं´ य Ó यि³ त रोजगार पा रहे ह§ । अनुवाद-एजेिÆ सयŌ कì बेशुमार िनिमªितयाँ देखकर यकìन करना सहज है िक इस समय भारत एवं दुिनया के अÆ य देशŌ म¤ भी अनुवाद एक उपयोगी और महßवपूणª कौशल बन गया है । इस कौशल को हािसल कर लेनेवाला Ó यि³ त अपने समय का आÂ मिनभªर नागåरक है और भिवÕय म¤ सफल जीवन िबतानेवालŌ के बीच गवª से गरदन ताने जीवन-बसर करता रहेगा । िवगत पाँच-छह दशकŌ म¤ िनजी उपादेयता के तौर पर अनुवाद कì पहचान शासन-ÓयवÖथा, राÕůिनमाªण के सÆ देश, वािणºय, ÿबÆधन-पĦित, औīोिगक िवकास, मानवीय सौहादª के संवĦªन, िवचार िविनमय, सांÖकृितक आदान-ÿदान, कला-सािहÂय-संÖकृित के िवकास के अिनवायª घटक के łप म¤ बनी है । ²ान कì िविभÆ न शाखाओं म¤ बेहतर उ¸च िश±ा एवं पेशागत ²ान म¤ द±ता हािसल करने म¤ अनुवाद के सूàमतर उपयोग हो रहे ह§ । शुĦ अनुवाद के अलावा अÅ यापन, ÿिश±ण, ÿशासन, राजनीित, अÆ तराªÕ ůीय राजनीितक सÌ बÆ ध, अÆ तराªजीय संÖ कृितक जनसÌ पकª, िनवªचन, संचार माÅ यम, Ó यापार, पारÌ पåरक Ó यवसायŌ के ÿोÆ नयन, Ö थापÂ य, कृिष, सािहिÂ यक, सांÖ कृितक, राजनीितक आदन-ÿदान, ÿकाशन, िसनेमा सब टाइटिलंग, łपाÆ तरण, दूरदशªन, िव²ापन, पयªटन, खेल-कूद...सभी ±ेýŌ म¤ इस कौशल कì उपादेयता ÿमुख हो गयी है । यकìनन अनुवाद कला के िवकास के कारण सुद± अनुवादकŌ के िलए रोजगार के मागª ÿशÖ त हòए ह§ । इसके साथ-साथ ऐसा कहना गलत नहé होगा िक कोई मनुÕ य अपने समय के वैिÔ वक पåरŀÔ य का सूचना सÌ पÆ न जाúत नागåरक अनुवाद के सहयोग के िबना हो ही नहé सकता । िलहाजा अनुवाद का अपना बाजार-मूÐ य तो वचªÖ व म¤ है ही, िकंतु बाजार कì पåरपुिÕ ट म¤ भी यह जबदªÖ त योगदान दे रहा है । वैिÔ वक Ó यवसाय के ±ेý िवÖ तार म¤ अनुवाद कì अिनवायª भूिमका रही है । ³यŌिक आज के Ó यवसायी अनुवाद का सहारा िलए बगैर आम जनता तक पहòँच ही नहé सकते । चूँिक अनुवाद के िबना इस समय उÂ पादक-उपभो³ ता के बीच संवाद-सÌ बÆ ध Ö थािपत होना असÌ भव है । बाजार और राजनीित कì इस िविचý भाग से बहòत कम लोग पåरिचत हŌगे िक भाषाई फूट से एक प± जन-जन म¤ þोह फैलाता है, तो दूसरा अपने उÂ पाद के िव²ापनŌ का ±ेýीय भाषाओं म¤ अनुवाद कर उनके कानŌ म¤ सÌ मोहन का जादू भरकर उÆह¤ वÖतु या बाजार कì तरफ आकिषªत भी करता है । इसिलए जन-जन तक अपने उÂ पाद कì सूचना पहòँचाने का हर सÌ भव ÿयास आज के Ó यवसायी कर रहे ह§ । िव²ापन के पाठ कì वÖ तुिनÕ ठता को भलीभांित समझकर उसके अनुवाद कì चेÕ टा करने, लि±त उपभो³ ता समूह को सÌ मोिहत करने कì तरकìब रचने म¤ आज के अनुवादक कुशल हो रहे ह§ । इस ÿकार िव²ापनŌ के अनुवाद का भरा-पूरा बाजार Ó यविÖ थत हो रहा है । चूँिक Ó यवसाय कì सÌ पुिÕ ट एवं संवĦªन म¤ अनुवाद का चमÂ कार Ó यावहाåरक तौर पर Ö पÕ ट िदख रहा है । इसिलए बाजार और राजनीित कì यह गहन जुगलबÆ दी का ÿभाव आज के समाज म¤ साफ िदखायी दे रहा है । munotes.in

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अनुवाद
50 दुिनया भर के बड़े-बड़े Ó यवसायी अनुवाद कì इस उपादेयता से सÌ मोिहत होकर इस ओर आकिषªत हòए ह§ । उपभो³ ता समूह तक उ पाद कì पहòँच और गुणगान उसके िवøय का मूल आधार है । इन दोनŌ ही काम के िलए उपभो³ ता समूह कì भाषा म¤ लुभावने पदŌ के साथ उ पाद का िववरण करना अिनवायª है । इस ÿकार लुभावने नारŌ से लि±त समाज म¤ उ पाद के िलए सÌ मोहन पैदा करने को ही िव²ापन कहते ह§ । अÆ तभाªिषक ±ेýŌ के Ó यवसािययŌ के बीच पारÖ पåरक सÌ बÆ धŌ कì िनरÆ तरता के िलए अनुवाद कì यह मह°ा तो पहले से थी; िकÆ तु बाजार के भौितक ±ेý म¤ भी अनुवाद का महß व वैिÔ वक Ó यवसाय पĦित से जगजािहर हòआ । लुभावने िव²ापन के सहारे दुिनया के कोने-कोने के उपभोĉाओं तक उ पाद का सÌ मोहन पहòँचाने के िलए हर Ó यवसाय म¤ अनुवाद कì मह°ा इसी तरह कािबज हòई । भारत कì अपनी उ पादन-±मता जैसी भी हो, पर वैिÔ वक संचार-Ó यवÖ था के कारण भारतीय बाजार म¤ उ पाद का कोई अभाव नहé िदखता । यहाँ हर कुछ उपलÊ ध है । जगजािहर है िक िकसी देश का बाजार उÆ नत उ पादन-±मता और मजबूत øय-शिĉ से समृĦ होता है | उ पादन-±मता का åरÔ ता कौशल एवं संसाधन से है, जबिक øय-शिĉ का åरÔ ता रोजगार एवं उपाजªन से । उपाजªन का तो पता नहé, पर िव²ापनŌ कì चकाचŏध बेशुमारी एवं िनलªº ज ÿदशªन देखकर सामाÆ य अथªशाÖ ýीय ²ान रखनेवाला Óयिĉ भी मान बैठा है िक इस व³ त उÆ नत Ó यावसाियकता के िलए भारत एक बेहतरीन बाजार है । øय-शि³ त बढ़ाने के ąोत कì िश±ा का कोई उīम बेशक न िदखे, पर गाहे-बगाहे हम¤ ÿतीत कराया जाता है िक हम िवकास के युग म¤ जी रहे ह§ । हम तेजी से िवकास कर रहे ह§ । समाज-Ó यवÖ था एवं दूरदशªन-चैनलŌ के हर आचरण से ऐसा Ö पÕ ट है । घर बैठा, भोजन करता, टी.वी. देखता मनुÕ य अचानक से मनत: बाजार पहòँच जाता है । िनयित उसे अÆ य कुछ सोचने कì मोहलत नहé देती । िव²ापनŌ Ĭारा उÆ ह¤ सÆ तान एवं अपने Ö वाÖ Ã य के ÿित इतना आतंिकत कर िदया जाता है ; जीवन-मूÐ य, राÕ ů-मूÐ य, सÌ बÆ ध-मूÐ य कì संवेदना जगाकर उÆ ह¤ इतना िवĽल कर िदया जाता है िक वह चाहकर भी घर म¤ बैठ नहé पाता । जेब अनुमित दे चाहे न दे, बेशक कजª ले, पर बाजार जाकर बिल का बकरा जłर बन जाता है । तय है िक Ó यवसायी समुदाय ने जनता कì बौिĦकता खरीदकर जनता को समझा िदया िक बाजार के िबना तुÌ हारा जीवन िनरथªक है ! Ó यवसािययŌ कì पारखी नजर जनता का मन टटोलती रहती है । उÆ ह¤ मालूम है िक जनता दूरदशªन के चैनल देखे, उपभो³ ता-सेवा केÆ þ से बात करे, अखबार म¤ िव²ापन देखे, पÌ पलेट पढ़े, ऑनलाइन खरीद करे...उसे अपनी भाषा सÌ मोिहत करेगी । इसिलए वैिÔ वक बाजार कì बहòभािषकता के मĥेनजर सारे के सारे Ó यवसायी अनुवाद कì डगर पर चल पड़े ह§ । अनुवाद का बाजार इन िदनŌ वाकई गमª है। अनुवाद का फैलाव अब िजतनी िदशाओं म¤ हो चुका है, उनम¤ यह समझना ®ेयÖ कर होगा िक यह एक िवशेष कौशल है । दो भाषाओं का ²ान रखनेवाला हर Ó यि³ त हर िवषय के पाठ का अनुवाद नहé कर सकता । मु³ त łप से काम करनेवाले अिधकांश अनुवादक सोचते ह§ िक अनुवाद के िलए दो भाषाओं कì जानकारी माý पयाªÈ त है ; िकÆ तु ऐसी समझ अनुवादकìय िशÕ टाचार कì अधूरी समझ है । बेहतरीन अनुवाद के िलए ąोत एवं लà य दोनŌ भाषाओं कì गहन समझ के साथ-साथ दोनो पाठ के भािषक जनपद कì संÖ कृित एवं पाठ के िवषय कì गहन समझ आवÔ यक है । Ó यवसाय कì गहन समझ िजÆ ह¤ नहé है, वे सािह य अथवा तकनीकì munotes.in

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अनुवाद के ±ेý एवं समÖयाएँ
51 अथवा अÆ य िवषयŌ के पाठ के िकतने भी सुद± अनुवादक हŌ, उनका काम जोिखम भरा रहेगा ही । अनुवाद कì भुिमका मे Ó यवसाय और िव²ापन कì दुिनया के बड़े-बड़े किमªयŌ कì राय म¤ भी सामाÆ य अनुवाद और Ó यावसाियक अनुवाद म¤ बड़ा फकª िकया करते है । जन-सÌ पकª, Óयापार के ±ेý कì बुिनयादी िवशेष²ता हािसल िकए िबना Ó यावसाियक अनुवाद के ±ेý म¤ कूद पड़ना घातक है । हर Ó यवसाय कì िवपणन पĦती िभÆ न होती है । िव²ापन कì सूà म समझ रखनेवाले सारे लोग जानते हŌगे िक पुÖ तक, दाल-चावल-आटा एवं घी-तेल-मसाला, शृंगाåरक सामúी, सरकारी योजना और धािमªक घोषणाओं के िव²ापनŌ कì भाषा अलग-अलग होगी । फेसबुक, वाट्सैप, ट्िवटर पर ĂÕ ट अनुवाद के उदाहरण अ³सर देखे जाते ह§। जłरतमÆ द कौशलिवहीन ĂÕ ट अनुवादक धन-लोलुपता के आúह म¤ अ³ सर अ²ात ±ेýŌ के पाठ का अनुवाद कर डालते ह§ । उÂ पादक भी अ³ सर Æ यूनतम अनुवाद-शुÐ क से काम चलाने के च³ कर म¤ ऐसे अनुवादकŌ से काम करा लेते ह§ । इससे उÂ पादकŌ का Ó यवसाय तो आहत होता ही है, अनुवाद-Ó यवसाय भी सÆ देहाÖ पद होता है । इससे बचने कì जłरत है । िव²ापन, ÿेस िव²िĮ, िबøì Ó या´ यान, Ó यावसाियक ÿचार कì सामúी के अनुवाद कì अलग सावधािनयाँ होती ह§ । इन पाठŌ कì सैĦािÆ तकì और ÿासंिगक ²ान म¤ िवशेष²ता हािसल कर कोई अनुवादक िनÔ चय ही Ó यावसाियक łप से स±म बन सकता है । आिखरकार अनुवाद-कमª भी एक Ó यवसाय है, िजसम¤ िकसी अनुवादक कì िवशेष²ता एवं बेहतर सेवा के बदले उनके úाहक उÆ ह¤ बेहतर भुगतान देते ह§ । Ó यापार सÌ बÆ धी पाठ के अनुवाद के िलए अनुवादकŌ का रचनाÂमक होना अिनवायª है । Öथानीय भाषा म¤ अनूिदत ÿचार सामúी पढ़कर लि±त उपभोĉा जब तक महसूस न करे िक वह बात उसकì भाषा म¤ कही गई है, अनुवाद िनरथªक है। इसिलए Ó यावसाियक पाठ के अनुवाद के िलए द± अनुवादकŌ कì आवÔयकता होती है । भूमंडिलकरण चकाचŏध म¤ Ó यापार, सूचना-तÆ ý एवं जनसÌ पकª का ±ेý िजतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है, इन ±ेýŌ म¤ अनुवाद कì गुंजाइश भी बढ़ती जा रही है । इस ±ेýŌ म¤ िवपुल सामúी है, िजनका अनुवाद जłरी है । दुिनया भर कì उÂ पादक कÌ पिनयाँ अपने दÖतावेजŌ का अनुवाद Öथानीय भाषाओं म¤ करवाकर वैिÔ वक बाजार म¤ फैलना चाह रही ह§ । Ó यावसाियक ÿितÖ पĦाª कì होड़ म¤ सभी कÌ पिनयŌ को जन-जन तक पहòँचने कì जÐ दी है । जÐ दी नहé पहòँच¤गे तो उनका उÂ पाद बासी हो जाएगा । उÆ ह¤ रोज-रोज अपने मुख-पý, ÿेस िव²िĮ बाजार म¤ पहòँचाने होते ह§ । नए-नए āाÁ डŌ के िवÖतार एवं अपनी Ó यावसाियक नीित से øेता-समूह को सÌ मोिहत करना होता है । ±ेýीय भाषाओं म¤ ÿचार-सामúी उपलÊ ध करवाकर लि±त बाजार म¤ वचªÖ व बनाना होता है। इसके साथ-साथ मुिहम ऐसा भी हो िक वातावरण अनुकूिलत रहे, कोई ऊब न आए, ³ यŌिक यह ÿिøया िनरÆ तर बनी रहेगी, कभी Łकेगी नहé । ऐसे म¤ अनुवादकŌ के दाियÂ व को तौलना तो सहज है । िवøेता को हर हाल म¤ øेता कì भाषा बोलनी पड़ेगी ; यह Ó यवसाय का िनणाªयक दशªन है । िवगत कुछ दशकŌ म¤ दुिनया भर के छोटे-बड़े Óयवसायी यह िनÕ कषª िनकाल चुके ह§ िक अनुवाद उनकì Óयावसाियक रणनीित का अिभÆन िहÖसा है । वैिĵक सूचना से आøाÆ त बाजार के तÆ ýजाल से हम भली-भाँित पåरिचत ह§ । पूरी दुिनया हमेशा हमारे सामने होती है । भौितक दूåरयŌ से अब हम आतंिकत नहé होते । ई-कॉमसª हमारी munotes.in

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अनुवाद
52 िदनचयाª को ÿभािवत और कुछ हद तक िनद¥िशत करने लगा है । ऑनलाइन माक¥िटंग हमारे जीवन म¤ ÿिवÕ ट है । दुिनया के िकसी भी देश कì िकसी भी कÌ पनी का उÂपाद हम घर बैठे मँगवाने लगे ह§ । पर ऐसे úाहकŌ कì अभी भी कमी नहé है जो अपनी बोली के अलावा कोई दूसरी भाषा नहé जानते, इसीिलए हर लघु एवं मÅ यम फलक के Ó यवसायी अपने वेबसाइट पर Öथानीय बाजारŌ कì ±ेýीय भाषाओं कì ओर उÆ मुख ह§ । सव¥±ण से तÃ य सामने आ चुका है िक øेता को िकसी उÂपाद कì सारी जानकारी जहाँ उपलÊध होगी, वह वहé से सामान खरीदेगा । Ó यवसायी सुिनिÔ चत कर चुके ह§ िक úाहकŌ का भाषा संÖ कार बदलने कì ÿती±ा करते हòए समय नÕ ट करने और अपने Ó यवसाय को नुकसान पहòँचाने के बजाय हम¤ úाहकŌ को उनकì भाषा म¤ åरझाना चािहए । वैिĵक बाजार म¤ लि±त úाहकŌ तक पहòँचने के िलए ÿचार सामúी के अनुवाद से अिधक तेज़ और कुशल तरीका Ó यवसािययŌ को कोई नहé िदखता । Ó यावसाियक ÿचार सामúी को Öथानीय बनाने से िनÖ सÆ देह उÂ पाद कì पहòँच उपभो³ ता तक होती है; इसके साथ-साथ यह भी सुिनिIJत होता है िक øेता तक सवाªिधक पहòँच बनाने म¤ कौन-सी भाषा सवाªिधक सहायक होगी । आम तौर पर सीमाÆ त ±ेý के øेता कì भाषा छोटी-छोटी कÌ पिनयŌ के िलए लाभÿद होती है, िकÆ तु लि±त बाजार के िलए मुþण और िवतरण कì लागत का Åयान भी उÆ ह¤ रखना होता है । नए बाजार म¤ आते ही नए úाहक अपनी Öथानीय भाषा म¤ úाहक-सेवा सामúी कì अपे±ा करने लगते ह§ । शुł-शुł म¤ यह कÌ पनी के बजट को ÿभािवत अवÔ य करता है, िकÆ तु शीŅ ही उसकì लाभÿद पåरणित सामने लगती है । ऐसा तभी लाभÿद होगा जब ÿभावी अनूिदत पाठ बाजार म¤ रहेगा । बाजार के िवÖतार म¤ इस बौिĦक पहल कì बड़ी भूिमका िसĦ हòई । Öवयं म¤ तो इसका बाजार मूÐय ऊजªिÖवत था ही ; जीवन-ÓयवÖथा के सारे ±ेýŌ म¤ इसकì उपादेयता Öवत: ÿमािणत थी; अनुवाद कौशल हािसल कर आज बहòत सारे लोग रोजगार पा रहे ह§ । Öव¸छंद काम करते हòए भरण-पोषण के संसाधन आराम से जुटा रहे ह§ । अनुवाद-एज¤िसयŌ कì बेशुमार िनिमªितयां देख कर यकìन करना सहज है िक इस समय भारत और दुिनया के अÆय देशŌ म¤ भी अनुवाद एक उपयोगी कौशल है । इस कौशल को हािसल कर लेने वाला Óयिĉ अपने समय का आÂमिनभªर नागåरक होगा, और भÓय कुलीन सफल जीवन िबताने वालŌ के बीच गवª से गरदन ताने जीवन बसर करता रहेगा । िवगत पांच-छह दशकŌ म¤ िनजी उपादेयता के तौर पर अनुवाद कì पहचान शासन-ÓयवÖथा, राÕůिनमाªण के संदेश, मानवीय सौहादª के संवĦªन, वािणºय, औīोिगक िवकास, ÿबंधन पĦित, िवचार िविनमय, सांÖकृितक आदान-ÿदान, कला-सािहÂय-संÖकृित के िवकास के अिनवायª घटक के łप म¤ बनी है । ²ान कì िविभÆन शाखाओं म¤ बेहतर उ¸च िश±ा और पेशेगत ²ान म¤ द±ता हािसल करने म¤ अनुवाद के सूàमतर उपयोग हो रहे ह§ । शुĦ अनुवाद के अलावा अÅयापन, ÿिश±ण, ÿशासन, राजनीित, अंतरराºयीय सांÖकृितक जनसंपकª, अंतरराÕůीय राजनीितक संबंध, संचार माÅयम, Óयापार, पारंपåरक ÓयवसायŌ के ÿोÆनयन, कृिष, ÖथापÂय, सािहिÂयक-सांÖकृितक-राजनीितक आदान-ÿदान, ÿकाशन, िसनेमा सब टाइटिलंग, łपांतरण, दूरदशªन, िव²ापन, पयªटन, खेल-कूद सभी ±ेýŌ म¤ इस कौशल कì munotes.in

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अनुवाद के ±ेý एवं समÖयाएँ
53 उपादेयता ÿमुख हो गई है । इसके साथ-साथ यह बड़ा सच है िक कोई मनुÕय अपने समय के वैिĵक पåरŀÔय का सूचना संपÆन जागृत नागåरक अनुवाद के सहयोग के िबना हो ही नहé सकता । िलहाजा, अनुवाद का अपना बाजार-मूÐय तो वचªÖव म¤ है ही, बाजार कì पåरपुिĶ म¤ भी यह जबदªÖत योगदान दे रहा है । वैिĵक Óयवसाय के ±ेý-िवÖतार म¤ अनुवाद कì अिनवायª भूिमका है । अनुवाद का सहारा िलए बगैर आज के Óयवसायी आम जनता तक पहòंच ही नहé सकता । अनुवाद के िबना इस समय उÂपादक-उपभोĉा के बीच संवाद-संबंध Öथािपत होना असंभव है । बाजार और िसयासत कì इस िविचý गांजािमलानी से कम लोग पåरिचत हŌगे िक भाषाई फूट से एक प± जन-जन म¤ þोह फैलाता है, तो दूसरा अपने उÂपाद के िव²ापनŌ का ±ेýीय भाषाओं म¤ अनुवाद कर उनके कानŌ म¤ सÌमोहन का जादू भरता है । जन-जन तक अपने उÂपाद कì सूचना पहòंचाने का हर संभव ÿयास आज के Óयवसायी कर रहे ह§। िव²ापन के पाठ कì वÖतुिनķता को भली-भांित समझ कर उसके अनुवाद कì चेĶा करने, लि±त उपभोĉा समूह को सÌमोिहत करने कì तरकìब रचने म¤ आज के अनुवादक कुशल हो रहे ह§ । िव²ापनŌ के अनुवाद का भरा-पूरा बाजार ÓयविÖथत हो रहा है । Óयवसाय कì संपुिĶ एवं संवĦªन म¤ अनुवाद का चमÂकार Óयावहाåरक तौर पर ÖपĶ िदख रहा है, बाजार और िसयासत कì जुगलबंदी का ÿभाव आज के समाज म¤ साफ िदख रहा है । दुिनया भर के बड़े-बड़े Óयवसायी अनुवाद कì इस उपादेयता से सÌमोिहत होकर इस ओर आकिषªत हòए ह§ । उपभोĉा समूह तक उÂपाद कì पहòंच और गुणगान उसके िवøय का मूल आधार है । इन दोनŌ कामŌ के िलए उपभोĉा समूह कì भाषा म¤ लुभावने पदŌ के साथ उÂपाद का िववरण अिनवायª है । लुभावने नारŌ से लि±त øेता समाज म¤ उÂपाद के िलए सÌमोहन पैदा करने को ही िव²ापन कहते ह§ । िव²ापन िजतना लुभावना होगा, जन-मन पर उसका असर िजतना सÌमोहक होगा, उÂपादन कì िबøì उतनी ही अिधक होगी । बाजार कì इस लोलुप वृि° के कारण सÌभवत: पहली बार पूंजीपितयŌ को जनभाषा का महßव समझ म¤ आया। उÆह¤ लगा िक खरीदार कì भाषा म¤ उÂपाद का िव²ापन सवाªिधक लाभÿद है। अंतभाªिषक ±ेýŌ के ÓयवसािययŌ के बीच पारÖपåरक संबंधŌ कì िनरंतरता के िलए अनुवाद कì यह मह°ा तो पहले से थी िकंतु बाजार के भौितक ±ेý म¤ भी अनुवाद का महßव वैिĵक Óयवसाय पĦित से जगजािहर हòआ । लुभावने िव²ापन के सहारे दुिनया के कोने-कोने के उपभोĉओं तक उÂपाद का सÌमोहन पहòंचाने के िलए हर Óयवसाय म¤ अनुवाद कì मह°ा इसी तरह बढ़ी हòई । munotes.in

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54 ६.३ अनुवाद के ±ेý :
अनुवाद आज के युग कì आवÔयकता है । िवĵ समाज िविवधता पूणª भाषा समाज है । िविभÆन भाषा-भाषी समाजŌ म¤ संपकª एवं िवचार-संÿेषण के िलए अनुवाद कì मह°ा ÖवयंिसĦ है । हम देखते ह§ िक यहाँ अनेक भाषाएँ ह§ । सभी का सािहÂय समृĦ है । संिवधान म¤ Öवीकृत १५ भाषाएँ 'राÕůभाषाएँ' ह§, इनम¤ एक भाषा और जुड़ चुकì है (मिणपुरी) । हम िवदेशी भाषाओं के इन भाषाओं म¤ अनुवाद कì बात भी न कर¤, तो भी कम से कम इन 'राÕůभाषाओं' म¤ परÖपर सािहिÂयक सांÖकृितक आदान-ÿदान के िलए अनुवाद कायª अÂयावÔयक है । िव²ान और ÿौīोिगकì जैसे िवषयŌ के िलए िवदेशी भाषाओं, िवशेष łप से अँúेज़ी से इन भाषाओं म¤ अनुवाद कì अिनवायªता है । समúतः बहòभाषी समाज म¤ तथा िव²ान एवं ÿौīोिगकì इÂयािद िवषयŌ के Óयापक ÿसार के िलए अनुवाद आज के समय कì अपåरहायª आवÔयकता है । इस ŀिĶ से अनुवाद का ±ेý अÂयंत Óयापक है । यहाँ हम सजªनाÂमक सािहÂय-अनुवाद के अितåरĉ ±ेýŌ म¤ अनुवाद के ÿयोग और उन ±ेýŌ म¤ अनुवाद के ÿयोग और उन ±ेýŌ से जुड़ी अनुवाद कायª कì समÖयाओं आिद का सं±ेप म¤ पåरचय दे रहे ह§ । सरकारी कामकाज और अनुवाद राÕůपित आदेश सन् १९५५ के अनुसार ÿशासिनक åरपोटª, सरकारी पिýकाएँ, संसद को दी जाने वाली åरपोटª आिद जहाँ तक हो अंúेजी के साथ- साथ िहंदी म¤ भी ÿकािशत कì जाए । इसी तरह सरकारी संकÐपŌ और िवधायी अिधिनयमŌ म¤ धीरे-धीरे अंúेज़ी के साथ-साथ िहंदी का ÿयोग भी होने लगा और जनता कì सहायता करने के िवचार से भारत सरकार Ĭारा सभी अंúेजी पý आिद (िहंदी भाषी राºयŌ को) उनके िहंदी अनुवाद के साथ भेजे जाने लगे । राजभाषा अिधिनयम १९६३ तथा राजभाषा िनयम १९७६ के बाद तो अनुवाद का ±ेý बहòत बढ़ गया है । एक तरह से कह¤ तो िĬभाषी िÖथित आ गई है । यह अभी िकतने िदनŌ तक और चलती रहेगी, कहा नहé जा सकता ! राजभाषा अिधिनयम १९६३ कì धारा ३(i) के अनुसार, 'जहाँ िकसी ऐसे राºय के िजसने िहंदी को अपनी राजभाषा के łप म¤ अपनाया है और िकसी अÆय राºय के, िजसने िहंदी को अपनी राजभाषा के łप म¤ नहé अपनाया है. बीच पýािद के ÿयोजनŌ के िलए िहंदी को ÿयोग म¤ लाया जाता है, वहाँ िहंदी म¤ ऐसे पýािद के साथ-साथ उसका अनुवाद अंúेज़ी भाषा म¤ भेजा जाएगा । इसी तरह धारा ३(२)(iii) के अनुसार 'िकसी
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अनुवाद के ±ेý एवं समÖयाएँ
55 िनगम या कंपनी या उसके कायाªलय के और िकसी अÆय ऐसे िनगम या कंपनी कायाªलय के बीच (इसी ÿकार िकसी मंýालय िवभाग या कायाªलय के बीच ३(२)(i) तथा (ii)) जो पý- Óयवहार िहंदी या अंúेजी म¤ अनुवाद यथािÖथित िकया जाएगा, अंúेजी भाषा या िहंदी म¤ भी िदया जाएगा । धारा ३(३) के अनुसार तो िनÌनिलिखत के िलए िहंदी और अंúेजी भाषा दोनŌ ÿयोग म¤ लाई जाएँगी (i) संकÐपŌ, साधारण आदेशŌ, िनयमŌ, अिधसूचनाओं, ÿशासिनक या अÆय ÿितवेदनŌ या ÿेस िव²िĮयŌ के िलए जो क¤þीय सरकार Ĭारा या उसके िकसी मंýालय, िवभाग या कायाªलय Ĭारा या क¤þीय सरकार के ÖवािमÂव म¤ या िनयंýण म¤ िकसी िनगम या कंपनी Ĭारा या ऐसे िनगम या कंपनी के िकसी कायाªलय Ĭारा िनकाले है या िकए जाते ह§ । संसद के िकसी सदन या सदनŌ के सम± रखे गए ÿशासिनक तथा अÆय ÿितवेदनŌ और राजकìय कागज-पýŌ के िलए (iii) क¤þीय सरकार या उसके िकसी मंýालय, िवभाग या कायाªलय Ĭारा या उसकì ओर से या क¤þीय सरकार के ÖवािमÂव म¤ या िनयंýण के िकसी िनगम या कंपनी के िकसी कायाªलय Ĭारा िनÕपािदत संिवदाओं और करारŌ के िलए तथा िनकाली गई अनु²िĮयाँ, अनु²ापý, सूचनाओं और िनिवदा ÿाłपŌ के िलए । धारा ५ के अनुसार क¤þीय अिधिनयमŌ आिद के ÿािधकृत िहंदी अनुवाद कì ÓयवÖथा कì गयी है । धारा ८, जो राजभाषा िनयम १९७६ (सा० का० िन० १०५२) के łप म¤ लागू कì गई, के अनुसार तो अनुवाद का ि±ितज बहòत अिधक Óयापक हो गया है। इन िÖथितयŌ के अितåरĉ कुछ अÆय िवषय और ±ेý इस ÿकार ह§, िजनम¤ िहंदी तथा अंúेजी दोनŌ भाषाओं का ÿयोग होना चािहए- १. अिहंदी भाषी ±ेýŌ म¤ िÖथत सरकारी कायाªलयŌ के साथ पý Óयवहार । २. पý- शीषª । ३. मुþाएँ तथा रबड़ कì मोहर¤ । ४. नामपट । ५. Öटाफ़ कारŌ कì ÈलेटŌ पर कायाªलयŌ का नाम । ६. क¤þीय सरकार Ĭारा Öथािपत और उससे सहायता ÿाĮ करने वाले संगठनŌ के नाम-पट, सूचना-पट ७. सरकारी समारोहŌ के िलए िनमंýण-पý । ८. समÖत भारत और िहंदी भाषी ±ेýŌ म¤ जारी िकए जाने वाले सरकारी िव²ापन । ९. सÌमेलनŌ कì कायªसूची कì िटÈपिणयŌ और कायª । १०. कामŌ कì िĬभािषक łप म¤ छपाई । ११. सरकारी पिýकाओं का अंúेजी के अलावा िहंदी म¤ ÿकाशना । १२. सांि´यकìय जेबी पुÖतकŌ का िĬभािषक łप म¤ ÿकाशना । १३. फाइल कवरŌ पर िवषय अंúेज़ी के अलावा िहंदी म¤ भी िलखना । १४. टेिलफोन डाइरे³टरी अंúेजी-िहंदी । munotes.in

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56 िविभÆन ÿकार के ÿपýŌ का जÐदी से जÐदी अनुवाद करने के िलए भारत सरकार ने लगभग १० वषª पूवª 'अनुवाद संबंधी सुिवधाओं िवषयक अनौपचाåरक समूह का गठन िकया गया था। साथ ही मंýालयŌ/िवभागŌ म¤ छोटे-छोटे दल बनाने के िलए अनुरोध िकया गया । इस िÖथित के चलते धीरे-धीरे सरकारी कामकाज म¤ अंúेज़ी-िहंदी और िहंदी अंúेजी अनुवाद का Óयवहार बढ़ता गया है लेिकन िÖथित यह बनती चली गई है िक िहंदी एक अनुवाद कì भाषा होती चली गई है । हम देख¤ तो पाएँगे िक सरकारी कायाªलयŌ कì भाषा जनसामाÆय कì भाषा से अलग है। िहंदी के इस łप को कागज पýŌ िहंदी या कायाªलयीन िहंदी कहा जाता है । इसका ताÂपयª यह है िक िहंदी का ऐसा łप िजसम¤ ÿशासन के काम म¤ आने वाले शÊद वा³य अिधक ÿयोग म¤ आते हŌ, वह ÿशासिनक िहंदी है । िनIJय ही इसका वा³य- िवÆयास साधारण िहंदी से िभÆन है । इसका Óयाकरण, शÊद भंडार, वा³य- िवÆयास आिद ÿायः अँúेज़ी के अनुवाद से तैयार िकया गया है । एक तरह से यह यांिýक भाषा बन कर रह गई है । सरकारी कामकाज म¤ िहंदी का अनुवाद और ÿयोग िहंदी भाषा कì अपनी िनजी ÿकृित के अनुसार होने लगा । तभी वह सभी के िलए बोधगÌय और सरल-सहज बन सकेगी । उसम¤ सहज ÿवाह, चुÖती और सरलता होनी चािहए । अंúेज़ी के वा³य िवÆयास के यथाłप अनुवाद के मोह को Âयागना पड़ेगा । िहंदी कì दुłहता को सरलता म¤ बदलना पड़ेगा । कृिýमता और अनगढ़पन को छोड़ना पड़ेगा । उसे जनता कì भाषा बनाना पड़ेगा । अ) वै²ािनक सािहÂय का अनुवाद : वै²ािनक सािहÂय िविशĶ ²ान का सािहÂय होता है । इसम¤ तकªपूणª कì अिभÓयिĉ होती है। इसका उĥेÔय है िसखाना, िश±ा देना । वै²ािनक सािहÂय ²ानाÂमक होने से इसकì मूल ÿवृि° सूचनाÂमक होती है । अपने उĥेÔय कì पूितª के िलए वै²ािनक सािहÂय का लेखक सुिनिIJत अथª वाली पाåरभािषक शÊदावली का ÿयोग करता है । इस शÊदावली के ÿयोग के कारण ÿÂयेक िव²ान कì अपनी भाषा होती है । अतः वै²ािनक सािहÂय म¤ न तो भाषा का मनचाहा ÿयोग हो सकता है और न भाषा के साथ कोई िखलवाड़ िकया जा सकता है । यहाँ सवाªिधक बल तÃय पर िदया जाता है । वै²ािनक सािहÂय के अनुवाद कì ÿिøया सजªनाÂमक सािहÂय के अनुवाद कì ÿिøया से अलग है । वै²ािनक सािहÂय तÃय ÿधान होता है। अतः इस ÿकार के सािहÂय के अनुवाद म¤ एक सुिवधा होती है िक उसम¤ अिभÓयिĉ, शैली और अथª-संरचना कì जिटलता नहé होती । यह शैली ÿायः ÖपĶ होती है इसिलए अनुवादक को शैली पर अिधक Åयान क¤िþत करने कì आवÔयकता नहé होती । आ) िविध सािहÂय का अनुवाद : िविध अथवा कानून कì भाषा पारदशê होनी चािहए । उसम¤ ÖपĶता का गुण अिनवायª है । यह भाषा उसी भाषा म¤ िलिखत कथा सािहÂय या अÆय सािहÂय कì भाषा से िभÆन होती है । Æयाय के शासन म¤ िवĵास बनाए रखने के िलए और सवōपåर जनसाधारण का िवĵास अिजªत करने के िलए आवÔयक है िक जनता को उसकì अपनी भाषा म¤ Æयाय िमले । हम अंúेज़Ō कì ही Æयाय-ÓयवÖथा का उदाहरण ले ल¤ । कंपनी शासन के समय म¤ ही सवªÿथम सन् १७९७ ई० म¤ िāिटश पािलªयाम¤ट ने यह िवधान कर िदया था िक भारत संबंधी िविध अनुवाद भारतीय भाषाओं म¤ ÿकािशत िकए जाएँ । इसके munotes.in

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57 बाद सन् १८०३ म¤ आदेश िदया गया - Every regulation with marginal notes, shall be translated in the Persian, and Hindustanee language by the translators. [Sec. १५ of Reg. (१८०३)] सन् १८३० ई० म¤ जब कंपनी के 'बोडª ऑफ डाइरे³टसª' (िनदेशक मंडल) को ÆयायालयŌ म¤ फ़ारसी के Öथान पर अंúेज़ी कर देने के िलए िलखा गया, उÆहŌने अंúेजी के ÿयोग को उ°र पिIJमी और अÆय ÿांतŌ म¤ अÖवीकार करते हòए िवचार Óयĉ िकया िक ±ेýीय भाषाओं को ही ÆयायालयŌ कì सामाÆयतः भाषा होना चािहए । तकª यह िदया गया िक 'इसम¤ संदेह नहé िक Æयाय - ÿशासन Æयायाधीश कì भाषा म¤ हŌ, िकंतु यह भी कम महÂवपूणª नहé है िक यह ऐसी भाषा म¤ हो जो मुकदमे के प±कारŌ, उनके अिधवĉाओं और जनसाधारण कì भाषा म¤ हो । जनता Ĭारा Æयायाधीश कì भाषा सीखने कì अपे±ा Æयायाधीश Ĭारा जनता कì भाषा सीखना आसान है ।" आज भी इस अंश म¤ सÂयता है । िविध सािहÂय कì भाषा कì सवाªिधक महÂवपूणª िवशेषता है िनिIJत अथªव°ा । यह एक तरह से पाåरभािषक शÊदावली है । अतः िविध शÊदावली का अनुवाद बहòत सतकª हो कर करना पड़ता है। यथा अÅयादेश (ऑिडªन¤स) वह आिधकाåरक आदेश है, जो िकसी कायª, ÓयवÖथा आिद के संबंध म¤ राÕůपित अथवा राºय के ÿधान शासक-राºयपाल Ĭारा िदया या िनकाला जाता है । सारे भारत के िलए अथवा उसके िकसी भाग के िलए 'अÅयादेश' राÕůपित महोदय Ĭारा जारी िकया जाता है। िकसी ÿदेश राºय के िलए राºयपाल इसी ÿकार अÅयादेश जारी कर सकते ह§ । अÅयादेश िकसी जिटल या िवषम िÖथित म¤ ही जारी िकया जाता है । इसे हम आदेश, आ²ा, समादेश, घोषणा आिद नहé कह सकते । इन शÊदŌ के अपने अपने पृथक अथª िनिIJत िकए गए ह§ । अतः िविध सािहÂय के अनुवाद के िलए यह आवÔयक है िक िविध शÊदावली का अनुवादक को ²ान हो । अनुवाद म¤ ÖपĶता, सहजता और ÿवाह हो । उसके वा³यांश और शÊदावली सावªदेिशक Öवłप िलए होते ह§, अतः उÆहé मानक वा³याशŌ शÊदावली का ÿयोग अिनवायªतः िकया जाए । ऐसे अनुवादŌ म¤ अनुवादक राजभाषा खंड कì ओर से ÿकािशत ४०० से अिधक िनयमŌ, िविनयमŌ आदेशŌ आिद कì सहायता ले सकते ह§ । उÆह¤ 'उ¸च Æयायालय िनणªय पिýका (१९१९) तथा 'उ¸चतम Æयायालय िनणªय पिýका' (१९६८) के िविभÆन अंकŌ आिद से भी पयाªĮ सहायता िमलेगी । िविध आयोग Ĭारा िविध शÊदावली भी अÂयंत उपयोगी है । इ) भाषांतरण : आशु अनुवाद अथवा आशु भाषाÆतरण वाक् अनुवाद है । िकसी बात को तÂकाल दूसरी भाषा म¤ łपांतåरत करना आशु अनुवाद कहलाता है । यह कायª 'अनुवाद' से थोड़ा िभÆन है, इसीिलए इसके िलए 'भाषाÆतरण' शÊद का ÿयोग करना उिचत है । यह एक मौिखक ÿिøया है । मौिखक भाषाÆतरण म¤ "आशय " को लàय मानकर भाषांतरकार अपने कतªÓय का िनवाªह करता है। इसके िलए 'अनुÓया´या' शÊद का ÿयोग भी िकया जाता है ( रोहरा, सतीश कुमार) । राजनीितक वाताªओं, अनेक देशŌ के ÿितिनिधयŌ के बीच बातचीत के मÅय, खेलŌ के आँखŌ देखे हाल के वणªन के समय (कम¤टरी) आिद म¤ इस तरह के 'अनुवाद' (या ठीक कह¤ तो भाषांतर) कì आवÔयकता munotes.in

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58 होती है । यŌ तो कम¤टरी ÿÖतुत करने वाले को 'कम¤ůेटर' कहते ह§, लेिकन िĬभािषक िÖथित म¤ आशु भाषांतरकार को 'इंटरÿेटर' कहा जाता है । कई बार आशु अनुवाद (या भाषांतर) म¤ यंýŌ कì सहायता भी ली जाती है । जैसे अंतराªÕůीय बैठकŌ म¤ जहाँ िवĵ कì अनेक भाषाओं म¤ िवचार-िवमशª िकया जाता है, िवĵ ÿिसĦ िवशेष² या राजनेता भाषण देते ह§, इसी तरह लोक सभा आिद म¤ भाषण के समय, एक साथ मूल भाषा से एक से अिधक Öवीकृत भाषाओं म¤ तÂकाल अनुवाद कì ÓयवÖथा कì जाती है । यह कायª यंýवत् चलता रहता है और ®ोता अपनी इि¸छत भाषा म¤ उस भाषण को सुन सकते ह§ । हमारे यहाँ संसद म¤ िहंदी-अंúेज़ी भाषा कì आशु अनुवाद कì सुिवधा सन् १९६४ म¤ आरंभ हòई। सन् १९६४ कì िव²िĮ के अनुसार 'लोक सभा म¤ अब अंúेजी के भाषण का िहंदी म¤ और िहंदी भाषण का अंúेज़ी म¤ अनुवाद मूल भाषण के साथ सुना जा सकेगा । सदन के ÿÂयेक सदÖय के बैठने के Öथान पर एक हैडफ़ोन लगाया गया है िजससे मूल भाषण के साथ ही अनुवाद भी सुना जा सकेगा । पý ÿितिनिधयŌ को भी यह सुिवधा उपलÊध होगी ।" आशु अनुवाद / भाषांतर म¤ अनुवादक भाषांतरकार को कई बातŌ का Åयान रखना होता है। सवªÿथम उसे दोनŌ भाषाओं पर पूरा अिधकार होना चािहए । दोनŌ भाषाओं के Óयाकरण, शÊदŌ, अथª छटाओं, लोकोिĉ-मुहावरŌ आिद का Óयावहाåरक ²ान होना चािहए । ÿÂयुÂपÆनमित होना आशु भाषांतरकार के िलए अÂयावÔयक गुण है । उसकì Öमरण शिĉ तीĄ हो और उसम¤ यह ±मता हो िक तÂकाल सोच कर भाषांतर कर सके । सामाÆय ²ान और िवषय ²ान दोनŌ ही उसकì सफलता के िलए आवÔयक ह§ । िजस Öथान या संÖथान से वह जुड़ा है, उस Öथान कì ऐितहािसक सांÖकृितक भौगोिलक िÖथित, उस समाज का, उसके पåरवेश का ²ान, उस संÖथान कì समूची कायª-ÿणाली इÂयािद का उसे ²ान होना भी अिनवायª है । कई बार आशु अनुवादक को िकसी राजनेता या वĉा का भाषण पहले से ही मुिþत या टंिकत łप म¤ उपलÊध हो जाता है । इससे उसे अनुवाद कायª म¤ पयाªĮ सहायता िमल जाती है । लेिकन कभी-कभी वह राजनेता या वĉा अपने िलिखत, मुिþत या टंिकत भाषण से हट कर समसामियक िÖथितयŌ पर बोलने लगता है । ऐसी िÖथित म¤ आशु अनुवादक को बड़ी सतकªता से काम लेना होता है। उसे तुरंत उन ÖथलŌ को यथाÖथान जोड़ लेना चािहए । आकाशवाणी एवं दूरदशªन पर भी राÕůपित, ÿधानमंýी अथवा िकÆहé मंिýयŌ के राÕů के नाम संदेश आिद को तुरंत िहंदी या अÆय भाषाओं म¤ łपांतåरत करके पढ़ा जाता है। यहाँ भी आशु भाषांतरकार कì आवÔयकता होती है । उसकì ±मता और योµयता इसी बात पर िनभªर करती है िक वह िकस तरह तनावमुĉ रह कर सहज łप से उसी शैली म¤ भाषांतर ÿÖतुत करता है । ई) समाचार एज¤िसयŌ / समाचार पýŌ म¤ अनुवाद : पýकाåरता का ±ेý अÂयंत Óयापक है । ÿाय: देखा गया है िक िहंदी कì संवाद सिमितयाँ और समाचार पý अनुवाद पर िनभªर ह§ । लेिकन यह भी बढ़ा सच है िक अंúेजी कì संवाद सिमितयŌ और समाचारपýŌ को भी अनुवाद से काम चलाना पड़ता है । इस munotes.in

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59 संदभª म¤ सुÿिसĦ पýकार डॉ० वेदÿकाश वैिदक का यह कथन सही जान पड़ता है िक, 'िकसी भी देश कì ख़बर¤ और िवचार भी ÿायः उस देश कì जनता कì भाषा म¤ ही पैदा होती है । अपनी भाषाओं म¤ पैदा होनेवाले समाचारŌ और िवचारŌ का अंúेजी अखबार और अंúेजी एज¤िसयाँ अनुवाद करती ह§ । उÆह¤ वे अंúेजी म¤ ढाल लेती ह§, यानी अंúेजी एज¤िसयŌ लगभग पूणªतः अनुवाद पर ही िनभªर होती ह§। इसीिलए यह आरोप एक तरफा है िक िहंदी अख़बार और िहंदी एज¤िसयाँ मौिलक नहé होतé और हमेशा अनुवाद के सहारे ही िजंदा रहती ह§ । अनुवाद समाचारपýŌ तथा समाचार एज¤िसयŌ कì मजबूरी है । िÖथित यह भी है िक िहंदी समाचार एज¤िसयŌ एवं समाचारपýŌ को कई बार अनुवाद का भी अनुवाद करना पड़ता है । तिमल, तेलुगू, बंगला, मराठी आिद भाषाओं से उठाई गई समाचार सामúी को पहले अंúेजी म¤ ÿÖतुत िकया जाता है और िफर उस 'अनुवाद' का पुनः िहंदी म¤ अनुवाद िकया जाता है । यही िÖथित उन भाषाओं कì है । यानी िहंदी और उनके बीच म¤ अंúेज़ी है । इससे कई बार उस सामúी के साथ Æयाय नहé हो पाता यह िÖथित शोचनीय है । समाचार एज¤िसयŌ तथा समाचारपýŌ के अनुवाद म¤ सवªÿथम Âवरा का Åयान रखा जाता है, जो हो तÂकाल और जÐदी हो । इसिलए पýकारŌ को बेहद जÐदी म¤ काम करना होता है । वे एक-एक शÊद और वा³य पर देर तक नहé सोच सकते । यिद वे ऐसा करने लग¤ तो ख़बर बासी होने का भय रहता है । इस सुिवधा के िलए पýकाåरता ने धीरे-धीरे एक नई भाषा का łप ÿाĮ कर िलया है। कुछ शÊद-बंध लगभग िÖथर हो चले ह§ । अंúेजी के जिटल वा³यŌ और वा³याशŌ के सरल एवं मानक िहंदी łप भी बना िलए गए ह§ । अतः सजग पýकार को इन मानक łपŌ का ²ान होना लाभÿद है । पýकाåरता के ±ेý म¤ अनुवाद के िलए यह भी अÂयावÔयक है अनुवादक को लोक भाषाओं और लोक ŁिचयŌ का पयाªĮ ²ान हो । इनके ÿयोग से उसके अनुवाद कì भाषा म¤ चुÖती, नवीनता और िवल±णता आ सकती है । उसका काम शÊद कì जगह शÊद, वा³य कì जगह वा³य और अनु¸छेद कì जगह अनु¸छेद रख देने ही से नहé चल सकता । हमारे यहाँ िवशेष² पýकारŌ कì कमी बेहद खलती है । कुछ िविभÆन समाचार एज¤िसयाँ और समाचार पý अथª शाľ और खेल जगत् के जानकार लोगŌ कì सेवाएँ तो उपलÊध कर रहे ह§। उनके पास इन ±ेýŌ का ²ान रखने वाले िवशेष पýकार/उपसंपादक मौजूद ह§ । लेिकन िव²ान, संचार माÅयमŌ, सािहÂय तथा संÖकृित के िवशेष² उपसंपादक / पýकार नहé ह§ । ऐसे म¤ पýकाåरता के ±ेý म¤ अनुवाद कì आवÔयकता और भी बढ़ जाती है । ६.४ अनुवाद कì समÖयाएँ : सÌपूणª िवĵ म¤ भाषा कì बहòलता है । यīिप भाषा कì बहòलता के कारण समाज म¤ सÌÿेषण का अभाव देखा जाता रहा है । िकÆतु अनुवाद कला के कारण हम मनुÕयŌ ने सÌÿेषण कौशल को बढ़ावा िदया है और साथ ही सÌपूणª िवĵ को एक गांव के łप म¤ तÊदील कर िदया है इसिलए िदन-ÿितिदन अनुवाद मह°ा बढ़ती जा रही है । िवĵ म¤ िभÆन-िभÆन ÿकार कì भाषा होने के कारण सभी भाषाओं का अनुवाद लगभग असंभव सा होता है । अनुवाद कला िजतना munotes.in

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60 उपयोगी और महÂवपूणª है, कायª±ेý म¤ वह उतना ही अिधक जिटल है । भाषा कì बहòलता होने के कारण अनुवाद करते समय अनुवादक को िभÆन-िभÆन ÿकार कì समÖयाओं का सामना करना पड़ता है । अिधकांशत: अनुवाद करते समय भाषा को क¤þ म¤ रखकर िवषय वÖतु को क¤þ म¤ रखा जाता है । िजसके कारण कभी-कभी शÊदानुवाद करनेवाला अनुवाद का अनुवाद िनिÕøय हो जाता है । अनुवाद वतªमान समाज कì अÂयÆत महßवपूणª आवÔयकता बन गयी है । फलत: आज अनुवाद को Öवतंý िवधा के łप म¤ Öवीकार िकया जा रहा है । आज वै²ािनक तथा औīोिगक उÆनित तथा संचार और øािÆत के युग म¤ अनुवाद और भी अिधक महßवपूणª हो गया है । ÿौīोिगकì तथा सूचना के ±ेý म¤ ÿÂयेक देश, राÕů और समाज ने शीŅाितशीŅ उÆनित के िलए ÿयास है । आज बाजारवाद और ÿितÖपधाªÂमक युग म¤ िविभÆन भाषाओं म¤ अनुवाद कì ÓयवÖथा उपलÊध हो गयी है । समयानुसार अनुवाद कì बढती मह°ा के कारण मशीनी और कÌÈयूटरीकृत अनुवाद के ±ेý म¤ िविभÆन तरह के संशोधन िकये जा रहे ह§ । मु´यत: एक भाषा कì िकसी सामúी का दूसरी भाषा म¤ łपाÆतर करना ही अनुवाद है िकÆतु भाषा का अनुवाद करना बहòत ही किठन और जिटल होता है ³यŌिक सभी भाषाओं के शÊद, अथª और भाव िभÆन-िभÆन होते ह§ और िविभÆनता होने के कारण एक भाषा से दूसरे भाषा म¤ अनुवाद करना बहòत मुिÔकल होता है । अत: अनुवाद करते समय अनुवादक को Åयान रखना चािहए िक मूल भाषा के भाव को अनूिदत भाषा म¤ पूणªतः उतारा गया हो । अनुवाद करते समय भाषा म¤ पूणªतः का भाव होना चािहए तािक मूल भाषा कì सामúी व अनूिदत भाषा कì सामúी पढने पर कृितमता का आभास न हो । इसिलए कम से कम मूल भाषा व ąोत भाषा म¤ िनकटता होनी चािहए । अत: दोनŌ भाषाओं कì समानता कì िनकटता िजतनी अिधक होती है, अनुवाद उतना ही अ¸छा और उ°म माना जाता है । अत: अनुवाद करते समय अनुवादक को मु´य łप से दोनŌ भाषाओं का ²ान होना चािहए तािक मूल भाषा से दूसरी भाषा म¤ अनुवाद करते समय अथª और भाव ºयŌ का ÂयŌ बना रहे । इस ÿकार अनुवाद कì समÖया िĬभाषकìय है । फलÖवłप मनुÕय अनुवाद शैली से िवजातीय भाषा सीखकर धीरे-धीरे Öवभाव अिजªत करता है और अËयास बन जाने पर वह कभी-कभी अपने आपको दो नावŌ पर सवार अनुभव करता है । अनुवादक को धारा के िकसी ±ण म¤ Łककर तल म¤ अÆतिनªिहत भावना को देखने का ÿयास करना चािहए तािक भाषा कì मूल भाव म¤ बदलाव न हो । अगर ऐसा हòआ तो अनुवाद को िनÌन कोिट का माना जाता है । वÖतुत: अनुवाद कì मु´य समÖया Öवभाषा अनुवाद पåरभाषा को िवजातीय भाषा कì शÊदावली को Öवभाषा म¤ Óयĉ करना है । अनुवादक को मूल भाषा के अनÆतर उसी के समक± भाव और िवचार Óयĉ करने वाले शÊद या वा³य को Öवभाषा म¤ खोजना पडता है । अत: मूल भाषा के भाव और अथª łपांतåरत भाषा म¤ हóबहó नहé िमलता यही अनुवाद कì मूल समÖया है । भाषा वै²ािनक ŀिĶ से अनुवाद कì समÖया के ÿमुख दो पहलू ह§ । ÿथम िĬभाषकìय łपाÆतरण और िĬतीय भाव łपाÆतरण । और मुÙयत: ये दोनŌ एक दूसरे के पूरक भी माने जाते ह§ । िĬभाषकìय शैली से िकया गया अनुवाद शुĦ होता है, िजसम¤ तुलनाÂमक भाषा महßवपूणª भूिमका िनभाता है । िवĵ के सभी भाषाओं को उनकì िवशेषता के आधार पर वगêकृत िकया munotes.in

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अनुवाद के ±ेý एवं समÖयाएँ
61 गया है । और अिधकांश उÆहé भाषाई पåरवार के दो भाषाओं को एक दूसरे म¤ अनुवाद करना आसान होता है । उदाहरण के तौर पर जमªन और इंिµलश भाषाएं, úीक परÌपरा से जुडी होने के कारण परÖपर शािÊदक लेन-देन भी कर सकती है और जहाँ वैसा सÌभव न हो वहाँ मूल úीक शÊदावली से अपना शÊद बना सकती है । वÖतुतः ÿÂयेक भाषा म¤ वा³य कì इकाइयां से भाषा संरचना होती है । पदŌ से बनने वाले वा³यांश वा³य के घटक बनते ह§ और एक वा³य दूसरे वा³य के साथ समÆवय ÿाĮ करके एक वा³यता लेता है । अतः अनुवादक को िवषय वÖतु को Åयान म¤ रखकर शÊद योजना, वा³य रचना और समÆवय कì ÓयवÖथा करनी होती है । ऐितहािसक ŀिĶ से यह समÖया ईÖट इिÁडया के समय से ही भारत म¤ जÆम लेकर िवकिसत हòई । मैकाले के ÿयासŌ से भारत म¤ अंúेजी कì ÿशासन कì भाषा होने का अवसर ÿाĮ हòआ, िजसके कारण ÿशासिनक कामकाज म¤ अनुवाद िशिथल बना गया । सामाÆयत: ÿÂयेक देश म¤ अनुवाद कì यह समÖया होती है, जहाँ दो या दो से अिधक भाषाएं ÿशासन म¤ कायªरत होती है । िÖवटजरल§ड इसका आदशª उदाहरण है, वहाँ ÿशासन म¤ चलने वाली तीनŌ भाषाएं एक ही पåरवार कì होने के कारण भारत के समान जिटलता नहé उÂपÆन करतé । अतः अनुवाद के इन समÖयाओं का समाधान सहज एवं सरल नहé है । मु´यतः एक भाषा के बहòत से शÊदŌ के समानाथªक शÊद दूसरी भाषा म¤ नहé होते ह§ । उदाहरण के तौर पर देख¤ तो, नीम के िलए अंúेजी भाषा म¤ तथा िलली के िलए िहÆदी भाषा म¤ शÊद नहé है । यह परेशानी तब और अिधक बढ जाती है, जब ऐसे जिटल वा³य और भाव ÿशासिनक अनुवाद के समय आते ह§ । िकÆतु जबरन अनुवाद करने पर ऐसे वा³य का मूल अथª और भाव िबगड़ जाता है तथा िजन ÓयिĉयŌ के जुबान पर मूलभाषा के शÊद चढ़े होते ह§, ऐसे ÓयिĉयŌ को इस तरह के अनुवाद म¤ कृिýमता अनुभव का भान आसानी से हो जाता है । उदाहरणाथª, यूिनविसªटी को सही या गलत ढंग से सभी बोल लेते ह§ ; कचहरी, मदरसा आिद ÿचिलत शÊद रहे ह§ । पालतू पशुओं को ‘मवेशी’ कहा जाता रहा है । इन जैसे जन ÿचिलत शÊदŌ के िलए जहाँ तक हो नये शÊदŌ कì खोज नहé करनी चािहए ³यŌिक ये शÊद समाज म¤ पहले से ही अपना łप िनधाªåरत कर चुके है । अतः इनके Öथान पर नये शÊद ÿयोग करने पर इनके मूल अथª म¤ बदलाव हो जाएगा । अनुवाद एक अÂयंत किठन दाियÂव है । रचनाकार िकसी एक भाषा म¤ सजªना करता है, जबिक अनुवादक को एक ही समय म¤ दो िभÆन भाषा और समÖया, कथानक तथा पåरवेश/वातावरण को साधना होता है । पåरवेश और वातावरण पर बल देते हòए राधाकृÕणन ने गीता के अनुवाद के बहाने कहा था “गीता के िकसी भी अनुवाद म¤ वह ÿभाव और चाŁता नहé आ सकती, जो मूल म¤ है । इसका माधुयª और शÊदŌ का जादू िकसी भी अÆय माÅयम म¤ ºयŌ का ÂयŌ ला पाना बहòत किठन है । अनुवादक का यÂन िवचार को ºयŌ का ÂयŌ ÿÖतुत करने का रहता है, परÆतु वह शÊदŌ कì आÂमा को पूरी तरह सामने नहé ला सकता । वह पाठक म¤ उन मनोभावŌ को नहé जगा सकता, िजनम¤ िक वह िवचार उÂपÆन हòआ था ।” इस ÿकार एक अनुवादक के िलए Öथानीय संÖकृित और पåरवेश का ²ान होना आवÔयक है । रवéþनाथ ठाकुर ने एक बार पंिडत बनारसीदास चतुव¥दी से कहा था िक “िहÆदी म§ पढ़ लेता हóँ, सामाÆयतः उसका अथª भी समझ लेता हóँ, िकÆतु शÊदŌ के साथ जो वातावरण िलपटा होता है, उसे म§ नहé समझ सकता । सच तो यह है िक शÊदŌ के साथ िलपटे हòए वातावरण का ²ान मुझे अपनी भाषा को छोड़कर और कहé भी नहé होता, यहां तक िक अंúेजी म¤ भी munotes.in

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अनुवाद
62 नहé ।” इस ÿकार हम कह सकते ह§ िक भाषा म¤ वातावरण बहòत ही ÿमुख होता है और अनुवाद करते समय वातावरण के बदलाव के कारण सÌपूणª भाषा ÅवÖत हो जाती है और साथ ही अनुवाद कì गुणव°ा म¤ भी कमी आ जाती है । अनुवाद करते समय बहòधा अथª का अनथª तब ºयादा होता है, जब अनुवादक शÊदशः अनुवाद करने कì चेĶा करता है । यīिप हर भाषा कì अपनी एक खास ÿकृित एवं ÿवृि° होती है इसिलए िजस भाषा म¤ अनुवादक अनुवाद कर रहा है, उसकì ÿकृित, उसके िमजाज का र±ण करना अनुवादक के िलए आवÔयक हो जाता है । फलÖवłप शÊदशः अनुवाद एक खतरनाक बीमारी है, ³यŌिक एक भाषा के शÊद हó-ब-हó दूसरी भाषा म¤ अ³सर नहé िमलते । कई बार शÊद महज शÊद नहé होते, उनके साथ एक अवधारणा, कथा, समÖया आिद बहòत सी बात¤ जुड़ी होती है। शÊदानुवाद करते समय उन अवधारणाओं का मूल अनुवाद िकसी भी दूसरी भाषा म¤ ºयŌ का ÂयŌ होना लगभग असंभव होता है । इस ÿकार एक अ¸छे अनुवादक को भाषा कì सीमा कì मयाªदा समझनी होगी । तािक दोनŌ भाषाओं के मूल अथª म¤ बदलाव न आये और अनुवािदत कृित म¤ कृितमता नहé बिÐक मूल पाठ कì झलक िदखायी दे । कहने कì आवÔयकता नहé िक आज भी “सेकुलåरºम” और “धमªिनरपे±ता” तथा “धमª” और “åरलीजन” एक ही चीज ह§ िक िभÆन ह§ । यह समÖया तब और िवकट łप म¤ ÿÖतुत होती है जब हम बोली के शÊदŌ का अनुवाद करना चाहते ह§ । चूँिक बोली के शÊदŌ और भंिगमाओं का अनुवाद जब उसी देश कì भाषा म¤ असंभव है तो िवदेशी भाषा के बारे म¤ कहना ही ³या । इस ÿकार वेदŌ का अनुवाद आज कì संÖकृत भाषा के ÿचिलत शÊदाथŎ के सहारे नहé हो सकता, ठीक जैसे शे³सपीयर के जमाने कì अंúेजी का अनुवाद आज के ÿचिलत शÊदŌ और अथŎ के सहारे असंभव है । देखा जाए तो ÿÂयेक िवषय कì अपनी भाषा होती है, उसके खास पाåरभािषक शÊद होते ह§ । िजनकì बारीकì का पता उस िवषय के जानकार को ही होता है इसिलए अनुवाद कì आदशª िÖथित यह रहती है िक किवता का अनुवाद अिधकांशत: किव करे, कहानी का अनुवाद कहानीकार और समाज िव²ान कì पुÖतकŌ का अनुवाद कोई समाज वै²ानी ही करे । तभी िवषय कì मूल िÖथित म¤ बदलाब होने कì सÌभावना कम होगी और साथ ही मूल कृित और अनुवािदत कृित के साथ Æयाय कì उÌमीद कì जा सकती है। ®ेķता बोध और हीनता बोध कì भावना भी अनुवादक कì मु´य समÖया मानी जाती है । यīिप हम िकसी भाषा को ®ेķ मान लेते ह§ तो िकसी को हीन । िहÆदी अनुवादकŌ म¤ िनज भाषा को लेकर एक हीनता, उपे±ा और अगंभीरता का भाव है । तोलÖतोय कì िकताब का "पुनŁÂथान" नाम से भीÕम साहनी का अनुवाद और नेहł कì "िडÖकवरी ऑफ इंिडया" का "िहंदुÖतान कì कहानी" अनुवाद उÌदा कहा जा सकता है । इस ÿकार अिधकतर पाठक ÿिसĦ रचाकारŌ Ĭारा अनुिदत कृित को ही ®ेķ और उ¸च समझते ह§ । िजसके कारण धीरे-धीरे अÆय अनुवादकŌ म¤ हीन भावना का ÿÖफुटन होने लगता है । ६.५ अनुवाद कì समÖयाओं का समाधान अनुवाद करते समय एक अनुवादक को ÿमुख łप से तरह-तरह कì समÖयाओं का सामना करना पड़ता है । िजसम¤ भाषा बोध से लेकर मूल समÖया तक कì बात¤ िनिहत होती है । munotes.in

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अनुवाद के ±ेý एवं समÖयाएँ
63 इसिलए अनुवाद कला कì गुणव°ा को बढाने के िलए अपने देश म¤ अनुवाद-संबंधी ÿिश±ण केÆþŌ और ÿयोग को Öथािपत करना होगा । इस ÿकार अनुवाद म¤ łिच रखने वाला Óयिĉ पूणª łप से ÿिशि±त होकर इस ±ेý म¤ कायª करे तािक अनुवाद करने म¤ कोई उसे समÖया न हो । अनुवादक को िवदेशी भाषा कì कृितयŌ का अनुवाद करते समय किठन और जिटल शÊदŌ के ÿयोग से बचना चािहए । और उसके Öथान पर अिधकांश Öथानीय शÊदŌ का ÿयोग करना चािहए तािक देश कì बोलचाल कì शÊदावली के कारण उसम¤ आकषªण और Łझान पैदा हो सके और पाठकअनुिदत रचना कì तरफ आकिषªत हो सके । इस ÿकार अनुवाद कला म¤ िवकास होगा और साथ ही ऐसे अनुवादक को ÿिसिĦ िमलेगी । वÖतुतः गंभीर अनुवाद के नाम पर किठन शÊदावली तथा अनुवादकŌ कì दुबōध, पंिडताऊपन से बोिझलता के कारण अनुवाद के िवŁĦ माहौल तैयार होगा । ÿÂयेक अनुवादक को ‘हम हमारे, तुम तुÌहारे’, ‘िववेकानंदा, योगा, केरला, आÆňा, कनाªटका, िहमालया, कोनारकर, मुंगेर वेदान, पुरवाई पुई बरसात, फशª-फरस, कìिजए िकिजए या कåरए जैसे ĂĶ और बेशमª ÿयोगŌ से बचना चािहए ³यŌिक वतªनी कì अशुĦता और भाषा को दुिवधा हर अनुवाद के िलए खड़े शýु कì तरह होता है । चूँिक यिद अनुवाद िहÆदी भाषा म¤ हो रहा है तो तÂकाल सवाल पैदा होगा िक अनुवाद के नाम पर िहÆदी कì शÊदावली म¤ किठन शÊद गढ़कर गोशाला के गायŌ कì तरह जबåरया űेस देना कहाँ तक Æयायोिचत माना जाएगा? िहÆदी के िलए इससे बड़ा दुभाªµय और ³या हो सकता है िक आज तक अपने ही देश म¤ इसकì कोई िविशĶ पहचान, एक िनिIJत ठोस आकार ÿकार या ÓयिĉÂव और Öवłप कì कोई रचनाÂमक कÐपना पूरी तरह नहé बन पायी है । एक अ¸छा अनुवाद वही हो सकता है जो Óयापक पåरÿेàय म¤ वै²ािनक ŀिĶ से सरल- सहज भाषा म¤ ÿÖतुत हो । यिद ऐसा नहé होगा तो अनुवाद और पाठक एक-दूसरे के िलए अजनबी बने रह¤गे । यिद िनÕप± बात कì जाए तो कह¤गे िक अनुवाद का कारोबार िपछले चार दशक म¤ काफì बढ़ा है । कई तरह कì अनुवाद संबंधी संÖथाएँ और दुकान¤ खोलकर एक तबका इस देश म¤ िहÆदी िवकास के नाम पर अपना भरपूर िवकास और िहतलाभ कर रहा है और इन दुकानŌ और संÖथानŌ म¤ िबÐकुल बनावटी, नीरस और Óयथª का अनुवाद तैयार हो रहा है । इस ÿकार आज अंúेजी से िहÆदी के नाम पर छोटे-मोटे उīोग पनप चुके ह§, जो बड़े-बड़े अनुवाद úंथ जÆम¤ िकÆतु अपनी सािहिÂयक महÂवाकां±ाओं कì ÿपूितª हेतु वे साधन बने इस कायª Óयापार और अनुवाद से िहÆदी का कुछ भी भला नहé कर पा रहे ह§, अनुवाद के नाम पर बाजार म¤ भाषाओं कì अिÖतÂव को िछÆन-िभÆन कर रहे ह§ । िजसम¤ मशीन ÿमुख łप से उनका सहायक बन रहा है । इस ÿकार आज िनहायत मशीनी भाषा कì जगह, सरल सहज, सीधे-सादे, सहज-अकृिýम, उलझाव और जिटलता से मुĉ, अवø, िनराभरण, Öवाभािवक तथा जन सामाÆय कì िजĽा पर आसानी से चढ़ने वाली जैसे महßवपूणª भाषा कì आवÔयकता है । अत: कुल िमलाकर अनुवाद जैसे कायª को ÿामािणक łप म¤ संपÆन करने के िलए या तो अिखल भारतीय Öतर पर िकसी एक संÖथा, िवĵिवīालय, Óयिĉ, समूहŌ या साधन संपÆन सतत् ÿयÂनशील भाषा संÖथान को सामने आना होगा, िजसम¤ समिपªत, सुिव², ²ानवान िनķावान अनुवाद किमªयŌ-िशिÐपयŌ कì सशĉ टोिलयŌ या समूहŌ का सहयोग जुटा हो, अÆयथा यिद मुþालाभ कì पनपती Óयावसाियकता को Åयान म¤ रखकर, बाजार म¤ माँग के munotes.in

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अनुवाद
64 कारण अनुवाद के नाम पर अनुवाद कì गाद और तलछट को झटपट बढ़ रच कर हमने समाज को सŏप िदया तो अनुवाद से पाठक ककटता जाएगा और इस ÿकार सÌपूणª समाज म¤ भाषा कì अिÖतÂव नĶ हो जाएगा । ६.६ सारांश अनुवाद के इन ÿकारŌ पर चचाª करते हòए िविभÆन ±ेýŌ म¤ अनुवाद के ÿयोग, उपयोिगता और महÂव कì भी िवÖतार से चचाª कì गयी है । वÖतुतः अनुवाद करते समय पाठ और अÆय िÖथितयŌ जैसे उसकì उपयोिगता आिद को Åयान म¤ रखकर अनुवादक या अनुवाद एज¤िसयां पाठ का अनुवाद करवाती ह§ । तभी यह तय हो पाता है िक ÿÖतुत पाठ का अनुवाद करते समय िकन-िकन बातŌ का Åयान रखा जाना आवÔयक है । समयानुसार अनुवाद के िविवध ±ेýŌ और उनम¤ अनुवाद कì संभावनाओं, उपयोिगता, समÖयाओं आिद म¤ बढ़ोतरी हòई है । ÿशासिनक ±ेý, ब§िकंग, िविध, मीिडया आिद बहòत से ±ेýŌ म¤ अनुवाद का समावेश है । िश±ा के ±ेý म¤, पयªटन के ±ेý म¤ िव²ान और तकनीकì के ±ेý म¤ आिद म¤ भी अनुवाद का उपयोग बड़ी तेजी से हो रहा है । इसिलए इ³कìसवé सदी को अनुवाद का युग कहना गलत नहé होगा। फलत: आज हम िवĵ के िकसी भी कोने म¤ बैठकर देश-िवदेश म¤ उपलÊध ²ान तथा सूचनाओं को बडी सरलता से आदान–ÿदान कर सकते ह§ । और इन सब के मूल म¤ अनुवाद कì महÂवपूणª भूिमका िनभाता है । बाल सािहÂय िवशेषकर इले³ůॉिनक सािहÂय म¤ अनुवाद कì भूिमका को आप बड़ी आसानी से अपने टेलीिवजन पर देख सकते है । हमारे टीवी सेट पर आ रहे काटूªन चैनल पर एक साथ कई भाषाओं के िवकÐप उपलÊध है। आज अनुवाद एक िवÖतृत उīोग बनकर उभर रहा है । अÖतु इसके ÿयोग ±ेýŌ कì एक िनिIJत सीमा तय नहé कì जा सकती । वतªमान युग म¤ बाजारवाद, सूचना ÿौīोिगकì और मशीनीकरण के साथ साथ वैिĵकरण म¤ बढोतरी हòई है, िजसके कारण संपूणª िवĵ बाजार के łप म¤ तिÊदल हो गया है । बाजार कì माँग और वैिĵकरण के कारण सभी भाषाओं कì माँग म¤ बढोतरी आयी है । चूँिक भाषाओं के कारण सभी संÖकृितयŌ, समाजŌ और िवचारŌ म¤ समÆवय Öथािपत हòआ है । इस ÿकार सभी देशी, ±ेýीय, ÿांतीय, राÕůीय भाषाओं ने िवĵ के िवकास और उÂथान म¤ अपनी महßवपूणª भूिमका िनभायी है । फलतÖवłप भाषाओं के माÅयम से संपूणª िवĵ एक गाँव के łप म¤ बदलने म¤ स±म हòआ है । और सभी भाषाओं ने अनुवाद के माÅयम से अपने आपको िवĵ बाजार से जुडे रखने का ÿयÂन िकया है । इस ÿकार आज िदन-ÿितिदन अनुवाद कì मह°ा बढती जा रही है । ६.७ बोध ÿij १. अनुवाद के िविवध ±ेýŌ का ³या अिभÿाय है? २. अनुवाद के ÿमुख चार ±ेýŌ पर ÿकाश डािलए । ३. वैिĵकरण अथाªत् बाजारवाद म¤ होनेवाले अनुवाद के महßव को ÖपĶ कìिजए । ४. सािहÂय जगत म¤ होनेवाले अनुवाद के महßव उदाहरण सिहत ÖपĶ िकिजए । munotes.in

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अनुवाद के ±ेý एवं समÖयाएँ
65 ५. अनुवाद कì समÖया को ÖपĶ करते हòए उसके समाधान ÿकाश डािलए । ६. अनुवाद कì ÿमुख समÖयाओं को विणªत कìिजए । ७. अनुवाद के समाधान को रेखांिकत कìिजए । ८. अनुवाद कì समÖयाओं को रेखांिकत करते हòए उनके समझान पर चचाª कìिजए । ६.८ संदभª úंथ : १. ÿयोजनमूलक िहंदी कì नयी भूिमका - कैलाश नाथ पांडे, लोकभारती ÿकाशन, इलाहाबाद २. ÿयोजनमूलक िहंदी - डॉ. िवनोद शाही, आधार ÿकाशन, हåरयाणा ३. ÿयोजनमूलक िहंदी - िवनोद गोदरे, वाणी ÿकाशन, िदÐली ४. ÿयोजनमूलक िहंदी नए संदभª - सुिमत मोहन, त±िशला ÿकाशन, िदÐली ५. ÿयोजनमूलक िहंदी के नए आयाम - डॉ. पंिडत बÆने, अमन ÿकाशन, कानपुर ६. ÿयोजनमूलक िहंदी - माधव सोनट³के, लोकभारती ÿकाशन, इलाहाबाद ७. ÿयोजनमूलक मीिडया िवमशª िसĦांत और अनुÿयोग - राम लखन मीरा, के. के पिÊलकेशÆस, िदÐली ८. ÿयोजनमूलक िहंदी ÿयुĉ और अनुवाद - माधव सोनट³के, वाणी ÿकाशन, िदÐली ९. अनुवादिव²ान - भोलानाथ ितवारी, िकताबघर ÿकाशन, िदÐली १०. अनुवाद िव²ान कì भूिमका - कृÕण कुमार गोÖवामी, राजकमल ÿकाशन, िदÐली munotes.in

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अनुवाद
66 ७ अनुवाद का सामािजक एवं साÖकृितक प± ईकाइ कì łपरेखा ७.० इकाई का उद्देश्य ७.१ प्रस्तावना ७.२ अनुवाद का सामाजिक पक्ष ७.२.१ सामाजिक अनुवाद : परिभाषा ७.२.२ अनुवाद : सामाजिक पक्ष ७.३ अनुवाद का साांस्कृजतक पक्ष ७.३.१ साांस्कृजतक अनुवाद : परिभाषा ७.३.२ अनुवाद : साांस्कृजतक पक्ष ७.३.३ अनुवाद : भाितीय परिवेश में साांस्कृजतक पक्ष ७.३.४ साांस्कृजतक पक्ष : अनुवाद की समस्याएँ ७.३.५ समाधान : ७.४ सािाांश ७.५ वस्तुजनष्ट प्रश्न ७.६ बोध प्रश्न ७.७ सांदभभ ग्रांथ ७.० इकाई का उĥेÔय प्रस्तुत इकाई में जनम्नजिजित जबांदुओ का छात्र अध्ययन किेंगे - • सामाजिक अनुवाद की परिभाषा औि अनुवाद का सामाजिक पक्ष क्या हैं, उसे देिेंगे| • अनुवाद का साांस्कृजतक पक्ष औि उसकी परिभाषा को जवस्ताि िान सकेंगे | ७.१ ÿÖतावना : अनुवाद एक बहुपयोगी जवधा है । इसके उपयोग से सामाजिक औि साांस्कृजतक परिवतभन औि परिवर्द्भन होता है । इस प्रकाि अनुवाद में सामाजिक औि साांस्कृजतक सांदभों को ििना उसकी सफिता का परिचायक है, क्योंजक भाषा के सामाजिक एवां साांस्कृजतक सांदभभ िक्ष्यभाषा में समान रूप से सम्प्रेजषत हो सकें । समाि औि सांस्कृजत में िोगों की िीवन पर्द्जत, तौि-तिीके, िान-पान, आचाि-जवचाि, िहन सहन, व्यवहाि, धमभ, िीजत-रिवाि तथा सामाजिक जवशेषताएँ प्रभूजत सभी बातें सजम्मजित िहती हैं । वस्तुत: मूि भाषा के सामग्री में िोक-िीवन तथा munotes.in

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अनुवाद का सामाजिक
एवां सास्कृजतक पक्ष
67 सामाजिक सांदभों का आना बहुत ही स्वाभाजवक है जकांतु अनुवाद में सामाजिक एवां साांस्कृजतक सांदभों को अनूजदत भाषा में सांप्रेजषत किना बहुत महत्वपूर्भ कायभ माना िाता है । अत: अनुवाद के माध्यम से जवजभन्न सामाजिक आचाि- सांजहताओां का सांिक्षर् होता है । अनुवाद का कायभ कायाभिय, सांस्थान, कम्पनी, फनीचि, पत्र शीषभ, फाइिें, स्टेशनिी, वाहन, जवजिजटांग कार्भ, नोजटस बोर्भ, भवन, कैिेण्र्ि, बैनि, िेजर्यो, होजर्िंग, र्ायिी, पत्र-पजत्रकाएँ उपहाि वस्तुएँ, दूिदशभन, कम््यूटि, इन्टिनेट, िेिवे स्टेशन, बस अर््र्े यहाँ तक जक कमभचारियों औि छोटे बच्चे के पैंट-शटभ पि भी जकया िाता है औि साथ ही सड़क, दुकान, जटकट औि जबििी के िम्भों तक पि अनूजदत जवज्ञापन छापे िाते हैं । ७.२ अनुवाद का सामािजक प± : मनुष्य अपने िीवन के जवजवध आयामों को अनुवाद के माध्यम से पूर्भ किने की सफि कोजशश किता है । इसमें व्यापाि की भूजमका अहम िही है । वस्तुतः व्यापाि-व्यवसाय को शुरू किने में पूँिी, श्रम, िोजिम औि बािाि इत्याजद में अनुवाद सजिय रूप में उपयोगी होता है । सािे साधन उपिब्ध होने के बाविूद भी बािाि की स्ति तय किाने में जवज्ञापनों का महत्त्वपूर्भ योगदान होता है औि ये सभी जवज्ञापन अनुवाद पि ही आजश्रत होते हैं । िब से बहुिाष्रीय कांपनी के जनवेश की प्रथा अथाभत् ‘ग्िोबिाइिेशन’ का चिन चिा है तब से सांपूर्भ समाि औि सांस्कृजत का भी वैश्वीकिर् हो गया है । जवश्व बािाि की नशे अनुवादक औि अनुवादकताभ ने पकड़ िी है, जिसके कािर् सांप्रेषर् कौशि औि समझदािी में भी जवकास देिा गया है । अनुवाद के कािर् सामाजिक औि साांस्कृजतक पक्ष मिबूत होता है । सामाजिक स्ति पि अनुवाद वाताभिाप, िािनीजतक, पत्रकारिता, जशक्षा, न्यायािय व्यवस्था, जवज्ञान औि प्रौद्योजगकी की क्षेत्र में अनुवाद, कायाभिय, अांतििाष्रीय सांबांध तथा साांस्कृजतक स्ति पि धाजमभक, साांस्कृजतक सामांिस्यता, धाजमभक पुस्तकें आजद का सामांिस्य स्थाजपत किने का कायभ अनुवाद द्वािा ही सांभव हो पाया है । ७.२.१ सामािजक अनुवाद : पåरभाषा : • भारतीय लेखक : १. भोिानाथ जतवािी “जकसी भाषा में प्राप्त सामग्री को दूसिी भाषा में भाषान्तिर् किना अनुवाद है, दूसिे शब्दों में एक भाषा में व्यक्त जवचािों को यथासम्भव औि सहि अजभव्यजक्त द्वािा दूसिी भाषा में व्यक्त किने का प्रयास ही अनुवाद है ।” २. जवनोद गोदिे “अनुवाद, स्रोत-भाषा में अजभव्यक्त जवचाि अथवा व्यक्त अथवा िचना अथवा सूचना साजहत्य को यथासम्भव मूि भावना के समानान्ति बोध एवां सांप्रेषर् के धिाति पि िक्ष्य-भाषा में अजभव्यक्त किने की प्रजिया है ।” ३. दांगि झाल्टे “स्रोत-भाषा के मूि पाठ के अथभ को िक्ष्य-भाषा के परिजनजित पाठ के रूप में रूपान्तिर् किना अनुवाद है ।” munotes.in

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अनुवाद
68 • पाIJाÂय लेखक : १. जगजर्ांग्स “समाि स्वयां सांघ है वह एक सांगठन औि व्यवहािों का योग है, जिसमे सहयोग देने वािे एक-दूसिे से सम्बांजधत होते हैं ।” २. हेनकीन्स “हम अपने अजभप्राय के जिए समाि की परिभाषा इस प्रकाि कि सकते है जक वह पुरूषों, जियों तथा बािकों का कोई स्थायी अथवा अजविाम समूह है िो जक अपने साांस्कृजतक स्ति पि स्वतांत्र रूप से प्रिाजत की उत्पजि एवां उसके पोषर् की प्रजियाओां का प्रबन्ध किने मे सक्षम होता हैं ।” ७.२.२ अनुवाद : सामािजक प± : जवश्व में आजथभक उदािीकिर्, वैश्वीकिर् के साथ अनुवाद के कािर् सामाजिक बदिाव भी देिा गया है । वैजश्वकिर् के कािर् सांपूर्भ जवश्व एक गाँव के रूप में तबदीि हो गया है । अनुवाद के कािर् ही उदािीकिर् औि वैश्वीकिर् को बि जमिा है । अनुवाद ने जवज्ञापन के क्षेत्र में अपना सांपूर्भ अजस्तत्व िमा जिया है, जिसके माध्यम से बािािीकिर् में आसानी हुई है । जवज्ञापन अनुवाद के कािर् कथा, कहानी, कजवताएँ, चिजचत्र िगत औि िीड़ा िगत के जििाजड़यों के ध्यानाकषभक, सांवाद, सौन्दयभ प्रसाधन के जवज्ञापनों में सुन्दरियों के अधभनग्न जचत्र जदिा-जदिा कि सम्मोहन उत्पन्न जकया िाने िगा । वैजश्वक स्ति उपभोगतावादी सांस्कृजत का प्रचिन है इसजिए उपभोगतावादी बािािीकिर् में अनुवाद महत्त्व बहुत बढ़ गया है । इस प्रकाि अनुवाद ने आजथभक स्ति से गुििे हुए जवश्व के सभी समाि को अपने पक्ष में कि जिया है । वस्तुत: इस प्रकाि समाि के जवकास या बदिाव में अनुवाद ने अपनी अजमट छाप छोड़ी है । अनुवाद के कािर् समाि में जवजभन्न प्रकाि के बदिाव औि जवकास देिे गए है ; िैसे वाताभिाप के क्षेत्र में अनुवाद, िािनीजतक क्षेत्र में अनुवाद, व्यापाि के क्षेत्र में अनुवाद, पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुवाद, न्यायाियी क्षेत्र में अनुवाद, जवज्ञापन के क्षेत्र में अनुवाद आजद । १. वाताªलाप के ±ेý म¤ अनुवाद : पिस्पि सांवाद, वाद-जववाद, भाषर्, सांभाषर्, वाताभिाप या बातचीत अनुवाद का सशक्त औि जवस्तृत फ़िक माना िा सकता है। िब भी दो व्यजक्त एक साथ जकसी पड़ाव, स्थान, यात्रा, तीथाभटन या देशाटन पि जमिते हैं, तब दोनों के मन में एक-दूसिे को िानने की जिज्ञासा पैदा होती है। यजद ये दोनों व्यजक्त एक भाषा-भाषी हैं, तो वहाँ अनुवाद की कोई गुांिाइश नहीं होती, जकन्तु िब वे जभन्न भाषा-भाषी के िहे हैं, तो उन्हें अपने परिचय या भाव को समझाने के जिए अनुवाद की आवश्यकता पड़ेगी । उदाहिर् के तौि पि हम देिते हैं जक जकसी उिि भाितीय व्यापािी को कश्मीिी औि जकसी गुििाती को पांिाबी व्यापािी की बात समझने के जिए अनुवाद की सहायता िेनी पड़ेगी । जबना अनुवादक की सहायता जिए वे पूर्भरूप से एक-दूसिे के सांपकभ स्थाजपत नहीं कि पायेंगे । जिसके कािर् उनके व्यापाि के जवकास में बाधा उत्पन्न होगी । २. राजनीितक ±ेý म¤ अनुवाद : िािनीजतक क्षेत्र में भी अनुवाद की महत्त्वपूर्भ भूजमका होती है । िाष्रीय तथा अांतििाष्रीय स्ति पि िािनेताओां औि मांजत्रयों को सांवाद औि सांप्रेषर् के जिए अनुवादक की आवश्यकता होती है । उदाहिर् के तौि पि हम देिते munotes.in

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69 हैं जक भाित का एक जवदेश मांत्री जवदेश यात्रा के दौिान अपने साथ एक अनुवादक को ििता है ताजक वह अनुवादक दोनों देश के मांजत्रयों के सांवाद में मदद कि सके । ३. Óयापार के ±ेý म¤ अनुवाद : व्यापाि औि व्यवसाय के क्षेत्र में अनुवाद औि अनुवाद कताभ की अक्षय भूजमका िही है । बड़ी-बड़ी कांपजनयाँ अपने जवकास औि व्यावसाय की वृजर्द् के जिए देश-जवदेश में जनवेश किते है । इस जनवेश के दौिान उन्हें उस देश से सांपकभ किने के जिए उस देश की औि उस क्षेत्र की भाषा में सांप्रेषर् किना होता है । अत: उस देश में कांपनी स्थाजपत होने के बाद कांपनी के कायभ के देिभाि औि सांप्रेषर् स्थाजपत किने के जिए अनुवाद औि अनुवादकताभ की आवश्यकता होती है । ४. पýाचार के ±ेý म¤ अनुवाद : यजद पत्राचाि जकसी क्षेत्रीय भाषी या प्राांतीय भाषा से हो िही हो तो उस समय अनुवाद की कोई िरूित नहीं होती, जकन्तु यजद जकसी जवदेशी भाषा या अन्य भाषा में समाचाि के कथ्य स्थाजपत किने है तो उसे समझ ने के जिए अनुवाद की आवश्यकता होती है । पत्राचाि व्यजक्तगत, कायाभियी, व्यावसाजयक, िािनीजतक, न्यायाियी अथवा अकादजमक हो सभी प्रकाि के पत्राचाि के जिए अनुवाद की िरुित महसूस होती है । ५. Æयायालयी ±ेý म¤ अनुवाद : भाितीय सांजवधान अनुच्छेद ३४८ में भाित के न्यायािय को सांपूर्भ कायभवाही अांग्रेिी में किने की अनुमजत देता है । भाषा भाित में सवोच्च न्यायािय एवां उच्च न्यायािय के जनर्भयों एवां आदेशों की भाषा अांग्रेिी होती है । समस्त जवजध, सांसदीय जवधान मांर्िीय, िाष्रपजत एवां िाज्यपाि के अध्यादेश के जिए भी अांग्रेिी भाषा का प्रचिन अजधक है इसजिए अजधवक्ताओां, न्यायाधीशों, जवजधवेिाओां, प्रकाशकों तथा प्राध्यापकों को उन्हें अांग्रेिी में ही पढ़कि समझना होता है । वस्तुत: भाित के कई इिाकों को अजशजक्षत औि अनपढ़ िोग जनवास किते हैं । अत: देश के सभी नागरिकों तक न्यायाियीक अध्यादेश पहुँचाने के जिए अनुवादक की आवश्यकता होती है । इस प्रकाि अनुवाद न्यायाियों में भी अहम भूजमका के रूप में उपजस्थत है । ६. कायाªलयी ±ेý म¤ अनुवाद : भाित देश में अजधकाांश कायाभियों की भाषा अांग्रेिी है; िैसे पुजिस, िेि, नािकोजटक्स, नौ-सेना तथा बड़े-बड़े जचजकत्सा सांबांधी कायाभियों आजद । भाित देश में िण्र् तथा तहसीि स्ति के कायाभियों में भिे ही जहन्दी में आवेदन पत्र िे जिए िाते हों जकांतु जििे स्ति पि आते-आते अांग्रेिी का दबदबा शुरू हो िाता है । वस्तुत:यहीं से अनुवाद औि अनुवाद कताभ की भूजमका औि कायभ की शुरू हो िाती है । ७. िश±ा ±ेý म¤ अनुवाद : अनुवाद औि जशक्षा का बहुत ही अनोिा ताि-मेि है । वे एक-दूसिे के पूिक औि सहचि है । जवद्याजथभयों को समझाने से िेकि कायाभियी काम-काि तक सभी स्थानों पि अनुवाद का अजमट सहयोग िहता है । अजधकाांशत: तकनीकी, कानूनी, िक्षा उत्पादन तथा आपूजतभ, औद्योजगक एवां जविीय, आयकि, िनन, जफल्म, दूिदशभन, दूिसांचाि, कम््यूटि, इन्टिनेट, आकाशवार्ी, पावि जग्रर्, अथभशाि, समाि, इजतहास औि भूगोि का श्रेि साजहत्य अांग्रेिी या अन्य जकसी जवदेशी भाषा में टांजकत है । अत: स्थानीय भाषाओां में अनुवाद जकए जबना हम इससे munotes.in

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अनुवाद
70 िाभाजन्वत नहीं हो सकते । इसजिए अनुवाद औि जशक्षा एक दूसिे के पूिक औि सहचि कहे िा सकते हैं । ८. िव²ान और ÿौīोिगकì कì ±ेý म¤ अनुवाद : वैज्ञाजनक अनुसांधान, सूचना प्रौद्योजगकी, जचजकत्सा सांबांधी अनुसांधान तथा पयाभविर् सांबांधी अध्ययन आजद के क्षेत्र में अनुवाद सजिय भूजमका जनभाती है । फित: हमें इन सभी की िानकािी अन्तिाभष्रीय स्ति पि अांग्रेिी या अन्य जवदेशी भाषाओां में जििी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है जकांतु अल्पभाषा ज्ञान के कािर् हम उसे समझने में असक्षम जसर्द् होते हैं । अत: उसे समझाने औि स्पष्ट किने के जिए अनुवाद अपनी भूजमका जनभाती है । ९. सािहÂय के ±ेý म¤ अनुवाद : प्राचीन साजहत्य, अजभिेि आजद देश की मूल्यवान सांपदा माने िाते हैं। हि जिज्ञासु के मन में अपने देश के अतीत को िानने की प्रबि उत्कण्ठा होती है। उदाहिर् के तौि पि हम देिते हैं जक सांस्कृत, पाजि, प्राकृत तथा अपभ्रांश में जििे गए प्राचीन साजहत्य को सभी िोग नहीं समझ सकते । अतः उन सभी महान कृजतयों का अनुवाद क्षेत्रीय भाषा या अन्य भाषा में होने िगा । ताजक उसे पढ़कि िोग अपने देश सांस्कृजत औि सामाजिक िीजत-नीजत से अवगत हो सके । १०. अÆतराªÕůीय संबंध के ±ेý म¤ अनुवाद : अन्तिाभष्रीय स्ति पि सांबांध स्थापन हेतु अनुवाद आवश्यक जवधा बन गयी है । हि देश अपने प्रजतजनजध के रूप में िािदूतों की जनयुजक्त किते हैं। ये िािदूत अपने देश तथा जिस देश में िाते हैं, उस देश के बीच सांवाद के स्ति पि पुि का कायभ किते हैं । जिस देश में उनकी जनयुजक्त होती है, उस देश की मुख्य कामकािी भाषा का उन्हें बहुत जदनों तक अभ्यास किाया िाता है ताजक सांप्रेषर् औि कायभ किने के दौिान वहाँ के िोग औि िािदूत को समस्या न हो । इस प्रकाि एक अच्छा िािदूत एक अच्छा अनुवादक भी होना आवश्यक है । ७.३ अनुवाद का सांÖकृितक प± : भाितीय सामाजिक सांिचना में साांस्कृजतक पक्ष का अत्याजधक महत्त्व है । प्रत्येक समाि, धमभ औि िाजत की अपनी सांस्कृजत होती है, जिसमें उस समाि की सािी जवशेषताएँ जवद्यमान होती हैं । सांस्कृजत को अजभव्यक्त किने के जिए भाषा औि बोिी की आवश्यकता होती है । अत: बोिी, शब्द औि भाषा को आधाि बनाकि हम अपनी भावना औि अपनी सांस्कृजत को प्रकट कि सकते हैं । सांस्कृजत में िाजत-धमभ, िीजत-रिवाि, िहन-सहन, वेशभूषा, िान-पान, रिश्ते-नाते इत्याजद का समावेश िहता हैं । फित: अनुवाद मूिभाषा पाठ का सत्य िक्ष्य भाषा में व्यक्त किने में तभी कामयाब हो सकता है, िब अनुवादक मूिभाषा पाठ की सांस्कृजत को मूि केंद्र में ििकि भाषा की सांस्कृजत से सांबांध स्थाजपत कि सके । अनुवाद को दुबािा उत्पन्न किने की प्रजिया जद्व-साांस्कृजतक के श्रेर्ी में आती है । इस प्रकाि सांस्कृजत को ध्यान में ििकि अनुवाद किने वािा अनुवादक बहुत ही तीव्र-बुजर्द् औि कुशि होना आवश्यक है क्योंजक उसके द्वािा सृिन जकया गया अनुवाद एक नये सृिन के श्रेर्ी में आता है । अनुवादक को अपनी भूजमका का जनवभहन किते समय िोत तत्त्व औि िक्ष्य तत्त्व की ओि सूक्ष्मता से ध्यान ििना होता है । अनुवादक को अच्छी तिह से साांस्कृजतक सांदभभ की सांपूर्भता को समझना चाजहए ताजक अनुवाद सकािात्मक हो । फित: अनुवाद का मुख्य उद्देश्य पाठक munotes.in

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71 को अन्य भाषा के साजहत्य, सांस्कृजत औि िीवन के प्रजत सांवेदनशीि बनाना औि उसे एक नयी िीवन-शैिी से अवगत किाना है । अनुवाद के माध्यम से सांस्कृजत को प्रेजषत किने का काम बहुत कजठन है । अनुवादक का काम है जक वह प्रमुि रूप से दोनों सांस्कृजतयों को अच्छी तिह से समझकि उनके बीच तादात्म्य स्थाजपत कि सके । उदाहिर् के तौि पि मिाठी में ‘िावर्ी’ शब्द मिाठी सांस्कृजत से िुर्ा है, जिसे जहन्दी में मुििा के समकक्ष ििा िाता है । िानपान से सांबांजधत देिा िाए तो मिाठी व्यांिन ‘पुिनपोिी’ का अनुवाद भी सांभव नहीं है । इस प्रकाि साांस्कृजतक अनुवाद किते समय उस भाषा की मूि सांस्कृजत के शब्द को बदिना िगभग असांभव होता है । इसजिए उसका ज्यों-का-त्यों प्रयोग किना गित नहीं माना िा सकता । ७.३.१ सांÖकृितक अनुवाद : पåरभाषा : • भारतीय लेखक : १. िामधािी जसांह जदनकि - “सांस्कृजत एक ऐसा गुर् है िो हमािे िीवन में छाया हुआ है ।” २. “अनुवाद के कािर् ही समाि औि सांस्कृजत का प्रसािर् हो पाया है । जिसके कािर् सभी िोग सिहता से एक-दूसिे की सामाजिक िीजत-नीजत एवां साांस्कृजतक जिया-किाप समझने में सक्षम हो पाए है ।” • पाIJाÂय लेखक : १. आि. एच. िाजवना “िहाँ भी िक्ष्यभाषा में साांस्कृजतक एकता का अभाव िहता है, वहाँ पि मूि के शब्दों का एकि शब्दों द्वािा अनुवाद अपयाभप्त हो िाता है। ऐसे स्थानों पि व्याख्या एवां अजतरिक्त सूचनाओां की आवश्यकता होती है, जिससे जक साांस्कृजतक सांदभभ की पुनिभचना हो सके ।” २. िॉिभ स्पाईनि “अनुवाद जिया तो एक िीवांत िोि है, अतीत औि वतभमान दो सांस्कृजतयों के बीच जनिांति बहती ऊिाभ की धािा है ।” ७.३.२ अनुवाद : सांÖकृितक प± अनुवाद के कािर् साांस्कृजतक आदान प्रदान सहि औि तीव्र गजत से हो िहा है । प्राचीन समय से यह आदान प्रदान होता िहा है । भाितीय साजहत्य, दशभन व गजर्त आजद का अनुवाद चीनी, िापानी, जसांहिी, िमभन, फ्ाांसीसी, अांग्रेिी आजद भाषाओां में होता िहा है । इसके कािर् सांस्कृजत सांवर्द्भन साथ-साथ ज्ञान में भी जवकास होता गया । अनुवाद किते समय अनुवादक को स्रोत भाषा के मूि स्वरूप को सुिजक्षत ििने के जिए जवजभन्न समस्याओां, भाजषक सांदभाभत्मक तथा साांस्कृजतक से िूझना पड़ता है । हि देश औि हि प्राांत की अपनी सांस्कृजत होती है । इस प्रकाि सभी को एक सूत्र में पीिोने के जिए साांस्कृजतक पक्ष में अनुवाद का महत्त्वपूर्भ स्थान माना िा सकता है। भौगोजिक तथा ऐजतहाजसक कािर्ों से भी साांस्कृजतक अांति देिा िाता है । अिग-अिग स्थानों पि अिग-अिग तिीके से ऋतु का स्वागत जकया िाता है, यह प्रजिया भी उस देश की सांस्कृजत का एक अांग है । उदाहिर्ाथभ: ‘ग्रीष्म ऋतु’ तो एक ही है जकांतु यूिोप की गमी औि भाित की गमी में काफी अांति देिा िाता है । िहाँ यूिोप में ‘वामभ रिसे्शन’ मनाया िाता है munotes.in

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72 वहीं भाित में ग्रीष्म ऋतु का गमभिोशी के साथ स्वागत जकया िाता है । देश औि वहाँ की सांस्कृजत के अनुसाि उसे जभन्न-जभन्न नाम से सांज्ञाांजवत जकया िाता है जकांतु उसके मूि भाव एक ही होते हैं । भाितीय पिांपिा में स्वीकृत श्रार्द्, आिती, हवन आजद शब्दों को समझना सिि नहीं । चातक, चकोि, मािती, तमाि, होिी आजद सहिों साांस्कृजतक शब्दों को व्याख्या से भी स्पष्ट नहीं जकया िा सकता है । यही बात अन्य सांस्कृजतयों पि भी िागू होती है । रूसी में ‘वािे’ एक प्रकाि की दही है, ‘क्वास’ एक प्रकाि का रूसी पेय है, िो गमी के जदनों में जपया िाता है । इस प्रकाि सभी देशों की सांस्कृजत जभन्न-जभन्न होती है, िो सजदयों से सांिोये हुए ििी गयी है । इन सभी को सांप्रेजषत औि प्रसारित किने के जिए अनुवाद औि अनुवादकताभ की आवश्यकता होती है। धमभ के प्रचाि-प्रसाि में अनुवाद, धाजमभक ग्रांथों का अनुवाद, जभन्न-जभन्न सांस्कृजतयों के बीच सामांिस्य स्थाजपत किने के जिए अनुवाद आजद सभी साांस्कृजतक महत्त्वपूर्भ क्षेत्रों में अनुवाद की भूजमका अजमट है । १. धमª के ±ेý म¤ अनुवाद : सभी धमभ एक जवजशष्ट भाषा का व्यवहाि किते हैं ; िैसे बौर्द् धमभ पाजि, इसाई िैजटन, मुसिमान अिबी इत्याजद । आम िोग इन धमभ के भाषाओां के िानकाि नहीं हो सकते इसजिए उन्हें सीिने औि समझने के जिए अनुवादक औि अनूवाजदत पुस्तकों की आवश्यकता होती है । वस्तुत: पुिािी आम िोगों की प्राथभना आजद का भी अनुवाद धमभ की भाषा में किते हैं । अजपतु ऐसे धमभ भाषाओां के पांजर्त सामान्य िोगों में धमभ प्रचाि-प्रसाि के जिए अपने धमभ ग्रांथों का अनुवाद किाते हैं । इस प्रकाि दोनों तिफ यह अनुवाद प्रजिया देिी िा सकती है । २. सांÖकृितक संबंध बढ़ाने के ±ेý म¤ अनुवाद : जवश्व का कोई भी मानव स्वयां को हि दृजष्ट से पूर्भ नहीं मानता । अत: अनुवाद सांस्कृजत, जशक्षा, तकनीक, प्रौद्योजगकी, ज्ञान-जवज्ञान आजद अनेक कोर्ों पि कहीं न कहीं वह पूर्भता भिने का कायभ किता है । हि व्यजक्त के मन में अपने से हटकि दूसिे व्यजक्त की आकाांक्षा, टूटन, सांत्रास, सौन्दयभ बोध, सांवेदनाओां, समस्याओां, सांघषभ क्षमता, अजभव्यजक्त की स्वतांत्रता, सामाजिक जबििाम, िीवन-पर्द्जत, सभ्यता तथा साजहजत्यक आजद िानने की इच्छा बनी िहती है । यही जिज्ञासा एक व्यजक्त को दूसिे व्यजक्त के जनकट िे िाती है औि िब एक व्यजक्त दूसिे व्यजक्त के जनकट िाता है, तब उसके साथ-साथ पूिा समाि औि उसकी सांस्कृजत भी एक दूसिे के जनकट िाती है । अत: यह िरूित अनुवाद के माध्यम से ही पूिी की िा सकती है । इस प्रकाि भाषा, सांस्कृजत औि साजहत्य की समृजर्द् के साथ-साथ एक-दूसिे को िानना औि पािस्परिक अवबोध के सहािे एक-दूसिे से तादात्म्य तथा पािस्परिकता स्थाजपत किना अनुवाद की मुख्य जवशेषता है । ३. धािमªक úंथŌ का अनुवाद : धमभ के प्रचाि औि प्रसाि में अनुवाद अक्षुण्र् भूजमका अदा किता है । इसके कािर् ही सामान्य िन तक धमभ ग्रांथ के मूि अथभ पहुँच पाते हैं । अब तक अगजर्त धमभ ग्रांथों का अनुवाद हो चुका है ; िैसे - ‘वेद’, ‘पुिार्’, ‘उपजनषद’, ‘िामायर्’, ‘महाभाित’, ‘काव्य’, ‘महाकाव्य’, ‘महावीि चरिउ’, ‘पउमचरिउ’, ‘भजवसयिकहा’, ‘सुांदिचरिउ’, ‘भागवत’, ‘पुिार्’, ‘सत्यनािायर् कथा’, ‘जहतोपदेश’, ‘वैद्यक’, ‘नीजत ग्रांथ’, ‘ज्योजतष’, ‘जवष्र्ु पुिार्’, ‘गीता’, ‘कुिान’, ‘बाइबि’ आजद । munotes.in

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73 परिर्ामस्वरूप धमभ ग्रांथ के अनुवाद के कािर् धमभ के प्रसाि के साथ-साथ सभ्यता का जवकास होता है । ४. अनुवाद के कारण सांÖकृितक सामंजÖयता : परिवतभनशीिता के साथ-साथ सांस्कृजत में अनुकूिन तथा सामांिस्यता का गुर् भी जवद्यमान होते िहता है । व्यजक्त भौगोजिक पयाभविर् में सामांिस्यता स्थाजपत किता हुआ ही समाि में अपने व्यजक्तत्व को स्थाजपत किता है। अत: िैजवकीय औि सामाजिक पयाभविर् में सामांिस्यता स्थाजपत किने का मुख्य कायभ सांस्कृजत का होता है। इस तिह वतभमान समय में अनुवाद सभी सांस्कृजतयों के भी सामांिस्य स्थाजपत किने के उद्देश्य से अग्रजसत होता है औि अांतत: वह सफि भी जसर्द् होता है । ७.३.३ अनुवाद : भारतीय पåरवेश म¤ सांÖकृितक प± भाित के प्राचीन ऋजष-मुजनयों ने अपने ज्ञान आिोक से सम्पूर्भ जवश्व को आिोजकत जकया । इस जिया को किने के जिए उन्होंने बाहि की जकसी भाषा से उसे जिया नहीं बजल्क अांदि (आजत्मक ज्ञान) से उसे ग्रहर् जकया । औि अांत में सभी देश के िोगों ने उसे स्वीकाि जकया औि उसका अनुवाद कि अपने-अपने देश में सांप्रेजषक जकया । इस तिह अनुवाद के माध्यम से सांस्कृजत सांवधभन के साथ-साथ ज्ञान की भी वृजर्द् होती हुई जदिायी देती है । जकांतु भाित में अनुवाद की जवधा बहुत बाद में प्रचजित हुई । उदाहिर् के तौि पि हम देिते हैं जक सांस्कृत की वाल्मीजक ‘िामायर्’, ‘मेघदूत’ आजद अनेक िचनाओां की केवि कुछ पांजक्तयों या छांदों का छायानुवाद ‘महावीि चरिउ’, ‘पउमचरिउ’, ‘भजवसयिकहा’, ‘सुांदिचरिउ’ आजद प्राकृत अपभ्रांश की कृजतयों में जमि िाते हैं । अतएवां प्राकृत अपभ्रांश की कई िचनाओां के पूर्भ या अपूर्भ अनुवाद इतािवी, अांग्रेिी आजद भाषाओां में हुए हैं । बौर्द् ग्रांथ अजधकाांश रूप में पाजि ग्रांथों के नहीं बजल्क सांस्कृत बौर्द् ग्रांथों के अनुवाद हैं। अत: यह सच है जक आधुजनक काि में जवजभन्न भाषाओां में पाजि ग्रांथों के अनुवाद हुए हैं । ‘महाभाित’ के पूर्भ अपूर्भ अांशों के अनुवादकों में देवीदास, छत्रकजव, कुिपजत जमश्र तथा गोकुिनाथ िैसे प्रजसर्द् जवद्वान का नाम उल्िेजित है । ‘भागवत’ के पुिानी जहन्दी के अनुवादकों में गोपीनाथ, नांददास, चतुिदास, कृपािाम, बािकृष्र्, िसिान, भूपजत तथा अांगद शािी आजद का नाम बड़े आदि के साथ जिया िाता है । ‘पांचतांत्र’ के अनुवादकों में अमि जसांह, कृष्र्भट्ट, देवीिाि तथा पोल्हावन का नाम शाजमि है । ‘जहतोपदेश’ के अनुवादकों में पदुमन दास, वांशीधि, ियजसांह दास, छजवनाथ, िल्िू िाि कजव आजद सुप्रजसर्द् है। प्रजसर्द् नाटकों में प्रबोध चन्द्रोदय, हनुमन्नाटक, मुद्रािाक्षस, शकुन्तिा, मािती माधव, उिि िामचरितमानस, ित्नाविी, कपूभि मांििी, कुांदमािा, मृच्छकजटक, मचेन्ट आफ वेजनस, ऐि यू िाइक इट, मैकबेथ, ओथेिो, हेमिेट, िी बजिभस गतीि हामे, िैसे सैकड़ों ग्रांथों के जहन्दी में अनुवाद जकए गए तो कजवताओां में पोप, जमल्टन, शैिी, वायिन, बर््भसवथभ, कीट्स, टेजनसन तथा गोल्र्जस्मथ के श्रेि काव्य पांजक्तयाँ को अनूजदत जकया गया । इसी प्रकाि गजर्त, अथभशाि, कृजष, इन्िीजनयरिांग, भौजतकशाि, िीवजवज्ञान, िसायन, िािनीजत जवज्ञान, भाषा जवज्ञान, काव्यशाि, इजतहास तथा समाि शाि िैसे जवषयों में भी जहन्दी के महत्त्वपूर्भ अनुवाद हुए है । munotes.in

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74 ७.३.४ सांÖकृितक प± : अनुवाद कì समÖयाएँ : अनुवाद में अनुवाद की भूजमका बहुत ही गरिमापूर्भ होती है । अनुवाद वही प्रासांजगक औि उपयोगी माना िाता है, िो अनूजदत होने वािी कृजत के कथ्य के सम्पूर्भ परिदृश्य को तटस्थ ईमानदािी के साथ िोिे औि वगीकृत किे क्योंजक अनुवाद ही एक ऐसा माध्यम है, िो िक्ष्य औि स्रोत भाषाओां के बीच सांवाद सेतु का कायभ किता है । श्रेि अनुवाद िोत भाषा के भावों को अपने भीति सांजचत कि िेता है औि जफि उसे अनुवाद के रूप से सांप्रेजषत किता है । वतभमान समय में पयाभविर्, जवज्ञापन, सूचना िाांजत, सामाजिक, साांस्कृजतक, मानजवकी अतएवां तकनीकी-औद्योजगकी के क्षेत्र में जवश्व पटि पि पि-पि बहुजवजध परिवतभन हो िहे हैं। घृर्ा औि द्वेष के कािर् तिह-तिह के सामाजिक, धाजमभक, साांस्कृजतक, आजथभक, िाष्रीय आजद बेदििी हो िही है । इन सभी बातों को िानने औि समझने के जिए अनुवाद बहुत िरूिी उपकिर् जसर्द् हुआ है िेजकन यह अनुवाद यजद अधकच्चे, िजटि, ककभश, सपाट औि सतह ढांग से जकया िाए तो वह अजनष्ट कायभ किेंगा । इस प्रकाि अनुवादक के कायभ औि उसके चरित्र पि अजवश्वसनीयता का सांकट पैदा होगा । वस्तुत: अनुवाद का कायभ उिटा जसर्द् हो िाएगा औि िहाँ काम बनने वािा होगा वहाँ औि काम जबग ड़ िाएगा । ७.३.५ समाधान : अत: माना िाता है जक तकनीकी, प्रौद्योजगकी औि वैज्ञाजनक अनुवादों के सापेक्ष समाि-जवज्ञान औि मानजवकी जवषयों से सांबांजधत जकए गए अनुवाद काफी जवश्वसनीय औि िोकजप्रय होते हैं । मानजवकी औि समाि जवज्ञान से सांबांजधत नए शब्दों को गढ़ कि अनुवाद के क्षेत्र को औि अजधक समृर्द् बनाया िा सकता है । अत: नए शब्दों के गढ़ाव का कायभ यजद सिकािी तथा गैि सिकािी दोनों स्तिों पि जकया िाए तो कायभ किने में आसानी औि तीव्रता आएगी । इस शब्द सांपदा को इकट्ठा किने में देशी, प्राांतीय, ग्रामीर्, बोि-चाि की भाषा, आँचजिक आजद भाषाओां को भी सजम्मजित जकया िा सकता है । ७.४ सारांश : सािाांशतः यह कहा िा सकता है जक समाि जनिांति परिवतभनशीि औि जवकसनशीि िहता है । इसके स्वरूप जनमाभर् में कई तिह के तत्त्व सजिय िहते हैं जिनमें आजथभक, िािनीजतक, सामाजिक साांस्कृजतक चेतना आजद प्रमुि होते हैं। जकसी भी समाि की िन चेतना का जनमाभर्, जवकास एवां परिवतभन उसकी परिजस्थजतयों के अनुसाि होता है। युगीन परिजस्थजतयों से उद्भुत इस चेतना की जनजमभजत में िनसामान्य की भाषा महत्त्वपूर्भ भूजमका अदा किती है । िबजक समाि औि अनुवाद का सांबांध भी नया नहीं है । इस सांबांध की िड़ें मानव समाि में काफी पुिाना है । अनुवाद ने जवश्वभि में ज्ञान-जवज्ञान की चेतना से मानवीय ज्ञानात्मक औि भावात्मक सांवेदना को बदिा है । अनुवाद को हम सुदृढ़ सेतु के रूप में देि सकते हैं िो सांस्कृजत के भौजतक, बौजर्द्क एवां आध्याजत्मक पहिुओां को गजतशीिता प्रदान किती है । अनुवाद कमभ ने सामाजिक चेतना के बदिाव, सांघषभ औि टकिाहट को प्रबि औि सिग प्रजिया के रूप में िीवन्त ििने में एक महत्त्वपूर्भ भूजमका जनभाई है । अतः इस प्रकाि अनुवाद का सामाजिक दाजयत्व एवां पक्ष बहुत ही जियाशीि औि उपयोगी माना िाता है । munotes.in

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75 अनुवाद की भूजमका साांस्कृजतक बदिाव में महत्त्वपूर्भ िही है । जवश्व के सांस्कृजतयों में मौजिक औि जिजित साजहत्य का अनुवाद एक जनिांति चिने वािी प्रजिया िही है । िब कोई िचना िोक-भाषा में उपिब्ध हो िाती है, तब वह ज्ञान के प्रसाि से िनमानस में िागरूकता पैदा किती है । इस तिह एक भाषा का साजहत्य दूसिी भाषा में, दूसिी से तीसिी भाषा में, इस तिह से अनेक भाषाओां में स्थान पाता है । जवश्व-सांस्कृजत के जवकास में अनुवाद का योगदान अत्यन्त ही महत्त्वपूर्भ िहा है। धमभ, साजहत्य, जशक्षा, जवज्ञान, वाजर्ज्य-व्यवसाय, िािनीजत, सांस्कृजत आजद के जवजभन्न पहिुओां का अनुवाद से अजभन्न सांबांध िहा है । जवश्व-सांस्कृजत के जनमाभर् में जवचािों के आदान-प्रदान का बड़ा सहयोग िहा है औि यह आदान-प्रदान अनुवाद से ही सांभव हो पाया है । अस्तु इस प्रकाि अनुवाद का साांस्कृजतक पक्ष बहुत ही जियाशीि औि उपयोगी माना सकता है । ७.५ वÖतुिनķ ÿij : १. जशक्षा के क्षेत्र का अनुवाद जकस प्रकाि का अनुवाद है? उ - सामाजिक | २. भाित के सांजवधान अनुच्छेद ३४८ के अनुसाि कायाभियी भाषा कौन सी है? उ - अांग्रेिी | ३. समाचाि पत्र के प्रमुि दो प्रकाि के नाम जिजिए? उ - क्षेत्रीय समाचाि पत्र, प्राांतीय समाचाि पत्र, िाष्रीय समाचाि पत्र, अांतिाभष्रीय समाचाि पत्र | ४. भाित में जकस प्रकाि की सांस्कृजत पायी िाती है? उ - बहुितावादी | ५. िामचरित मानस जकसकी िचना है? उ - तुिसीदास | ६. िामचरित मानस में जकस भाषा में जििी गयी है? उ - अवजध | ७. िामचरित मानस जकस धमभ की सांस्कृजत का वर्भन जमिता है? उ - जहन्दू सांस्कृजत | ८. िामायर् के िजचत कौन है? उ - वाजल्मजक | ९. सांस्कृजत के सन्दभभ में िामधािी जसांह जदनकि क्या कहते है? उ - सांस्कृजत एक ऐसा गुर् है िो हमािे िीवन में छाया हुआ है । ७.६ बोध ÿij : १. अनुवाद के सामाजिक पक्ष पि प्रकाश र्ाजिए । munotes.in

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76 २. अनुवाद के सामाजिक सोदाहिर् समझाइए । ३. अनुवाद के सामाजिक पक्ष को िेिाांजकत जकजिए । ४. अनुवाद की अवधािर्ा को स्पष्ट किते हुए उसके सामाजिक पक्ष को जवशद जकजिए । ५. अनुवाद का स्वरूप स्पष्ट किते हुए साांस्कृजतक पक्ष पि प्रकाश र्ाजिए । ६. अनुवाद के साांस्कृजतक पक्ष को स्पष्ट कीजिए । ७. भाित में अनुवाद के साांस्कृजतक पक्षपि चचाभ कीजिए । ८. अनुवाद की साांस्कृजतक समस्या को समझाते हुए उसके समाधान पि चचाभ कीजिए । ९. अनुवाद के साांस्कृजतक पक्ष के महत्त्व को समझाइए । ७.७ संदभª úंथ : १. ÿयोजनमूलक िहंदी कì नयी भूिमका - कैलाश नाथ पांडे, लोकभारती ÿकाशन, इलाहाबाद २. ÿयोजनमूलक िहंदी - डॉ. िवनोद शाही, आधार ÿकाशन, हåरयाणा ३. ÿयोजनमूलक िहंदी - िवनोद गोदरे, वाणी ÿकाशन, िदÐली ४. ÿयोजनमूलक िहंदी नए संदभª - सुिमत मोहन, त±िशला ÿकाशन, िदÐली ५. ÿयोजनमूलक िहंदी के नए आयाम - डॉ. पंिडत बÆने, अमन ÿकाशन, कानपुर ६. ÿयोजनमूलक िहंदी - माधव सोनट³के, लोकभारती ÿकाशन, इलाहाबाद ७. ÿयोजनमूलक मीिडया िवमशª िसĦांत और अनुÿयोग - राम लखन मीरा, के. के पिÊलकेशÆस, िदÐली ८. ÿयोजनमूलक िहंदी ÿयुĉ और अनुवाद - माधव सोनट³के, वाणी ÿकाशन, िदÐली ९. अनुवादिव²ान - भोलानाथ ितवारी, िकताबघर ÿकाशन, िदÐली १०. अनुवाद िव²ान कì भूिमका - कृÕण कुमार गोÖवामी, राजकमल ÿकाशन, िदÐली munotes.in

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77 ८ अनुवादक कì योµयताएँ ईकाइ कì łपरेखा ८.० इकाई का उĥेÔय ८.१ ÿÖतावना ८.२ अनुवादक कì योµयताएँ ८.३ सारांश ८.४ बोध ÿij ८.५ संदभª úंथ ८.० इकाई का उĥेÔय : ÿÖतुत इकाई म¤ िनÌनिलिखत िबंदुओ का छाý अÅययन कर¤गे - • अनुवादक कì योµयताएँ कौन-कौनसी है उसे जान¤गे | ८.१ ÿÖतावना अनुवाद कì योµयताएं ÿदान कì गई सेवा के Öतर और अनुवाद कì आवÔयकता वाले उīोग पर िनभªर करती ह§। एक कानूनी या िचिकÂसा अनुवादक के िलए योµयता सटीकता सुिनिIJत करने म¤ मदद करने के िलए िवषय वÖतु म¤ एक पृķभूिम कì आवÔयकता हो सकती है। तकनीकì ±ेý म¤ अनुवाद योµयता के िलए आमतौर पर िकसी िविशĶ ±ेý म¤ ÿयुĉ शÊदावली का ²ान आवÔयक होता है, जैसे भौितकì या इंजीिनयåरंग। बुिनयादी ²ान म¤ ÿÂयेक भाषा म¤ योµयता और सांÖकृितक बारीिकयŌ कì समझ शािमल है जो िलिखत दÖतावेजŌ के अनुवाद को ÿभािवत कर सकती है। ८.२. अनुवादक कì योµयताएं : एक सफल अनुवादक म¤ कुछ िविशĶ गुण होने चािहए। इन गुणŌ को हम िनÌन िबंदुओं के अंतगªत समझ सकते ह§ - ८.२.१ भाषा ÿभुÂव : अनुवादक को ľोत भाषा एवं लàय भाषा कì ÿकृित, Óयाकरिणक ÓयवÖथा शैली तथा अनुÿयोगाÂमकता का आिधकाåरक ²ान होना चािहए। साथ ही साथ दोनŌ भाषाओं म¤ ÿचिलत मुहावरŌ, लोकोिĉयŌ, सूिĉयŌ एवं उनके मूल अथª का भी सटीक एवं Óयवहाåरक ²ान होना चािहए। इनकì गुणŌ कì अनुपिÖथित म¤ एक आदशª अनुवाद कì उÌमीद संदेह के घेरे म¤ आ जाती है। munotes.in

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78 ८.२.२ बहò²ता तथा िववेकशीलता: अनुवाद का कायª कोई सामाÆय कायª नहé है। यह िकसी सामाÆय या अितसामाÆय Óयिĉ कì ओर से संपÆन होने वाला सामाÆय कायª नहé है। सफल व आदशª अनुवाद वही Óयिĉ कर सकता है, जो बहòत ही िववेकशील, भाषािवद् एवं बुिĦÿखर हो। अनुवादक को ľोत सामúी का पूरा-पूरा ²ान होना चािहए। वहé लàय भाषा का ²ान भी उÂकृĶ होना चािहए। ³यŌिक पåरवेश, ÿयोजन, ÿासंिगकता, तािकªकता तथा सूचनाÂमकता आिद को पहचानने कì ±मता िकसी बहò² Óयिĉ म¤ ही हो सकती है। ८.२.३. सतकªता: सफल अनुवादक आरÌभ से अंत तक सतकª रहता है। मूल लेखन म¤ लेखक िजतना सतकª रहता है उतना ही अनुवादक को भी सतकª रहना आवÔयक है। इस ÿकार कì सतकªता से ही अनुवाद कायª Öतरीय बनता है। ८.२.४. संदेह िनवारणकताª: अनुवाद कायª करते समय भाषा एवं Óयवहाåरक Öतर पर अनुवादक के सामने बहòत सारी समÖयाएं आती ह§। एक अ¸छे अनुवादक म¤ इस ÿकार कì समÖयाओं के िनवारण कì ±मता होनी चािहए। ८.२.५. ÿितभा: ÿितभा मनुÕय को जÆम से ÿाĮ सहज देन है, यह सफल अनुवाद करने म¤ सहायक होती है। िकसी भी बात को चाहे वह सीधी हो या किठन समझ लेने तथा कुशलता से अिभÓयĉ करने के िलए ÿितभा होना अिनवायª है। ८.२.६. समाज एवं संÖकृित का ²ान: अनुवादक को दो भाषाओं के ÿभुÂव के साथ-साथ ľोत तथा लàय भाषा-भािषयŌ कì सामािजक तथा सांÖकृितक िवषयŌ से संबंिधत आवÔयक जानकारी होना भी अपेि±त है। समाज कì सांÖकृितक िवरासत, खान-पान, आचार-िवचार, Óयवहार, पूजा-पाठ, वेश भूषा, åरÔते-नाते आिद िवषयŌ का पåरचय होना जłरी होता है। ८.२.७. ²ान-िव²ान तथा मनोिव²ान का पåरचय: अनुवादक को अīतन एवं अधुनातन खोजŌ, पåरवतªनŌ, जानकाåरयŌ तथा उपलिÊधयŌ का ²ान जुटाते रहना चािहए। यह सतत अÅययनशीलता से, समसामियक जानकाåरयŌ से तथा सूचना-तंý के माÅयम से ही संभव हो सकता है। ८.२.८ गुणव°ापूणª कायª: अनुवादक को अपने सभी अनुवादŌ म¤ हमेशा उ¸च गुणव°ा वाला काम ÿदान करने और इस उ¸च गुणव°ा को बनाए रखने का ÿयास करना चािहए। कायª कì गुणव°ा म¤ अनुवादक कì munotes.in

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अनुवादक कì योµयताएँ
79 इसे पूरा करने कì ±मता, अनुवाद कì गुणव°ा और समय कì पाबंदी शािमल है िजसके साथ अनुवादक काम पूरा करता है और िवतåरत करता है। ८.२.९ िज़Ìमेदारीपूणª Óयवहार: जब अनुवादक िकसी कायª को Öवीकार करता है, तो वह इस कायª के पåरणाम के िलए पूरी िजÌमेदारी लेता है, चाहे वह Öवयं उसके Ĭारा िकया गया हो या िकसी अÆय अनुवादक या अनुवादक को सŏपा गया हो। यानी हर Öवािभमानी अनुवादक अ¸छी तरह जानता है िक उसके काम के िलए ³या आवÔयक है, और यह भी जानता है िक इस काम को बेहतरीन तरीके से कैसे करना है। ८.२.१० ®Ħा एवं िनķा: अनुवादक को िवषय के ÿित अिभŁची होनी चािहए। मूल लेखक के िवचारŌ को लàय भाषा के पाठकŌ तक पहòंचाने कì िनķा होनी चािहए। ८.२.११ सृजन-±मता: अनुवादक को रचनाÂमकता एवं सृजनाÂमकता के गुणŌ को भी आÂमसात करना चािहए। नए शÊदŌ के अगमन, गठन, ÿयोग-अनुÿयोग से भी, शÊद-िनमाªण कì ÿिøया तथा आवÔयकता से भी अनुवादक को अवगत होना चािहए। ८.२.१२. तटÖथता: अनुवादक को परकाया ÿवेश कì साधना करनी होती है। परकाया-ÿवेश कì यह शतª होती है िक Öवयं को बाहर छोड़कर दूसरे शरीर (रचना या रचनाकार) के भीतर ÿिवĶ होना होता है। ८.३ सारांश : सारांशतः अनुवादक कì योµयताओं का िवÖतार से अÅययन यहाँ छाýŌ ने िकया है | एक अनुवाद के िलए िकन-िकन िविशĶ गुणŌ कì आवÔयकता है उसे भी यहाँ पर देखा गया है | ८.४ बोध ÿij : १. अनुवादक कì योµयताओ कì चचाª कìिजए | २. अनुवादक कì कौन-कौनसी योµयताएँ उसे रेखांिकत कìिजए | ८.५ संदभª úंथ : १. ÿयोजनमूलक िहंदी कì नयी भूिमका - कैलाश नाथ पांडे, लोकभारती ÿकाशन, इलाहाबाद २. ÿयोजनमूलक िहंदी - डॉ. िवनोद शाही, आधार ÿकाशन, हåरयाणा ३. ÿयोजनमूलक िहंदी - िवनोद गोदरे, वाणी ÿकाशन, िदÐली munotes.in

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80 ४. ÿयोजनमूलक िहंदी नए संदभª - सुिमत मोहन, त±िशला ÿकाशन, िदÐली ५. ÿयोजनमूलक िहंदी के नए आयाम - डॉ. पंिडत बÆने, अमन ÿकाशन, कानपुर ६. ÿयोजनमूलक िहंदी - माधव सोनट³के, लोकभारती ÿकाशन, इलाहाबाद ७. ÿयोजनमूलक मीिडया िवमशª िसĦांत और अनुÿयोग - राम लखन मीरा, के. के पिÊलकेशÆस, िदÐली ८. ÿयोजनमूलक िहंदी ÿयुĉ और अनुवाद - माधव सोनट³के, वाणी ÿकाशन, िदÐली ९. अनुवाद िव²ान - भोलानाथ ितवारी, िकताबघर ÿकाशन, िदÐली १०. अनुवाद िव²ान कì भूिमका - कृÕण कुमार गोÖवामी, राजकमल ÿकाशन, िदÐली munotes.in